वर्दी को बना दिया कमाई का जरिया
इंदौर. विनोद शर्मा ।
रिश्वत के मामले में सीबीआई ने जिस सेंट्रल ब्यूरो आॅफ नॉर्कोटिक्स (सीबीएन) के आॅफिस में रेड की उसे मीणा और खत्री ने कमाई का जरिया बना लिया है। यहां कार्रवाई कम और कमाई ज्यादा होती है। इससे पहले भी सीबीआई डी.एस.मीणा पर एक नहीं बल्कि दो बार रिश्वत मामले को लेकर कार्रवाई कर चुकी है। आखिरी बार 2011 में वे 10 लाख की रिश्वत के साथ गिरफ्तार हुए थे।
सीबीएन का मुख्यालय ग्वालियर है और प्रदेश का सबसे कमाऊ ईलाका नीमच, मंदसौर, जावरा, गरोठ, रतलाम है। क्योंकि यहां अफीम की खेती होती है। इसी तरह इसी क्षेत्र से लगे राजस्थान के कोटा के अधिकारियों का रुतबा भी बरकरार है। जिसका फायदा उठाने में सीबीएन के ये वर्दीधारी किसी भी हद को पार कर जाते हैं। नार्कोटिक्स की बड़ी-बड़ी खेप हाथ से निकल जाती है और छोटी खेप पर की गई कार्रवाई को बड़ा बता दिया जाता है। सोमवार को जिन दोनों अधिकारियों पर सीबीआई ने छापेमार कार्रवाई की है उनमें से एक अधीक्षक डी.एस.मीणा पर सीबीआई अपै्रल 2011 में भी छापेमार कार्रवाई कर चुकी है। मामला ट्रायल पर है।
मांगी थी 10 लाख की रिश्वत, मिले थे 7 लाख
-- 11 अपै्रल 2011 को सीबीआई ने मंदसौर में पदस्थ रहे इंस्पेक्टर डी.एस.मीणा ‘जो अब कोटा सीबीएन में अधीक्षक हैं’, को गिरफ्तार किया था। एक मामले की छानबीन में सीबीआई को पता चला था कि मीणा ने ओमप्रकाश पाटीदार से 10 लाख की रिश्वत मांगी थी। केस को रफादफा करने के लिए। बाद में पाटीदार गिरफ्तार हो गया। ना-नुकुर के बाद पाटीदार ने कबूला कि मीणा ने 10 लाख रुपए मांगे थे जिसमें से वह 7 लाख रुपए दे चुका है। इसी आधार पर मीणा के अड्डे पर रेड हुुई और सात लाख रुपए के साथ 61 ग्राम अफीम भी बरामद की गई। इस अफीम का उपयोग लोगों को झूठे केस में फंसाने का डर बताने के लिए किया जाता था।
-- इसी डी.एस.मीणा पर एंटी करप्शन ब्यूरो (एसीबी), राजस्थान ने रिश्वत के आरोप में केस दर्ज किया था। सेंट्रल ब्यूरो आॅफ नार्कोटिक्स की तरफ से अभियोजन की स्वीकृति न मिलने के बाद जांच एजेंसी ने मामले खात्मा पेश कर दिया।
एक आरोपी दे चुका है मीणा की कस्टडी में जान
25 सितंबर 2016 को चंद्रशेखर पाटीदार (34) ने सीबीएन, कोटा के लॉकअप में आत्महत्या कर ली। इस सर्कल के इंचार्ज भी धर्मसिंह मीणा है। पाटीदार को स्मगलिंग के एक मामले में 20 सितंबर को 5 करोड़ की ड्रग्स के साथ गिरफ्तार किया गया था। पूछताछ के लिए 28 सितंबर तक पाटीदार कस्टडी में रहना था। चंद्रशेखर ओमप्रकाश पाटीदार से ताल्लुक रखता था जिससे सात लाख की रिश्वत लेकर मीणा सलाखों के पीछे तक गए थे।
जून में इंदौर से उज्जैन पहुंचे है खत्री
मीणा के बेहाफ पर अज्ञात शिकायतकर्ता से 25 लाख रुपए की मांग करने वाले खत्री मुलत: इंदौर के वासी हैं। 12 फरवरी 1972 को जन्में खत्री केंद्रीय विद्यालय इंदौर से पढ़ाई की। 10 जनवरी 1997 को वे बतौर इंस्पेक्टर सीबीएन से जुड़े। 12 सितंबर 2012 को वे अधीक्षक बनाए गए। जून 2016 में ही उनका ट्रांसफर बतौर अधीक्षक इंदौर से उज्जैन हुआ है। रिश्वत मामले में उनके खिलाफ शिकायतें तो कई मिली लेकिन सीबीआई की टीम पहली बार उन तक पहुंची।
