- बैंकों की मेहरबानी
इंदौर. विनोद शर्मा ।
नगर निगम और टाउन एंड कंट्री प्लानिंग डिपार्टमेंट की आंख में धूल झौंककर बनाया गए अवैध एप्पल हॉस्पिटल पर बैंकों ने भी दिल खोलकर मेहरबानी बरसाई। इसका उदाहरण है हॉस्पिटल के नाम पर फ्रेंड्स यूनिटी हॉस्पिटल एंड रिसर्च सेंटर प्रा.लि. को अलग-अलग बैंकों से मिला करीब 60 करोड़ का कर्ज है। वह भी तब जब अलग-अलग एजेंसियों की रेटिंग रिपोर्ट अस्पताल की प्रोजेक्ट कॉस्ट ही 33.14 करोड़ रुपए आंक रही थी।
कस्बा इंदौर के सर्वे नं. 1618/3/1, 1618/3/2, 1619/1 और 1619/2 की 18 हजार वर्गफीट जमीन पर बना है एप्पल हॉस्पिटल। मिन्सिट्री आॅफ कॉर्पोरेट अफेयर्स के अनुसार अस्पताल पर करीब 60 करोड़ का कर्ज है। इसमें करीब 52 करोड़ रुपए सिर्फ सेंट्रल बैंक आॅफ इंडिया से प्राप्त हुए। करीब साढ़े सात करोड़ रुपए यस बैंक की मुंबई ब्रांच से कर्ज लिया। जबकि अलग-अलग रिपोर्ट्स के अनुसार अस्पताल की अनुमानित प्रोजेक्ट लागत ही 33 करोड़ रुपए थी। मतलब अस्पताल शुरू हुए दो साल भी नहीं हुए कि प्रोजेक्ट लागत से दो गुना कर्ज लिया जा चुका है।
अलग-अलग रिपोर्ट में भी खुलासा
ब्रिकवर्क रेटिंग द्वारा 5 मई 2014 को जारी हुई रिपोर्ट के अनुसार 180 बेड के इस मल्टी स्पेशियलिटी हॉस्पिटल की अनुमानित लागत 33.14 करोड़ है। इसे आधार मानते हुए सेंट्रल बैंक आॅफ इंडिया ने 24.13 करोड़ का लोन मंजूर किया था। पहली किश्त में 11.64 करोड़ रुपए जारी हुए। दूसरी में 12.49 करोड़ रुपए। कुछ ऐसी ही कहानी एसएमई रेटिंग एजेंसी आॅफ इंडिया लिमिटेड (स्मेरा) की दिसंबर 2016 को जारी रिपोर्ट बयां करती है। स्मेरा रिपोर्ट के अनुसार 2015-16 में 2.90 करोड़ के घांटे के साथ कुल इनकम हुई 13.64 करोड़। 31 मार्च 2016 तक अस्पताल की नेटवर्थ 15.16 करोड़ थी इससे पहले वाले साल में यह आंकड़ा 8.82 करोड़ था।
दो रिपोर्ट और 20 बेड का अंतर
2014 की अपनी रिपोर्ट में ब्रिकवर्क रेटिंग ने बताया था कि अस्पताल 180 बेड का है जबकि दिसंबर 2016 में जारी स्मेरा की रिपोर्ट में 200 बेड का जिक्र है। दो साल में 20 बेड बढ़ गए।
कब किससे कितना लिया कर्ज
बैंक कब लिया कितना
सेंट्रल बैंक आॅफ इंडिया 20/10/2012 24.88 करोड़
सेंट्रल बैंक आॅफ इंडिया 29/02/2016 27.67 करोड़
यस बैंक लिमिटेड 13/03/2015 7.38 करोड़
बैंकों ने आंख बंद करके किया भरौसा
फ्रेंड्स यूनिटी हॉस्पिटल एंड रिसर्च सेंटर प्रा.लि. को बेपनाह पैसा देने वाली बैंकों ने यह भी नहीं देखा कि अस्पताल की जिस बिल्डिंग पर इतना पैसा दिया जा रहा है असल में वह टीएनसीपी-नगर निगम के दस्तावेजों में अस्पताल है भी या नहीं। जिस जमीन पर अस्पताल बना है टाउन एंड कंट्री प्लानिंग डिपार्टमेंट ने 26 फरवरी 2011 को उसका कमर्शियल कॉम्पलेक्स के रूप में ले-आउट मंजूर किया था। माने वहां अस्पताल मंजूर ही नहीं हुआ। इतना ही अस्पताल को 30 हजार वर्गफीट निर्माण की अनुमति मिली और बनाया गया सीधे 60 हजार वर्गफीट। कभी भी नगर निगम की गाज गिरना तय है।
यह हैं फ्रेंड्स यूनिट के संचालक
मौजूदा डायरेक्टर : उमेश मित्तल, डॉ.मनोज शर्मा, दलजीतसिंह, राजेंद्रनगर अग्रवाल, हिंमांशु अग्रवाल, हरिसिंह पटेल और उर्वशी अग्रवाल
पूर्व डायरेक्टर : शैलेंद्रसिंह, ओमप्रकाश अग्रवाल, चारू राजन, गिरीश कवठेकर, अशोक सोनी, अमित सोनी और दीपक कुकरेजा
