शुक्रवार को छापे में हुआ खुलासा
इंदौर. विनोद शर्मा ।
टाटा की गाड़ियों में फेब्रिकेशन करने वाली पीथमपुर की आरपीजय फेब्रिकेशन और सांघी मोटर्स दोनों के खिलाफ कस्टम, सेंट्रल एक्साइज एंड सर्विस टैक्स डिपार्टमेंट ने शुक्रवार को छापेमार कार्रवाई की। देर रात तक चली कार्रवाई के दौरान बड़ी तादाद में सेंट्रल एक्साइज ड्यूटी चोरी के अहम दस्तावेजी प्रमाण डिपार्टमेंट के हाथ लगे हैं। प्रारंभिक रूप से अनुमान लगाया जा रहा है कि एक्साइज ड्यूटी चोरी का आंकड़ा एक करोड़ से ज्यादा आएगा। हालांकि अंतिम आंकड़ा दस्तावेजों की जांच के बाद ही पता चलेगा।
प्रिवेंटिव टीम ने शुक्रवार को 506, 507, 508-ए व 509 सेक्टर-3 इंडस्ट्रियल एरिया पीथमपुर स्थित आरपीजय फेब्रिकेशन प्रा.लि. और टाटा मोटर्स की गाड़ियों के डीलर सांघी ब्रदर्स (इंदौर) प्रा.लि. पर एक साथ कार्रवाई की। कार्रवाई के दौरान हाथ लगे दस्तावेजों के अनुसार दोनों कंपनियां शरद सांघी की हैं। सांघी के साथ ज्योत्सना सांघी भी कंपनी की डायरेक्टर हैं। दोनों का पता भी 6 मनोरमागंज, एबी रोड ही है। कंपनी बस और ट्रक में फेब्रिकेशन का काम करती है। बताया जा रहा हे कि फेब्रिकेशन का जो काम किया जाता है या मेन्युफेक्चरिंग की जाती है उसकी एक्साइज ड्यूटी अर्से से नहीं चुकाई जा रही है।
हाईकोर्ट में भी केस फाइल कर चुका है डिपार्टमेंट
सेंट्रल बोर्ड आॅफ एक्साइज एंड कस्टम(सीबीईसी) ने विगत वर्षों में विभिन्न उच्च न्यायालयों में 6631 केस फाइल किए थे। इनमें सीविल अपील, सेंट्रल एक्साइज अपील, रीट अपील, अपील शामिल थी। इनमें 263 मामले चीफ कमिश्नरेट भोपाल से जुड़े थे जिनमें मप्र और छत्तीसगढ़ की कंपनियों के नाम हैं। इनमें से 81 मामले इंदौर कमिश्नरेट के हैं। सूची में 793वें क्रम पर आरपीजय फेब्रिकेशन प्रा.लि.व आयशर मोटर्स लि. का नाम भी शामिल है। इनके खिलाफ 30 जुलाई 2010 को सेंट्रल एक्साइज अपील (सीईए14/2010) फाइल की गई थी।
सर्विस टैक्स नहीं चुका रही है कंपनी
बताया जा रहा है कि जांच अधिकारियों के हाथ जो दस्तावेज लगे हैं उनमें स्पष्ट है कि कंपनी व्हीकल्स के लिए फेब्रिकेशन आइटम बनाती है। कंपनी का सालाना टर्नओवर करोड़ों में है। कंपनी स्मॉल स्कील इंडस्ट्री (एसएसआई) बताकर एक्चुअल टर्नओवर छिपाती रही ताकि ड्यूटी बचाई जा सके। एकेवीएन से प्लॉट भी इसी आधार पर मिला है। एसएसआई की आड़ में अर्से से एक्साइज ड्यूटी चोरी की जा रही है।
1989 से 2006 के बीच हुए लैंड अलॉटमेंट
पीथमपुर औद्योगिक क्षेत्र सेक्टर-3 बगदून के कुल 24480 वर्गमीटर क्षेत्र के जिन चार प्लॉटों पर कंपनी संचालित है उनका आवंटन मप्र औद्योगिक केंद्र विकास निगम के माध्यम से 27 जून 1989 से 29 अगस्त 2006 के बीच हुआ है। प्लॉटनं. 507 अक्टूबर 1989 में अलॉट हुआ था। इसके बाद प्लॉट नं. 508-ए व 509 जून 1998 में। आखिरी प्लॉट नं. 506 अक्टूबर 2006 में मिला।
