अस्पताल में भर्ती नहीं किया, 23 बार ड्रेसिंग करके भगा दिया
इंदौर. विनोद शर्मा ।
ईश्वर ने आवाज दी, न सुनने की क्षमता। एक पैर से विकलांग अलग। लाठी ही सहारा। न घर में पैसा दिया और न ही मेहनत करके ईलाज कराने वाला परिवार। आग में एक पैर ऐसा झूलसा कि ईलाज के अभाव में आठ साल से ठीक नहीं हुआ। छालों के कारण सढ़ाव से हड्डी में ऐसा इन्फेक्शन हुआ कि नौबत अब टांग काटने की आ गई। चंदा करके गांव वालों ने अस्पताल पहुंचाया। लंबा बिल बनाकर अस्पताल ने सरकारी मदद के लिए दलाल का दरवाजा दिखा दिया। 75 हजार रुपए की सरकारी मदद मिले दो महीने हो गए हैं लेकिन सर्जरी करने के बजाय अस्पताल डेÑसिंग करके चलता कर रहा है।
हम बात कर रहे हैं उज्जैन रोड स्थित रिंगनोदिया गांव में बुढी मां और मुक-बधिर बहन के साथ कच्चे से मकान में गुजर-बसर कर रहे पप्पू परमार। जले हुए पैर का ईलाज जिसके लिए बिरबल की खिचड़ी हो गया है। आठ साल हो चुके हैं हादसे को लेकिन पैर अब तक ठीक नहीं हुआ। उलटा, छालों में लगा सड़ाव और केंसर की तरह जानलेवा हो गया है। गांव के लोगों ने चंदा करके 30 हजार रुपए इकट्ठा किए और पप्पू को लेकर सिनर्जी हॉस्पिटल पहुंचे। यहां जांच के बाद सिनर्जी के डॉक्टरों ने एक से डेढ़ लाख रुपए का खर्च बताया। ग्रामीणों ने हाथ तंगी बताई तो अस्पताल में ही पदस्थ राजेश प्रजापत ने एक दलाल का नंबर दे दिया। कहा कि यह एनजीओ चलाता है और आर्थिक मदद दिलाता है। इसकी मदद ले लो। दलाल ने कहा क्षेत्रीय विधायक से लेटर-पेड पर मदद के लिए लिखवा लाओ, मुख्यमंत्री से सरकारी मदद मैं दिलवा दूंगा।
सिनर्जी में नहीं गौरव हॉस्पिटल में होगा ईलाज
विधायक डॉ. राजेश सोनकर ने मुख्यमंत्री के नाम 5 नवंबर 2016 को लेटर (2497) लिखा। पत्र में सोनकर ने लिखा कि पप्पू पिता नगजीराम परमार का ईलाज सिनर्जी हॉस्पिटल में होना है। ईलाज के लिए तीन लाख का खर्च प्रस्तावित है। आर्थिक स्थिति अच्छी नहीं है। इसीलिए इस खर्च का वहन नहीं कर सकता। इसीलिए मुख्यमंत्री स्वेच्छानुदान मद से सहायता प्रदान करें। इस पत्र के बाद दलाल ने रानीबाग लिम्बोदी स्थित गौरव हॉस्पिटल का पता बताया जो कि रिंगनोदिया से 26 किलोमीटर दूर है। कहा कि यहां सस्ता ईलाज होगा। यहां डॉ. सैनी ने जांच की। बताया कि 70 से 80 हजार रुपए लगेंगे।
फरवरी में बना दूसरा लेटर
दलाल के कहने पर ग्रामीण फरवरी में दोबारा विधायक राजेश सोनकर के पास पहुंचे। विधायक ने पहले फटकारते हुए कहा कि तीन महीने में आप ईलाज नहीं करा सके। हालांकि बाद में उन्होंने लेटर लिखकर दे दिया। इस लेटर में भी ईलाज का अनुमानित खर्च तीन लाख बताया गया। 5 नवंबर से फरवरी के बीच पप्पू की हालत बिगड़ती चली गई।
फिर से सिनर्जी में ही कराएंगे ईलाज
गौरव हॉस्पिटल के नाम का लेटर बनवाने के बाद दलाल ने कहा कि पप्पू का ईलाज सिनर्जी में ही करवाते हैं। जांच रिपोर्ट व अन्य जानकारियां सिनर्जी पहुंचा दी गई।
पैसा नहीं तो भर्ती नहीं
