Thursday, June 15, 2017

किसान आंदोलन की आड़ में पुलिस से लिया बदला

--कड़वी है नेवरी फाटा आंदोलन की हकीकत
 --  मंदसौर गोलीकांड का शिकार लोगों की मौत से थी नाराजगी
हाटपिपलिया से विनोद शर्मा ।
मंदसौर के किसान आंदोलन में सामने आ रही अफीम तस्करों की भूमिका के बाद अब देवास पुलिस ने दी आंदोलन की आड़ में उत्पात मचाने वालों की छानबीन शुरू कर दी है। अब तक की छानबीन मैं उस एक जाति समूह की भूमिका संदिग्ध नजर आ रही है जिस से ताल्लुक रखने वाले प्रदर्शनकारियों की मंदसौर में पुलिस की गोलियों से  मौत हुई थी। जाति विशेष के लोगों ने किसानों के कंधे इस्तेमाल कर बागली, हाटपीपल्या, कमलापुर, चापड़ा और नेवरी में पुलिसिया ठिकानों को निशाना बनाया। सीधे-सीधे कहें तो किसानों की आड़ में जाति विशेष के लोग मंदसौर में हुई मौतों का पुलिस से बदला लेना चाहते थे।
         मंदसौर गोलीकांड के बाद 7 जून को भौरासा थाना क्षेत्र के नेवरी फाटा पर हुई आगजनी की घटना 5 दिन बाद भी न पुलिस को समझ आ रही है। न ही आसपास रहने वालों को। वजह है अंजाने आंदोलनकारी और उनके आंदोलन का अजीब तरीका। दोनों का क्षेत्रीय किसानों के मिजाज से मेल नहीं है। नेवरी फाटा चौराहे पर दुकान चलाने वालों का कहना है कि आंदोलन करने आए लोगों में आस-पास के गांव के किसान नहीं थे। 70% प्रदर्शनकारी हाटपीपल्या की ओर से आए थे। 30% सोनकच्छ  की तरफ से। प्रदर्शनकारियों में ज्यादातर पाटीदार थे जो मंदसौर में समाज के लोगों पर गोली चलाने वाले पुलिसकर्मियों से नाराज थे। इसीलिए उनकी मंशा सिर्फ पुलिस को सबक सिखाना थी। किसानों की आड़ लेकर इसीलिए बागली और हाटपीपल्या थाने में तोड़फोड़ करने के साथ ही उन्होंने नेवरी, चापड़ा और कमलापुर चौकियो में आग लगाई। सरकारी परिसर में खड़े वाहन जलाए।
जांच पूरी होने पर ही उठेगी उंगली
7 जून से लेकर 10 जून तक आतिशी आंदोलन को पुलिस भी किसानों की नाराजगी का ही परिणाम समझती रही। इसी बीच मंदसौर आंदोलन में सामने आई अफीम तस्करों की भूमिका के बाद देवास पुलिस ने छानबीन शुरू की। हाटपीपल्या पुलिस अब तक 20 लोगों के खिलाफ नामजद कायमी कर चुकी है। वहीं भौरासा पुलिस ने वीडियो फुटेज  की बिनाह पर छह और एविंडेंस के आधार पर 10 के खिलाफ केस दर्ज किया।
ज्यादातर पाटीदार
सुरक्षा का हवाला देते हुए पुलिस ने आरोपियों के नाम बताने से मना कर दिया लेकिन इतना इशारा जरूर दिया कि दानों थानों में अब तक जितने भी लोगों के खिलाफ कायमी हुई है उनमें ज्यादातर पाटीदार समाज के लोग हैं। वीडियो फुटेज और फोटो मैं भी जो चेहरे सामने आ रहे हैं वह पाटीदारों के हैं।
ऐसे अंजाम दिया गया कथित आंदोलन को
