गुमाश्तानगर में नगर निगम के अधिकारियों की मिलीभगत से डॉक्टरों ने कर दी नक्शे की सर्जरी
इंदौर. विनोद शर्मा।
महू नाका-फुटी कोठी के बीच की जिस सड़क को महापौर मालिनी गौड़ सबसे आदर्श सड़क बनाकर उसका नामकरण लक्ष्मणसिंह गौड़ के नाम करना चाहती हैं उस पर एक के बाद एक अवैध बिल्डिंगे खड़ी हो रही है। 10 गुमाश्तानगर में आवासीय अनुमति लेकर बनाया जा रहा हॉस्पिटल इसका ताजा उदाहरण है। जिसमें शुरूआती स्तर पर ही बड़ा अवैध निर्माण हो चुका है जबकि अभी 50 फीसदी काम बाकी है।
डॉ. मून पति भरत कुमार जैन, डॉ. शंकरलाल पिता पन्नालाल गुप्ता और डॉ. प्रमीला पति शंकरलाल गुप्ता के नाम दर्ज प्लॉट नं. 10 गुमाश्तानगर पर नगर निगम ने 21 अक्टूबर 2016 को बिल्डिंग पर्मिशन (3755/आईएमसी/जेड1/डब्ल्यू83/2016) जारी की थी। 5987.22 वर्गफीट के इस प्लॉट पर 1.5 एफएआर के साथ 8980.89 वर्गफीट निर्माण की अनुमति दी गई। वहीं सरकारी सहायता से पोषित हो रहे अवैध निर्माण और उससे बिल्डरों को मिलने वाले लाभ ने डॉक्टर्स को नक्शे के विपरीत निर्माण की प्रेरणा दे दी। ओपन टू स्काय (ओटीएस) और मार्जिनल ओपन स्पेस (एमओएस) पर कब्जा करके इस्टिमेट से 100 प्रतिशत ज्यादा निर्माण किया जा रहा है।
क्लीनिक मंजूर, अस्पताल की तैयारी
फरवरी से मई के बीच लगातार निगम मुख्यालय पहुंची शिकायतों के आधार पर जब दबंग दुनिया की टीम ने तफ्तीश की तो पता चला कि मौके पर हॉस्पिटल बन रहा है। नगर निगम के दस्तावेज इसके विपरीत कहानी कहते हैं। स्वीकृत नक्शे के अनुसार मौके पर सिर्फ 672.64 वर्गफीट निर्माण ही मंजूर है जिसे क्लीनिक बताकर मंजूर करवाया गया था। ऐसे में सवाल यह उठता है कि क्लीनिक मंजूर कराकर अस्पताल कैसे बनाया जा सकता है।
मंजूर नौ हजार, बनना है 18 हजार वर्गफीट
पूर्व पार्षद परमानंद सिसोदिया द्वारा की गई शिकायत के अनुसार मंजूर किए गए 1975.83 वर्गफीट के स्थान पर 3600 वर्गफीट ग्राउंड कवरेज किया गया है। 4011.39 वर्गफीट का जो हिस्सा एमओएस के लिए छोड़ा जाना था उसके 1624.17 वर्गफीट हिस्से पर भी कब्जा किया जा चुका है। इसी में रैम्प बना दिया गया जो मास्टर प्लान 2021 के नियम 76 के अनुसार अवैध और जानलेवा है। ग्राउंड फ्लोर पर 400 और बेसमेंट के 1624 वर्गफीट सहित 18320 वर्गफीट निर्माण किया जाना है जबकि अनुमति मिली है सिर्फ 8980.89 वग्रफीट की। अंतर सीधे 9339.11 वर्गफीट का। इसके लिए बिल्डिंग में मंजूर (717 वर्गफीट) के चार ओटीएस भी नहीं छोड़े गए हैं।
अब नहीं रूका तो कब रूकेगा...
