3077 वर्गफीट की अनुमति लेकर किया 6682 वर्गफीट निर्माण
- सात करोड़ में बिकेगा अवैध निर्माण
इंदौर. विनोद शर्मा ।
स्मार्ट सिटी बनाने की दौड़धूप में गली-मोहल्ले से अधिकारियों की दूरी तो समझ आती है लेकिन नगर निगम से चंद कदम की दूरी पर ही सबसे व्यस्त रोड पर कोई इमारत 117 प्रतिशत अवैध बन जाए, अधिकारियों को पता तक न चले। श्रीकृष्ण कॉम्पलेक्स (टॉकिज) के बनाया गया ‘जयश्री कृष्णा’ कॉम्पलेक्स शहरवासियों को न चाहते भी इस बात को गले से उतारने पर मजबूर कर रहा है। दस्तावेजों के लिहाज से बात करें तो नगर निगम ने कुल 3077 वर्गफीट निर्माण मंजूर किया था लेकिन मौके पर बना है 6758 वर्गफीट। अंतर 3681 वर्गफीट ज्यादा।
पहले दोनों प्लॉटों को गैरकानूनी रूप से जोड़ा गया। बाद में 197 वर्गफीट का शेडबैक छोड़कर 1658 वर्गफीट के लिए प्लॉट मालिक जगदीश पिता लालचंद छाबड़ा ने आर्किटेक्ट प्रफुल्लचंद शर्मा के माध्यम से निजी उपयोग का शपथ-पत्र देते हुए नक्शा मंजूरी के लिए लगाया था। नगर निगम ने 30 अक्टूबर 2015 को बिल्डिंग पर्मिशन जारी कर दी। पर्मिशन के अनुसार 50 प्रतिशत (829 वर्गफीट) ग्राउंड कवरेज पर 400 वर्गफीट कमर्शियल निर्माण होना था। 429 वर्गफीट निर्माण में और 829 वर्गफीट एमओएस, वोटीएस आदि में सिर्फ पार्किंग, पैसेज व चढ़ाव का ही नक्शे में उल्लेख है। वहीं छाबड़ा ने पूरे 1658 वर्गफीट पर ही मार्केट तान दिया है।
लगातार हो शिकायत हो रही है
पूर्व पार्षद परमानंद सिसोदिया ने सितंबर 2016 से जनवरी 2017 के बीच मामले की शिकायत बीओ विवेश जैन, सीर्ई विष्णु खरे, निगमायुक्त मनीष सिंह, महापौर मालिनी गौड़ से लेकर संभागायुक्त संजय दुबे तक को कर दी है। हालांकि अब तक कार्रवाई के नाम पर हुआ कुछ नहीं है।
ऐसा बनना था
1.5 एफएआर के मान से शेडबेक के डबल एफएआर सहित 11.85मीटर तक ऊंचाई में मात्र 400 वर्गफीट का मेजेनाइन सहित कुल 3077 वर्गफीट निर्माण स्वीकृत है। पहली और दूसरी मंजिल पर 1100-1100 निर्माण करना था।
ऐसा बना है
400 वर्गफीट की मेजेनाइन की जगह पूरी 1600 वर्गफीट की छत डाल दी। पहली और दूसरी मंजिल पर हेंगिंग करके 1658 वर्गफीट के प्लॉट पर 1750-1750 वर्गफीट निर्माण किया। ऐसे कुल 6758 वर्गफीट निर्माण किया गया है जबकि मंजूरी मिली थी 3077 वर्गफीट की। एमओएस हजम। नक्शे में पार्किंग के लिए जो जमीन आरक्षित की गई थी वह भी हजम। टावर के नाम से निर्माण अलग।
करोड़ों का खेल
एमजी रोड पर जिस जगह मार्केट बना है वहां जमीन की बाजार कीमत 18000 रुपए वर्गफीट है। मतलब 3681 वर्गफीट ज्यादा निर्माण करके बिल्डर 6 करोड़ 62 लाख 58 हजार रुपए की अतिरिक्त कमाई करेगा। कॉम्पलेक्स में दुकानें खुलना शुरू हो चुकी है। सूर्यांश गार्मेंट और राखी कलर्स के नाम से दुकानों की ओपनिंग करीब-करीब हो चुकी है।
कैसे मान लें, अधिकारियों को नहीं दिखा मार्केट
शिकायतकर्ता परमानंद सिसोदिया ने बताया कि नगर निगम मुख्यालय से मार्केट की दूरी बमुश्किल 100 मीटर है। मार्केट एमजी रोड जैसी शहर की उस सबसे व्यस्ततम सड़क पर बना है जिससे दिनभर में महापौर और निगमायुक्त का दो-चार बार आना-जाना हो ही जाता है। ऐसे में कैसे मान लें कि उन्हें यह निर्माण नजर ही नहीं आया है। शायद देखकर भी अनदेखा कर रहे हैं।
