Saturday, June 3, 2017

नोटबंदी में हाईवेज पर टोल छूट घोटाला

सरकार ने दी वसूली की छूट, भरपाई के लिए कंपनियों ने पेश किया मनमाना क्लैम
इंदौर. विनोद शर्मा ।
नोटबंदी के कारण परेशानी न हो इसके लिए सरकार ने स्टेट हाईवे और नेशनल हाईवे पर लोगों को 8 नवंबर से 2 दिसंबर के बीच टोल वसूली से छूट दे दी थी जिसका टोल कंपनियों ने अपने तरीके से फायदा उठाया। कंपनियों ने इस दौरान वाहनों की आवाजाही बढ़ाकर बताई ताकि ज्यादा से ज्यादा कंपलसेशन मिल सके। बैंक इंट्रेस्ट और एम्पलॉय सेलेरी के साथ कंपलसेशन के लिए डिमांड की जा रही रकम 2000 करोड़ से ज्यादा है। हालांकि नकद भुगतान के बजाय सरकार टोल वसूली की समयसीमा बढ़ाने की तैयारी में है।
8 नवंबर की रात 8 बजे नोटबंदी का ऐलान हुआ।  घोषणा के बाद नेशनल हाईवेज की टोल प्लाजाओं पर वाहनों की लंबी कतारे लगी तो ट्रांसपोर्ट मिनिस्टर ने टोल मुक्ति की घोषणा कर दी। आश्वासन दिया कि फैसले से जो नुकसान होगा, उसकी भरपाई सरकार करेगी। टोल मुक्ति 8 से 11 नवंबर, 11 से 18 नवंबर, 18 से 24  नवंबर और 24 नवंबर से 2 दिसंबर तक रही। कुल 24 दिन।
यह है टोल का गणित
सरकारी रिकार्ड के अनुसार एनएच की 350 टोल प्लाजाओं से कंपनियों को सालाना 45 हजार करोड़ टोल मिलता है। हर दिन औसत 123.28 करोड़। मतलब, 24 दिन में 2958 करोड़ का टोल नहीं वसूला गया। अब पीपीपी और बीओटी बेसिस पर सड़क, फ्लाईओवर बनाने और संधारित करती आ रही कंपनियों ने कंपलसेशन की डिमांड शुरू कर दी है। सूत्रों की मानें तो कंपनियों ने फ्री टाइम में वाहनों की संख्या बढ़ाकर बताई ताकि ज्यादा कंपलसेशन क्लेम किया जा सके।
यह सिर्फ नेशनल हाईवे का गणित है। इसके अलावा स्टेट हाईवे पर लगने वाला टोल टैक्स अलग है। स्टेट हाइवेज का कलेक्शन भी सालाना एक हजार करोड़ से ज्यादा है। इसमें सरकार के दबाव के कारण सिंहस्थ के चलते भी इंदौर-उज्जैन, देवास-उज्जैन, नागदा-उज्जैन जैसी टोल प्लाजाओं पर टोल वसूली की छूट दी गई थी। नोटबंदी के कारण मिली छूट इन टोल कंपनियों ने दोहरी मार के रूप में परिभाषित की है।
ताकि ज्यादा मिले क्लेम
- कंपनियों ने कहा कि चूंकि हाईवेज टोल फ्री थे इसीलिए इस दौरान वाहनों की आवाजाही आमदिनों से ज्यादा रही।
- अधिकांश कंपनियों ने टोल प्लाजा पूरी तरह से बंद कर रखी थी कैमरों सहित ताकि वाहनों की संख्या आॅनलाइन ट्रेस न हो।
- बैंक इंट्रेस्ट ज्यादा बताया। इसी के साथ कर्मचारियों की संख्या और उनकी तनख्वाह व मेंटेनेंस पर खर्च होने वाली रकम भी ज्यादा बताई।
ऐसे पकड़ सकती है सरकार
- चूंकि किसी भी सड़क को बीओटी पर बनवाने से पहले केंद्र या राज्य सरकार सड़क का ट्रेफिक प्लान तैयार करवाती है। इस प्लान में सालाना औसत के हिसाब से वाहन संख्या लिखी है। ऐसे में दिन का औसत निकालकर कंपनी की मनमानी पकड़ी जा सकती है।
- टोल प्लाजाओं पर जो कैमरे लगे हैं उनकी रिकॉर्डिंग से कंपनियों द्वारा क्लेम किए गए कंपलसेशन की वास्तविकता जांची जा सकती है।
सरकार बढ़ाऐगी समयसीमा
नेशनल हाईवे अथॉरिटी आॅफ इंडिया (एनएचएआई) से जुड़े अधिकारियों की मानें तो टोल कलेक्शन में छूट का कंपलसेशन सरकार नकद में नहीं देगी। इसके लिए जितने दिन की छूट दी गई है टोल कलेक्शन की समयसीमा उतने दिन बढ़ा दी जाएगी।
हालांकि सूत्रों की मानें तो इसका फायदा भी कंपनियों को ही मिलेगा। मसलन, यदि 8 नवंबर से 2 दिसंबर 2016 के बीच कंपनियों को टोल कलेक्शन की छूट दी गई है और किसी कंपनी की समयसीमा नवंबर 2020 में खत्म हो रही है।  तब यही 24 दिन जोड़कर समयसीमा 24 दिसंबर 2020 की जाती है तो  2020 में बढ़ी वाहनों की संख्या का औसत 2016 से 10 फीसदी/सालाना की नेशनल ग्रोथ के लिहाज से 40 फीसदी ज्यादा होगा। 40 फीसदी की टोल दर वृद्धि अलग। मतलब इन 24 दिनों में कंपनी को जितना मिलता उससे 80 फीसदी ज्यादा वसूलेगी।

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