जब सिनर्जी में पप्पू को ले गए तो पहले डेढ़-दो लाख रुपए का खर्च बताते आ रहे अस्पताल प्रबंधन ने इस बार 1.20 लाख का अनुमानित खर्च बताया। सरकारी मदद के लिए अप्लाई किए जाने की बात बताए जाने के बाद प्रबंधन ने कहा कि पप्पू को एडमिट बता देते हैं, पैसा मिलते ही ईलाज शुरू कर देंगे। ग्रामीणों ने हामी भर दी और ड्रेसिंग कराकर पप्पू को फिर गांव ले गए।
75 हजार मंजूर, ईलाज हुआ नहीं, 12 हजार की ड्रेसिंग कर दी
पप्पू के आवेदन पर मुख्यमंत्री स्वेच्छानुदान मद से 75 हजार रुपए की राशि मंजूर हुई और अस्पताल के अकाउंट में जमा हो गई लेकिन अस्पताल ने इस बात की सूचना तक ग्रामीणों को नहीं दी। 23 मई को पप्पू की हालत ज्यादा बिगड़ती देख ग्रामीणों ने झुंझलाकर दलाल को फोन लगाया। तब दलाल ने स्वीकृत राशि की जानकारी दी और कहा कि मुझे फोन लगाने के बजाय अस्पताल जाकर डॉक्टर से मिलो। 24 मई दोपहर ग्रामीण पप्पू और उसके भानजे को लेकर सिनर्जी पहुंचे। यहां रिसेप्शन पर ईलाज की बात की तो जवाब मिला पहले दलाल को बुलवाओ। बड़ी झिकझिक के बाद उन्हें केजुअल्टी में भेजा गया। वहां दो डॉक्टरों ने अकाउंट सेक्शन में पहुंचा दिया। वहां डॉक्टरों ने कहा कि 75 हजार मंजूर हुआ है लेकिन मंजूरी का मेल मिला नहीं है। मिलता भी है तो इसमें से 11500 रुपए की तो ड्रेसिंग (500 रुपए/ड्रेसिंग) ही कर चुके हैं।
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(पूरे मामले की तफ्तीश दबंग दुनिया ने पीड़ित का परिवार बनकर बात की। कई चौकाने वाले तथ्य सामने आए। )
दलाल और ग्रामीणों की बातचीत
रिंगनोदिया से बोल रहा हूं पप्पू का क्या हुआ?
पता ही नहीं किया और मुझे फोन कर दिया, हो को तुम।
मैं आम नागरिक हूं।
मैं भी आम ही हूं। मुझसे बात करने से पहले जाओ अस्पताल पता करो कितना पैसा मंजूर हुआ क्या ईलाज हुआ।
अस्Þपताल वाले तो आपका नाम लेते हैं?
मैं क्या करूं। मैं तो सब बता दूंगा।
कब मिलूं आपसे?
मैं तो भोपाल हूं। अभी चले जाओ अस्पताल।
इतना तो बतो दो कितना पैसा मंजूर हुआ?
75 हजार रुपए मंजूर हुए।
कब मंजूर हुए भैया?
दो महीने हो गए हैं। अब मुझे परेशाान मत करो, अस्पताल जाओ।
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रिसेप्शन पर बातचीत
जी बताएं क्या काम ?
-यह पप्पू है इसके ईलाज का क्या हुआ?
फाइल लाए हैं क्या आप?
- फाइल तो अस्पताल में है। ईलाज नहीं हो रहा है।
आप दलाल को फोन लगाओ न।
वह कहता है अस्पताल में बात करो।
अस्पताल में क्या बात करो?
भैया पप्पू को यहां भर्ती रखा था, जरूरत पड़ेगी बुला लेंगे।
हमारे यहां भर्ती नहीं है।
हमको तो यही बताया था पहले।
जाओ आप केजुअल्टी में बात करो।
हम 10-15 बार आ गए हैं। ईलाज नहीं हो रहा है।
मुझसे बात करने से कोई मतलब नहीं है। आप डॉक्टर आर.ए.गुप्ता से मिलना।
कब तक आएंगे?
12.39 तक आएंगे।
पैसे जमा हुआ क्या यह तो देख लो?
आप सीधे जाकर उलटे हाथ पर केजुअल्टी है वहां चले जाओ।
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केजुअल्टी और ग्रामीण
लड़का है पप्पू, देखा आपने?
हां देखा है।
क्या दिक्कत आ रही है उसके ईलाज में?
