इंदौर. विनोद शर्मा ।
इन्वेस्टर्स समिट, नर्मदा सेवा यात्रा और विभिन्न धार्मिक-राजनीतिक आयोजनों पर करोड़ों रुपया पानी की तरह बहाने वाले मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान के राज में बेटमा के लोगों को उत्तरकाशी बस हादसे का शिकार हुए यात्रियों का अंतिम संस्कार करने के लिए 30 से 36 घंटे का इंतजार करना पड़ रहा है। जिस परिवार को उसके परिजन के हादसाग्रस्त होने की सूचना मिल चुकी है वह पार्थिव शरीर के इंतजार में 36 घंटे कैसे काटेगा? केंद्रीय मंत्री अनिल माधव दवे का शव विशेष विमान से चार घंटे में आ सकता है तो बेटमा के यात्रियों का क्यों नहीं? इस सवाल के साथ ही यात्रियों के शव विमान से लाने की मांग भी रह-रहकर उठती रही।
उत्तरकाशी के घरासूं के समीप नालूपानी में 23 मई की शाम 6.30 बजे बस भगीरथी नदी में जा गिरी हैं। इसमें 30 लोग खाई में गिरे थे। इनमें से छह घायल निकाले जा चुके थे। 24 मई दोपहर तक 24 शव निकाले गए। इनमें एक चमौली उत्तराख्ांड निवासी बलवीरसिंह भगतसिंह गुरम भी शामिल है जो खाई में गिरी बस का कंडक्टर था। बाकी 23 शव को रात 10 बजे एसी बस के माध्यम से इंदौर रवाना कर दिया गया। इधर, बुधवार पुरा दिन इंदौर से लेकर बेटमा तक मातम छाया रहा। बेटमा में सड़कों पर सन्नाटा पसरा रहा। ऐसे में रेल और बस से शव इंदौर लाने को लेकर लोगों में खासी नाराजगी थी। उनका कहना था कि जब राजनेताओं और शहीदों के शव विशेष विमान में आ सकते हैं तो हादसाग्रस्त हुए यात्रियों के क्यों नहीं? इसी सवाल और मांग के साथ दोपहर 2 बजे ग्रामीणों ने बेटमा थाने पर हंगामा भी किया।
शुक्रवार की सुबह 10 बजे बाद ही पहुंचेंगे शव
उत्तरकाशी से इंदौर के बीच की दूरी 1294 किलोमीटर है। यदि दो ड्राइवरों के साथ बस को नॉनस्टाप भी चलाई जाती है तो भी इंदौर पहुंचने में 36 घंटे लगेंगे। मतलब बस यदि बुधवार रात 10 बजे रवाना हुई है तो इंदौर पहुंचेगी शुक्रवार सुबह 10 बजे। उत्तरकाशी से देहरादून 184 किलोमीटर, देहरादून से दिल्ली 300 किलोमीटर और दिल्ली से इंदौर 750 किलोमीटर है।
तीन लाख तो किराया ही लग जाएगा
आॅपरेटर्स के अनुसार एसी बस का किराया 70 रुपए/किलोमीटर है। ऐसे में उत्तरकाशी से इंदौर के बीच 1300 किलोमीटर के लिए (आने-जाने) 182000 रुपए एक बस का किराया चुकाना होगा। दो बस रवाना हुई है यानी कुल किराया हुआ 364000 रुपए।
विमान से व्यवस्था ऐसी हो सकती है
ुइंदौर से दिल्ली के बीच कुल सात फ्लाई चलती है। इनमें इंडिगो की 4 (सुबह 5.30, 11, 4.50 और 7.30 बजे), एअर इंडिया (दोपहर 3 बजे), जेट की दो (सुबह 10.30 बजे और शाम 7 बजे) । एटीआर एअरक्राफ्ट में डेड बॉडी नहीं आती। बाकी में कार्गो में बॉडी लाने की कोई सीमा नहीं है।
कार्गो का परिवहन वजन के हिसाब से होता है। शव का औसत 100 किलो का माना जाता है कोफिन सहित। कार्गो किराया है 80 रुपए/किलोग्राम। यानी 8000 रुपए में एक बॉडी देहरादून से इंदौर लाई जा सकती है। कार्गो किराया 1,92,000 रुपए।
देहरादून से दिल्ली के बीच हवाई यात्रा 35 मिनट की है। 1 घंटे 25 मिनट की दूरी है दिल्ली से इंदौर के बीच। यदि नेक टू नेक कनेक्टिविटी मिलती है तो दो घंटे में शव देहरादून से इंदौर आ सकता है। अन्यथा चार से पांच घंटे लगेंगे।
एअर एम्बूलेंस का किराया भी 4 लाख है, इसमें चार शव लाए जा सकते हैं। बेटमा से लेकर दिल्ली दरबार तक भाजपा का राज है। ऐसे में संयुक्त प्रयास करके सेना का विशेष विमान भी लिया जा सकता है ताकि एक बार में 20 शव इंदौर लाए जा सकें।
