Saturday, June 3, 2017

सरकारी जमीनों पर सृष्टि की आवासा

नदी, नाला, सरकारी रास्ता और चरनोई तक सब जद में
इंदौर. विनोद शर्मा ।
मप्र भूमि विकास अधिनियम, मास्टर प्लान 2021, नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल और पर्यावरण संरक्षण के लिए बने तमाम नियमों को नजरअंदाज करके ‘अवासा’ बनाने वाली सृष्टि कंस्ट्रक्शन कंपनी ने सरकारी जमीनों को भी नहीं बख्शा। नदी, नाला, काबिल कास्त और रास्ते के साथ चरनोई की जमीन को भी अपनी जद में लिया। कहीं मनमाना रास्ता बनाया तो कहीं लैंडस्केपिंग करके सजावट कर दी ताकि प्लॉट-फ्लैट की कीमतें अच्छी मिले।
नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) की सख्ती के बाद जब नगर निगम सरस्वती नदी का अस्तित्व बचाने निकला तो पता चला नदी के साथ ही उसमें जुड़ने वाली सहायक नदियों की जमीनें भी भू-माफिया हजम कर चुके हैं। इनमें बड़ा नाम सृष्टि कंस्ट्रक्शन का हे जो क्षेत्र में अवासा के नाम से लक्जीरियस टाउनशीप बना रही है। कंपनी के डायरेक्टर अनुराग पिता राधेश्याम माहेश्वरी हैं। शनिवार को आयुक्त मनीष सिंह ने क्षेत्र का दौरा करने के बाद नगर निगम ने अतिक्रमण हटाकर नदी और सहायक नदियों के स्वरूप लौटाने का काम शुरू कर दिया है।
तोड़ दिया जैन मंदिर
सरस्वती नदी पर जो स्टॉप डेम बना था उसके पास सृष्टि कंस्ट्रक्शन ने पहले पुल बनाकर फेज-1 से फेज-2 में जाने का रास्ता बनाया। बाद में अन्य खुली जमीन पर लैंडस्केपिंग करके मंदिर बनाना शुरू कर दिया था। काफी काम हो चुका था लेकिन उसे नगर निगम ने शनिवार-रविवार को तोड़ दिया। पास की रिटेनिंग वॉल में तोड़फोड़ की गई। सोमवार से कंपनी ने ढांचे के मलवे को हटाना शुरू कर दिया है।
भराव करके मोड़ा सहायक नदी का रूख
अब तक नगर निगम द्वारा की गई जांच के अनुसार निहालपुर मुंडी तालाब से होकर एक सहायक नदी तोड़े गए मंदिर के ढांच के पास आकर सरस्वती नदी में मिलती है। इस नदी पर जो स्टॉप डेम बना है उसकी दिशा और नदी के बहाव की मौजूदा दिशा में बड़ा अंतर है। नदी की जद में 30 मीटर तक कोई कंस्ट्रक्शन नहीं हो सकता बावजूद इसके सृष्टि ने नदी में ही रिटेनिंग वॉल खड़ी कर दी। तकरीबन 600 मीटर लंबी है रिटेनिंग वॉल।
बीच नदी में खड़ी की दिवार
तकरीबन पांच दशक से मंदिर की जमीन की सुरक्षा कर रहे है विष्णु कोटवार ने नदी की पाल दिखाते हुए बताया कि पाल के पास से नदी बहती थी। सृष्टि के संचालकों ने नदी के बीचोबीच पहले दिवार खड़ी की। फिर भराव किया। रास्ता बनाया। बची हुई जमीन पर बगीचा विकसित कर दिया। इस रास्ते का इस्तेमाल फेज-1 से फेज-2 में जाने के लिए किया जा रहा है।

कोटवार ने बताया कि पाल के पास चरनोई की जमीन है जिस पर भी कंपनी ने कब्जा किया है। इस पर कंपनी ने लैंडस्केपिंग कर दी है।
नदी को बीच में करके अधिकारियों ने कर दी टीएनसी
बिजलपुर में ही रहने वाले राकेश पाटीदार ने नदी के पुराने स्वरूप की जानकारी देते हुए कहा कि स्टॉप डेम के पास अच्छा पानी भरा रहता था। नदी खुली थी। सृष्टि के संचालकों ने नदी को बीच में लेकर बाउंड्रीवाल खड़ी की लेकिन जनविरोध के बाद एक दिवार अधूरी छोड़ दी।
 फेज-1 और फेज-2 के बीच है सरकारी जमीन
सर्वे नं. रकबा उपयोग
400 0.376 महादेव मंदिर
810/1/1/1/1 0.607 रास्ता
810/1/1/2 0.405 रास्ता
810/2/1 0.020 रास्ता
810/2/2 0.049 रास्ता
810/3 0.073 रास्ता
813 0.085 नाला
832 0.097 चरनोई
838/1 0.081 नाला
838/2 0.344 नाला
838/3 0.219 नाला
838/4 0.081 नाला
(इन खसरों की जमीन के बड़े हिस्सों पर भी सृष्टि का कब्जा है।)
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मुझे मामले की ज्यादा जानकारी नहीं है लेकिन नाले का रूख मोड़ना मुश्किल है। बगीचे में थोड़ा-बहुत किया होगा जो इतनी बड़ी बात नहीं है। फिर भी मैं दिखवाता हूं।
जीतू जिराती, पूर्व विधायक
पेट्रिक गिडिज के सौ साल पुराने मास्टर प्लान, गुगल मेप, 1925 के बंदोबस्त दस्तावेज से मिलान करेंगे तब पता चल जाएगा नदी की कितनी जमीन हजम की गई।
किशोर कोडवानी, समाजसेवी

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