टीएंडसीपी और नगर निगम की आंखों में झौंकी धूल
इंदौर. विनोद शर्मा ।
टाउन एंड कंट्री प्लानिंग से लेकर नगर निगम और जिला प्रशासन तक की आंख में धूंल झौंकने के मामले में इंदौर के डॉक्टर भी बदनाम बिल्डरों से कम नहीं है। इसका बड़ा उदाहरण है एप्पल हॉस्पिटल। फ्रेंड्स यूनिटी हॉस्पिटल एंड रिसर्च सेंटर प्रा.लि. के हॉस्पिटल की बिल्डिंग जिस प्लॉट पर खड़ी है उसका हॉस्पिटल के लिए कभी नक्शा ही पास नहीं हुआ है। कॉम्पलेक्स की मंजूरी लेकर अस्पताल बना डाला।
लगातार मिल रही शिकायतों के बाद जब दबंग दुनिया ने टीएंडसीपी और नगर निगम में कस्बा इंदौर के सर्वे नं. 1618/3/1, 1618/3/2, 1619/1 और 1619/2 की 0.170 हेक्टेयर (18258 वर्गफीट) के दस्तावेज खंगाले। कई चौकाने वाले तथ्य सामने आए। पता चला कि फ्रेंड्स यूनिटी हॉस्पिटल एंड रिसर्च सेंटर प्रा.लि. के हॉस्पिटल जिस बिल्डिंग में करीब 180 बेड का सुपर स्पेशियलिटी हॉस्पिटल संचालित कर रहा है किसी भी नक्शे में उसे अस्पताल के रूप में परिभाषित नहीं किया गया है। 26 फरवरी 2011 को टीएंडसीपी ने वाणिज्यियक प्रयोजन के लिए ले-आउट मंजूर किया था।
मंजूर तो कॉम्पलेक्स हुआ था, अस्पताल बाद में बना
टीएंडसीपी से प्राप्त दस्तावेजों के अनुसार राजेश पिता एमएल बंसल, बद्रीलाल बंसल, मोहनलाल बंसल, चंद्रकला बंसल, ममला बंसल और वर्षा बंसल के नाम से 26 फरवरी 2011 को टीएनसी हुई।
बाद में बंसल परिवार से फ्रेंड्स यूनिटी हॉस्पिटल एंड रिसर्च सेंटर प्रा.लि. तर्फे डॉ. राजेंद्र पिता रामचरण अग्रवाल निवासी 21 मनीष बाग कॉलोनी ने खरीदी। 7 फरवरी 2012 को जारी नामांतरण प्रकरण 5 के बाद नामांतरण हुआ।
चूंकि 24 फरवरी 2011 को हुई टीएनसी की मियाद 25 फरवरी 2014 तक थी इसीलिए उसी टीएनसी को मान्य करते हुए डॉ. अग्रवाल ने निर्माण जारी रखा। नगर निगम ने 13 अपै्रल 2012 को बिल्डिंग पर्मिशन (0453) जारी की। अक्टूबर-नवंबर 2012 में बिल्डिंग का काम शुरू हुआ।
टीएंडसीपी के अधिकारियों की मानें तो आज दिन तक उक्त प्लॉट पर अस्पताल की टीएनसी नहीं की गई है। मंजूर कॉम्पलेक्स हुआ उसे बाद में अस्पताल में बदल दिया गया है।
कमर्शियल बिल्डिंग नहीं बन सकती अस्पताल
मप्र भूमि विकास अधिनियम और मास्टर प्लान 2021 के अनुसार कमर्शियल बिल्डिंग और अस्पताल के नियम अलग-अलग हैं। दोनों के फ्लोर हाइट भी अलग रहती है। अस्पताल पब्लिक सेमी पब्लिक (पीएसपी) के तहत मंजूर होता है। वाणिज्यिक भवन में ग्राउंड कवरेज 50 प्रतिशत तक मिलता है वहीं अस्पताल में ग्राउंड कवरेज 30 प्रतिशत से ज्यादा नहीं मिलता।
अस्पताल के लिए जरूरी जमीन
100 + बेड 4 से 6 हेक्टेयर
30-100 बेड 3 से 5 हेक्टेयर
0-30 बेड 2 से 4 हेक्टेयर
नर्सिंग होम 0.20 से 0.50 हेक्टेयर
अस्पताल के नियम
बेड संख्या ग्राउंड कवरेज एफएआर हाइट फ्रंट एमएओस तीन तरफा
100 + 30% 1.25 24 मीटर 15 मीटर 6-6 मीटर
30-100 30% 1.25 24 मीटर 15 मीटर 6-6 मीटर
0-30 30% 1.25 18 मीटर 12 मीटर 4.5-4.5 मीटर
हैल्थ सेंटर 30% 1.25 18 मीटर 12 मीटर 4.5-4.5 मीटर
नर्सिंग होम 30% 1.25 18 मीटर 12 मीटर 4.5-4.5 मीटर
पॉलीक्लीनिक 30% 1.25 18 मीटर 12 मीटर 4.5-4.5 मीटर
मंजूरी अनुसार
टोटल प्लॉट एरिया 1700 वर्गमीटर 100%
मंजूर ग्राउंड कवरेज 850 वर्गमीटर 50%
एमओएस एंड ओपन एरिया 850 वर्गमीटर 50 %
एफएआर 1.5
एमओएस
भंवरकुआं रोड की ओर 9 मीटर
खातीवाला टैंक की ओर 6 मीटर
ट्रांसपोर्टनगर की ओर 6 मीटर
ट्रांसपोर्टनगर रोड की ओर 6 मीटर
