एमएमएस पर थोपी गई 21 करोड़ की डिमांड खारिज
इंदौर. विनोद शर्मा ।
कस्टम एक्साइज एंड सर्विस टैक्स अपीलेट ट्रिब्यूनल (सीसटेट) ने एमएसएस फुड्स को बड़ी राहत देते हुए प्रिंसिपल कमिश्नर, सेंट्रल एक्साइज के उस आदेश को रद्द कर दिया है जिसमें कंपनी को 21 करोड़ का डिमांड नोटिस थमाया गया था। सीसटेट ने कहा कि जिस अवधि में मशीनें चली ही नहीं उस अवधि की ड्यूटी कैसे चार्ज की जा सकती है। जो भी थोड़ी-बहुत खामियां थी उसके लिए कंपनी 20 लाख का ब्याज भर चुकी है जो कि काफी है।
मामला पान मसाला बनाने वाली इंदौर की एमएसएस फुड्स प्रोसेसर्स का है। कंपनी की ओर से अमरचंद उपाध्याय ने कस्टम, सेंट्रल एक्साइज एंड सर्विस टैक्स डिपार्टमेंट इंदौर के खिलाफ एक्साइज अपील (50554 व 50555/2017 ) दर्ज कर रखी थी जिसकी सुनवाई माननीय अनील चौधरी और बी.रविचंद्रन की डबल बैंच में हुई। डिपार्टमेंट के प्रिंसिपल कमिश्नर एसएल मीणा द्वारा 30 दिसंबर 2016 को दिए आदेश के खिलाफ दर्ज की गई इस अपील को सीसटेट ने जायज माना और पीसी के आदेश को सेटेसाइड कर दिया।
यह था आॅर्डर
दिसंबर 2016 को एसएल मीणा ने पास मसाला पैकिंग मशीन (क्षमा निर्धारण और ड्यूटी वसूली) नियम-2008 का हवाला देकर जिस अवधि में मशीन बंद रही उस अवधि को भी ड्यूटी योग्य मानते हुए 14 करोड़ 58 लाख 04 हजार 420 रुपए की एक्साइज ड्यूटी की चोरी निकाल दी। इतना ही नहीं निकाली गई ड्यूटी चोरी पर 50 प्रतिशत यानी करीब 7 करोड़ 29 लाख 02 हजार 210 रुपए की पेनल्टी लगाते हुए कुल 21 करोड़ 87 लाख 06 हजार 630 रुपए की डिमांड निकाल दी। इसके अलावा 20 लाख की पेनल्टी उपाध्याय और उनके भागीदारों पर भी लगा दी थी। कंपनी ने डिमांड का ब्याज चुकाने के बाद डिमांड को सीसटेट में चुनौती दी थी।
अमान्य है प्रिंसिपल कमिश्नर का आदेश
इस मामले में सीसटेट ने गुजरात हाईकोर्ट द्वारा ठक्कर टोबेको प्रोडक्ट प्रा.लि. के फैसले, दिल्ली हाईकोर्ट द्वारा शक्ति फ्रेग्नेंस प्रा.लि. के पक्ष में दिए फैसले और सोम पान प्रोडक्ट प्रा.लि1 के पक्ष में 11 सितंबर 2015 को ट्रिब्यूनल द्वारा दिए गए आदेश का हवाला देते हुए फैसला दिया गया है। अपने आदेश में सीसटेट ने कहा कि ‘उक्त निर्णयों में जिस अनुपात के बारे में चर्चा की गई है और वर्तमान मामले के तथ्यों को ध्यान में रखते हुए हमें यह प्रतीत होता है कि विवादित आदेश महत्वहीन है। जिसके तहत यह पुष्टि की गई है कि अपीलार्थी को संपूर्ण ड्यूटी चुकाने का आदेश दे दिया गया था। इस प्रकार हमने यह पाया कि विवादित आदेश कानूनी तौर पर ग्राहय नहीं है। इसीलिए मंजूर अपील की जाती है।’
उत्पादन नहीं तो ड्यूटी नहीं
पास मसाला पैकिंग मशीन (क्षमा निर्धारण और ड्यूटी वसूली) नियम-2008 के अनुसार पान मसाला बनाने वाली मशीन पर उसकी क्षमता के अनुसार ड्यूटी तय है। जितने दिन मशीन चलेगी उतने दिन ड्यूटी चुकाना होगी। नियम के अनुसार यह भी है कि यदि 1 से लेकर 15 तारीख के बीच ही मशीन चली है तो भी कंपनी को 30 दिन के हिसाब से ड्यूटी चुकाना होती है। जो 15 दिन मशीन नहीं चली है उसकी ड्यूटी अगले महीने रीफंड हो जाती है। पहले इसमें यह उल्लेख नहीं था कि यदि व्यक्ति 5 से 20 तारीख या 10 से 25 तारीख के बीच मशीन चलाता है तो ड्यूटी निर्धारण कैसे होगा? इसके लिए कंपनी ने प्रयास किए। बाद में तय हुआ कि मशीन चलाने से तीन दिन पहले विभागीय अनुमति लेना होगी। जब बंद होगी तो विभागीय अधिकारी की उपस्थिति में कारखाना सील किया जाएगा। मतलब इस दौरान किसी भी सूरत में उत्पादन नहीं हो सकता। ऐसे में जब उत्पादन ही नहीं होगा तो फिर ड्यूटी किस बात की दी जाए।
