इंदौर. चीफ रिपोर्टर ।
एक तरफ जीएसटी में जल्दबाजी को लेकर अर्थशास्त्री वित्त मंत्री को चेता रहे हैं वहीं भारतीय राजस्व सेवा (आईआरएस) के अधिकारियों की अनदेखी पर कस्टम, सेंट्रल एक्साइज एंड सर्विस टैक्स अधिकारियों के संगठनों ने सरकार के खिलाफ आंख तरेरना शुरू कर दी है। पांच महीने से हक की लड़ाई लड़ने और वित्त मंत्री से एक के बाद आश्वासन मिलने के बावजूद अब तक आईआरएस के पक्ष में सरकार ने ठोस फैसला नहीं लिया है। इसीलिए डिपार्टमेंट के 70 हजार अधिकारियों ने आंदोलन छेड़ दिया है जिसकी शुरूआत 30 जनवरी को काली पट्टी बांधकर काम करने के साथ होगी।
सेक्रेटरी और एडिशनल सेक्रटरी की पोस्ट भारतीय प्रशासनिक सेवा (आईएएस) के अधिकारियों को प्राथमिकता दी है। अब तक सेंट्रल बोर्ड आॅफ एक्साइज एंड कस्टम (सीबीईसी) में चेयरमैन पद है जिस पर आईआरएस मुखिया होते हैं। गुड्स एंड सर्विस टैक्स नेटवर्क (जीएसटीएन) में चेयरमैन सिस्टम खत्म होगा। सेकेÑटरी और एडिशनल सेक्रेटरी की भूमिका अहम होगी। दोनों पद आईएएस के लिए हैं। ऐसे में आईआरएस की भूमिका आईएएस से कम होगी। यही वजह है कि विभागीय संरचना का विरोध शुरू से जारी है। लगातार सरकारी वादाखिलाफी से नाराज अधिकारियों ने चरणबद्ध आंदोलन की तैयारी की है। इसके तहत 30 जनवरी को हाथ पर पट्टी बांधकर सत्याग्रह किया जाएगा। संगठन पदाधिकारियों का कहना है कि आईएएस का प्रबंधन अच्छा है लेकिन राजस्व मामलों में आईआरएस बेहतर हैं।
क्या है नाराजगी
- हजारों आईआरएस अधिकारियों का प्रतिनिधित्व करने वाले एक एसोसिएशन ने आज जीएसटीएन तथा जीएसटी परिषद सचिवालय के ढांचे के विरोध जताया।
- अभी जीएसटीएन के चेयरमैन चुने गए नवीन कुमार 1975 बेच के आईएएस हैं। सीईओ प्रकाश कुमार भी आईएएस हैं। आईआरएस सिर्फ राजीव अग्रवाल हैं जो वाइस प्रेसीडेंट हैं।
- संगठनों का कहना है कि जीएसटीएन एक नयी कंपनी है और उसके पास किसी आईटी परियोजना के कार्यान्वयन या अप्रत्यक्ष कर नियमों की कोई जानकारी नहीं है।
- कस्टम एक्साइज एंड सर्विस टैक्स का सीबीईसी का चेयरमैन को इन्वायटी रखा गया है। आईआरएस टैक्सेशन के एक्सपर्ट हैं और उनकी जगह आईएएस को तवज्जो दी जा रही है।
- वाणिज्यिक कर को पूरे प्रदेश में एक आईएएस बतौर कमिश्नर संभाल रहा है जबकि सेंट्रल एक्साइज के चार कमिश्नर हैं। इंदौर, ग्वालियर, भोपाल और जबलपुर। सरकार ताना मारने लगी है कि जो काम एक आईएएस कर सकता है उसे चार-चार आईआरएस से क्यों कराया जाए। इससे आईआरएस की पोस्ट कम होने का खतरा भी है।
- सेंट्रल एक्साइज में कमिश्नर के नीचे भी यूपीएससी क्लीयर करने वाले ही अधिकारी होते हैं जबकि स्टेट में कमिश्नर के नीचे एमपीपीएससी क्लीयर करने वाले रहते हैं। यूपीएससी और एमपीपीएससी को समान केडर कैसे दी जा सकती है।
- सितंबर से केडर व्यवस्था का विरोध कर रहे हैं। वित्त मंत्री अरूण जेटली आश्वस्त तो कर चुके हैं लेकिन अब तक कोई बदलाव नहीं किए।
