Saturday, June 3, 2017

सिगरेट कंपनियों में सरकार का फिजिकल कंट्रोल खत्म

2008 से हर कंपनी में 24 घंटे ड्यूटी देना पड़ रही थी अधिकारियों को
इंदौर. विनोद शर्मा ।
देशभर की तमाम सिगरेट कंपनियों में कस्टम, सेंट्रल एक्साइज एंड सर्विस टैक्स विभाग ने अधिकारियों की राउड द क्लॉक जो ड्यूटी लगा रखी थी उसे सोमवार को वित्त मंत्रालय ने रद्द कर दिया है। 1 मई यानी श्रमिक दिवस पर निकाले गए एक नोटिफिकेशन में सरकार ने साफ कर दिया है कि सिगरेट कंपनियों में फिजिकल अटेंडेंस की जरूरत नहीं है। कंपनी से सिगरेट की क्लीयरिंग के दौरान असेसी द्वारा असेस की गई ड्यूटी का असेसमेंट ही अधिकारी करेंगे। शंका के आधार पर प्रिवेंटिव टीम छापेमार कार्रवाई कर सकती है।
भारत सरकार, वित्त मंत्रालय, राजस्व विभाग और सेंट्रल बोर्ड आॅफ एक्साइज एंड कस्टम (सीबीईसी) ने 1 मई 2017 को सर्कुलर (1055/04/2017-सेंट्रल एक्साइज) जारी किया। सभी प्रिंसिपल चीफ कमिश्नर, चीफ कमिश्नर, प्रिंसिपल कमिश्नर को भेजे गए इस सर्कुलर में सीबीईसी ने सिगरेट कंपनियों में अधिकारियों के फिजिकल कंट्रोल को खत्म कर दिया है। अभी डिपार्टमेंट ने 8-8 घंटे की तीन शिफ्टों में सिगरेट कंपनियों के लिए अधिकारियों की ड्यूटी लगा रखी है। रॉ मटेरियल लाने, सिगरेट बनाने और बिल-इन्वॉयस बनने के बाद कंपनी से सिगरेट रवाना होने तक अधिकारियों का नियंत्रण रहता था। उन्हें हर चीज की रिपोर्ट देना होती थी। फिर भी प्रिवेंटिव टीम कार्रवाई करती थी।
नया सर्कुलर ऐसा होगा
नए सर्कुलर के अनुसार अधिकारियों के दायित्व को दो तरह से बांटा गया है। पहला- कंपनी द्वारा बनाई गई सिगरेट के कंपनी से निकलते वक्त ड्यूटी का अससेमेंट करना ताकि यह समझा जा सके कि पार्टी ने कहीं ड्यूटी का आंकलन गलत तो नहीं किया है। दूसरा- बिल व इन्वॉयस पर काउंटर साइन करना।
सकुर्लर में यह भी दो टूक शब्दों में स्पष्ट कर दिया गया है कि फिजिकल कंट्रोल के संबंध में पूर्व में जितने भी सर्कुलर या आदेश जारी किए गए हैं वे नये सर्कुलर के जारी होते ही अमान्य हो जाएंगे। यह भी तय कर दिया गया है कि फिजिकल कंट्रोल का उपयोग आवश्यकतानुसार किया जा सकेगा।
प्रिवेंटिव टीम संभाले मैदान
फिजिकल कंट्रोल को खत्म करने के साथ ही केंद्र सरकार ने मुख्यालय में तैनात प्रिवेंटिव टीम की ड्यूटी बढ़ा दी है। यह तय कर दिया गया है कि जिन सिगरेट कंपनियों पर ड्यूटी चोरी की शंका होगी उन पर प्रिवेंटिव की टीम के साथ अधिकारी छापेमार कार्रवाई कर सकेंगे।
क्यों की गई थी व्यवस्था
सिगरेट के कम्यूनिटी मेन्युअल को ध्यान रखते हुए सीबीईसी ने 24 दिसंबर 2008 को सर्कुलर (224/37/2005-सेंट्रल एक्साइज) जारी करके सिगरेट कंपनियों में फिजिकल कंट्रोल की व्यवस्था की थी। व्यवस्था का मकसद था सिगरेट कंपनियों में सिगरेट के उत्पादन पर बारीकी से नजर रखना। ताकि सिगरेट कंपनियों में हो रहे सिगरेट के मनमाने उत्पादन और एक्साइज ड्यूटी चोरी पर अंकुश लगाया जा सके।
क्यों बंद करना पड़ा फिजिकल कंट्रोल
-- हर कंपनी में तीन-तीन अधिकारियों की ड्यूटी लगाई गई। ड्यूटी 15 दिन के रोटेशन के हिसाब से लगाई गई। यानी हर महीने एक कंपनी के लिए छह अधिकारी नियुक्त करना पड़ते थे। अतिरिक्त जिम्मेदारी अलग। ऐसे सालाना 72 अधिकारी एक ही कंपनी की जिम्मेदारी संभालते थे।
-- इधर, डिपार्टमेंट में सुप्रीटेंडेंट और इंस्पेक्टर्स की संख्या पर्याप्त नहीं है जिसकी वजह से कामकाज प्रभावित हो रहा है।
-- कंपनियों की मनमानी और ड्यूटी चोरी के लिए तय हुआ फिजिकल कंट्रोल अधिकारियों के लिए कमाई का जरिया बन गया। हर अधिकारी ने अपने तरीके से अपनी बोली लगाई और पैसा कमाया। जिसका नुकसान विभाग को ड्यूटी के रूप में भी हुआ।
-- पुरुष अधिकारियों के साथ ही महिला अधिकारियों की ड्यूटी भी सिगरेट कंपनियों में लगा दी गई। पुरुषों के मुकाबले महिलाओं में सुंघने की क्षमता ज्यादा होती है जिसका खामियाजा महिला अधिकारियों को सिगरेट कंपनियों में बीमार होकर चुकाना पड़ा। प्रिंसिपल कमिश्नर डॉ. एस.एल.मीणा ने इंदौर में भी महिला अधिकारी नियुक्त की थी।
फायदा
फिजिकल कंट्रोल खत्म होने से सिगरेट कंपनियों का उत्पादन बढ़ेगा।
बड़ी कंपनियों और छोटी कंपनियों के बीच प्रतिस्पर्घा बढ़ेगी।
सिगरेट उत्पादन के साथ ही ड्यूटी के रूप में मिलने वाला राजस्व भी बढ़ेगा।

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