बताया जान को खतरा, शाकिर चाचा बना रहा बीमारी का बहाना
इंदौर. विनोद शर्मा ।
भोपाल जेल ब्रेक कांड के बाद से जेलों में बदमाशों को उस अंदाज में सुविधाएं नहीं मिल पा रही है जैसी पहले मिला करती थी। इसीलिए दुष्कर्म मामले में लम्बे समय तक फरारी काटने वाले मनोज परमार और जीतू बाबा हत्याकांड के मास्टर माइंड शाकिर चाचा जैसे कुख्यात बदमाश सेंट्रल जेल से निकलकर किसी उपजेल में जाना चाहते हैं। इसके लिए परमान ने जहां जान को खतरे का हवाला दिया है वहीं चाचा बिमारी का बहाना बना रहा है।
परमार को 22 मार्च को पुलिस ने चित्रकूट से पकड़ा था। 23 मार्च को कोर्ट में पेश किया। कोर्ट ने उसे सेंट्रल जेल पहुंचा दिया। तभी परमार और उसके पोषक जेल में सुविधा का दबाव बनाते रहे हालांकि जेल प्रबंधन की सख्ती के आगे उनकी चली नहीं। इसीलिए बीते आठ दिन से परमार ने यह कहते हुए जेल बदलने का आवेदन दे दिया कि उसे यहां जान का खतरा है। इस दबाव को बनाने में परमार के परिवार ने भी मदद की। हालांकि जेल प्रबंधन ने स्पष्ट कर दिया कि रहना तो यहीं पड़ेगा। जेल का जैसा माहौल यहां है, वैसा ही उपजेल में भी होगा।
अल्पेश चौहान से है खतरा
परमार ने कहा कि इसी जेल में संतोष दुबे हत्याकांड के आरोपी पिंटू ठाकुर और अल्पेश चौहान भी बंद है। चूंकि मैं दुबे का नजदीकी रहा हूं इसीलिए वे मुझे भी नुकसान पहुंचा सकते हैं। सूत्रों के अनुसार परमार ने दुबे हत्याकांड में ठाकुर और चौहान के खिलाफ गवाही दी थी। बताया जा रहा है कि बीच में जेल पेशी के दौरान भी तीनों का आमना-सामना हुआ। वहां ठाकुर-चौहान ने परमार को गालियां दी थी जिसे जेल बदलवाने के लिए परमार ने यहां भी भुनाया।
पेट दर्द है, दवा नहीं खाई, कहा अस्पताल भेज दो
इसी जेल की एक सेल में कुख्यात गुंडा शाकीर चाचा भी बंद है। दबाव-प्रभाव के चलते चाचा को पहले जैसे सुविधा मिलती थी वैसी अब नहीं मिल पा रही है। इसीलिए बीते दिनों उसने पेट दर्द का बहाना किया। जेल स्टाफ ने डॉक्टर को बुलाया चेक करवाया। डॉक्टर ने दवा दे दी, जो चाचा ने ली तो सही लेकिन खाई नहीं। पटक दी। शाम को चाचा ने कहा पेट दर्द बढ़ गया है। मुझे अस्पताल पहुंचा दो। हालांकि जब नीचे पड़े दवा के डोज को जेल स्टाफ ने देखा तो उन्होंने कह दिया कि फिजूल की बहानेबाजी मत करो। यदि तुम्हें दर्द था तो तुम डोज लेते। बिना डोज लिए दर्द कैसे दूर होगा। गौरतलब है कि सबसे ज्यादा सख्ती चाचा को लेकर है। जेल से लेकर क्राइम ब्रांच तक चाचा से मिलने वालों पर तगड़ी निगरानी रख रही है।
क्यों बदलवाना चाहते हैं जेल
सेंट्रल जेल में सीसीटीवी कैमरे लगे हैं जिसके कारण जेल में अब खाने-पीने और ओड़ने-पहनने का सामान पहुंचाना मुश्किल हो गया। इसीलिए जेल का ही खाना-पीना पड़ रहा है। यहां मुलाकात भी सप्ताह में दो बार दी जा रही है। नियमित मुलाकात न मिलने से गुर्गों से मिलना नहीं हो रहा है।
हमला भी करवा सकते हैं खुद पर
अमुमन देखा गया कि जेल शिफ्टिंग के लिए अपराधी अपने ही किसी साथी से खुद पर हमला करवा लेते हैं। इसीलिए माना जा रहा है कि दोनों बदमाश यहां भी ऐसा ही कुछ कर सकते हैं।
उपजेल में क्यों?