इंदौर. विनोद शर्मा ।
नगर निगम और टाउन एंड कंट्री प्लानिंग डिपार्टमेंट की आंख में धूल झौंककर बनाया गए अवैध एप्पल हॉस्पिटल पर बैंकों ने भी दिल खोलकर मेहरबानी बरसाई। इसका उदाहरण है हॉस्पिटल के नाम पर फ्रेंड्स यूनिटी हॉस्पिटल एंड रिसर्च सेंटर प्रा.लि. को अलग-अलग बैंकों से मिला करीब 60 करोड़ का कर्ज है। वह भी तब जब अलग-अलग एजेंसियों की रेटिंग रिपोर्ट अस्पताल की प्रोजेक्ट कॉस्ट ही 33.14 करोड़ रुपए आंक रही थी।
कस्बा इंदौर के सर्वे नं. 1618/3/1, 1618/3/2, 1619/1 और 1619/2 की 18 हजार वर्गफीट जमीन पर बना है एप्पल हॉस्पिटल। मिन्सिट्री आॅफ कॉर्पोरेट अफेयर्स के अनुसार अस्पताल पर करीब 60 करोड़ का कर्ज है। इसमें करीब 52 करोड़ रुपए सिर्फ सेंट्रल बैंक आॅफ इंडिया से प्राप्त हुए। करीब साढ़े सात करोड़ रुपए यस बैंक की मुंबई ब्रांच से कर्ज लिया। जबकि अलग-अलग रिपोर्ट्स के अनुसार अस्पताल की अनुमानित प्रोजेक्ट लागत ही 33 करोड़ रुपए थी। मतलब अस्पताल शुरू हुए दो साल भी नहीं हुए कि प्रोजेक्ट लागत से दो गुना कर्ज लिया जा चुका है।
अलग-अलग रिपोर्ट में भी खुलासा
ब्रिकवर्क रेटिंग द्वारा 5 मई 2014 को जारी हुई रिपोर्ट के अनुसार 180 बेड के इस मल्टी स्पेशियलिटी हॉस्पिटल की अनुमानित लागत 33.14 करोड़ है। इसे आधार मानते हुए सेंट्रल बैंक आॅफ इंडिया ने 24.13 करोड़ का लोन मंजूर किया था। पहली किश्त में 11.64 करोड़ रुपए जारी हुए। दूसरी में 12.49 करोड़ रुपए। कुछ ऐसी ही कहानी एसएमई रेटिंग एजेंसी आॅफ इंडिया लिमिटेड (स्मेरा) की दिसंबर 2016 को जारी रिपोर्ट बयां करती है। स्मेरा रिपोर्ट के अनुसार 2015-16 में 2.90 करोड़ के घांटे के साथ कुल इनकम हुई 13.64 करोड़। 31 मार्च 2016 तक अस्पताल की नेटवर्थ 15.16 करोड़ थी इससे पहले वाले साल में यह आंकड़ा 8.82 करोड़ था।
दो रिपोर्ट और 20 बेड का अंतर
2014 की अपनी रिपोर्ट में ब्रिकवर्क रेटिंग ने बताया था कि अस्पताल 180 बेड का है जबकि दिसंबर 2016 में जारी स्मेरा की रिपोर्ट में 200 बेड का जिक्र है। दो साल में 20 बेड बढ़ गए।
कब किससे कितना लिया कर्ज
बैंक कब लिया कितना
सेंट्रल बैंक आॅफ इंडिया 20/10/2012 24.88 करोड़
सेंट्रल बैंक आॅफ इंडिया 29/02/2016 27.67 करोड़
यस बैंक लिमिटेड 13/03/2015 7.38 करोड़
बैंकों ने आंख बंद करके किया भरौसा
फ्रेंड्स यूनिटी हॉस्पिटल एंड रिसर्च सेंटर प्रा.लि. को बेपनाह पैसा देने वाली बैंकों ने यह भी नहीं देखा कि अस्पताल की जिस बिल्डिंग पर इतना पैसा दिया जा रहा है असल में वह टीएनसीपी-नगर निगम के दस्तावेजों में अस्पताल है भी या नहीं। जिस जमीन पर अस्पताल बना है टाउन एंड कंट्री प्लानिंग डिपार्टमेंट ने 26 फरवरी 2011 को उसका कमर्शियल कॉम्पलेक्स के रूप में ले-आउट मंजूर किया था। माने वहां अस्पताल मंजूर ही नहीं हुआ। इतना ही अस्पताल को 30 हजार वर्गफीट निर्माण की अनुमति मिली और बनाया गया सीधे 60 हजार वर्गफीट। कभी भी नगर निगम की गाज गिरना तय है।
यह हैं फ्रेंड्स यूनिट के संचालक
मौजूदा डायरेक्टर : उमेश मित्तल, डॉ.मनोज शर्मा, दलजीतसिंह, राजेंद्रनगर अग्रवाल, हिंमांशु अग्रवाल, हरिसिंह पटेल और उर्वशी अग्रवाल
पूर्व डायरेक्टर : शैलेंद्रसिंह, ओमप्रकाश अग्रवाल, चारू राजन, गिरीश कवठेकर, अशोक सोनी, अमित सोनी और दीपक कुकरेजा
No comments:
Post a Comment