Saturday, June 3, 2017

सरस्वती नदी की जद में सृष्टी की अवासा

स्टॉप डेम तोड़कर बना दिया पुल, पाइप डालकर बहाव मोड़ा
इंदौर. विनोद शर्मा ।
पीपल्याहाना तालाब से लेकर पीथमपुर में नेट्रिप के आॅटो टेस्टिंग ट्रेक तक का विरोध करने में सबसे आगे रहे कांग्रेस विधायक जीतू पटवारी अपने गृह क्षेत्र बिजलपुर में ही बिल्डरों की मनमानी के आगे मौन है। पूर्व विधायक जीतू जिराती और मौजूदा विधायक पटवारी के बिजलपुर में सृष्टी कंस्ट्रकशन कंपनी ने मनमानी टाउनशीप खड़ी कर दी। न सिर्फ सरस्वती नदी की जमीन पर कब्जा किया बल्कि नदी पर बने स्टॉप डेम का बड़ा हिस्सा तोड़कर उससे चिपकाकर पुल तान दिया।
पर्यावरणविद किशोर कोडवानी के साथ सरस्वती नदी का अस्तित्व तलाशने नगर निगम आयुक्त मनीष सिंह सृष्टी कंस्ट्रक्शन की आवासा टाउनशीप देखकर चौक गए। 2008 में पंजीबद्ध हुई कंपनी बिजलपुर की 1.926 हेक्टेयर (सर्वे नं.379/1, 379/2, 379/3, 379/4, 379/5, 379/6, 379/7, 377/1, 377/2, 378/1, 378/2, 378/3, 378/4, 376/1, 376/2, 375/1, 375/2पैकी 374, 389/1, 380/1/2/5, 390/2, 385/1 पैकी 385/2, 386/1, 389/2 व 390/1) जमीन  पर 300 फ्लैट से ज्यादा की टाउनशीप 2010-11 से बना रही है। टाउनशीप के पीछे से सरस्वती नदी बहती है। मप्र भूमि विकास अधिनियम, मास्टर प्लान 2021 और पर्यावरण से संबंधित तमाम नियमों के मद्देनजर टाउनशीप नदी से 33 मीटर दूर बनना थी। कंपनी ने इसके बजाय नदी में ही रिटेनिंग वॉल खड़ी की। पाइप लाइन डाली। चैम्बर बना दिए।
होलकर कालीन स्टॉपडेम तोड़ा, बना दिया पुल
कंपनी ने नदी पर बने होलकर कालीन स्टॉप डेम में भी तोड़फोड़ की। बिना किसी सक्षम स्वीकृति के स्टॉम डेम के पास 2012 से 2014 के बीच नदी पर पुल बना दिया। मकसद था  बिजलपुर में खरीदी गई पांच एकड़ से ज्यादा जमीन (सर्वे नं. 806, 807/1, 807/2, 808/1 808/2, 812, 814, 815, 818/1, 818/2, 819, 820, 821, 822 का भाग 823 का भाग,  824 का भाग, 825, 826, 817/1, 817/2 का भाग और 827) को टाउनशीप से जोड़ना। ताकि वहां अवासा फेज-2 पर काम किया जा सके।
टीएंडसीपी ने भी दिया साथ
सृष्टी कंस्ट्रक्शन का टाउन एंड कंट्री प्लानिंग के अधिकारियों ने भी दिल खोलकर साथ दिया। इसका उदाहरण है 15 मार्च 2010 को स्वीकृत मेप (1624/एसपी/03/10), 17 जनवरी 2011 को स्वीकृत मेप (326/एस.पी/03/10), 10 मार्च 2011 को स्वीकृत मेप (1658/एस.पी/3/10/नग्रानि/2011) और 16 अक्टूबर 2012 को स्वीकृत मेप (6235/एसपी/281/12/नग्रानि/2012)। इन सभी नक्शों में टीएनसीपी के अधिकारियों ने सर्वे नं. 368, 399, 402 की जमीन पर बहती आ रही सरस्वती नदी का जिक्र नाले के रूप में किया है।
दोनों में अंतर
नदी : कान्ह और सरस्वती नदी के दोनों तरफ 30 मीटर तक किसी तरह का निर्माण नहीं किया जा सकता।
नाला : किसी नाले से नौ मीटर की दूरी तक किसी तरह का कंस्ट्रक्शन नहीं किया जा सकता।
मतलब : टीएंडसीपी के अधिकारियों ने सृष्टी कंस्ट्रक्शन कंपनी को  21 मीटर का फायदा पहुंचाया और नदी की जद में कब्जे की आजादी दी।
पाइप में कैद कर दिया नाला, मोडा रूख
कंपनी बिजलपुर की जिस पांच एकड़ जमीन पर दूसरे फेस का काम कर रही है वहां बीच निहालपुर मुंडी और राऊ की ओर से आने वाली दो अन्य नदियों का बहाव भी है। यहां भी वर्षों पुराना स्टॉप डेम बना है। इस स्टॉप डेम को क्षती पहुंचाकर यहां भी पुल बना दिया गया। पाइप डाले और नाले का रूख मोड़ दिया गया। नाले की जमीन पर कब्जा कर लिया गया। इसके लिए दिखावटी पाल भी बना दी गई।
सो रहे थे अफसर...
लोग नदी की जमीन हजम करते रहे और अफसर सोते रहे। अवासा में नदी के फ्लड वॉटर लेवल (एफडब्ल्यूएल) एरिया में कंस्ट्रक्शन किया गया। पुल बना दिया। नाले का रूख मोड़ दिया।
किशोर कोडवानी, याचिकाकर्ता
(एनजीटी में केस लगा रखा है)
तोड़ा एक निर्माण, अब बाकी की बारी
शनिवार को दौरे के दौरान ही जब आयुक्त मनीष सिंह ने अवासा की मनमानी देखी तो उन्होंने स्टॉप डेम के पास लैंडस्केपिंग के लिए बनाई गई दिवार और अन्य कंस्ट्रक्शन पर बुलडोजर चलवा दिया। यह भी स्पष्ट कर दिया कि आगे भी कंस्ट्रक्शन टूटेंगे।
यहां भी कब्जे
- तेजपुर गड़बड़ी पुल के पास नदी की जद और नर्मदा लाइन पर है कारखाना।
- अवासा के पास के उद्योगों की जद भी नदी में। बाउंड्री खड़ी की।
- बिजलपुर में पटवारी के घर की ओर से आने वाला गंदा पानी सीधे नाले में।
- कारखानों ने भी छोड़ा नदी में पानी। 

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