अवैध बेसमेंट, एमओएस हजम
इंदौर. चीफ रिपोर्टर।
मनमाने निर्माण के साथ तन चुकी इमारतों को वहां रहने वाले लोगों के लगे हुए पैसों का हवाला देकर बख्शने वाले नगर निगम के अधिकारियों की शह पर स्कीम-71 और गुमाश्तानगर में कुकुरमुत्तों की तरह अवैध इमारतें खड़ी हो रही है। न मैदानी स्तर पर निगम की मॉनिटरिंग हो रही है। न ही प्लींथ सर्टिफिकेट जारी हो रहे हैं। जहां जारी हुए हैं वहां भी ले-देकर अवैध निर्माण को दबा दिया गया है। इसका बड़ा व ताजा उदाहरण स्कीम-71 में आकार ले रही राधे समृद्धि मल्टी है।
स्कीम-71 सेक्टर सी के प्लॉट नं. 15 ए का है। 4254 वर्गफीट के इस प्लॉट पर प्रतीक पिता कमल सियाल और मेसर्स समृद्धि कंस्ट्रक्शन मिलकर राधे समृद्धि नाम की मल्टी बना रहे हैं। 1 और 2 बीएचके वाली इस मल्टी में शुरूआती स्तर पर बिल्डर ने मप्र भूमि विकास अधिनियम, मास्टर प्लान 2021 और नगर निगम द्वारा नक्शा स्वीकृति के साथ तय की गई शर्तों का उल्लंघन कर दिया। बिल्डर ने नियमों को नजरअंदाज करते हुए पहले मार्जिनल ओपन स्पेस(एमओएस) कवर किया और फिर 30 प्रतिशत ग्राउंड कवरेज की मंजूरी को एक तरफ करके 100 प्रतिशत प्लॉट पर बेसमेंट बना दिया। बिना कंपलीशन सर्टिफिकेट जारी हुए बिल्डिंग में फ्लैट की बुकिंग भी शुरू हो चुकी है।
ऐसी दी गई है अनुमति
नगर निगम ने 17 जून 2016 को आवासीय उपयोग के लिए बिल्डिंग पर्मिशन (आईएमसी/2359/जेड-15/डब्ल्यू-83/2016) जारी की थी। करीब 30 प्रतिशत ग्राउंड कवरेज के साथ 1323 वग्रफीट निर्माण किया जा सकता था। मप्र भूमि विकास अधिनियम के नियम 76 के तहत बेसमेंट में पार्किंग होना है। 1.25 एफएआर के मान से 12 मीटर तक की ऊंचाई में 10 प्रतिशत बालकनी कवरेज सहित कुल 5849 वर्गफीट निर्माण किया जा सकता है।
अभी नहीं रोका तो 168 प्रतिशत अवैध बनेगी मल्टी
पूर्व पार्षद परमानंद सिसोदिया की शिकायत से मामले का खुलासा हुआ है। शिकायत के अनुसार मप्र भूमि विकास अधिनियम के नियम 76 के खिलाफ लगभग 85 प्रशित में यानी 3600 वर्गफीट में बेसमेंट बना दिया गया है। 90 प्रतिशत एमओएस की जमीन में 2500 वर्गफीट अवैध बेसमेंट बना दिया है। ग्राउंड फ्लोर के स्वीकृत 1323 वर्गफीट के स्थान पर लगभग 3 हजार वर्गफीट निर्माण किया जा रहा है जो कि स्वीकृति से 1677 वग्रफीट ज्यादा है। इन दोनों बिंदुओं के आधार पर कहा जा सकता है कि यदि तीन फ्लोर पर 1500 वर्गफीट की जगह 3400 वर्गफीट निर्माण होगा तो कुल निर्माण 10200 वर्गफीट हो जाएगा जो कि स्वीकृत निर्माण से 5700 वग्रफीट ज्यादा है। एमओएस और ग्राउंड फ्लोर के 4177 वर्गफीट कब्जे के साथ यह आंकड़ा 9877 वर्गफीट होता है। मतलब 168 प्रतिशत अवैध निर्माण।
एमओएस कवर करना जानलेवा
मप्र भूमि विकास अधिनियम के तहत हर प्लॉट एरिये पर स्वीकृत होने वाली मल्टी के लिए चौतरफा मार्जिनल ओपन स्पेस(एमओएस) छोड़ा जाना जरूरी है। इसका उपयोग आपातकालीन परिस्थितियों से निपटने के लिए होता है।
भ्रष्ट तंत्र बना रहा है भू-माफिया
नियमानुसार किसी भी किसी भी बिल्डिंग में शुरूआती दौर में मॉनिटरिंग के बाद नगर निगम प्लींथ सर्टिफिकेट जारी करता है जो यह तय करता है कि उक्त निर्माण नियमानुसार हो रहा है। यहां भवन अधिकारी और भवन निरीक्षक ने प्लींथ सर्टिफिकेट जारी ही नहीं किया और बिल्डर ने ऊपरी मंजिलें तान दी। यदि सर्टिफिकेट जारी हुआ तो फिर 30 प्रतिशत से ज्यादा ग्राउंड कवरेज करके बेसमेंट कैसे बनाया गया? अधिकारी इस बात का जवाब दें।
परमानंद सिसोदिया, पूर्व पार्षद
इंदौर. चीफ रिपोर्टर।