मामले में सिसोदिया का कहना है कि अभी शुरुआती दौर में ही नगर निगम को अवैध निर्माण रोककर निर्माणकर्ताओं, आर्किटेक्ट के साथ ही बीओ, बीआई, सीई दरोगा के खिलाफ कार्रवाई करना चाहिए। ताकि डॉक्टरी का पेशा करने वाले संभ्रांत लोग भू-माफियाओं से प्रेरित होकर अवैध निर्माण न कर सकें।
ऐसा बनना था ऐसा बन रहा है
ग्राउंड कवरेज 1980 3592.33
एमओएस 4021 1620 पर कब्जा
कमर्शियल 62.63 हॉस्पिटल
फ्लोर कंस्ट्रक्शन 7384.824 16300
इंदौर. विनोद शर्मा।
महू नाका-फुटी कोठी के बीच की जिस सड़क को महापौर मालिनी गौड़ सबसे आदर्श सड़क बनाकर उसका नामकरण लक्ष्मणसिंह गौड़ के नाम करना चाहती हैं उस पर एक के बाद एक अवैध बिल्डिंगे खड़ी हो रही है। 10 गुमाश्तानगर में आवासीय अनुमति लेकर बनाया जा रहा हॉस्पिटल इसका ताजा उदाहरण है। जिसमें शुरूआती स्तर पर ही बड़ा अवैध निर्माण हो चुका है जबकि अभी 50 फीसदी काम बाकी है।
डॉ. मून पति भरत कुमार जैन, डॉ. शंकरलाल पिता पन्नालाल गुप्ता और डॉ. प्रमीला पति शंकरलाल गुप्ता के नाम दर्ज प्लॉट नं. 10 गुमाश्तानगर पर नगर निगम ने 21 अक्टूबर 2016 को बिल्डिंग पर्मिशन (3755/आईएमसी/जेड1/डब्ल्यू83/2016) जारी की थी। 5987.22 वर्गफीट के इस प्लॉट पर 1.5 एफएआर के साथ 8980.89 वर्गफीट निर्माण की अनुमति दी गई। वहीं सरकारी सहायता से पोषित हो रहे अवैध निर्माण और उससे बिल्डरों को मिलने वाले लाभ ने डॉक्टर्स को नक्शे के विपरीत निर्माण की प्रेरणा दे दी। ओपन टू स्काय (ओटीएस) और मार्जिनल ओपन स्पेस (एमओएस) पर कब्जा करके इस्टिमेट से 100 प्रतिशत ज्यादा निर्माण किया जा रहा है।
क्लीनिक मंजूर, अस्पताल की तैयारी
फरवरी से मई के बीच लगातार निगम मुख्यालय पहुंची शिकायतों के आधार पर जब दबंग दुनिया की टीम ने तफ्तीश की तो पता चला कि मौके पर हॉस्पिटल बन रहा है। नगर निगम के दस्तावेज इसके विपरीत कहानी कहते हैं। स्वीकृत नक्शे के अनुसार मौके पर सिर्फ 672.64 वर्गफीट निर्माण ही मंजूर है जिसे क्लीनिक बताकर मंजूर करवाया गया था। ऐसे में सवाल यह उठता है कि क्लीनिक मंजूर कराकर अस्पताल कैसे बनाया जा सकता है।
मंजूर नौ हजार, बनना है 18 हजार वर्गफीट
पूर्व पार्षद परमानंद सिसोदिया द्वारा की गई शिकायत के अनुसार मंजूर किए गए 1975.83 वर्गफीट के स्थान पर 3600 वर्गफीट ग्राउंड कवरेज किया गया है। 4011.39 वर्गफीट का जो हिस्सा एमओएस के लिए छोड़ा जाना था उसके 1624.17 वर्गफीट हिस्से पर भी कब्जा किया जा चुका है। इसी में रैम्प बना दिया गया जो मास्टर प्लान 2021 के नियम 76 के अनुसार अवैध और जानलेवा है। ग्राउंड फ्लोर पर 400 और बेसमेंट के 1624 वर्गफीट सहित 18320 वर्गफीट निर्माण किया जाना है जबकि अनुमति मिली है सिर्फ 8980.89 वग्रफीट की। अंतर सीधे 9339.11 वर्गफीट का। इसके लिए बिल्डिंग में मंजूर (717 वर्गफीट) के चार ओटीएस भी नहीं छोड़े गए हैं।
अब नहीं रूका तो कब रूकेगा...
मामले में सिसोदिया का कहना है कि अभी शुरुआती दौर में ही नगर निगम को अवैध निर्माण रोककर निर्माणकर्ताओं, आर्किटेक्ट के साथ ही बीओ, बीआई, सीई दरोगा के खिलाफ कार्रवाई करना चाहिए। ताकि डॉक्टरी का पेशा करने वाले संभ्रांत लोग भू-माफियाओं से प्रेरित होकर अवैध निर्माण न कर सकें।
ऐसा बनना था ऐसा बन रहा है
ग्राउंड कवरेज 1980 3592.33
एमओएस 4021 1620 पर कब्जा
कमर्शियल 62.63 हॉस्पिटल
फ्लोर कंस्ट्रक्शन 7384.824 16300
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