डॉ. घोष देख रहे हैं उसको।
ईलाज ही नहीं हो रहा है?
पहले घाव खराब था। बदबू आ रही थी। ड्रेसिंग कर रहे थे। सरकारी मदद के लिए चल रहा था। पांच दिन में एक बार आता था किसी को लेकर किसको समझाएं।
पैसे कम पड़ रहे हो तो बता दो, हम चंदा करके ईलाज कराएंगे?
ड्रेसिंग की फाइल दिखाते हुए कहा बताया कि 23 ड्रेसिंग हो चकी है।
ओरिजनल पेपर नहीं है? राशनकार्ड या विधायक का लेटर।
हमारे पास तो यही ड्रेसिंग का रिकार्ड है।
अब ईलाज कितने दिन में होगा?
इतने दिन से कहां गए थे आप?
्रहम जहां भी गए थे साहब अस्पताल तो यहीं था।
देखते हैं कितना पैसा आया है कितना कम पड़ेगा।
कितना खर्च आएगा यह तो बता दो?
(किसी से पूछने के बाद बताया) 75 हजार रुपए आए थे। कब आए, कैसे आए, मेडिक्लेम काउंटर पर जाकर बात कर लो।
ईलाज होगा कि नहीं?
11500 रुपए डेÑसिंग में लग गए हैं। 1.20 लाख रुपए खर्च आएगा।
बिमारी क्या है?
कॉन्ट्रेक्चर हो गए हैं। बदबू आ रही है पैर से। पैर सीधा होने से रहा। नहीं करेंगे तो पैर में इन्फेक्शन होगा। जान पर बन आएगी। नीचे-नीचे का इन्फेक्टेड वाला हिस्सा निकाल देंगे।
मुझे बताया था कि यहां एडमिट बताया है।
नहीं तो, खर्च कितना आता। आॅपरेशन के लिए स्वीकृत है। डॉक्टर की फीस अलग।
1.20 लाख बताया न।
यह तो अस्पताल का खर्च है। 23 दिन रखेंगे तो हर दिन का 1000 रुपए के हिसाब से 23000 और डॉक्टर की फीस अलग। जेब से देना पड़ेंगे।
पहले प्लास्टिक सर्जरी का कहा था अब क्या पैर कटेगा?
घाव निकालने के लिए प्लास्टिक सर्जरी तो करना पड़ेगी। पैर में इन्फेक्शन है इसीलिए काटना ही विकल्प है।
मेडिक्लेम काउंटर
साहब पप्पू के पैसे आए क्या?
कहां का निवासी है।
रिंगनोदिया का?
(सर्च करने के बाद) हमें तो नहीं मिला, आपके पास कोई लेटर हो तो दे दो।
हमारे पास तो नहीं आया?
फिर किसने बताया, राशि मंजूर हो गई।
दलाल ने?
फिर उसी से पूछो। या उसी को बोलो कि मेल कर दे।
डॉक्टर घोष और ग्रामीणों के बीच बात
साहब पप्पू का ईलाज नहीं हो रहा है।
यहां सभी का ईलाज होता है। कोई उसके साथ आता ही नहीं तो किसे समझायें कैसे क्या ईलाज होगा। आप ही समय खराब कर रहे हैं।
पैसे तो मंजूर हो चुके हैं?
हां, मार्च से पहले मंजूर हो गए थे।
हमको जानकारी नहीं दी।
मरीज और उसके परिजन को जानकारी दें कि पूरे गांव को।
ईलाज में क्या हुआ?
ड्रेसिंग कर रहे हैं लेकिन इससे ठीक नहीं होगा। आॅपरेशन के बाद भी समस्या बनी रहेगी। सालों पुराना जख्म है।
फरवरी में पैसा आया, ईलाज तो शुरू करते?
क्या ईलाज करें, आते हैं पूछकर चले जाते हैं। ईलाज के लिए मरीज को ही सोचना होगा। हमारा क्या है, ईलाज नहीं होगा तो पैसा सरकार को लौटा देंगे।
आपके रिकार्ड में नही ंमिल रहा है? कोई लेटर नहीं है क्या?
लेटर नहीं आते। मेल आता है। फरवरी से अब तक हजारों मेल आए। नाम से नहीं आते मेल, कैसे चेक करें।
साहब 75 हजार के हिसाब से ढूंढ लो?
अकेला मामला थोड़ी है। हजारों मामले हैं।
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