इंदौर. विनोद शर्मा ।
कस्टम एक्साइज एंड सर्विस टैक्स अपीलेट ट्रिब्यूनल (सीसटेट) ने एमएसएस फुड्स को बड़ी राहत देते हुए प्रिंसिपल कमिश्नर, सेंट्रल एक्साइज के उस आदेश को रद्द कर दिया है जिसमें कंपनी को 21 करोड़ का डिमांड नोटिस थमाया गया था। सीसटेट ने कहा कि जिस अवधि में मशीनें चली ही नहीं उस अवधि की ड्यूटी कैसे चार्ज की जा सकती है। जो भी थोड़ी-बहुत खामियां थी उसके लिए कंपनी 20 लाख का ब्याज भर चुकी है जो कि काफी है।
मामला पान मसाला बनाने वाली इंदौर की एमएसएस फुड्स प्रोसेसर्स का है। कंपनी की ओर से अमरचंद उपाध्याय ने कस्टम, सेंट्रल एक्साइज एंड सर्विस टैक्स डिपार्टमेंट इंदौर के खिलाफ एक्साइज अपील (50554 व 50555/2017 ) दर्ज कर रखी थी जिसकी सुनवाई माननीय अनील चौधरी और बी.रविचंद्रन की डबल बैंच में हुई। डिपार्टमेंट के प्रिंसिपल कमिश्नर एसएल मीणा द्वारा 30 दिसंबर 2016 को दिए आदेश के खिलाफ दर्ज की गई इस अपील को सीसटेट ने जायज माना और पीसी के आदेश को सेटेसाइड कर दिया।
यह था आॅर्डर
दिसंबर 2016 को एसएल मीणा ने पास मसाला पैकिंग मशीन (क्षमा निर्धारण और ड्यूटी वसूली) नियम-2008 का हवाला देकर जिस अवधि में मशीन बंद रही उस अवधि को भी ड्यूटी योग्य मानते हुए 14 करोड़ 58 लाख 04 हजार 420 रुपए की एक्साइज ड्यूटी की चोरी निकाल दी। इतना ही नहीं निकाली गई ड्यूटी चोरी पर 50 प्रतिशत यानी करीब 7 करोड़ 29 लाख 02 हजार 210 रुपए की पेनल्टी लगाते हुए कुल 21 करोड़ 87 लाख 06 हजार 630 रुपए की डिमांड निकाल दी। इसके अलावा 20 लाख की पेनल्टी उपाध्याय और उनके भागीदारों पर भी लगा दी थी। कंपनी ने डिमांड का ब्याज चुकाने के बाद डिमांड को सीसटेट में चुनौती दी थी।
अमान्य है प्रिंसिपल कमिश्नर का आदेश
इस मामले में सीसटेट ने गुजरात हाईकोर्ट द्वारा ठक्कर टोबेको प्रोडक्ट प्रा.लि. के फैसले, दिल्ली हाईकोर्ट द्वारा शक्ति फ्रेग्नेंस प्रा.लि. के पक्ष में दिए फैसले और सोम पान प्रोडक्ट प्रा.लि1 के पक्ष में 11 सितंबर 2015 को ट्रिब्यूनल द्वारा दिए गए आदेश का हवाला देते हुए फैसला दिया गया है। अपने आदेश में सीसटेट ने कहा कि ‘उक्त निर्णयों में जिस अनुपात के बारे में चर्चा की गई है और वर्तमान मामले के तथ्यों को ध्यान में रखते हुए हमें यह प्रतीत होता है कि विवादित आदेश महत्वहीन है। जिसके तहत यह पुष्टि की गई है कि अपीलार्थी को संपूर्ण ड्यूटी चुकाने का आदेश दे दिया गया था। इस प्रकार हमने यह पाया कि विवादित आदेश कानूनी तौर पर ग्राहय नहीं है। इसीलिए मंजूर अपील की जाती है।’
उत्पादन नहीं तो ड्यूटी नहीं
पास मसाला पैकिंग मशीन (क्षमा निर्धारण और ड्यूटी वसूली) नियम-2008 के अनुसार पान मसाला बनाने वाली मशीन पर उसकी क्षमता के अनुसार ड्यूटी तय है। जितने दिन मशीन चलेगी उतने दिन ड्यूटी चुकाना होगी। नियम के अनुसार यह भी है कि यदि 1 से लेकर 15 तारीख के बीच ही मशीन चली है तो भी कंपनी को 30 दिन के हिसाब से ड्यूटी चुकाना होती है। जो 15 दिन मशीन नहीं चली है उसकी ड्यूटी अगले महीने रीफंड हो जाती है। पहले इसमें यह उल्लेख नहीं था कि यदि व्यक्ति 5 से 20 तारीख या 10 से 25 तारीख के बीच मशीन चलाता है तो ड्यूटी निर्धारण कैसे होगा? इसके लिए कंपनी ने प्रयास किए। बाद में तय हुआ कि मशीन चलाने से तीन दिन पहले विभागीय अनुमति लेना होगी। जब बंद होगी तो विभागीय अधिकारी की उपस्थिति में कारखाना सील किया जाएगा। मतलब इस दौरान किसी भी सूरत में उत्पादन नहीं हो सकता। ऐसे में जब उत्पादन ही नहीं होगा तो फिर ड्यूटी किस बात की दी जाए।
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