6 जून को किसान आंदोलन में उपद्रव बढ़ने पर पीपल्यामंडी थाने की पुलिस ने फायरिंग की थी जिस से 6 लोगों की मौत हो गई थी। कुछ गंभीर घायल भी हुए। मीडिया में इस खबर के चलते ही 7 जून की सुबह किसानों न हाटपीपल्या में नारेबाजी शुरू कर दी। ढाई से 3000 लोग इकट्ठा हुए। अलग-अलग टुकड़ियां बनी। टीआई केसी चौहान सहित ज्यादातर पुलिस बल इनके पीछे चलने लगा। प्रदर्शनकारी पहले चापड़ा पहुंचे। यहां चौकी में उत्पात मचाया। पुलिस के मैदान संभालने से पहले वे बागली रवाना हो गए। वहां भी थाने पर हल्ला बोला। यहां पुलिस ने जैसे-तैसे खदेड़कर सांस ली तो पता चला सभी कमलापुर पहुंचकर चौकी पर हल्ला बोल चुके हैं। पुलिस बल के कमलापुर पहुंचने से पहले ही प्रदर्शनकारी हाटपीपल्या थाने पहुंचे जहां का बल बीते स्थलों पर ही गया हुआ था। सिर्फ चार जवान ही थे थाने में।  इसीलिए यहां उत्पात जमकर मचा। एक घंटे में 50 दोपहिया और करीब 10 चार पहिया व अन्य वाहन जलाए। देवास पुलिस बल और पीछे से आ रहे पुलिस बल के पहुंचते ही प्रदर्शनकारी नेवरी रवाना हो गए। उस वक्त नेवरी के जवान भी हाटपीपल्या टीआई के साथ ही लगे थे। सिर्फ दो जवान (अनिल पटेल और भगवान सिंह) चौकी पर थे जिन्हें बाहर निकालकर प्रर्शनकारियों ने चौकी और चौकी से सटकर रखे जब्ती के वाहनों में आग लगा दी। इसके बाद प्रदर्शनकारी नेवरी फाटा रवाना हो गए। नेवरी के लोगों ने चौकी की आग बुझाने में जवानों की मदद की। इसी बीच प्रदर्शनकारियों ने नारायणा पुल के पास गाड़ी रखी और करीब आधा किलोमीटर पैदल चलकर नेवरी फाटा पहुंचे। यहां पहले से मौजूद लोग नारेबाजी कर रहे थे वहीं प्रदर्शनकारियों ने पहुंचते ही वाहनों में तोड़फोड़ शुरू कर दी।
चौकी पर बैठे जवान ने कहा निकल लो और हम ने बंद कर दी दुकान
नेवरी फाटा पर करीब दो दर्जन दुकाने हैं जो 7 जून को आंदोलन से ठीक पहले चालू थी। काम धंधा सामान्य चल रहा था। दुकानदारों ने बताया इस बीच कुछ लोग पहुंचे और मुख्यमंत्री विरोधी नारे लगाने लगे। तब तक भी हालात नहीं बिगड़े थे। हम भी आंदोलन को एंजॉय कर रहे थे। सभी फाटा चौकी पर बैठे पुलिस जवान ने नेवरी चौकी पर आग लगा कर आ रहे प्रदर्शनकारियों की जानकारी दी और कहा कि सभी दुकानदार फटाफट यहां से निकल ले। फिर क्या था सामान समेट कर दुकानें बंद कर दी। तभी नेवरी की ओर से आए प्रदर्शनकारियों के हुजूम ने सड़क पर पहुंचते ही  वाहनों में तोड़फोड़ शुरू कर दी। सबके मुंह ढके हुए थे और वह बसों को रोकते यात्री उतारते और तोड़फोड़ शुरू कर देते हैं कुछ बसों में आग भी लगाई। घटना को जो भी मोबाइल में रिकॉर्ड करता दिखा उसका मोबाइल छीना और तोड़ दिया। मारपीट भी की।
पुलिस से तो नहीं समझे पानी ने जरूर खदेड़ा
जिस वक्त नेवली फाटा पर तोड़फोड़ हो रही थी तब मौके पर पुलिस वालों की संख्या गिनती की थी। इसीलिये वे प्रदर्शनकारियों के सामने मूकदर्शक बने बैठे रहे। दो दर्जन वाहनों में आग लगाकर भी प्रदर्शनकारियों का मन नहीं भरा लेकिन इसी बीच बारिश शुरू होते ही वे भाग खड़े हुए। तब पता चला वे अपनी गाडियां भी नारायणा पुल के पार रखकर आये थे।
