Saturday, June 3, 2017

संचालक और प्रबंधक ही जीम गए किसानों का ‘क्रेडिट’

कांकरिया पाल सेवा समिति में बंदरबांट
सहकारिता विभाग और आईपीसी प्रबंधन पर भारी सहायक समिति की दादागिरी
इंदौर. विनोद शर्मा।
एक तरफ मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान कृषि और किसान प्रेम के कसीदें पढ़ रहे हैं वहीं किसानों के लिए बनाई गई सेवा सहकारी समितियां भ्रष्टाचार का अड्डा बन चुकी है। इसका ताजा उदाहरण है कांकरिया पाल में संचालित कांकरिया पाल सेवा सहकारी समिति मर्यादित है जो कि इंदौर प्रीमियर को-आॅपरेटिव बैंक की सहयोगी संस्था है। शिकायत के बाद हुई जांच में आरोपों की पुष्टि होने के बाद भी समिति के अध्यक्ष बहादुरसिंह यादव और समिति प्रबंधक शिवनारायण सिंह उर्फ विक्रम यादव को सहकारिता विभाग पद से अलग नहीं कर पाया। इसमें सहकारिता विभाग के अधिकारियों के साथ आईपीसी बैंक के पदाधिकारियों की भूमिका भी संदिग्ध है।
2015 से लगातार होती आ रही शिकायत के अनुसार संस्थाध्यक्ष और सह प्रबंधक ने पद का दुरुपयोग करके समिति के खजाने में सेंधमारी की है। आंकड़ों के लिहाज से बात की जाए तो अध्यक्ष ने 3.300 हेक्टेयर जमीन पर कर्ज की तय लिमिट 1.25 लाख के मुकाबले 3.47 लाख रुपए का कर्ज लिया। ओवरड्यू होने पर भी ब्याज नहीं दिया। ऐसे ही अध्यक्ष ने अपनी मां की जमीन पर भी लिमिट से ज्यादा लोन लिया जबकि मां समिति की सदस्य ही नहीं थी। पत्नी लीलाबाई के पास नाममात्र की जमीन है जिन्हें पात्रता के विपरीत एक लाख का बिना ब्याज लोन दे दिया। इन्हीं जमीनों पर लिए कर्ज का नोड्यूज न होने के बाद भी एसबीआई से लोन लिया। इतना ही नहीं पद का दुरुपयोग करते हुई कई खातेदारों को रेवड़ी की तरह लोन बांटा और समिति को आर्थिक क्षति पहुंचाई। शिकायत के आधार पर सहकारिता विभाग ने प्रभारी सहायक मुख्य पर्यवेक्षक प्रशासकीय कार्यालय जे.एल.मरमट से जांच कराई गई। मरमट ने जांच रिपोर्ट में आरोपों की पुष्टि की। रिपोर्ट के आधार पर सहकारिता उपायुक्त ने अध्यक्ष और सह प्रबंधक को दोषी मानते हुए उन्हें पद से प्रथक करने के आदेश जारी कर दिए।
छह महीने से वहीं जमे हुए हैं यादव
सहकारिता उपायुक्त ने 26 दिसंबर 2016 को पत्र (5093) लिखकर गंभीर आर्थिक अनियमितताओं के आधार पर सहायक प्रबंधक विक्रम यादव को सेवा से अलग करने के आदेश जारी कर दिए। आदेश के अनुसार अनियमितताओं के लिए सहायक प्रबंधक जिम्मेदार है।
इसी मामले में 10 अपै्रल 2017 को उपायुक्त ने अध्यक्ष बहादुरसिंह यादव व अन्य संचालकों (भगवानसिंह पिता प्रहलादसिंह, सुमित्राबाई पति रामधर, गणेश पिता भगवान, वासूदेव पिता हेमसिंह, जगदीश पिता पीराजी, गजानंद पिता राजाराम, कौशल्या पति अंतरसिंह, मीराबाई पत्नी भेरूसिंह, प्रेमबाई पति कल्याणसिंह,  और शामूबाई पति जसवंत) को कारण बताओ नोटिस (1418) जारी किया।  नोटिस में 10 दिन का वक्त दिया गया था लेकिन अधिकारियों द्वारा बताए गए रस्ते पर चलते हुए बहादुर नोटिस के विरुद्ध कोर्ट चला गया।
मामला मुख्यमंत्री तक भी पहुंचा
मामले की शिकायत नरेंद्र शर्मा ने मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान को भी की। इस शिकायत में दोनों यादवों द्वारा अपने पद के दुरुपयोग कर बैंक के खजाने में की गई सेंधमारी की विस्तृत जानकारी है। शिकायत के अनुसार आईपीसी बैंक के पदाधिकारियों और सहकारिता विभाग के अधिकारियों द्वारा अध्यक्ष व प्रबंधक को बचाया जा रहा है।
किसान के्रडिट कार्ड से किए खेल
वासूदेव हेमसिंह जो कि संचालक मंडल में है ने लोन लिया लेकिन ब्याज नहीं भरा। इन्हें लिमिट से अधिक कर्ज दिया। संचालक शामूबाई जसवंत, कौशल्याबाई और प्रेमबाई को भी लिमिट से अधिक लोन दिया।
रतनसिंह लक्ष्मणसिंह 15 जून 2014 को 3.72 लाख का लोन दिया जबकि इनका खाता 31 मार्च 2014 को ओवरड्यू हो गया था। तीन लाख से अधिक राशि पर 40 हजार ब्याज नहीं वसूला।
पुनीबाई बापूसिंह सांवेर मार्केटिंग प्रतिनिधि हैं इन्हें 3.73 लाख का कर्ज दिया जबकि इनका खाता तीन साल से ओवरड्यूज है। लिमिट से अधिक लोन दिया।
बापूसिंह पिराजी को 5.29 लाख का लोन दिया जो लिमिट से ज्यादा है।





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