Saturday, June 3, 2017

100 मीटर दूर ही अवैध बिल्डिंगों की नगर निगम को खुली चुनौती

दम है तो रोककर दिखाओ
श्रीकृष्ण कॉम्पलेक्स के सामने 475-476 के बाद प्लॉट नं. 474 पर भी अवैध निर्माण
 इंदौर. विनोद शर्मा।
इंदौर नगर निगम की दिखावटी सख्ती भू-माफियाओं को कैसे पोषित कर रही है यह देखना है नगर निगम मुख्यालय से बमुश्किल 150 मीटर दूर एमजी रोड पर जाकर देख सकते हैं। जहां एमजी रोड के प्लॉट नं. 475 व 476 को जोड़कर बनाई गई गैरकानूनी इमारत को अफसरों का संरक्षण मिला तो प्लॉट नं. 474 पर भी मनमानी इमारत आकार लेने लगी। पहले यहां इंदौर स्वदेशी को-आॅपरेटिव स्टोर था। आंकड़ों के लिहाज से बात करें तो प्लॉट पर तन रही इसदो मंजिला बिल्डिंग में 114 प्रतिशत अवैध निर्माण है।
कलेक्टर, महापौर और निगमायुक्त को की गई शिकायत में इस पूरे मामले का खुलासा हुआ है। राजस्व रिकार्ड के अनुसार बसंतीबाई पति विमलचंद जैन ‘जो कि पूर्व पार्षद विनय बाकलीवाल के रिश्तेदार बताए जा रहे हैं’,  के इस प्लॉट का कुल क्षेत्रफल ही 649.59 वर्गफीट है। इस प्लॉट पर 60 प्रतिशत ग्राउंड कवरेज और 1.5 एफएआर के साथ नगर निगम ने 1 सितंबर 2016 को ग्राउंड+मेजेनाइन+2 बिल्डिंग का नक्शा (क्र.3238/आईएमसी/जोन3/वार्ड58) मंजूर किया था। कुल 1052 वर्गफीट व्यावसायिक निर्माण स्वीकृत हुआ जबकि निगम प्रशासन को जेब में रखकर जैन परिवार ने कंस्ट्रक्शन किया 2250 वर्गफीट। मतलब 1198 वर्गफीट ज्यादा अतिरिक्त जो कि स्वीकृृत निर्माण से 114 प्रतिशत ज्यादा है।
164 वर्गफीट निर्माण कम करेंगे
स्व उपयोग के लिए बिल्डिंग का नक्शा मंजूर करवाने वाले जैन ने नगर निगम को आश्वस्त किया था कि कुल मंजूरी 1052 वर्गफीट की मिली हुई है। हम निर्माण करेंगे 888 वर्गफीट। यानी 164 वर्गफीट निर्माण कम करने का आश्वासन दिया था।
ऐसे हुआ अवैध निर्माण
लिफ्ट और चढ़ाव का 175 वर्गफीट एरिया छोड़कर ग्राउंड फ्लोर पर 475, मेजेनाइन पर 475,  पहली मंजिल पर हेंगिंग सहित 650 वर्गफीट और दूसरी मंजिल पर भी 650 वर्गफीट निर्माण हुआ है। ऐसे कुल 2250 वर्गफीट निर्माण हुआ है।
नगर निगम में अभी यह है स्थिति
ग्राउंड फ्लोर रेसीडेंशियल 120 वर्गफीट। ग्राउंड फ्लोर कमर्शियल 560 वर्गफीट। फर्स्ट फ्लोर 680 वर्गफीट रेसीडेंशियल। सेकंड फ्लोर 680 वर्गफीट रेसीडेंशियल।
3681  वर्गफीट ज्यादा निर्माण किया प्लॉट 475-746 पर
इसी प्लॉट से लगे हुए दो प्लॉट हैं। प्लॉट नं. 475 और 476, जिन्हें   पहले मप्र भूमि विकास अधिनियम के विपरीत जोड़ा गया। बाद में 3077 वर्गफीट निर्माण की अनुमति लेकर कुल 6682 वर्गफीट का ‘जयश्री कृष्णा’ कॉम्पलेक्स तान दिया गया। मतलब 3681 वर्गफीट ज्यादा निर्माण।
------
अधिकारियों की मेहरबानी से नगर निगम की नाक के नीचे ही अवैध निर्माण हो रहा है। इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि शहर को किस कदर अवैध निर्माण का अड्डा बना दिया गया है। कहीं कोई रोकटोक नहीं है। कलेक्टर, महापौर और आयुक्त निगम को शिकायत कर चुक हैं, कार्रवाई नहीं होती।
परमानंद सिसोदिया, शिकायतकर्ता
पूर्व पार्षद
-------
बिल्डिंग का नक्शा पास है। जितनी अनुमति दी गई है लगभग उतना ही निर्माण हो रहा है। कुछ आगे-पीछे होगा भी तो मौके पर जाकर देख लेंगे, गलत निकला तो नोटिस देकर कार्रवाई करेंगे।
विवेश जैन, भवन अधिकारी
जोन-3

No comments:

Post a Comment