इंदौर. विनोद शर्मा ।
टाटा की गाड़ियों में फेब्रिकेशन करने वाली पीथमपुर की आरपीजय फेब्रिकेशन और सांघी मोटर्स दोनों के खिलाफ कस्टम, सेंट्रल एक्साइज एंड सर्विस टैक्स डिपार्टमेंट ने शुक्रवार को छापेमार कार्रवाई की। देर रात तक चली कार्रवाई के दौरान बड़ी तादाद में सेंट्रल एक्साइज ड्यूटी चोरी के अहम दस्तावेजी प्रमाण डिपार्टमेंट के हाथ लगे हैं। प्रारंभिक रूप से अनुमान लगाया जा रहा है कि एक्साइज ड्यूटी चोरी का आंकड़ा एक करोड़ से ज्यादा आएगा। हालांकि अंतिम आंकड़ा दस्तावेजों की जांच के बाद ही पता चलेगा।
प्रिवेंटिव टीम ने शुक्रवार को 506, 507, 508-ए व 509 सेक्टर-3 इंडस्ट्रियल एरिया पीथमपुर स्थित आरपीजय फेब्रिकेशन प्रा.लि. और टाटा मोटर्स की गाड़ियों के डीलर सांघी ब्रदर्स (इंदौर) प्रा.लि. पर एक साथ कार्रवाई की। कार्रवाई के दौरान हाथ लगे दस्तावेजों के अनुसार दोनों कंपनियां शरद सांघी की हैं। सांघी के साथ ज्योत्सना सांघी भी कंपनी की डायरेक्टर हैं। दोनों का पता भी 6 मनोरमागंज, एबी रोड ही है। कंपनी बस और ट्रक में फेब्रिकेशन का काम करती है। बताया जा रहा हे कि फेब्रिकेशन का जो काम किया जाता है या मेन्युफेक्चरिंग की जाती है उसकी एक्साइज ड्यूटी अर्से से नहीं चुकाई जा रही है।
हाईकोर्ट में भी केस फाइल कर चुका है डिपार्टमेंट
सेंट्रल बोर्ड आॅफ एक्साइज एंड कस्टम(सीबीईसी) ने विगत वर्षों में विभिन्न उच्च न्यायालयों में 6631 केस फाइल किए थे। इनमें सीविल अपील, सेंट्रल एक्साइज अपील, रीट अपील, अपील शामिल थी। इनमें 263 मामले चीफ कमिश्नरेट भोपाल से जुड़े थे जिनमें मप्र और छत्तीसगढ़ की कंपनियों के नाम हैं। इनमें से 81 मामले इंदौर कमिश्नरेट के हैं। सूची में 793वें क्रम पर आरपीजय फेब्रिकेशन प्रा.लि.व आयशर मोटर्स लि. का नाम भी शामिल है। इनके खिलाफ 30 जुलाई 2010 को सेंट्रल एक्साइज अपील (सीईए14/2010) फाइल की गई थी।
सर्विस टैक्स नहीं चुका रही है कंपनी
बताया जा रहा है कि जांच अधिकारियों के हाथ जो दस्तावेज लगे हैं उनमें स्पष्ट है कि कंपनी व्हीकल्स के लिए फेब्रिकेशन आइटम बनाती है। कंपनी का सालाना टर्नओवर करोड़ों में है। कंपनी स्मॉल स्कील इंडस्ट्री (एसएसआई) बताकर एक्चुअल टर्नओवर छिपाती रही ताकि ड्यूटी बचाई जा सके। एकेवीएन से प्लॉट भी इसी आधार पर मिला है। एसएसआई की आड़ में अर्से से एक्साइज ड्यूटी चोरी की जा रही है।
1989 से 2006 के बीच हुए लैंड अलॉटमेंट
पीथमपुर औद्योगिक क्षेत्र सेक्टर-3 बगदून के कुल 24480 वर्गमीटर क्षेत्र के जिन चार प्लॉटों पर कंपनी संचालित है उनका आवंटन मप्र औद्योगिक केंद्र विकास निगम के माध्यम से 27 जून 1989 से 29 अगस्त 2006 के बीच हुआ है। प्लॉटनं. 507 अक्टूबर 1989 में अलॉट हुआ था। इसके बाद प्लॉट नं. 508-ए व 509 जून 1998 में। आखिरी प्लॉट नं. 506 अक्टूबर 2006 में मिला।
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