नौ पैकिंग मशीन, रॉ मटेरियल और इंदौर से भारी मात्रा में दस्तावेज डीजीसीईआई ने किए जब्त
इंदौर. विनोद शर्मा ।
प्रतिबंध के बावजूद छत्तीसगढ़ में गुटखा बना रहे राजस्थान के एक समूह की जगदलपुर स्थित मेन्यूफेक्चरिंग यूनिट और इंदौर स्थित आॅफिस पर डायरेक्टर जनरल सेंट्रल एक्साइज इंटेलीजेंस (डीजीसीईआई) ने सोमवार को छापेमार कार्रवाई की। छापेमारी के दौरान जांच अधिकारियों ने रॉ मटेरियल और मशीनों के साथ बड़ी तादाद में दस्तावेज किए थे। प्रारंभिक परिस्थितियों के अनुसार करीब 140 करोड़ की एक्साइज ड्यूटी चोरी का अनुमान लगाया जा रहा है।
छत्तीसगढ़ सरकार ने जुलाई 2012 से राज्य में गुटखा उत्पादन और क्रय-विक्रय प्रतिबंधित कर रखा है इसके बाद भी जगदलपुर में चार साल से गुटखा बन रहा है। दिल्ली हेडक्वार्टर से आए अधिकारियों ने स्थानीय अधिकारियों के साथ बैराठी कॉलोनी इंदौर और जगदलपुर में कार्रवाई की। जगदलपुर स्थित मेन्युफेक्चरिंग प्लांट से गुटखा बनाने वाली नौ मशीनें बरामद की गई। वहीं इंदौर स्थित राजू मंगलानी के आॅफिस के आॅफिस से गुटखे का हिसाब-किताब बरामद हुआ।
इंदौर में सितार गुटखा बनाती थी कंपनी
मौके पर पता चला कि कंपनी 5 रुपए की कीमत वाला ‘नजर’ गुटखा बना रही है जो कि असल में जयपुर की कंपनी श्री सिद्धेश्वर टोबेको प्रोडक्ट प्रा.लि. का ब्रांड है। इस कंपनी के सर्वेसर्वा नटवरलाल शारडा हैं जो कि इंदौर के एसआर कंपाउंड में सितार और सिकंदर ब्रांड के नाम से भी गुटखा बनाते रहे हैं। मेसर्स राजेंदकुमार सतीशचंद्र एंड कंपनी (आरएससी) और केजीएन मेन्युफेक्चरर के बैनर तले उत्पादन होता था। कंपनी में नटवरलाल शारडा, हरिवल्लभ अग्रवाल, जान मोहम्मद, विजय अग्रवाल, मुकेश शारडा, मोहम्मद निसार भागीदार थे। कंपनी पर डीजीसीईआई ने रेड की थी। 36 करोड़ की ड्यूटी निकाली गई थी। अपील का निराकरण कुछ समय पहले ही प्रिंसिपल कमिश्नर एस.एल.मीना ने किया है।
इंदौर के मंगलानी के पास है फ्रेंचाइजी
बताया जा रहा है कि जो कंपनी पकड़ाई है वह शारडा समूह की है जो कि अब अपने आप को रेस्टोरेंट कारोबार ज्यादा बताते हैं। उन्होंने इस कंपनी की फ्रेंचाइजी राजू मंगलानी को दे रखी है। मंगलानी ने कामकाज अपने रिश््तेदार को सौंप रखा है।
हर महीने 13.78 करोड़ की चोरी
सेंट्रल एक्साइज एक्ट के अनुसार गुटखा और पान मसाला बनाने वाली मशीनों पर उनकी स्पीड और प्रोडक्ट की कीमत के अनुसार एक्साइज ड्यूटी आरोपित की जाती है। कंपनी 4 से 5 रुपए वाला प्रोडक्ट बना रही थी। 1 मार्च 2016 को जारी वित्त मंत्रालय के नोटिफिकेशन (17/2016/सेंट्रल एक्साइज) के अनुसार इसके लिए पैकेजिंग मशीन पर हर महीने एक्साइज ड्यूटी यह आरोपित की जाएगी-
स्पीड गुटखा पान मसाला
300 पाउच/मिनट तक 153.14 लाख 84.87 लाख
301 से 750/मिनट 250.59 लाख 138.88 लाख
750 से अधिक/मिनट 556.86 लाख 308.63 लाख
जब्त की गई मशीनों की क्षमता यदि न्यूनतम 300 पाउच/मिनट भी है तो एक मशीन पर 1.53 करोड़ की एक्साइज ड्यूटी बनती है। कुल मशीन पकड़ी गई नौ। मतलब हर महीने 13.78 करोड़ की ड्यूटी चोरी हुई। ड्यूटी का आंकलन करंट फाइनेंशियल 1 अपै्रल 2016 से 30 जनवरी 2017 के बीच 10 महीनों का होगा। यानी कुल ड्यूटी चोरी हुई 137.82 करोड़ रुपए की।
आगे क्या..?