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वीडियो फुटेज और एडिवेंस के माध्यम से 16 लोगों पर केस दर्ज किया जा चुका है। अभी जांच जारी है। इसीलिए जाति विशेष के लोगों का नाम लेना जल्दबाजी होगी। प्रदर्शनकारियों में कुछ सोनकच्छ की ओर से भी आए थे।
एन.के.सूर्यवंशी, टीआई
भौरासा थाना
नामजद प्रकरण दर्ज करके 20 गिरफ्तारी की है। संभव है कि किसानों की आड़ में दूसरे लोगों ने उत्पात मचाया। शुरू से किसान आंदोलन शांत था लेकिन मंदसौर मामले के बाद पाटीदार समाज के लोगों में पुलिस को लेकर नाराजगी ज्यादा थी। इसीलिए बदला लेने के लिए पुलिस के ठिकानों पर हल्ला बोला।
के.सी.चौहान, टीआई
हाटपीपल्या थाना
मामले में इन्वेस्टिगेशन जारी है। अब तक वीडियो फुटेज में जितने चेहरे आईडेंटिफाई किए हैं उनमें भी ज्यादातर जाति विशेष के लोग हैं। वैसे भी किसान ऐसे आंदोलन नहीं करते।
दिलीप जोशी, एसडीओपी
बागली
उत्पातियों के खिलाफ दर्ज हो केस
सोमवार को एडीजी वी.मधूकुमार बाबू, डीआईजी राकेश गुप्ता, कलेक्टर आशुतोष अवस्थी, एसपी अंशुमान सिंह और अन्य आला अधिकारियों के काफिले ने भौरासा थाना क्षेत्र स्थित नेवरी फाटा में हुई घटना के साथ ही घटना का शिकार हुए नेवरी, हाटपीपल्या, चापड़ा, कमलापुर, बागली के पुलिस थाने-चौकियों का जायजा लिया। इस दौरान एडीजी ने सभी थानों को निर्देशित करते हुए कहा कि हर उपद्रवी की शिनाख्त हो। उनके आपराधिक प्रकरण तलाशे जाएं। उत्पात मचानें वालों के खिलाफ केस दर्ज हो। गिरफ्तार करके उन्हें जेल भेजें।
उपद्रवियों के थाना घेरते ही थम गई थी धड़कने
हाटपीपल्या थाने में जिस वक्त प्रदर्शनकारियों ने हल्ला बोला उस वक्त  थाने में एक मुंशी सहित चार जवान मौजूद थे। उत्पातियों ने पहले थाने के पास खड़े जेल वाहन में आग लगाई। फिर एक खड़े हुए ट्रक में। इसके बाद थाने पर पत्थरबाजी शुरू कर दी। हम अंदर थे और प्रदर्शनकारियों के उग्र तेवर देखकर सांसे थमने लगी थी। हलक सूख चूका था। हालांकि उन्होंने हमें कुछ नहीं कहा। उपद्रवियों ने थाना परिसर में खड़े जब्ती के दो-चार पहिया वाहनों के साथ टीआई साहब की गाड़ी और डायल 100 की गाड़ी में भी आग लगा दी। धीरे-धीरे वे थाने में घुसने लगे। तब हिम्मत करके हमने राइफल निकाल ली। हवाई फायर शुरू कर दी। फिर भी प्रदर्शनकारी नहीं डरे। उलटा, कहते रहे कि लो हमें भी गोली मार दो। तब हमारी स्थिति और खराब हो गई थी। भगवान का शुक्र है तब तक एसडीओपी और टीआई साहब बल के साथ पहुंच गए और उनके साथ देवास से भी बल आ गया था जिसे देखकर वे भाग निकले।
जैसा सैनिक नरबत सिंह ने दबंग दुनिया को बताया

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