किसानों के नाम पर विधायक की ड्रामेबाजी
इंदौर. विनोद शर्मा ।
नोटबंदी के विरोध में स्थानीय लोगों को मुफ्त आलू बांटने के नाम पर कांग्रेस विधायक जीतू पटवारी ने एक बार फिर नौटंकी का खेल दिखा दिया। यूटर्न पर यूटर्न लेते रहे। यही वजह है कि लोगों को मुफ्त आलू देने का झांसा देकर पटवारी ने ट्रालीभर आलू जिला जेल के कैदियों के नाम कर दिए। लोग इस बात का कयास लगा रहे हैं कि चंद घंटे बिताने के बाद जीतू को जेल में ऐसा क्या दिख गया कि उन्होंने जनता के लिए निकाले गए आलू कैदियों को दे दिए।
नौटंकी की शुरूआत तीन दिन पहले हुई जब जिलेभर के किसानों के साथ राजाबाड़ा पर जाकर आलू मुफ्त में बांटने का ऐलान किया था। अफसरों ने जीतू से बात कर ट्रैफिक की समस्या बताई तो कमिश्नर आॅफिस पर प्रदर्शन तय हुआ जो पहला यूटर्न था। कुछ समर्थक किसानों के साथ पटवारी बिजलपुर से निकले लेकिन चोइथराम मंडी के पास रोक लिया। इसके बाद पुलिस से गुत्थमगुत्था होते हुए पटवारी ने दूसरा यूटर्न लिया और प्रदर्शन के लिए तय हुए संभागायुक्त कार्यालय को छोड़ कलेक्टोरेट में घुस गए। जहां के लिए कोई अनुमति नहीं थी।
आलू बांटने गए थे कि अनशन करने
कलेक्टोरेट परिसर में पहुंचने के बाद पटवारी भूल गए कि उन्होंने आलू लोगों को मुफ्त बांटने की घोषणा की थी। वे अपने समर्थकों के साथ धरना देकर बैठ गए। जब उन्हें समझाया गया तो उन्होंने कहा यह धरना नहीं अनशन है और में तब तक बैठा रहूंगा जब तक कि हमारी मांग पूरी नहीं हो जाती। किसानों को उनका हक नहीं मिल जाता।
जेल जाकर अनशन की बात की लेकिन रात को जमानत ले ली
धारा 144 का हवाला देकर अधिकारियों ने अनशन खत्म करने को कहा तो जीतू ने फिर यूटर्न लिया और कहा कि आप तो मुझे जेल में ही डाल दो। मैं वहीं जाकर अनशन करूंगा जब तक कि किसानों को हक नहीं मिलता। धारा-151 लगाकर पुलिस ने उन्हें गिरफ्तार करके जेल भेज दिया। रात तक नौटंकी चलती रही। मौका देखते ही जीतू ने मुचलका भरा और रिहा हो गए।
हमें मना कर दिया था, इसीलिए हम जेल नहीं गए
कई कांग्रेसी नेता बिजलपुर से जीतू के साथ जुड़ गए थे लेकिन जीतू उन्हें भी दायां बताकर बायां मारते रहे। उन्हें नहीं बताया गया कि आलू नहीं बेचेंगे, धरना देंगे। अनशन करेंगे। न यह बताया गया ट्रालियां ले जाने के लिए प्रशासन से विधिवत अनुमति ली की नहीं। उन्हें भी तब पता चला जब पुलिस ने कांग्रेसियों के कारवां को बीच में ही रोक दिया था। फिर भी वे कलेक्ट्रेट तक साथ रहे। कांग्रेस के बड़े नेताओं का कहना है कि जब पुलिस ने धारा 144 के तहत गिरफ्तार करने की धमकी दी तो जीतू ने ही हमें मना कर दिया कि आप लोग रहने दो, मैं ही जेल जाऊंगा। बाद में कहा कि 11 समर्थक भी जाएंगे। बाद में कुल 13 लोग जेल तक गए। जिस तरह से उन्होंने जेल में अनशन करने की बात कही थी लगा नहीं था कि वे चंद घंटों में ही जमानत लेकर चल देंगे।