एक तरफ जीएसटी में जल्दबाजी को लेकर अर्थशास्त्री वित्त मंत्री को चेता रहे हैं वहीं भारतीय राजस्व सेवा (आईआरएस) के अधिकारियों की अनदेखी पर कस्टम, सेंट्रल एक्साइज एंड सर्विस टैक्स अधिकारियों के संगठनों ने सरकार के खिलाफ आंख तरेरना शुरू कर दी है। पांच महीने से हक की लड़ाई लड़ने और वित्त मंत्री से एक के बाद आश्वासन मिलने के बावजूद अब तक आईआरएस के पक्ष में सरकार ने ठोस फैसला नहीं लिया है। इसीलिए डिपार्टमेंट के 70 हजार अधिकारियों ने आंदोलन छेड़ दिया है जिसकी शुरूआत 30 जनवरी को काली पट्टी बांधकर काम करने के साथ होगी।
सेक्रेटरी और एडिशनल सेक्रटरी की पोस्ट भारतीय प्रशासनिक सेवा (आईएएस) के अधिकारियों को प्राथमिकता दी है। अब तक सेंट्रल बोर्ड आॅफ एक्साइज एंड कस्टम (सीबीईसी) में चेयरमैन पद है जिस पर आईआरएस मुखिया होते हैं। गुड्स एंड सर्विस टैक्स नेटवर्क (जीएसटीएन) में चेयरमैन सिस्टम खत्म होगा। सेकेÑटरी और एडिशनल सेक्रेटरी की भूमिका अहम होगी। दोनों पद आईएएस के लिए हैं। ऐसे में आईआरएस की भूमिका आईएएस से कम होगी। यही वजह है कि विभागीय संरचना का विरोध शुरू से जारी है। लगातार सरकारी वादाखिलाफी से नाराज अधिकारियों ने चरणबद्ध आंदोलन की तैयारी की है। इसके तहत 30 जनवरी को हाथ पर पट्टी बांधकर सत्याग्रह किया जाएगा। संगठन पदाधिकारियों का कहना है कि आईएएस का प्रबंधन अच्छा है लेकिन राजस्व मामलों में आईआरएस बेहतर हैं।
क्या है नाराजगी
- हजारों आईआरएस अधिकारियों का प्रतिनिधित्व करने वाले एक एसोसिएशन ने आज जीएसटीएन तथा जीएसटी परिषद सचिवालय के ढांचे के विरोध जताया।
- अभी जीएसटीएन के चेयरमैन चुने गए नवीन कुमार 1975 बेच के आईएएस हैं। सीईओ प्रकाश कुमार भी आईएएस हैं। आईआरएस सिर्फ राजीव अग्रवाल हैं जो वाइस प्रेसीडेंट हैं।
- संगठनों का कहना है कि जीएसटीएन एक नयी कंपनी है और उसके पास किसी आईटी परियोजना के कार्यान्वयन या अप्रत्यक्ष कर नियमों की कोई जानकारी नहीं है।
- कस्टम एक्साइज एंड सर्विस टैक्स का सीबीईसी का चेयरमैन को इन्वायटी रखा गया है। आईआरएस टैक्सेशन के एक्सपर्ट हैं और उनकी जगह आईएएस को तवज्जो दी जा रही है।
- वाणिज्यिक कर को पूरे प्रदेश में एक आईएएस बतौर कमिश्नर संभाल रहा है जबकि सेंट्रल एक्साइज के चार कमिश्नर हैं। इंदौर, ग्वालियर, भोपाल और जबलपुर। सरकार ताना मारने लगी है कि जो काम एक आईएएस कर सकता है उसे चार-चार आईआरएस से क्यों कराया जाए। इससे आईआरएस की पोस्ट कम होने का खतरा भी है।
- सेंट्रल एक्साइज में कमिश्नर के नीचे भी यूपीएससी क्लीयर करने वाले ही अधिकारी होते हैं जबकि स्टेट में कमिश्नर के नीचे एमपीपीएससी क्लीयर करने वाले रहते हैं। यूपीएससी और एमपीपीएससी को समान केडर कैसे दी जा सकती है।
- सितंबर से केडर व्यवस्था का विरोध कर रहे हैं। वित्त मंत्री अरूण जेटली आश्वस्त तो कर चुके हैं लेकिन अब तक कोई बदलाव नहीं किए।
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