दो साल पहले बांक पंचायत और रफीका एज्यूकेशन सोसायटी को नोटिस देकर भूले अफसर
सोसायटी ने प्रशासन के साथ सीबीएसई की आंखों में भी झौंकी धूल
इंदौर. विनोद शर्मा ।
मप्र भूमि विकास निगम और मास्टर प्लान 2021 के विपरीत बांक में ग्रीन बेल्ट की जमीन पर बने रफीका एज्यूकेशनल वेलफेयर सोसायटी के सार्इं श्री इंटरनेशनल स्कूल को नोटिस देकर प्रशासन कार्रवाई करना भूल गया। 2015 से 2017 के बीच मिलीजूली कागजी कार्रवाइयों ने संचालक जलील अहमद और मुमताज कुरैशी को स्कूल के दो शिक्षा सत्र पूरे करने का मौका दिया है। इधर, जांच में आरोपों की पुष्टि के बाद नोटिस थमाने वाले अफसर स्कूल से किनारा कर चुके हैं।
धार रोड स्थित गांव बांक के सर्वे नंबर 20/1/मिन-1 की 1.122 हेक्टेयर जमीन मुमताज पति जलील एहमद कुरैशी निवासी 37 बी चंदननगर के नाम दर्ज है। जहां दो मंजिला सार्इं श्री इंटरनेशनल स्कूल खड़ा है जबकि मास्टर प्लान 2021 में जमीन ग्रीन बेल्ट के रूप में आरक्षित है। 2014-15 में मामले की शिकायत पटवारी, आरआई से लेकर कलेक्टर तक को की गई थी। तत्कालीन एसडीएम संदीप सोनी ने जांच की। जांच में आरोपों की पुष्टि हुई। संचालकों को नोटिस थमाए गए। पंचायत को नोटिस दिया। इसके बाद ऐसी फिक्सिंग हुई कि फाइल आज तक नहीं खुली।
दो शिक्षा सत्र कर लिए पूरे
अपै्रल-मई 2015 में एसडीएम संदीप सोनी ने नोटिस दिया था। इसके बाद कार्रवाई नहीं हुई। 2015 से 2017 के बीच स्कूल के दो शिक्षा सत्र 2015-16 और 2016-2017 पूरे हो चुके हैं। वहीं 2017-18 के लिए भी एडमिशन जारी हैं। कार्रवाई को लेकर अब तक प्रशासन का मंसूबा स्पष्ट नहीं है। ऐसे में दिक्कत यह है कि एडमिशन होने के बाद यदि कार्रवाई होती भी है तो परेशानी संचालकों की कम, उन बच्चों की ज्यादा होगी जिन्हें स्कूल की अवैधानिकता छिपाकर एडमिशन दिया गया है।
2018 तक है एफिलिएशन
2014 में स्थापित यह स्कूल सीबीएसई से संबद्धता (क्र.1030808) प्राप्त है। 4 जनवरी 2014 को स्कूल की ओपनिंग हुई। संबद्धता 1 अपै्रल 2015 से 31 मार्च 2018 तक के लिए दी गई थी। मतलब, प्रशासन के बाद जिस स्कूल को बंद होना था वह एमपीबोर्ड से सीबीएसई हो गया।
राजस्व रिकार्ड के अनुसार कुल एरिया 120771 वर्गफीट (2.77 एकड़ है जबकि सीबीएसई के समक्ष प्रस्तुत दस्तावेजों के अनुसार केंपस कुल 86926 वर्गफीट (दो एकड़) है। इसमें 12 जनवरी 2011 को 40 हजार वर्गफीट जमीन का व्यावसायिक उपयोग के लिए डायवर्शन करना बताया गया।
सीबीएसई के अनुसार प्लेग्राउंड एरिया 85920 वर्गफीट में है जबकि कुल कंस्ट्रक्शन है 41886 वर्गफीट। सवाल यह है कि 86926 में से 85920 वर्गफीट यदि प्लेग्राउंड है तो फिर बाकी 1006 वर्गफीट जमीन पर 41886 वर्गफीट कंस्ट्रक्शन कैसे हो गया?
इसलिए अवैध है निर्माण
मप्र भूमि विकास अधिनियम-2012 ग्रीन बेल्ट के लिए आरक्षित की गई या छोड़ी गई जमीन पर किसी भी तरह के निर्माण की इजाजत नहीं देता। मास्टर प्लान में ग्रीन बेल्ट रिक्रेशन के रूप में परिभाषति है। इसमें प्री-प्राइमरी, नर्सरी स्कूल, प्राइमरी स्कूल, सेकंडरी स्कूल, सीनियर सेकंडरी स्कूल के निर्माण को अस्वीकार किया गया है। यानी इस जमीन का न नक्शा पास हो सकता है। न ही डायवर्शन हो सकता है। फिर भी निर्माण होता है तो वह अवैध है।
यहां तो कर दी थी कार्रवाई
मार्च 2015 में जिला प्रशासन और नगर निगम ने मिलकर ग्रीन बेल्ट में बने निर्माण तोड़े। ग्रीन बेल्ट के खिलाफ जारी अभियान के बीच ही मैंने मामले की शिकायत की थी। जांच में आरोपों की पुष्टि हुई, नोटिस हुए। जवाब तलब किए। फिर कार्रवाई क्यों नहीं की गई?