कैदियों से क्या मुहब्बत जाग गई
शनिवार को जीतू की नौटंकी का क्लाइमेक्स जिला जेल में हुआ जब उन्होंने ट्रालियांभरक आलू जिला जेल के मुख्य द्वार पर उतार दिए। इस खबर ने भी कांग्रेस के कद्दावर नेताओं के होश उड़ा दिए। वे समझ ही नहीं पा रहे थे कि आखिर गरीबों को बांटने के लिए निकाले गए आलू जीतू ने कैदियों के नाम क्यों कर दिए। जीतू ने अपना पक्ष रखते हुए कहा कि जेलर ने ही कहा था कि फेको मत, आलू हमें दे दो जबकि जीतू की घोषणा आलू फेकने की नहीं, मुफ्त बांटने की थी। दूसरा, भोपाल में हुए जेलकांड के बाद से जेल मंत्री साफ कह चुके हैं कि जेल में बाहर से कुछ नहीं आएगा। ऐसे में जेलर ने जीतू के आलू कैसे स्वीकारे।
बोरी फेंक दो इनके माथे पर ही
पूरी नौटंकी के दौरान जीतू ने सीएसपी कनकने और भंवरकुआं टीआई से बदसलूकी की। पर्मिशन की बात करने पर अधिकारियों को समर्थकों के हुजुम से घिरवाने की बात तक कही।
किसानों की चिंता थी तो पर्मिशन क्यो ंनहीं
लोगों का यह भी कहना है कि यदि जीतू को किसानों की चिंता होती तो वह विधिवत पर्मिशन लेते, जो नहीं ली। उन्हें पता था कि वे ट्रांलियां लेकर निकलेंगे और अधिकारी घेरेंगे, बड़ी न्यूज बनेगी। जमकर फोटो छपेंगे।
इंदौर. विनोद शर्मा ।
नोटबंदी के विरोध में स्थानीय लोगों को मुफ्त आलू बांटने के नाम पर कांग्रेस विधायक जीतू पटवारी ने एक बार फिर नौटंकी का खेल दिखा दिया। यूटर्न पर यूटर्न लेते रहे। यही वजह है कि लोगों को मुफ्त आलू देने का झांसा देकर पटवारी ने ट्रालीभर आलू जिला जेल के कैदियों के नाम कर दिए। लोग इस बात का कयास लगा रहे हैं कि चंद घंटे बिताने के बाद जीतू को जेल में ऐसा क्या दिख गया कि उन्होंने जनता के लिए निकाले गए आलू कैदियों को दे दिए।
नौटंकी की शुरूआत तीन दिन पहले हुई जब जिलेभर के किसानों के साथ राजाबाड़ा पर जाकर आलू मुफ्त में बांटने का ऐलान किया था। अफसरों ने जीतू से बात कर ट्रैफिक की समस्या बताई तो कमिश्नर आॅफिस पर प्रदर्शन तय हुआ जो पहला यूटर्न था। कुछ समर्थक किसानों के साथ पटवारी बिजलपुर से निकले लेकिन चोइथराम मंडी के पास रोक लिया। इसके बाद पुलिस से गुत्थमगुत्था होते हुए पटवारी ने दूसरा यूटर्न लिया और प्रदर्शन के लिए तय हुए संभागायुक्त कार्यालय को छोड़ कलेक्टोरेट में घुस गए। जहां के लिए कोई अनुमति नहीं थी।
आलू बांटने गए थे कि अनशन करने
कलेक्टोरेट परिसर में पहुंचने के बाद पटवारी भूल गए कि उन्होंने आलू लोगों को मुफ्त बांटने की घोषणा की थी। वे अपने समर्थकों के साथ धरना देकर बैठ गए। जब उन्हें समझाया गया तो उन्होंने कहा यह धरना नहीं अनशन है और में तब तक बैठा रहूंगा जब तक कि हमारी मांग पूरी नहीं हो जाती। किसानों को उनका हक नहीं मिल जाता।