मनमाने निर्माण के साथ तन चुकी इमारतों को वहां रहने वाले लोगों के लगे हुए पैसों का हवाला देकर बख्शने वाले नगर निगम के अधिकारियों की शह पर स्कीम-71 और गुमाश्तानगर में कुकुरमुत्तों की तरह अवैध इमारतें खड़ी हो रही है। न मैदानी स्तर पर निगम की मॉनिटरिंग हो रही है। न ही प्लींथ सर्टिफिकेट जारी हो रहे हैं। जहां जारी हुए हैं वहां भी ले-देकर अवैध निर्माण को दबा दिया गया है। इसका बड़ा व ताजा उदाहरण स्कीम-71 में आकार ले रही राधे समृद्धि मल्टी है।
स्कीम-71 सेक्टर सी के प्लॉट नं. 15 ए का है। 4254 वर्गफीट के इस प्लॉट पर प्रतीक पिता कमल सियाल और मेसर्स समृद्धि कंस्ट्रक्शन मिलकर राधे समृद्धि नाम की मल्टी बना रहे हैं। 1 और 2 बीएचके वाली इस मल्टी में शुरूआती स्तर पर बिल्डर ने मप्र भूमि विकास अधिनियम, मास्टर प्लान 2021 और नगर निगम द्वारा नक्शा स्वीकृति के साथ तय की गई शर्तों का उल्लंघन कर दिया। बिल्डर ने नियमों को नजरअंदाज करते हुए पहले मार्जिनल ओपन स्पेस(एमओएस) कवर किया और फिर 30 प्रतिशत ग्राउंड कवरेज की मंजूरी को एक तरफ करके 100 प्रतिशत प्लॉट पर बेसमेंट बना दिया। बिना कंपलीशन सर्टिफिकेट जारी हुए बिल्डिंग में फ्लैट की बुकिंग भी शुरू हो चुकी है।
ऐसी दी गई है अनुमति
नगर निगम ने 17 जून 2016 को आवासीय उपयोग के लिए बिल्डिंग पर्मिशन (आईएमसी/2359/जेड-15/डब्ल्यू-83/2016) जारी की थी। करीब 30 प्रतिशत ग्राउंड कवरेज के साथ 1323 वग्रफीट निर्माण किया जा सकता था। मप्र भूमि विकास अधिनियम के नियम 76 के तहत बेसमेंट में पार्किंग होना है। 1.25 एफएआर के मान से 12 मीटर तक की ऊंचाई में 10 प्रतिशत बालकनी कवरेज सहित कुल 5849 वर्गफीट निर्माण किया जा सकता है।
अभी नहीं रोका तो 168 प्रतिशत अवैध बनेगी मल्टी
पूर्व पार्षद परमानंद सिसोदिया की शिकायत से मामले का खुलासा हुआ है। शिकायत के अनुसार मप्र भूमि विकास अधिनियम के नियम 76 के खिलाफ लगभग 85 प्रशित में यानी 3600 वर्गफीट में बेसमेंट बना दिया गया है। 90 प्रतिशत एमओएस की जमीन में 2500 वर्गफीट अवैध बेसमेंट बना दिया है। ग्राउंड फ्लोर के स्वीकृत 1323 वर्गफीट के स्थान पर लगभग 3 हजार वर्गफीट निर्माण किया जा रहा है जो कि स्वीकृति से 1677 वग्रफीट ज्यादा है। इन दोनों बिंदुओं के आधार पर कहा जा सकता है कि यदि तीन फ्लोर पर 1500 वर्गफीट की जगह 3400 वर्गफीट निर्माण होगा तो कुल निर्माण 10200 वर्गफीट हो जाएगा जो कि स्वीकृत निर्माण से 5700 वग्रफीट ज्यादा है। एमओएस और ग्राउंड फ्लोर के 4177 वर्गफीट कब्जे के साथ यह आंकड़ा 9877 वर्गफीट होता है। मतलब 168 प्रतिशत अवैध निर्माण।
एमओएस कवर करना जानलेवा
मप्र भूमि विकास अधिनियम के तहत हर प्लॉट एरिये पर स्वीकृत होने वाली मल्टी के लिए चौतरफा मार्जिनल ओपन स्पेस(एमओएस) छोड़ा जाना जरूरी है। इसका उपयोग आपातकालीन परिस्थितियों से निपटने के लिए होता है।
भ्रष्ट तंत्र बना रहा है भू-माफिया
नियमानुसार किसी भी किसी भी बिल्डिंग में शुरूआती दौर में मॉनिटरिंग के बाद नगर निगम प्लींथ सर्टिफिकेट जारी करता है जो यह तय करता है कि उक्त निर्माण नियमानुसार हो रहा है। यहां भवन अधिकारी और भवन निरीक्षक ने प्लींथ सर्टिफिकेट जारी ही नहीं किया और बिल्डर ने ऊपरी मंजिलें तान दी। यदि सर्टिफिकेट जारी हुआ तो फिर 30 प्रतिशत से ज्यादा ग्राउंड कवरेज करके बेसमेंट कैसे बनाया गया? अधिकारी इस बात का जवाब दें।
परमानंद सिसोदिया, पूर्व पार्षद
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