इंदौर. विनोद शर्मा ।
रिश्वत के मामले में सीबीआई ने जिस सेंट्रल ब्यूरो आॅफ नॉर्कोटिक्स (सीबीएन) के आॅफिस में रेड की उसे मीणा और खत्री ने कमाई का जरिया बना लिया है। यहां कार्रवाई कम और कमाई ज्यादा होती है। इससे पहले भी सीबीआई डी.एस.मीणा पर एक नहीं बल्कि दो बार रिश्वत मामले को लेकर कार्रवाई कर चुकी है। आखिरी बार 2011 में वे 10 लाख की रिश्वत के साथ गिरफ्तार हुए थे।
सीबीएन का मुख्यालय ग्वालियर है और प्रदेश का सबसे कमाऊ ईलाका नीमच, मंदसौर, जावरा, गरोठ, रतलाम है। क्योंकि यहां अफीम की खेती होती है। इसी तरह इसी क्षेत्र से लगे राजस्थान के कोटा के अधिकारियों का रुतबा भी बरकरार है। जिसका फायदा उठाने में सीबीएन के ये वर्दीधारी किसी भी हद को पार कर जाते हैं। नार्कोटिक्स की बड़ी-बड़ी खेप हाथ से निकल जाती है और छोटी खेप पर की गई कार्रवाई को बड़ा बता दिया जाता है। सोमवार को जिन दोनों अधिकारियों पर सीबीआई ने छापेमार कार्रवाई की है उनमें से एक अधीक्षक डी.एस.मीणा पर सीबीआई अपै्रल 2011 में भी छापेमार कार्रवाई कर चुकी है। मामला ट्रायल पर है।
मांगी थी 10 लाख की रिश्वत, मिले थे 7 लाख
-- 11 अपै्रल 2011 को सीबीआई ने मंदसौर में पदस्थ रहे इंस्पेक्टर डी.एस.मीणा ‘जो अब कोटा सीबीएन में अधीक्षक हैं’, को गिरफ्तार किया था। एक मामले की छानबीन में सीबीआई को पता चला था कि मीणा ने ओमप्रकाश पाटीदार से 10 लाख की रिश्वत मांगी थी। केस को रफादफा करने के लिए। बाद में पाटीदार गिरफ्तार हो गया। ना-नुकुर के बाद पाटीदार ने कबूला कि मीणा ने 10 लाख रुपए मांगे थे जिसमें से वह 7 लाख रुपए दे चुका है। इसी आधार पर मीणा के अड्डे पर रेड हुुई और सात लाख रुपए के साथ 61 ग्राम अफीम भी बरामद की गई। इस अफीम का उपयोग लोगों को झूठे केस में फंसाने का डर बताने के लिए किया जाता था।
-- इसी डी.एस.मीणा पर एंटी करप्शन ब्यूरो (एसीबी), राजस्थान ने रिश्वत के आरोप में केस दर्ज किया था। सेंट्रल ब्यूरो आॅफ नार्कोटिक्स की तरफ से अभियोजन की स्वीकृति न मिलने के बाद जांच एजेंसी ने मामले खात्मा पेश कर दिया।
एक आरोपी दे चुका है मीणा की कस्टडी में जान
25 सितंबर 2016 को चंद्रशेखर पाटीदार (34) ने सीबीएन, कोटा के लॉकअप में आत्महत्या कर ली। इस सर्कल के इंचार्ज भी धर्मसिंह मीणा है। पाटीदार को स्मगलिंग के एक मामले में 20 सितंबर को 5 करोड़ की ड्रग्स के साथ गिरफ्तार किया गया था। पूछताछ के लिए 28 सितंबर तक पाटीदार कस्टडी में रहना था। चंद्रशेखर ओमप्रकाश पाटीदार से ताल्लुक रखता था जिससे सात लाख की रिश्वत लेकर मीणा सलाखों के पीछे तक गए थे।
जून में इंदौर से उज्जैन पहुंचे है खत्री
मीणा के बेहाफ पर अज्ञात शिकायतकर्ता से 25 लाख रुपए की मांग करने वाले खत्री मुलत: इंदौर के वासी हैं। 12 फरवरी 1972 को जन्में खत्री केंद्रीय विद्यालय इंदौर से पढ़ाई की। 10 जनवरी 1997 को वे बतौर इंस्पेक्टर सीबीएन से जुड़े। 12 सितंबर 2012 को वे अधीक्षक बनाए गए। जून 2016 में ही उनका ट्रांसफर बतौर अधीक्षक इंदौर से उज्जैन हुआ है। रिश्वत मामले में उनके खिलाफ शिकायतें तो कई मिली लेकिन सीबीआई की टीम पहली बार उन तक पहुंची।
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