- 2 करोड़ से ऊपर की एक्साइज ड्यूटी चोरी में गिरफ्तारी होना तय है। बीते उदाहरणों के अनुसार तीन महीने तक जमानत भी नहीं मिलती।
- ड्यूटी चोरी के आरोप यदि साबित हो जाते हैं तो 100 प्रतिशत पेनल्टी अलग देना हाती है। मतलब 225.53 करोड़ का केस और इतनी ही पेनल्टी।
- चूंकि गुटखा प्रतिबंधित है इसके बाद भी उत्पादन हो रहा था तो इस पर छत्तीसगढ़ सरकार भी कार्रवाई कर सकती है।
नक्सल कनेक्शन
जांच में पता चला है कि गुटखा उत्पादन नक्सलियों की निगरानी में होता था। यही वजह थी कि चार साल में कोई शिकायत नहीं हुई। प्राप्त होने वाली आय से नक्सलियों को भी फंडिंग होती है। इसीलिए डीजीसीईआई मामले में नक्सलियों से निपटने के लिए छत्तीसगढ़ में बनी एसआईबी को भी मामला सौंप सकता है।
इंदौर. विनोद शर्मा ।
प्रतिबंध के बावजूद छत्तीसगढ़ में गुटखा बना रहे राजस्थान के एक समूह की जगदलपुर स्थित मेन्यूफेक्चरिंग यूनिट और इंदौर स्थित आॅफिस पर डायरेक्टर जनरल सेंट्रल एक्साइज इंटेलीजेंस (डीजीसीईआई) ने सोमवार को छापेमार कार्रवाई की। छापेमारी के दौरान जांच अधिकारियों ने रॉ मटेरियल और मशीनों के साथ बड़ी तादाद में दस्तावेज किए थे। प्रारंभिक परिस्थितियों के अनुसार करीब 140 करोड़ की एक्साइज ड्यूटी चोरी का अनुमान लगाया जा रहा है।
छत्तीसगढ़ सरकार ने जुलाई 2012 से राज्य में गुटखा उत्पादन और क्रय-विक्रय प्रतिबंधित कर रखा है इसके बाद भी जगदलपुर में चार साल से गुटखा बन रहा है। दिल्ली हेडक्वार्टर से आए अधिकारियों ने स्थानीय अधिकारियों के साथ बैराठी कॉलोनी इंदौर और जगदलपुर में कार्रवाई की। जगदलपुर स्थित मेन्युफेक्चरिंग प्लांट से गुटखा बनाने वाली नौ मशीनें बरामद की गई। वहीं इंदौर स्थित राजू मंगलानी के आॅफिस के आॅफिस से गुटखे का हिसाब-किताब बरामद हुआ।
इंदौर में सितार गुटखा बनाती थी कंपनी
मौके पर पता चला कि कंपनी 5 रुपए की कीमत वाला ‘नजर’ गुटखा बना रही है जो कि असल में जयपुर की कंपनी श्री सिद्धेश्वर टोबेको प्रोडक्ट प्रा.लि. का ब्रांड है। इस कंपनी के सर्वेसर्वा नटवरलाल शारडा हैं जो कि इंदौर के एसआर कंपाउंड में सितार और सिकंदर ब्रांड के नाम से भी गुटखा बनाते रहे हैं। मेसर्स राजेंदकुमार सतीशचंद्र एंड कंपनी (आरएससी) और केजीएन मेन्युफेक्चरर के बैनर तले उत्पादन होता था। कंपनी में नटवरलाल शारडा, हरिवल्लभ अग्रवाल, जान मोहम्मद, विजय अग्रवाल, मुकेश शारडा, मोहम्मद निसार भागीदार थे। कंपनी पर डीजीसीईआई ने रेड की थी। 36 करोड़ की ड्यूटी निकाली गई थी। अपील का निराकरण कुछ समय पहले ही प्रिंसिपल कमिश्नर एस.एल.मीना ने किया है।
