2009 के बाद नहीं चुकाया कर्जा, माल्या के बाद विलफुल डिफाल्टर्स की सूची में दूसरा नाम जूम
इंदौर. विनोद शर्मा ।
मल्हारगंज से निकलकर हिंदुस्तान का माल्या-2 बन बैठे जूम डेवलपर्स के संचालक विजय चौधरी के खिलाफ 2012 से लेकर 2016 के बीच विभिन्न बैंकों और डेब्ट रिकवरी ट्रिब्यूनल 20 सिविल सूट दायर कर चुके हैं। चौधरी को 2246.47 करोड़ के कर्ज की अदायगी न करने का आरोपी मानते हुए यह सूट दायर किए गए हैं। करीब इतने ही सूट जूम डेवलपर्स और उसके विभिन्न संचालकों के नाम दर्ज हैं। संचालकों में विजय की पत्नी मंजरी और ससूर बिहारीलाल केजरीवाल तक शामिल हैं।
जूम के विजय चौधरी पर 1994 से लेकर 2009 तक बैंके जमकर मेहरबान रही। इसका उदाहरण है इन 15 वर्षों में अलग-अलग बैंकों से जारी हुआ 6701 करोड़ का कर्ज जिसका जिक्र मिनिस्ट्री आॅफ कॉर्पोरेट अफेयर्स में दर्ज कंपनी की प्रोफाइल में भी है। हालांकि जूम ने 2009 तक कर्जे की अदायगी का सिलसिला भी जारी रखा लेकिन इसके बाद बैंकों की तरफ पलट कर देखा तक नहीं। विजय माल्या की फरारी के बाद जारी एक रिपोर्ट के अनुसार विलफुल डिफॉल्टर्स की लिस्ट में दूसरा नाम जूम डेवलपर्स का है। ग्रुप पर बैंकों का करीब 1911 करोड़ रुपए बकाया है। बैंकों ने इस ग्रुप के प्रमोटर्स और कंपनी के खिलाफ करीब दर्जनभर से ज्यादा मुकदमें दायर किए हैं। इस समूह ने देश के 26 सरकारी बैंकों से करीब 3002 करोड़ रुपए का कर्ज लिया था। इसमें से 1911 करोड़ रुपए का विलफुल डिफॉल्ट है। इस समूह के प्रमोटर्स और अन्य लोग भारत और विदेश में हैं। इसकी भरपाई के लिए किसी बैंक ने कंपनी या चौधरी की प्रॉपर्टी कुर्क करके निलाम कर दी तो कुछ ने डिफाल्टर करार देते हुए सिविल सूट दायर कर दिया।
कंपनी के साथ व्यक्तिगत भी सूट
बड़ी चीज यह है कि करीब दर्जनभर बैंकों ने जूम डेवलपर्स के खिलाफ 30 सितंबर 2016 को एक साथ सिविल सूट फाइल किए। इसके अलावा जबलपुर से लेकर दिल्ली तक के डेप्थ रिकवरी ट्रिब्यूनल तक भी चौधरी और उसकी कंपनी के खिलाफ रिकवरी के आदेश दे चुके हैं लेकिन राशि जमा नहीं हुई।
2016 में बैंकों की डिफा्ल्टर लिस्ट में जूम
पीएनबी ने फरवरी 2016 में 11000 करोड़ के जिन स्वघोषित डिफाल्टर के रूप में जिन 900 कंपनियों की लिस्ट जारी की थी उसमें भी जूम डेवलपर्स का नाम शामिल था। इस कंपनी पर पीएनबी का 400 करोड़ से ज्यादा बकाया है। इसी तरह अक्टूबर 2016 में यूको बैंक ने इरादतन पैसा न चूकाने वालों की जो लिस्ट डाली थी उसमें जूम पहले नंबर पर था जो 300 करोड़ का देनदार है।
क्या होता है विलफुल डिफॉल्टर
कोई भी व्यक्ति या कंपनी जिसके पास लोन चुकाने लायक रकम हो, लेकिन वह बैंक की किश्त अदा नहीं करे और बैंक उसके खिलाफ अदालत में चला जाए। ऐसा व्यक्ति या कंपनी विलफुल डिफॉल्टर कहलाता है।
जारी है पूछताछ
इधर, विशेष न्यायालय से मिली 13 मई तक की रिमांड के बाद प्रवर्तन निदेशालय के अधिकारियों ने विजय चौधरी को 24 घंटे अपनी कस्टडी में रखने का निर्णय लिया। इसीलिए चौधरी ने बुधवार की रात ईडी आॅफिस में ही गुजारी। गुरुवार दिनभर भी उससे पूछताछ होती रही। चौधरी ने कुछ सवालों के जवाब में उसने बैंक गारंटी घपले की बात स्वीकारी वहीं कुछ आरोप सिरे से नकार दिए। कुछ मामले ऐसे थे जिस पर वह चुप्पी साधे बैठा रहा। उलटा, ईडी की कार्रवाई को नजायज बताता रहा।
