कमीशन की कहानी : एक के बाद एक बैंकों ने दिखाई थी मेहरबानी
बैंकों का अस्तित्व सैकड़ों-हजारों छोटे-मोटे खातेदारों की जमा पूंजी पर टिका है। जरूरत के वक्त इन्हीं जमाकर्ताओं को कर्जे के कायदों की मोटी किताब पढ़ा दी जाती है। दस्तावेजों की थप्पी लगाने के बाद भी फाइलें रिजेक्ट कर दी जाती है। कभी सिविल रिपोर्ट की दहशत। कभी भारी-भरकम ब्याज दर का डर। कभी कुर्की-नीलामी के नोटिस का डर। कभी बाउंसर। इन सबसे दूर बैंक प्रबंधक से लेकर बोर्ड आॅफ डायरेक्टर तक मोटी कमीशन की आड़ में ऐसे ‘करोड़पतियों’ को कर्जा दिए बैठे हैं जो चुकाने के नाम पर कायदे बताकर हाथ खड़े कर चुके हैं। इनके लिए बैंकों के पास न बाउंसर है और न ही सिविल का डर। इसीलिए देश के ‘कुबेरों’ का 2.36 लाख करोड़ रुपया बकाया है। बकाया की यह रकम लगातार बढ़ रही है।
इंदौर. विनोद शर्मा ।
बैंकों ने बीते दिनों केंद्रीय वित्त मंत्रालय को देश के प्रमुख 10 बड़े बकायादारा ‘कुबेरों’ की सूची सौंपी है। इस सूची में सातवें नंबर मुरैना की केएस आॅइल प्रा.लि. है जबकि आठवें क्रम पर इंदौर की जूम डेवलपर्स प्रा.लि.। सिर्फ इन दोनों पर ही 3124 करोड़ रुपया बकाया है। भारी-भरकम रिश्वत और 3 प्रतिशत की कमीशन के चक्कर में जिम्मेंदारों ने रिकवरी की चिंता किए बिना ही एक के बाद एक बैंकों के खजाने इनके लिए खोल दिए। बात सिर्फ जूम डेवलपर्स की ही करें तो समूह ने एक के बाद एक दो दर्जन बैंकों को 2600 करोड़ से ज्यादा का झटका दे दिया।
देश के 50 कर्जदारों के पास दिसंबर 2013 तक बैंकों का 53,000 करोड़ रुपया फंसा हुआ है। बैंकों ने इनकी सूची वित्त मंत्रालय को भेजी है। इसमें 19 कंपनियां ऐसी है जिनके पास 1000 करोड़ से ज्यादा बकाया है। अगर आम आदमी कर्ज ले तो उसे चुकाना भी पड़ेगा लेकिन हर शहर में ऐसे लोगों की संख्या भी कम नहंी हैं जो चुकाने के नाम पर चुप्पी साधकर बैठ जाते हैं। इनसे वसूली इसलिए भी मुश्किल है क्योंकि हमारे कानून में कई कमियां हैं। इन खामियों का फायदा उठाकर प्रमोटर बच निकलते हैं। बैंकों का पैसा फंस जाता है। आम जर्माकर्ताओं की मानें तो डिफाल्टरों के साथ इन्हें लोन देने वाले बैंक के कर्ताधर्ताओं पर भी कार्रवाई होना चाहिए।
क्यों जरूरी है नकेल...
- जूम डेवलपर्स पर जितना पैसा बकाया है उतना तो मप्र की सबसे बड़ी इंदौर नगर निगम का एक साल का वास्तविक बजट भी नहीं है। इंदौर का वास्तविक बजट 800 करोड़ का है।
- सामान्यत: बैंकों में ऐसे खातेदारों की संख्या 80 फीसदी तक रहती है जिनके खातों में 5 लाख से कम जमा हो। यदि औसत 5 लाख की जमापूंजी का भी एक खाता माना जाए तो चौधरी के कर्जे और बैंक संचालकों के मजे की सजा 37776 खातेदारों को अपनी जमापूंजी से चुकाना पड़ रही है।
इंदौर के अन्य बड़े बकायदारा...