- सात करोड़ में बिकेगा अवैध निर्माण
इंदौर. विनोद शर्मा ।
स्मार्ट सिटी बनाने की दौड़धूप में गली-मोहल्ले से अधिकारियों की दूरी तो समझ आती है लेकिन नगर निगम से चंद कदम की दूरी पर ही सबसे व्यस्त रोड पर कोई इमारत 117 प्रतिशत अवैध बन जाए, अधिकारियों को पता तक न चले। श्रीकृष्ण कॉम्पलेक्स (टॉकिज) के बनाया गया ‘जयश्री कृष्णा’ कॉम्पलेक्स शहरवासियों को न चाहते भी इस बात को गले से उतारने पर मजबूर कर रहा है। दस्तावेजों के लिहाज से बात करें तो नगर निगम ने कुल 3077 वर्गफीट निर्माण मंजूर किया था लेकिन मौके पर बना है 6758 वर्गफीट। अंतर 3681 वर्गफीट ज्यादा।
पहले दोनों प्लॉटों को गैरकानूनी रूप से जोड़ा गया। बाद में 197 वर्गफीट का शेडबैक छोड़कर 1658 वर्गफीट के लिए प्लॉट मालिक जगदीश पिता लालचंद छाबड़ा ने आर्किटेक्ट प्रफुल्लचंद शर्मा के माध्यम से निजी उपयोग का शपथ-पत्र देते हुए नक्शा मंजूरी के लिए लगाया था। नगर निगम ने 30 अक्टूबर 2015 को बिल्डिंग पर्मिशन जारी कर दी। पर्मिशन के अनुसार 50 प्रतिशत (829 वर्गफीट) ग्राउंड कवरेज पर 400 वर्गफीट कमर्शियल निर्माण होना था। 429 वर्गफीट निर्माण में और 829 वर्गफीट एमओएस, वोटीएस आदि में सिर्फ पार्किंग, पैसेज व चढ़ाव का ही नक्शे में उल्लेख है। वहीं छाबड़ा ने पूरे 1658 वर्गफीट पर ही मार्केट तान दिया है।
लगातार हो शिकायत हो रही है
पूर्व पार्षद परमानंद सिसोदिया ने सितंबर 2016 से जनवरी 2017 के बीच मामले की शिकायत बीओ विवेश जैन, सीर्ई विष्णु खरे, निगमायुक्त मनीष सिंह, महापौर मालिनी गौड़ से लेकर संभागायुक्त संजय दुबे तक को कर दी है। हालांकि अब तक कार्रवाई के नाम पर हुआ कुछ नहीं है।
ऐसा बनना था
1.5 एफएआर के मान से शेडबेक के डबल एफएआर सहित 11.85मीटर तक ऊंचाई में मात्र 400 वर्गफीट का मेजेनाइन सहित कुल 3077 वर्गफीट निर्माण स्वीकृत है। पहली और दूसरी मंजिल पर 1100-1100 निर्माण करना था।
ऐसा बना है
400 वर्गफीट की मेजेनाइन की जगह पूरी 1600 वर्गफीट की छत डाल दी। पहली और दूसरी मंजिल पर हेंगिंग करके 1658 वर्गफीट के प्लॉट पर 1750-1750 वर्गफीट निर्माण किया। ऐसे कुल 6758 वर्गफीट निर्माण किया गया है जबकि मंजूरी मिली थी 3077 वर्गफीट की। एमओएस हजम। नक्शे में पार्किंग के लिए जो जमीन आरक्षित की गई थी वह भी हजम। टावर के नाम से निर्माण अलग।
करोड़ों का खेल
एमजी रोड पर जिस जगह मार्केट बना है वहां जमीन की बाजार कीमत 18000 रुपए वर्गफीट है। मतलब 3681 वर्गफीट ज्यादा निर्माण करके बिल्डर 6 करोड़ 62 लाख 58 हजार रुपए की अतिरिक्त कमाई करेगा। कॉम्पलेक्स में दुकानें खुलना शुरू हो चुकी है। सूर्यांश गार्मेंट और राखी कलर्स के नाम से दुकानों की ओपनिंग करीब-करीब हो चुकी है।
कैसे मान लें, अधिकारियों को नहीं दिखा मार्केट
शिकायतकर्ता परमानंद सिसोदिया ने बताया कि नगर निगम मुख्यालय से मार्केट की दूरी बमुश्किल 100 मीटर है। मार्केट एमजी रोड जैसी शहर की उस सबसे व्यस्ततम सड़क पर बना है जिससे दिनभर में महापौर और निगमायुक्त का दो-चार बार आना-जाना हो ही जाता है। ऐसे में कैसे मान लें कि उन्हें यह निर्माण नजर ही नहीं आया है। शायद देखकर भी अनदेखा कर रहे हैं।
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