इंदौर के मंगलानी के पास है फ्रेंचाइजी
बताया जा रहा है कि जो कंपनी पकड़ाई है वह शारडा समूह की है जो कि अब अपने आप को रेस्टोरेंट कारोबार ज्यादा बताते हैं। उन्होंने इस कंपनी की फ्रेंचाइजी राजू मंगलानी को दे रखी है। मंगलानी ने कामकाज अपने रिश््तेदार को सौंप रखा है।
हर महीने 13.78 करोड़ की चोरी
सेंट्रल एक्साइज एक्ट के अनुसार गुटखा और पान मसाला बनाने वाली मशीनों पर उनकी स्पीड और प्रोडक्ट की कीमत के अनुसार एक्साइज ड्यूटी आरोपित की जाती है। कंपनी 4 से 5 रुपए वाला प्रोडक्ट बना रही थी। 1 मार्च 2016 को जारी वित्त मंत्रालय के नोटिफिकेशन (17/2016/सेंट्रल एक्साइज) के अनुसार इसके लिए पैकेजिंग मशीन पर हर महीने एक्साइज ड्यूटी यह आरोपित की जाएगी-
स्पीड गुटखा पान मसाला
300 पाउच/मिनट तक 153.14 लाख 84.87 लाख
301 से 750/मिनट 250.59 लाख 138.88 लाख
750 से अधिक/मिनट 556.86 लाख 308.63 लाख
जब्त की गई मशीनों की क्षमता यदि न्यूनतम 300 पाउच/मिनट भी है तो एक मशीन पर 1.53 करोड़ की एक्साइज ड्यूटी बनती है। कुल मशीन पकड़ी गई नौ। मतलब हर महीने 13.78 करोड़ की ड्यूटी चोरी हुई। ड्यूटी का आंकलन करंट फाइनेंशियल 1 अपै्रल 2016 से 30 जनवरी 2017 के बीच 10 महीनों का होगा। यानी कुल ड्यूटी चोरी हुई 137.82 करोड़ रुपए की।
आगे क्या..?
- 2 करोड़ से ऊपर की एक्साइज ड्यूटी चोरी में गिरफ्तारी होना तय है। बीते उदाहरणों के अनुसार तीन महीने तक जमानत भी नहीं मिलती।
- ड्यूटी चोरी के आरोप यदि साबित हो जाते हैं तो 100 प्रतिशत पेनल्टी अलग देना हाती है। मतलब 225.53 करोड़ का केस और इतनी ही पेनल्टी।
- चूंकि गुटखा प्रतिबंधित है इसके बाद भी उत्पादन हो रहा था तो इस पर छत्तीसगढ़ सरकार भी कार्रवाई कर सकती है।
नक्सल कनेक्शन
जांच में पता चला है कि गुटखा उत्पादन नक्सलियों की निगरानी में होता था। यही वजह थी कि चार साल में कोई शिकायत नहीं हुई। प्राप्त होने वाली आय से नक्सलियों को भी फंडिंग होती है। इसीलिए डीजीसीईआई मामले में नक्सलियों से निपटने के लिए छत्तीसगढ़ में बनी एसआईबी को भी मामला सौंप सकता है।
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