जेल जाकर अनशन की बात की लेकिन रात को जमानत ले ली
धारा 144 का हवाला देकर अधिकारियों ने अनशन खत्म करने को कहा तो जीतू ने फिर यूटर्न लिया और कहा कि आप तो मुझे जेल में ही डाल दो। मैं वहीं जाकर अनशन करूंगा जब तक कि किसानों को हक नहीं मिलता। धारा-151 लगाकर पुलिस ने उन्हें गिरफ्तार करके जेल भेज दिया। रात तक नौटंकी चलती रही। मौका देखते ही जीतू ने मुचलका भरा और रिहा हो गए।
हमें मना कर दिया था, इसीलिए हम जेल नहीं गए
कई कांग्रेसी नेता बिजलपुर से जीतू के साथ जुड़ गए थे लेकिन जीतू उन्हें भी दायां बताकर बायां मारते रहे। उन्हें नहीं बताया गया कि आलू नहीं बेचेंगे, धरना देंगे। अनशन करेंगे। न यह बताया गया ट्रालियां ले जाने के लिए प्रशासन से विधिवत अनुमति ली की नहीं। उन्हें भी तब पता चला जब पुलिस ने कांग्रेसियों के कारवां को बीच में ही रोक दिया था। फिर भी वे कलेक्ट्रेट तक साथ रहे। कांग्रेस के बड़े नेताओं का कहना है कि जब पुलिस ने धारा 144 के तहत गिरफ्तार करने की धमकी दी तो जीतू ने ही हमें मना कर दिया कि आप लोग रहने दो, मैं ही जेल जाऊंगा। बाद में कहा कि 11 समर्थक भी जाएंगे। बाद में कुल 13 लोग जेल तक गए। जिस तरह से उन्होंने जेल में अनशन करने की बात कही थी लगा नहीं था कि वे चंद घंटों में ही जमानत लेकर चल देंगे।
कैदियों से क्या मुहब्बत जाग गई
शनिवार को जीतू की नौटंकी का क्लाइमेक्स जिला जेल में हुआ जब उन्होंने ट्रालियांभरक आलू जिला जेल के मुख्य द्वार पर उतार दिए। इस खबर ने भी कांग्रेस के कद्दावर नेताओं के होश उड़ा दिए। वे समझ ही नहीं पा रहे थे कि आखिर गरीबों को बांटने के लिए निकाले गए आलू जीतू ने कैदियों के नाम क्यों कर दिए। जीतू ने अपना पक्ष रखते हुए कहा कि जेलर ने ही कहा था कि फेको मत, आलू हमें दे दो जबकि जीतू की घोषणा आलू फेकने की नहीं, मुफ्त बांटने की थी। दूसरा, भोपाल में हुए जेलकांड के बाद से जेल मंत्री साफ कह चुके हैं कि जेल में बाहर से कुछ नहीं आएगा। ऐसे में जेलर ने जीतू के आलू कैसे स्वीकारे।
बोरी फेंक दो इनके माथे पर ही
पूरी नौटंकी के दौरान जीतू ने सीएसपी कनकने और भंवरकुआं टीआई से बदसलूकी की। पर्मिशन की बात करने पर अधिकारियों को समर्थकों के हुजुम से घिरवाने की बात तक कही।
किसानों की चिंता थी तो पर्मिशन क्यो ंनहीं
लोगों का यह भी कहना है कि यदि जीतू को किसानों की चिंता होती तो वह विधिवत पर्मिशन लेते, जो नहीं ली। उन्हें पता था कि वे ट्रांलियां लेकर निकलेंगे और अधिकारी घेरेंगे, बड़ी न्यूज बनेगी। जमकर फोटो छपेंगे।
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