-बंटी तोलानी, शिकायतकता
सोसायटी ने प्रशासन के साथ सीबीएसई की आंखों में भी झौंकी धूल
इंदौर. विनोद शर्मा ।
मप्र भूमि विकास निगम और मास्टर प्लान 2021 के विपरीत बांक में ग्रीन बेल्ट की जमीन पर बने रफीका एज्यूकेशनल वेलफेयर सोसायटी के सार्इं श्री इंटरनेशनल स्कूल को नोटिस देकर प्रशासन कार्रवाई करना भूल गया। 2015 से 2017 के बीच मिलीजूली कागजी कार्रवाइयों ने संचालक जलील अहमद और मुमताज कुरैशी को स्कूल के दो शिक्षा सत्र पूरे करने का मौका दिया है। इधर, जांच में आरोपों की पुष्टि के बाद नोटिस थमाने वाले अफसर स्कूल से किनारा कर चुके हैं।
धार रोड स्थित गांव बांक के सर्वे नंबर 20/1/मिन-1 की 1.122 हेक्टेयर जमीन मुमताज पति जलील एहमद कुरैशी निवासी 37 बी चंदननगर के नाम दर्ज है। जहां दो मंजिला सार्इं श्री इंटरनेशनल स्कूल खड़ा है जबकि मास्टर प्लान 2021 में जमीन ग्रीन बेल्ट के रूप में आरक्षित है। 2014-15 में मामले की शिकायत पटवारी, आरआई से लेकर कलेक्टर तक को की गई थी। तत्कालीन एसडीएम संदीप सोनी ने जांच की। जांच में आरोपों की पुष्टि हुई। संचालकों को नोटिस थमाए गए। पंचायत को नोटिस दिया। इसके बाद ऐसी फिक्सिंग हुई कि फाइल आज तक नहीं खुली।
दो शिक्षा सत्र कर लिए पूरे
अपै्रल-मई 2015 में एसडीएम संदीप सोनी ने नोटिस दिया था। इसके बाद कार्रवाई नहीं हुई। 2015 से 2017 के बीच स्कूल के दो शिक्षा सत्र 2015-16 और 2016-2017 पूरे हो चुके हैं। वहीं 2017-18 के लिए भी एडमिशन जारी हैं। कार्रवाई को लेकर अब तक प्रशासन का मंसूबा स्पष्ट नहीं है। ऐसे में दिक्कत यह है कि एडमिशन होने के बाद यदि कार्रवाई होती भी है तो परेशानी संचालकों की कम, उन बच्चों की ज्यादा होगी जिन्हें स्कूल की अवैधानिकता छिपाकर एडमिशन दिया गया है।
2018 तक है एफिलिएशन
2014 में स्थापित यह स्कूल सीबीएसई से संबद्धता (क्र.1030808) प्राप्त है। 4 जनवरी 2014 को स्कूल की ओपनिंग हुई। संबद्धता 1 अपै्रल 2015 से 31 मार्च 2018 तक के लिए दी गई थी। मतलब, प्रशासन के बाद जिस स्कूल को बंद होना था वह एमपीबोर्ड से सीबीएसई हो गया।
राजस्व रिकार्ड के अनुसार कुल एरिया 120771 वर्गफीट (2.77 एकड़ है जबकि सीबीएसई के समक्ष प्रस्तुत दस्तावेजों के अनुसार केंपस कुल 86926 वर्गफीट (दो एकड़) है। इसमें 12 जनवरी 2011 को 40 हजार वर्गफीट जमीन का व्यावसायिक उपयोग के लिए डायवर्शन करना बताया गया।
सीबीएसई के अनुसार प्लेग्राउंड एरिया 85920 वर्गफीट में है जबकि कुल कंस्ट्रक्शन है 41886 वर्गफीट। सवाल यह है कि 86926 में से 85920 वर्गफीट यदि प्लेग्राउंड है तो फिर बाकी 1006 वर्गफीट जमीन पर 41886 वर्गफीट कंस्ट्रक्शन कैसे हो गया?
इसलिए अवैध है निर्माण
मप्र भूमि विकास अधिनियम-2012 ग्रीन बेल्ट के लिए आरक्षित की गई या छोड़ी गई जमीन पर किसी भी तरह के निर्माण की इजाजत नहीं देता। मास्टर प्लान में ग्रीन बेल्ट रिक्रेशन के रूप में परिभाषति है। इसमें प्री-प्राइमरी, नर्सरी स्कूल, प्राइमरी स्कूल, सेकंडरी स्कूल, सीनियर सेकंडरी स्कूल के निर्माण को अस्वीकार किया गया है। यानी इस जमीन का न नक्शा पास हो सकता है। न ही डायवर्शन हो सकता है। फिर भी निर्माण होता है तो वह अवैध है।
यहां तो कर दी थी कार्रवाई
मार्च 2015 में जिला प्रशासन और नगर निगम ने मिलकर ग्रीन बेल्ट में बने निर्माण तोड़े। ग्रीन बेल्ट के खिलाफ जारी अभियान के बीच ही मैंने मामले की शिकायत की थी। जांच में आरोपों की पुष्टि हुई, नोटिस हुए। जवाब तलब किए। फिर कार्रवाई क्यों नहीं की गई?
-बंटी तोलानी, शिकायतकता
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