इंदौर से छीनेगा पीथमपुर, मिलेगा देवास
- प्रभावित होगा सालाना 550 करोड़ का राजस्व
- प्रिंसिपल कमिश्नर की पोस्ट खत्म, विदा होंगे मीणा
इंदौर. विनोद शर्मा ।
कस्टम सेंट्रल एक्साइज एंड सर्विस टैक्स डिपार्टमेंट और पीथमपुर के उद्योगों के लिए बूरी खबर यह है कि पीथमपुर के जिन उद्योगों की टैक्स संबंधि जिन शिकायतों का निराकरण इंदौर में हो जाता था अब उन्हीं के लिए उद्योगपतियों को उज्जैन जाना पड़ेगा। इसका असर इंदौर कमिश्नरेट के खजाने पर भी पड़ेगा। उद्योगपतियों के साथ ही 550 करोड़ रुपए का राजस्व भी उज्जैन के खाते में चला जाएगा।
Ñ गुड्स एंड सर्विस टैक्स डिपार्टमेंट के लिए कस्टम सेंट्रल एक्साइज एंड सर्विस टैक्स डिपार्टमेंट की रिस्ट्रक्चरिंग की जाना है। इसका मोटा-मोटा खांका तैयार हो चुका है जल्द ही भारत सरकार इसका गजट नोटिफिकेशन भी जारी कर देगी। रि-स्ट्रक्चरिंग के तहत इंदौर में प्रिंसिपल कमिश्नर की पोस्ट भी समाप्त हो जाएगी। इसका सीधा असर मौजूदा प्रिंसिपल कमिश्नर एस.एल.मीणा की कुर्सी पर पड़ेगा। उन्हें न चाहते भी इंदौर छोड़ना होगा।
इंदौर को नुकसान
अभी क्या स्थिति : इंदौर में प्रिंसिपल कमिश्नर की पोस्ट है। पांच डिविजन में बंटा है इंदौर प्रिंसिपल कमिश्नरेट। इंदौर-1, इंदौर-2, पीथमुपर-1, पीथमपुर-2 और सर्विस टैक्स। इसके लिए एक एअरकार्गो (देवी अहिल्या बाई एअरपोर्ट इंदौर) और तीन इनलैंड कंटेनर डिपोट हैं- पीथमपुर, खेड़ा और धन्नड़।
जीएसटी के बाद : इंदौर से प्रिंसिपल कमिश्नर की पोस्ट खत्म। पीथमपुर-1 और पीथमपुर-2 इंदौर कमिश्नरेट की बजाय उज्जैन कमिश्नरेट का हिस्सा होंगे। इसी तरह तीन इनलैंड कंटेनर डिपोर्ट में से खेड़ा और पीथमपुर भी उज्जैन में जाएंगे।
इंदौर को फायदा
- अभी देवास औद्योगिक क्षेत्र उज्जैन कमिश्नरेट के अंतरगत आता है जो कि जीएसटी के बाद उज्जैन से हटकर इंदौर कमिश्नरेट के खाते में जुड़ जाएगा।
- जीएसटी के बाद पीथमपुर की मेन्यूफेक्चरिंग यूनिट यदि इंदौर के खाते से जा रही है तो वे तमाम ट्रेडर इंदौर कमिश्नरेट का हिस्सा होंगे जिनका सालाना कारोबार डेढ़ करोड़ से ऊपर है। बीती मीटिंग में तय हुआ था कि ऐसे व्यापारियों से मिलने वाला टैक्स आधा केंद्र के खाते में जाएगा। आधा राज्य के।
अन्य बदलाव यह भी...
अभी ग्वालियर और देवास डिविजन उज्जैन कमिश्नरेट का हिस्सा हैं। नए समीकरण के बाद देवास डिविजन इंदौर कमिश्नरेट में समाहित हो जाएगा। वहीं ग्वालियर डिविजन को भोपाल कमिश्नरेट से जोड़ा जाएगा। खंडवा-खरगोन और बुरहानपुर नए डिविजन बनेंगे। हालांकि वह होंगे इंदौर कमिश्नरेट का ही हिस्सा।
550 करोड़ का गणित गड़बड़ाएगा
पीथमपुर मप्र का सबसे बड़ा औद्योगिक क्षेत्र है। यहां आइशर, फोर्स, व्हीई व्हीकल्स, एवटेक जैसी आॅटोमोबाइल मेन्यूफेक्चरिंग यूनिट्स हैं। इसके अलावा बड़ी तादाद में अन्य इंडस्ट्रीज हैं जो इम्पोर्ट-एक्सपोर्ट का बिजनेस करती हैं। इसीलिए पीथमपुर पर इंदौर कमिश्नरेट के सेंट्रल एक्साइज और कस्टम विभाग का दारोमदार टिका हुआ है। आंकड़ों के लिहाज से बात करें तो वित्त वर्ष 2016-17 में सेंट्रल एक्साइज का टार्गेट 550 करोड़ था इसमें करीब 250 करोड़ रुपए पीथपमुर से ही मिले हैं। इसी तरह कस्टम के लिए 440 करोड़ का टार्गेट था। इसमें तकरीबन 300 करोड़ रुपए की कस्टम ड्यूअी इनलैंड कंटेनर डिपोट पीथमपुर और खेड़ा से मिलता है। ऐसे कुल 2017-18 में करीब 550 करोड़ रुपए का रेवेन्यू दोनों मदों में पीथमपुर से मिला है
