Saturday, June 3, 2017

मोदी के फरमान ने भर दी सरकार की झोली

हर विभाग में टार्गेट से ज्यादा मिला राजस्व
इंदौर. विनोद शर्मा ।
नोटबंदी के जिस फरमान ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उनकी सरकार के लिए आलोचना का कारण बन गया था उसी फरमान ने सरकारी खजाने लबालब कर दिए। फिर मुद्दा नगर निगम के राजस्व में बढ़ोत्तरी को हो या फिर आयकर, सेंट्रल एक्साइज या वाणिज्यिक कर विभाग में हुए लक्ष्य से ज्यादा कलेक्शन का। हर विभाग में 2016-17 के लिए तय हुए टार्गेट से अधिक राजस्व जमा हुआ है।
2007-08 में आई विश्वव्यापी मंदी भले साल-दो साल में दूर हो गई थी या जिसका असर हिंदुस्तानी अर्थव्यवस्था पर ज्यादा नहीं पड़ा था लेकिन फिर भी उसकी आड़ लेकर कारोबारी टैक्स चुकाने से बचते रहे। नुकसान बताते रहे। कारोबारियों की बहानेबाजी की पोल खुली 2016-17 में। जब नोटबंदी और मंदी के तमाम दावों के बावजूद मप्र के वाणिज्यिक कर विभाग ने 26500 करोड़ के लक्ष्य के मुकाबले 27300 करोड़ रुपए का राजस्व अर्जित किया। वह भी तब जब बीते कुछ वर्षों से कम कलेक्शन के कारण टार्गेट रिवाइज करके कम करना पड़ते थे। ऐसे में टार्गेट का पूरा होना और उससे 800 करोड़ ज्यादा मिलना बहुत-कुछ कहानी बयां कर गए।
86 करोड़ ज्यादा मिले निगम को
इंदौर नगर निगम में 2015-16 में 353 करोड़ का राजस्व मिला था जो 2016-17 में बढ़कर 439 करोड़ प्राप्त हुआ। सीधे 86 करोड़ की बढ़त। इसमें संपत्तिकर 2015-16 में 175 करोड़ था जो 34 प्रतिशत की बढ़त के साथ 235 करोड़ के पार हो गया। सबसे ज्यादा राजस्व नवंबर और दिसंबर में जमा हुआ। मतलब न सिर्फ टैक्स चुकाने के लिए लोगों ने 1000-500 के पुराने नोट जमकर खपाए बल्कि वर्षों से बकाया संपत्तिकर भी फुर्ति के साथ चुकाया। आयुक्त मनीष सिंह की सख्ती और बढाई गई राजस्व अधिकारियों की तकनीकी क्षमता भी राजस्व बढ़ोत्तरी का बड़ा कारण साबित हुई।
आयकर भी 19 हजार करोड़ पार
आयकर विभाग द्वारा मध्यप्रदेश-छत्तीसगढ़ रीजन को वर्ष 2016-17 के लिए दिया गया लक्ष्य पूरा करके उससे ज्यादा टैक्स वसूला गया।  केंद्र सरकार की कालेधन को लेकर की गई चार बड़ी योजनाओं में भी रीजन ने काफी सराहनीय काम किया। जानकारी के अनुसार मप्र- छग रीजन को बीते साल 17,850 करोड़ का लक्ष्य दिया गया था जबकि आयकर प्राप्त हुआ करीब 19500 करोड़। सिर्फ नवंबर और दिसंबर में ही 19 फीसदी की बढ़ोत्तरी दर्ज हुई। 2007-08 के बाद यह पहला मौका था जब इनकम टैक्स को टार्गेट से ज्यादा पैसा मिला है। बीते वर्षों में दिसंबर तक इनकम टैक्स कम मिलता था इसीलिए सेंट्रल बोर्ड आॅफ डायरेक्टर टैक्स (सीबीडीटी) को जनवरी में टार्गेट रिविजन के बाद कम करके नया टार्गेट तय करना पड़ता था। होता यह था कि रिवाइज टार्गेट के बराबर भी टैक्स नहीं मिलता था।
कस्टम, सेंट्रल एक्साइज और सर्विस टैक्स भी बढ़ा
पांच वर्षों से लगातार कस्टम और सेंट्रल एक्साइज लक्ष्य से कम मिलता रहा है। सर्विस टैक्स के आंकड़े जरूर संतोषजनक रहे। 2016-17 में सिर्फ इंदौर प्रिंसिपल कमिश्नरेट ने ही कुल 1810 करोड़ के टार्गेट के मुकाबले 1880 करोड़ रुपए का राजस्व मिला है। बताया जा रहा है कि नोटबंदी के कारण नवंबर-दिसंबर में इलेक्ट्रॉनिक उत्पादों से लेकर आॅटोमोबाइल इंडस्ट्री तक में डिमांड अच्छी रही। इसीलिए कंपनियों में उत्पादन ज्यादा हुआ और ड्यूटी ज्यादा मिली।
किस मद से कितना
मद टार्गेट प्राप्ती
कस्टम 440 445
सर्विस 820 825
एक्साइज 550 610

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