इंदौर. विनोद शर्मा ।
टाउन एंड कंट्री प्लानिंग से लेकर नगर निगम और जिला प्रशासन तक की आंख में धूंल झौंकने के मामले में इंदौर के डॉक्टर भी बदनाम बिल्डरों से कम नहीं है। इसका बड़ा उदाहरण है एप्पल हॉस्पिटल। फ्रेंड्स यूनिटी हॉस्पिटल एंड रिसर्च सेंटर प्रा.लि. के हॉस्पिटल की बिल्डिंग जिस प्लॉट पर खड़ी है उसका हॉस्पिटल के लिए कभी नक्शा ही पास नहीं हुआ है। कॉम्पलेक्स की मंजूरी लेकर अस्पताल बना डाला।
लगातार मिल रही शिकायतों के बाद जब दबंग दुनिया ने टीएंडसीपी और नगर निगम में कस्बा इंदौर के सर्वे नं. 1618/3/1, 1618/3/2, 1619/1 और 1619/2 की 0.170 हेक्टेयर (18258 वर्गफीट) के दस्तावेज खंगाले। कई चौकाने वाले तथ्य सामने आए। पता चला कि फ्रेंड्स यूनिटी हॉस्पिटल एंड रिसर्च सेंटर प्रा.लि. के हॉस्पिटल जिस बिल्डिंग में करीब 180 बेड का सुपर स्पेशियलिटी हॉस्पिटल संचालित कर रहा है किसी भी नक्शे में उसे अस्पताल के रूप में परिभाषित नहीं किया गया है। 26 फरवरी 2011 को टीएंडसीपी ने वाणिज्यियक प्रयोजन के लिए ले-आउट मंजूर किया था।
मंजूर तो कॉम्पलेक्स हुआ था, अस्पताल बाद में बना
टीएंडसीपी से प्राप्त दस्तावेजों के अनुसार राजेश पिता एमएल बंसल, बद्रीलाल बंसल, मोहनलाल बंसल, चंद्रकला बंसल, ममला बंसल और वर्षा बंसल के नाम से 26 फरवरी 2011 को टीएनसी हुई।
बाद में बंसल परिवार से फ्रेंड्स यूनिटी हॉस्पिटल एंड रिसर्च सेंटर प्रा.लि. तर्फे डॉ. राजेंद्र पिता रामचरण अग्रवाल निवासी 21 मनीष बाग कॉलोनी ने खरीदी। 7 फरवरी 2012 को जारी नामांतरण प्रकरण 5 के बाद नामांतरण हुआ।
चूंकि 24 फरवरी 2011 को हुई टीएनसी की मियाद 25 फरवरी 2014 तक थी इसीलिए उसी टीएनसी को मान्य करते हुए डॉ. अग्रवाल ने निर्माण जारी रखा। नगर निगम ने 13 अपै्रल 2012 को बिल्डिंग पर्मिशन (0453) जारी की। अक्टूबर-नवंबर 2012 में बिल्डिंग का काम शुरू हुआ।
टीएंडसीपी के अधिकारियों की मानें तो आज दिन तक उक्त प्लॉट पर अस्पताल की टीएनसी नहीं की गई है। मंजूर कॉम्पलेक्स हुआ उसे बाद में अस्पताल में बदल दिया गया है।
कमर्शियल बिल्डिंग नहीं बन सकती अस्पताल
मप्र भूमि विकास अधिनियम और मास्टर प्लान 2021 के अनुसार कमर्शियल बिल्डिंग और अस्पताल के नियम अलग-अलग हैं। दोनों के फ्लोर हाइट भी अलग रहती है। अस्पताल पब्लिक सेमी पब्लिक (पीएसपी) के तहत मंजूर होता है। वाणिज्यिक भवन में ग्राउंड कवरेज 50 प्रतिशत तक मिलता है वहीं अस्पताल में ग्राउंड कवरेज 30 प्रतिशत से ज्यादा नहीं मिलता।
अस्पताल के लिए जरूरी जमीन
100 + बेड 4 से 6 हेक्टेयर
30-100 बेड 3 से 5 हेक्टेयर
0-30 बेड 2 से 4 हेक्टेयर
नर्सिंग होम 0.20 से 0.50 हेक्टेयर
अस्पताल के नियम
बेड संख्या ग्राउंड कवरेज एफएआर हाइट फ्रंट एमएओस तीन तरफा
100 + 30% 1.25 24 मीटर 15 मीटर 6-6 मीटर
30-100 30% 1.25 24 मीटर 15 मीटर 6-6 मीटर
0-30 30% 1.25 18 मीटर 12 मीटर 4.5-4.5 मीटर
हैल्थ सेंटर 30% 1.25 18 मीटर 12 मीटर 4.5-4.5 मीटर
नर्सिंग होम 30% 1.25 18 मीटर 12 मीटर 4.5-4.5 मीटर
पॉलीक्लीनिक 30% 1.25 18 मीटर 12 मीटर 4.5-4.5 मीटर
मंजूरी अनुसार
टोटल प्लॉट एरिया 1700 वर्गमीटर 100%
मंजूर ग्राउंड कवरेज 850 वर्गमीटर 50%
एमओएस एंड ओपन एरिया 850 वर्गमीटर 50 %
एफएआर 1.5
एमओएस
भंवरकुआं रोड की ओर 9 मीटर
खातीवाला टैंक की ओर 6 मीटर
ट्रांसपोर्टनगर की ओर 6 मीटर
ट्रांसपोर्टनगर रोड की ओर 6 मीटर
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