इंदौर. चीफ रिपोर्टर ।
कान्ह नदी की दिखावटी फिफ्र के बीच सरकारी अनदेखी और भू-माफियाओं की मनमानी का शिकार हुई सरस्वती नदी की हाल-ए-हकीकत जानने के लिए नगर निगम आयुक्त मनीष सिंह ने बाइक से दौरा किया। करीब चार घंटे चले दौरे में सिंह ने राऊ पुलिया से लेकर तेजपुर गड़बड़ी तक करीब सात किलोमीटर में नदी की हालत जानी।
पर्यावरण विद किशोर कोडवानी के साथ सिंह ने दौरा सुबह 7 बजे राऊ पुलिया से शुरू किया था। राऊ पुल (जहां बिलावली चैनल के लिए डेम बना है, मुक्तिधाम के पास) से कनुप्रियानगर, एमरल्ड के पीछे, रॉयल कृष्णा, गमले वाली पुलिया (एबी रोड), होटल बी टाउन के पीछे, हुक्माखेड़ी, बिलावली तालाब (डेम पाला), बिजलपुर श्मशान घाट, आर्यकॉलोनी, अवासा टाउनशीप और बिजलपुर औद्योगिक क्षेत्र होते हुए तेजपुर गड़बड़ी पुल पहुंचे। निगमायुक्त ने कब्जे चिह्नित किए हैं। जल्द ही पूरी सूची बनेगी। कोडवानी ने बताया कि अस्तित्व की लड़ाई लड़ रही नदी को बचाना है तो कब्जे हटाना होंगे। नदी को मूल अस्तित्व में लाना होगा।
ऐसी है नदी...
-- माचल-राऊ की पहाड़ियों का पानी राऊ तक आता है। राऊ से इस पानी का आधा हिस्सा चैनल के माध्यम से बिलावली तालाब की ओर छोड़ा जाता है।
-- आधा हिस्सा श्मशान के पीछे से गमले वाली पुलिया, तेजपुर गड़बड़ी तक इसकी लंबाई 8 किलोमीटर है।
-- गड़बड़ी पुल से गोल्डन पैलेस कॉलोनी, चोइथराम मंडी, बद्रीबाग कॉलोनी, बु्रकबांड कॉलोनी, लालबाग, गुरुनानक कॉलोनी, कर्बला पुल, काटजू कॉलोनी, जयरामपुर कॉलोनी, गणगौर घाट, हरसिद्धी ब्रिज, पागनिसपागा, जवाहरमार्ग ब्रिज, ज्योतिबा फुले मंडी। इस बीच तकरीबन 7 किलोमीटर है लंबाई नदी की।
- यहां कृष्णपुरा छत्री के सामने कान्ह नदी (देवगुराड़िया की ओर से आजादनगर, चीड़ियाघर, छावनी होते हुए आने वाली) सरस्वती नदी में मिलती है।
- छत्री से एमआर-10 तक नदी की लंबाई 10 किलोमीटर है। मतलब कुल नदी की लंबाई शहर में करीब 25 किलोमीटर है।
जिसका मन आया उसने किया कब्जा
- सरस्वती नदी की सबसे बड़ी समस्या भू-माफियाओं द्वारा किया गया कब्जा है।
- ज्यादातर सरकारी दस्तावेजों में सिर्फ कान्ह नदी को जगह मिली। सरस्वती नदी का जिक्र करने वाले दस्तावेज कम है।
- बोलचाल की भाषा में कान्ह नदी का ही जिक्र है। सरस्वती नदी का जिक्र पुराने बाशिंदों के बीच ही होता है।
कान्ह नदी की दिखावटी फिफ्र के बीच सरकारी अनदेखी और भू-माफियाओं की मनमानी का शिकार हुई सरस्वती नदी की हाल-ए-हकीकत जानने के लिए नगर निगम आयुक्त मनीष सिंह ने बाइक से दौरा किया। करीब चार घंटे चले दौरे में सिंह ने राऊ पुलिया से लेकर तेजपुर गड़बड़ी तक करीब सात किलोमीटर में नदी की हालत जानी।
पर्यावरण विद किशोर कोडवानी के साथ सिंह ने दौरा सुबह 7 बजे राऊ पुलिया से शुरू किया था। राऊ पुल (जहां बिलावली चैनल के लिए डेम बना है, मुक्तिधाम के पास) से कनुप्रियानगर, एमरल्ड के पीछे, रॉयल कृष्णा, गमले वाली पुलिया (एबी रोड), होटल बी टाउन के पीछे, हुक्माखेड़ी, बिलावली तालाब (डेम पाला), बिजलपुर श्मशान घाट, आर्यकॉलोनी, अवासा टाउनशीप और बिजलपुर औद्योगिक क्षेत्र होते हुए तेजपुर गड़बड़ी पुल पहुंचे। निगमायुक्त ने कब्जे चिह्नित किए हैं। जल्द ही पूरी सूची बनेगी। कोडवानी ने बताया कि अस्तित्व की लड़ाई लड़ रही नदी को बचाना है तो कब्जे हटाना होंगे। नदी को मूल अस्तित्व में लाना होगा।
ऐसी है नदी...
-- माचल-राऊ की पहाड़ियों का पानी राऊ तक आता है। राऊ से इस पानी का आधा हिस्सा चैनल के माध्यम से बिलावली तालाब की ओर छोड़ा जाता है।
-- आधा हिस्सा श्मशान के पीछे से गमले वाली पुलिया, तेजपुर गड़बड़ी तक इसकी लंबाई 8 किलोमीटर है।
-- गड़बड़ी पुल से गोल्डन पैलेस कॉलोनी, चोइथराम मंडी, बद्रीबाग कॉलोनी, बु्रकबांड कॉलोनी, लालबाग, गुरुनानक कॉलोनी, कर्बला पुल, काटजू कॉलोनी, जयरामपुर कॉलोनी, गणगौर घाट, हरसिद्धी ब्रिज, पागनिसपागा, जवाहरमार्ग ब्रिज, ज्योतिबा फुले मंडी। इस बीच तकरीबन 7 किलोमीटर है लंबाई नदी की।
- यहां कृष्णपुरा छत्री के सामने कान्ह नदी (देवगुराड़िया की ओर से आजादनगर, चीड़ियाघर, छावनी होते हुए आने वाली) सरस्वती नदी में मिलती है।
- छत्री से एमआर-10 तक नदी की लंबाई 10 किलोमीटर है। मतलब कुल नदी की लंबाई शहर में करीब 25 किलोमीटर है।
जिसका मन आया उसने किया कब्जा
- सरस्वती नदी की सबसे बड़ी समस्या भू-माफियाओं द्वारा किया गया कब्जा है।
- ज्यादातर सरकारी दस्तावेजों में सिर्फ कान्ह नदी को जगह मिली। सरस्वती नदी का जिक्र करने वाले दस्तावेज कम है।
- बोलचाल की भाषा में कान्ह नदी का ही जिक्र है। सरस्वती नदी का जिक्र पुराने बाशिंदों के बीच ही होता है।
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