इंदौर. विनोद शर्मा ।
मल्हारगंज से निकलकर हिंदुस्तान का माल्या-2 बन बैठे जूम डेवलपर्स के संचालक विजय चौधरी के खिलाफ 2012 से लेकर 2016 के बीच विभिन्न बैंकों और डेब्ट रिकवरी ट्रिब्यूनल 20 सिविल सूट दायर कर चुके हैं। चौधरी को 2246.47 करोड़ के कर्ज की अदायगी न करने का आरोपी मानते हुए यह सूट दायर किए गए हैं। करीब इतने ही सूट जूम डेवलपर्स और उसके विभिन्न संचालकों के नाम दर्ज हैं। संचालकों में विजय की पत्नी मंजरी और ससूर बिहारीलाल केजरीवाल तक शामिल हैं।
जूम के विजय चौधरी पर 1994 से लेकर 2009 तक बैंके जमकर मेहरबान रही। इसका उदाहरण है इन 15 वर्षों में अलग-अलग बैंकों से जारी हुआ 6701 करोड़ का कर्ज जिसका जिक्र मिनिस्ट्री आॅफ कॉर्पोरेट अफेयर्स में दर्ज कंपनी की प्रोफाइल में भी है। हालांकि जूम ने 2009 तक कर्जे की अदायगी का सिलसिला भी जारी रखा लेकिन इसके बाद बैंकों की तरफ पलट कर देखा तक नहीं। विजय माल्या की फरारी के बाद जारी एक रिपोर्ट के अनुसार विलफुल डिफॉल्टर्स की लिस्ट में दूसरा नाम जूम डेवलपर्स का है। ग्रुप पर बैंकों का करीब 1911 करोड़ रुपए बकाया है। बैंकों ने इस ग्रुप के प्रमोटर्स और कंपनी के खिलाफ करीब दर्जनभर से ज्यादा मुकदमें दायर किए हैं। इस समूह ने देश के 26 सरकारी बैंकों से करीब 3002 करोड़ रुपए का कर्ज लिया था। इसमें से 1911 करोड़ रुपए का विलफुल डिफॉल्ट है। इस समूह के प्रमोटर्स और अन्य लोग भारत और विदेश में हैं। इसकी भरपाई के लिए किसी बैंक ने कंपनी या चौधरी की प्रॉपर्टी कुर्क करके निलाम कर दी तो कुछ ने डिफाल्टर करार देते हुए सिविल सूट दायर कर दिया।
कंपनी के साथ व्यक्तिगत भी सूट
बड़ी चीज यह है कि करीब दर्जनभर बैंकों ने जूम डेवलपर्स के खिलाफ 30 सितंबर 2016 को एक साथ सिविल सूट फाइल किए। इसके अलावा जबलपुर से लेकर दिल्ली तक के डेप्थ रिकवरी ट्रिब्यूनल तक भी चौधरी और उसकी कंपनी के खिलाफ रिकवरी के आदेश दे चुके हैं लेकिन राशि जमा नहीं हुई।
2016 में बैंकों की डिफा्ल्टर लिस्ट में जूम
पीएनबी ने फरवरी 2016 में 11000 करोड़ के जिन स्वघोषित डिफाल्टर के रूप में जिन 900 कंपनियों की लिस्ट जारी की थी उसमें भी जूम डेवलपर्स का नाम शामिल था। इस कंपनी पर पीएनबी का 400 करोड़ से ज्यादा बकाया है। इसी तरह अक्टूबर 2016 में यूको बैंक ने इरादतन पैसा न चूकाने वालों की जो लिस्ट डाली थी उसमें जूम पहले नंबर पर था जो 300 करोड़ का देनदार है।
क्या होता है विलफुल डिफॉल्टर
कोई भी व्यक्ति या कंपनी जिसके पास लोन चुकाने लायक रकम हो, लेकिन वह बैंक की किश्त अदा नहीं करे और बैंक उसके खिलाफ अदालत में चला जाए। ऐसा व्यक्ति या कंपनी विलफुल डिफॉल्टर कहलाता है।
जारी है पूछताछ
इधर, विशेष न्यायालय से मिली 13 मई तक की रिमांड के बाद प्रवर्तन निदेशालय के अधिकारियों ने विजय चौधरी को 24 घंटे अपनी कस्टडी में रखने का निर्णय लिया। इसीलिए चौधरी ने बुधवार की रात ईडी आॅफिस में ही गुजारी। गुरुवार दिनभर भी उससे पूछताछ होती रही। चौधरी ने कुछ सवालों के जवाब में उसने बैंक गारंटी घपले की बात स्वीकारी वहीं कुछ आरोप सिरे से नकार दिए। कुछ मामले ऐसे थे जिस पर वह चुप्पी साधे बैठा रहा। उलटा, ईडी की कार्रवाई को नजायज बताता रहा।
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