सेंट्रल जेल और जिला जेल की तरह महू, देपालपुर, खंडवा, बड़वानी की उप जेलें हाईटेक नहीं है। न सेंट्रल जेल और जिला जेल जैसी सख्ती है। वहां स्टाफ को मैनेज करना दबाव-प्रभाव वाले व्यक्ति के लिए ज्यादा मुश्किल काम नहीं है।
सुविधाएं नहीं मिल रही है इसीलिए परेशान हैं
परमार और उसके परिवार ने उपजेल में शिफ्ट करने का आवेदन लगाया था। हमने साफ कह दिया है कि वहां भी कोई सुविधा नहीं मिलेगी। न यहां से शिफ्ट करेंगे। तीन-चार दिन भोपाल था इसीलिए शाकीर चाचा के मामले की जानकारी नहीं है।
रमेश आर्य, अधीक्षक
सेंट्रल जेल
इंदौर. विनोद शर्मा ।
भोपाल जेल ब्रेक कांड के बाद से जेलों में बदमाशों को उस अंदाज में सुविधाएं नहीं मिल पा रही है जैसी पहले मिला करती थी। इसीलिए दुष्कर्म मामले में लम्बे समय तक फरारी काटने वाले मनोज परमार और जीतू बाबा हत्याकांड के मास्टर माइंड शाकिर चाचा जैसे कुख्यात बदमाश सेंट्रल जेल से निकलकर किसी उपजेल में जाना चाहते हैं। इसके लिए परमान ने जहां जान को खतरे का हवाला दिया है वहीं चाचा बिमारी का बहाना बना रहा है।
परमार को 22 मार्च को पुलिस ने चित्रकूट से पकड़ा था। 23 मार्च को कोर्ट में पेश किया। कोर्ट ने उसे सेंट्रल जेल पहुंचा दिया। तभी परमार और उसके पोषक जेल में सुविधा का दबाव बनाते रहे हालांकि जेल प्रबंधन की सख्ती के आगे उनकी चली नहीं। इसीलिए बीते आठ दिन से परमार ने यह कहते हुए जेल बदलने का आवेदन दे दिया कि उसे यहां जान का खतरा है। इस दबाव को बनाने में परमार के परिवार ने भी मदद की। हालांकि जेल प्रबंधन ने स्पष्ट कर दिया कि रहना तो यहीं पड़ेगा। जेल का जैसा माहौल यहां है, वैसा ही उपजेल में भी होगा।
अल्पेश चौहान से है खतरा
परमार ने कहा कि इसी जेल में संतोष दुबे हत्याकांड के आरोपी पिंटू ठाकुर और अल्पेश चौहान भी बंद है। चूंकि मैं दुबे का नजदीकी रहा हूं इसीलिए वे मुझे भी नुकसान पहुंचा सकते हैं। सूत्रों के अनुसार परमार ने दुबे हत्याकांड में ठाकुर और चौहान के खिलाफ गवाही दी थी। बताया जा रहा है कि बीच में जेल पेशी के दौरान भी तीनों का आमना-सामना हुआ। वहां ठाकुर-चौहान ने परमार को गालियां दी थी जिसे जेल बदलवाने के लिए परमार ने यहां भी भुनाया।
पेट दर्द है, दवा नहीं खाई, कहा अस्पताल भेज दो
इसी जेल की एक सेल में कुख्यात गुंडा शाकीर चाचा भी बंद है। दबाव-प्रभाव के चलते चाचा को पहले जैसे सुविधा मिलती थी वैसी अब नहीं मिल पा रही है। इसीलिए बीते दिनों उसने पेट दर्द का बहाना किया। जेल स्टाफ ने डॉक्टर को बुलाया चेक करवाया। डॉक्टर ने दवा दे दी, जो चाचा ने ली तो सही लेकिन खाई नहीं। पटक दी। शाम को चाचा ने कहा पेट दर्द बढ़ गया है। मुझे अस्पताल पहुंचा दो। हालांकि जब नीचे पड़े दवा के डोज को जेल स्टाफ ने देखा तो उन्होंने कह दिया कि फिजूल की बहानेबाजी मत करो। यदि तुम्हें दर्द था तो तुम डोज लेते। बिना डोज लिए दर्द कैसे दूर होगा। गौरतलब है कि सबसे ज्यादा सख्ती चाचा को लेकर है। जेल से लेकर क्राइम ब्रांच तक चाचा से मिलने वालों पर तगड़ी निगरानी रख रही है।
क्यों बदलवाना चाहते हैं जेल
सेंट्रल जेल में सीसीटीवी कैमरे लगे हैं जिसके कारण जेल में अब खाने-पीने और ओड़ने-पहनने का सामान पहुंचाना मुश्किल हो गया। इसीलिए जेल का ही खाना-पीना पड़ रहा है। यहां मुलाकात भी सप्ताह में दो बार दी जा रही है। नियमित मुलाकात न मिलने से गुर्गों से मिलना नहीं हो रहा है।
हमला भी करवा सकते हैं खुद पर
अमुमन देखा गया कि जेल शिफ्टिंग के लिए अपराधी अपने ही किसी साथी से खुद पर हमला करवा लेते हैं। इसीलिए माना जा रहा है कि दोनों बदमाश यहां भी ऐसा ही कुछ कर सकते हैं।
उपजेल में क्यों?
सेंट्रल जेल और जिला जेल की तरह महू, देपालपुर, खंडवा, बड़वानी की उप जेलें हाईटेक नहीं है। न सेंट्रल जेल और जिला जेल जैसी सख्ती है। वहां स्टाफ को मैनेज करना दबाव-प्रभाव वाले व्यक्ति के लिए ज्यादा मुश्किल काम नहीं है।
सुविधाएं नहीं मिल रही है इसीलिए परेशान हैं
परमार और उसके परिवार ने उपजेल में शिफ्ट करने का आवेदन लगाया था। हमने साफ कह दिया है कि वहां भी कोई सुविधा नहीं मिलेगी। न यहां से शिफ्ट करेंगे। तीन-चार दिन भोपाल था इसीलिए शाकीर चाचा के मामले की जानकारी नहीं है।
रमेश आर्य, अधीक्षक
सेंट्रल जेल
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