Saturday, June 3, 2017

रद्द हुई नवभारत की सदस्यता सूची

बॉबी की मंशा पर फिरा पानी
संयुक्त कलेक्टर ने की दल बनवाकर सदस्यता जांचने की अनुसंशा
कहा : उपविधि के विरुदध बनाए गए 2552 सदस्य
इंदौर. चीफ रिपोर्टर ।
दबंग दुनिया द्वारा उजागर किए गए सदस्यता फर्जीवाड़े और डेढ़ सौ आपत्तियों के आधार पर डिप्टी कलेक्टर ने कुख्यात भू-माफिया रणवीरसिंह उर्फ बॉबी छाबड़ा की जैबी संस्था नवभारत गृह निर्माण सहकारी संस्था की सदस्यता सूची को रद्द कर दिया। यह भी स्पष्ट दिया कि 2007-08 से 2016-17 तक का आॅडिट कराना जरूर है जो नहीं हुआ है। आठ साल के आॅडिट और सदस्यों की वैधानिकता के सत्यापन के बिना सूची फाइनल नहीं की जा सकती। न ही ऐसी सूची से चुनाव कराए जा सकते हैं। डिप्टी कलेक्टर ने आपत्तियों के साथ अपनी अनुसंशा मप्र राज्य सहकारी निर्वाचन प्राधिकारी को भी भेज दी है।
जिस संस्था को 1600 सदस्यों की पात्रता थी उसमें कैसे 4152 सदस्यों को सदस्यता दे दी गई? 2005-06 में बॉबी के मार्गदर्शन में बनी सूची को 2017-18 में जारी कर दिया गया जिसमें दो सौ से ज्यादा मृतक सदस्यों के नाम है। इसका खुलासा दबंग दुनिया ने  6 अपै्रल को ‘बॉबी की नवभारत में सदस्यता के नाम पर जोड़े दो हजार दो नंबरी, अफसर ने भी जारी कर दी यही सूची’ और 7 अपै्रल को ‘दो सौ ज्यादा मृतक सूदस्य भी डालेंगे वोट!’ शीर्षक से प्रकाशित समाचार में इसका खुलासा किया था। ये खबरें शुक्रवार को संयुक्त कलेक्टर व संस्था की रजिस्ट्रीकरण अधिकारी शालिनी श्रीवास्तव की मौजूदगी में किए जा रहे आपत्तियों के निराकरण के वक्त सार्थक साबित हुई। श्रीवास्तव ने खुलासे और डेढ़ सौ से ज्यादा आपत्तियों के आधार पर सूची को नवभारत के चुनाव कराने लायक नहीं माना।
मप्र राज्य सहकारी निर्वाचन प्राधिकारी भेजी रिपोर्ट में-
168 आपत्तियां आई सामने
30 मार्च 2017 को नवभारत संस्था की सदस्यता सूची जारी की गई थी जिसमें 4152 सदस्यों के नाम है। 30 मार्च से 6 अपै्रल 2017 के बीच कुल 168 आपत्तियां प्राप्त हुई। इनमें सदस्यता सूची में नाम जोड़ने के लिए 112, नंबर सुधार के लिए 22, पते परिवर्तन के लिए 17, वारिस नाम जोड़ने के लिए तीन, निर्वाचन न कराने के लिए दो, प्लॉट की मांग और नाम संशोधन के लिए 12-12 आपत्तियां प्राप्त हुई।
2552 सदस्य शंकास्पद, 112 और जुड़वाना चाहते हैं नाम
संस्था के प्रभारी अधिकारी जगदीश जलौदिया द्वारा उपलब्ध कराए गए पंजीकृत बायलॉज के अनुसार संस्था को 1600 सदस्यों की पात्रता थी जबकि सूची प्रकाशित हुई 4152 सदस्यों की। 2552 सदस्यों की नियुक्ति उपविधियों के विपरीत हुई। अभी भी 112 लोगों ने संस्था में अपना नाम जुड़वाने की अपील-आपत्ति प्रस्तुत की। जबकि सिर्फ पुराने व वैधानिक सदस्यों के नाम ही सूची में होना चाहिए।
आठ साल का आॅडिट किये बिना बना दी सूची
सदस्यों और सहकारिता विभाग से यह भी पता चला कि 2007-08 के बाद से आॅडिट नहीं हुआ है। आठ साल हो चुके हैं। हालांकि सहकारिता विभाग के अधिकारी कहते हैं कि 2012-13 में आॅडिट हुआ था मौजूदा सूची उसी आॅडिट के आधार पर तैयार की गई। प्रभारी अधिकारी के पास न सदस्यता पंजी है। न ही केशबुक या अन्य रिकार्ड। इनके बिना जांच भी कैसे हो?
उपविधि विरुद्ध बने सदस्यों की जांच जरूरी
प्राप्त शिकायत के आधार पर 2000 सदस्यों के नाम तत्कालीन पदाधिकारियों द्वारा मतदाता सूची के आधार पर ही जोड़ दिया गया था। इसकी जांच के लिए जांच दल गठित हो। विस्तृत जांच जरूरी है जो प्रकाशित समयसीमा के आधार पर एक दिन में करना नामुमकिन है। अन्य आपत्तिकर्ताओं द्वारा आॅडिट पूरा कराने और उपविधि के विपरीत बनाए गए सदस्यों की सदस्यता समाप्त करने की मांग की गई।

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