- प्रभावित होगा सालाना 550 करोड़ का राजस्व
- प्रिंसिपल कमिश्नर की पोस्ट खत्म, विदा होंगे मीणा
इंदौर. विनोद शर्मा ।
कस्टम सेंट्रल एक्साइज एंड सर्विस टैक्स डिपार्टमेंट और पीथमपुर के उद्योगों के लिए बूरी खबर यह है कि पीथमपुर के जिन उद्योगों की टैक्स संबंधि जिन शिकायतों का निराकरण इंदौर में हो जाता था अब उन्हीं के लिए उद्योगपतियों को उज्जैन जाना पड़ेगा। इसका असर इंदौर कमिश्नरेट के खजाने पर भी पड़ेगा। उद्योगपतियों के साथ ही 550 करोड़ रुपए का राजस्व भी उज्जैन के खाते में चला जाएगा।
Ñ गुड्स एंड सर्विस टैक्स डिपार्टमेंट के लिए कस्टम सेंट्रल एक्साइज एंड सर्विस टैक्स डिपार्टमेंट की रिस्ट्रक्चरिंग की जाना है। इसका मोटा-मोटा खांका तैयार हो चुका है जल्द ही भारत सरकार इसका गजट नोटिफिकेशन भी जारी कर देगी। रि-स्ट्रक्चरिंग के तहत इंदौर में प्रिंसिपल कमिश्नर की पोस्ट भी समाप्त हो जाएगी। इसका सीधा असर मौजूदा प्रिंसिपल कमिश्नर एस.एल.मीणा की कुर्सी पर पड़ेगा। उन्हें न चाहते भी इंदौर छोड़ना होगा।
इंदौर को नुकसान
अभी क्या स्थिति : इंदौर में प्रिंसिपल कमिश्नर की पोस्ट है। पांच डिविजन में बंटा है इंदौर प्रिंसिपल कमिश्नरेट। इंदौर-1, इंदौर-2, पीथमुपर-1, पीथमपुर-2 और सर्विस टैक्स। इसके लिए एक एअरकार्गो (देवी अहिल्या बाई एअरपोर्ट इंदौर) और तीन इनलैंड कंटेनर डिपोट हैं- पीथमपुर, खेड़ा और धन्नड़।
जीएसटी के बाद : इंदौर से प्रिंसिपल कमिश्नर की पोस्ट खत्म। पीथमपुर-1 और पीथमपुर-2 इंदौर कमिश्नरेट की बजाय उज्जैन कमिश्नरेट का हिस्सा होंगे। इसी तरह तीन इनलैंड कंटेनर डिपोर्ट में से खेड़ा और पीथमपुर भी उज्जैन में जाएंगे।
इंदौर को फायदा
- अभी देवास औद्योगिक क्षेत्र उज्जैन कमिश्नरेट के अंतरगत आता है जो कि जीएसटी के बाद उज्जैन से हटकर इंदौर कमिश्नरेट के खाते में जुड़ जाएगा।
- जीएसटी के बाद पीथमपुर की मेन्यूफेक्चरिंग यूनिट यदि इंदौर के खाते से जा रही है तो वे तमाम ट्रेडर इंदौर कमिश्नरेट का हिस्सा होंगे जिनका सालाना कारोबार डेढ़ करोड़ से ऊपर है। बीती मीटिंग में तय हुआ था कि ऐसे व्यापारियों से मिलने वाला टैक्स आधा केंद्र के खाते में जाएगा। आधा राज्य के।
अन्य बदलाव यह भी...
अभी ग्वालियर और देवास डिविजन उज्जैन कमिश्नरेट का हिस्सा हैं। नए समीकरण के बाद देवास डिविजन इंदौर कमिश्नरेट में समाहित हो जाएगा। वहीं ग्वालियर डिविजन को भोपाल कमिश्नरेट से जोड़ा जाएगा। खंडवा-खरगोन और बुरहानपुर नए डिविजन बनेंगे। हालांकि वह होंगे इंदौर कमिश्नरेट का ही हिस्सा।
550 करोड़ का गणित गड़बड़ाएगा
पीथमपुर मप्र का सबसे बड़ा औद्योगिक क्षेत्र है। यहां आइशर, फोर्स, व्हीई व्हीकल्स, एवटेक जैसी आॅटोमोबाइल मेन्यूफेक्चरिंग यूनिट्स हैं। इसके अलावा बड़ी तादाद में अन्य इंडस्ट्रीज हैं जो इम्पोर्ट-एक्सपोर्ट का बिजनेस करती हैं। इसीलिए पीथमपुर पर इंदौर कमिश्नरेट के सेंट्रल एक्साइज और कस्टम विभाग का दारोमदार टिका हुआ है। आंकड़ों के लिहाज से बात करें तो वित्त वर्ष 2016-17 में सेंट्रल एक्साइज का टार्गेट 550 करोड़ था इसमें करीब 250 करोड़ रुपए पीथपमुर से ही मिले हैं। इसी तरह कस्टम के लिए 440 करोड़ का टार्गेट था। इसमें तकरीबन 300 करोड़ रुपए की कस्टम ड्यूअी इनलैंड कंटेनर डिपोट पीथमपुर और खेड़ा से मिलता है। ऐसे कुल 2017-18 में करीब 550 करोड़ रुपए का रेवेन्यू दोनों मदों में पीथमपुर से मिला है
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