बेटा नेपथॉल - 692.40 करोड़
अम्बिका सॉल्वेक्स - 147.95 करोड़
मांडवी माइन्स प्रा.लि. - 88.92 करोड़
मैथसंस प्लास्टिक्स एंड ग्लासेस प्रा.लि. - 64.96 करोड़
इस्सर अलॉय एंड स्टील लि. - 49.91 करोड़
मिडमैक्स ग्लोबल प्रा.लि. - 31.28 करोड़
नर्मदा वेअर हाउस - 31.19 करोड़
उत्कर्ष इंडस्ट्री प्रा.लि. - 29.98 करोड़
पिथमपुर स्टील प्रा.लि. - 24.49 करोड़
माया स्पीनर्स प्रा.लि. - 20.27 करोड़
जूम डेवलपर्स ने ऐसे बूना कर्जे का तानाबाना
बैंक ब्रांच बकाया (करोड़)
पंजाब नेशनल बैंक मुंबई 410.18
यूको बैंक मुंबई 309.50
यूनियन बैंक आॅफ इंडिया मुंबई 241.69
ुइंडियन बैंक मुंबई 238.73
ओरियंटल बैंक आॅफ कॉमर्स मुंबई 127.78
स्टैट बैंक आॅफ हैदराबाद मुंबई 113.90
आंध्रा बैंक मुंबई 65.44
कर्नाटका बैंक लि. मुंबई 63.48
देना बैंक मुंबई 56.84
विजय बैंक मुंबई 53.03
तमिलनाडू मर्केटाइल बैंक मुंबई 45.65
फेडरल बैंक मुंबई 34.30
स्टैट बैंक आॅफ पटियाला मुंबई 73.03
कॉर्पोरेशन बैंक मुंबई 55.31
कुल 1888.87
(यह दिसंबर 2013 की स्थिति है। अब तक करीब 200 करोड़ रुपए की रिकवरी बैंके संपत्ति कुर्क करके कर चुकी है।)
इन नामों पर लिया लोन...
आंध्रा बैंक - बी.एल.केजरीवाल, विजय चौधरी
देना बैंक - बिहारीलाल केजरीवाल, विजय चौधरी
इंडियन बैंक - बी.के.केजरीवाल, एस.प्रधान, विजय चौधरी
कर्नाटका बैंक - बिहारीलाल केजरीवाल, विजय चौधरी, यशपाल साहनी
ओरियंटल बैंक - बिहारीलाल केजरीवाल, डी.एन.भाखाई, के.पी.सेनगुप्ता,
- प्रदीप सक्सेना, विजय चौधरी और वाय.पी.साहनी
पी.एन.बी. - बी.एल.केजरीवाल, माइकल स्टर्लिंग, विजय चौधरी
एस.बी.एच - बिहारीलाल केजरीवाल, माइकल स्टर्लिंग, विजय मदनलाल चौधरी
तमिलनाडू मर्केटाइल्स - सुशांतकुमार प्रधान, विजय मदनलाल चौधरी
यूको बैंक - बी.एल.केजरीवाल, विजय चौधरी
यूबीआई - बी.एल.केजरीवाल, डी.एन.बखाई
जूम की तकनीक...
- जूम डेवलपर्स प्राइवेट लिमिटेड के नाम पर फेडरल बैंक, तमिलनाडू मर्केटाइल्स प्रा.लि, विजया बैंक, देना बैंक, कर्नाटका बैंक, ओरियंटल बैंक आॅफ कॉमर्स, इंडियन बैंक, यूनियन बैंक आॅफ इंडिया, यूको बैंक और पंजाब नेशनल बैंक का 1569.76 करोड़ बकाया है। जूम डेवलपर्स (प्राइवेट) लिमिटेड के नाम पर स्टैट बैंक आॅफ पटियाला और कॉर्पोरेशन बैंक का 128.34 करोड़ बकाया है। यहां (प्राइवेट) का है। जबकि जूम डेवलपर्स प्राइवेट लिमिटेड एक ही कंपनी है जिसका पंजीयन 1994 में हुआ था।
- जूम के नाम पर जहां स्वयं का नाम कभी विजय चौधरी तो कभी विजय मदनलाल चौधरी बताकर कर्ज लिया। कभी बिहारीलाल केजरीवाल को बी.के.केजरीवाल बताकर। नाम के शॉर्टफार्म और फूलफार्म का भरपूर इस्तेमाल किया।
- कंपनियां बदलबदल कर दिया झटका। जूम सॉफ्टेक प्रा.लि., मेग्निफिसेंट इन्फ्रा, चौधरी इनावेटिव बिजनेस, सनस्टार इन्फ्रा और रजत जैसी दर्जनभर से ज्यादा कंपनियों में चौधरी डायरेक्टर है।
यह है टॉप-8 डिफाल्टर...
1- किंगफिशर -4,022 करोड़
2- विनसम डायमंड -3,243 करोड़
3- इलेक्ट्रोथर्न इंडिया -2,653 करोड़
4- कॉपोर्रेट पॉवर -2,487 करोड़
5- स्टर्लिंग बायोटेक -2,031 करोड़
6- फोरएवर प्रेसस -1,754 करोड़
7- केएस आॅयल -1,705 करोड़
8- जूम डेवलपर्स -1,419 करोड़