इन्वेस्टर्स समिट, नर्मदा सेवा यात्रा और विभिन्न धार्मिक-राजनीतिक आयोजनों पर करोड़ों रुपया पानी की तरह बहाने वाले मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान के राज में बेटमा के लोगों को उत्तरकाशी बस हादसे का शिकार हुए यात्रियों का अंतिम संस्कार करने के लिए 30 से 36 घंटे का इंतजार करना पड़ रहा है। जिस परिवार को उसके परिजन के हादसाग्रस्त होने की सूचना मिल चुकी है वह पार्थिव शरीर के इंतजार में 36 घंटे कैसे काटेगा? केंद्रीय मंत्री अनिल माधव दवे का शव विशेष विमान से चार घंटे में आ सकता है तो बेटमा के यात्रियों का क्यों नहीं? इस सवाल के साथ ही यात्रियों के शव विमान से लाने की मांग भी रह-रहकर उठती रही।
उत्तरकाशी के घरासूं के समीप नालूपानी में 23 मई की शाम 6.30 बजे बस भगीरथी नदी में जा गिरी हैं। इसमें 30 लोग खाई में गिरे थे। इनमें से छह घायल निकाले जा चुके थे। 24 मई दोपहर तक 24 शव निकाले गए। इनमें एक चमौली उत्तराख्ांड निवासी बलवीरसिंह भगतसिंह गुरम भी शामिल है जो खाई में गिरी बस का कंडक्टर था। बाकी 23 शव को रात 10 बजे एसी बस के माध्यम से इंदौर रवाना कर दिया गया। इधर, बुधवार पुरा दिन इंदौर से लेकर बेटमा तक मातम छाया रहा। बेटमा में सड़कों पर सन्नाटा पसरा रहा। ऐसे में रेल और बस से शव इंदौर लाने को लेकर लोगों में खासी नाराजगी थी। उनका कहना था कि जब राजनेताओं और शहीदों के शव विशेष विमान में आ सकते हैं तो हादसाग्रस्त हुए यात्रियों के क्यों नहीं? इसी सवाल और मांग के साथ दोपहर 2 बजे ग्रामीणों ने बेटमा थाने पर हंगामा भी किया।
शुक्रवार की सुबह 10 बजे बाद ही पहुंचेंगे शव
उत्तरकाशी से इंदौर के बीच की दूरी 1294 किलोमीटर है। यदि दो ड्राइवरों के साथ बस को नॉनस्टाप भी चलाई जाती है तो भी इंदौर पहुंचने में 36 घंटे लगेंगे। मतलब बस यदि बुधवार रात 10 बजे रवाना हुई है तो इंदौर पहुंचेगी शुक्रवार सुबह 10 बजे। उत्तरकाशी से देहरादून 184 किलोमीटर, देहरादून से दिल्ली 300 किलोमीटर और दिल्ली से इंदौर 750 किलोमीटर है।
तीन लाख तो किराया ही लग जाएगा
आॅपरेटर्स के अनुसार एसी बस का किराया 70 रुपए/किलोमीटर है। ऐसे में उत्तरकाशी से इंदौर के बीच 1300 किलोमीटर के लिए (आने-जाने) 182000 रुपए एक बस का किराया चुकाना होगा। दो बस रवाना हुई है यानी कुल किराया हुआ 364000 रुपए।
विमान से व्यवस्था ऐसी हो सकती है
ुइंदौर से दिल्ली के बीच कुल सात फ्लाई चलती है। इनमें इंडिगो की 4 (सुबह 5.30, 11, 4.50 और 7.30 बजे), एअर इंडिया (दोपहर 3 बजे), जेट की दो (सुबह 10.30 बजे और शाम 7 बजे) । एटीआर एअरक्राफ्ट में डेड बॉडी नहीं आती। बाकी में कार्गो में बॉडी लाने की कोई सीमा नहीं है।
कार्गो का परिवहन वजन के हिसाब से होता है। शव का औसत 100 किलो का माना जाता है कोफिन सहित। कार्गो किराया है 80 रुपए/किलोग्राम। यानी 8000 रुपए में एक बॉडी देहरादून से इंदौर लाई जा सकती है। कार्गो किराया 1,92,000 रुपए।
देहरादून से दिल्ली के बीच हवाई यात्रा 35 मिनट की है। 1 घंटे 25 मिनट की दूरी है दिल्ली से इंदौर के बीच। यदि नेक टू नेक कनेक्टिविटी मिलती है तो दो घंटे में शव देहरादून से इंदौर आ सकता है। अन्यथा चार से पांच घंटे लगेंगे।
एअर एम्बूलेंस का किराया भी 4 लाख है, इसमें चार शव लाए जा सकते हैं। बेटमा से लेकर दिल्ली दरबार तक भाजपा का राज है। ऐसे में संयुक्त प्रयास करके सेना का विशेष विमान भी लिया जा सकता है ताकि एक बार में 20 शव इंदौर लाए जा सकें।
No comments:
Post a Comment