Saturday, June 3, 2017

नवभारत में 200 से ज्यादा मृतक भी डालेंगे वोट!

सहकारिता में विभाग में भारी है बॉबी का बोलबाला
इंदौर. विनोद शर्मा ।
नवभारत गृह निर्माण सहकारी संस्था के सदस्यों की सूची में गोपाल पिता जीमतल गोयल का नाम है। सदस्यता क्र. 2420 है जबकि गोयल का निधन  8 मार्च 2011 को ही हो चुका है। इन छह वर्षों में सदस्यता में गोपाल गोयल की जगह उनके वारिस होने के नाते बेटा गौरव गोयल  प्रशासक से लेकर सहकारिता विभाग के आला अधिकारियों तक दर्जनभर आवेदन कर चुका है। हालांकि अब तक नामांतरण नहीं हुआ।
न सिर्फ गोपाल गोयल बल्कि नवभारत गृह निर्माण सहकारी संस्था (पंजीयन क्रमांक बी-127/जून1959) की हाल ही में जारी हुई सदस्यता सूची में ऐसे 200 से ज्यादा सदस्य हैं जिन्हें दुनिया छोड़े महीनों-वर्षों हो चुके हैं। मध्यभारत के कुख्यात भू-माफिया रणवीरसिंह ‘बॉबी’ छाबड़ा और उसकी दो नंबरी गैंग के मार्गदर्शन में सहकारिता विभाग के निरीक्षक जगदीश जलौदिया ने बतौर प्रशासक 2007 की फर्जी सूची को 2017 चुनाव के लिए प्रकाशित कर दिया है।  आवेदक गौरव ने दबंग दुनिया को बताया कि पिताजी का निधन 8 मार्च 2011 को सुयश हॉस्पिटल में हुआ था। 17 मार्च 2011 को मृत्यु प्रमाण-पत्र भी जारी हो गया जिसके आधार पर सदस्यता नामांतरण के लिए आवेदन किया।
200 से ज्यादा मृतकों के नाम है सूची में
सदस्यता सूची पर आपत्ति लेने वाले सदस्यों की मानें तो 4152 सदस्यों की इस 10 साल पुरानी सूची में करीब 200 नाम ऐसे हैं जिनका निधन हो चुका है लेकिन उनकी सदस्यता संस्था में बरकरार है। सहकारिता विभाग के प्रशासक ने बिना भौतिक सत्यापन के बॉबी द्वारा करवाई की गई सूची जारी कर दी। आरोप है कि बॉबी ने सूची के नाम पर सजी-सजाई बिसात सहकारिता विभाग के हाथ में रख दी है। इसमें किसे कौनसी चाल कब चलना है, यह भी वह तय कर चुका है।
नियम विर्दध बनाए 2552 सदस्य...
बताया जा रहा हे कि संस्था की उपविधि के अनुसार 1600 सदस्य ही बनाए जा सकते थे। जो शुरूआती 1600 सदस्य थे उनमें से संस्था 800 से ज्यादा को प्लॉट दे चुकी है। इसीलिए उनके नाम इतने ही नए सदस्य बनाए जा सकते थे लेकिन पुराने नामों को हटाने के बजाय बॉबी ने बेहिसाब सदस्याता देकर आंकड़े को 4152 तक पहुंचा दिया। यानी 2552 सदस्य ऐसे हैं जिन्हें नियमों के विपरीत सदस्यता दी गई। सहाकारिता विभाग से जुड़े सूत्रों की मानें तो  जिन सदस्यों के नाम के आगे 1100 रुपए जमा करना बताया गया है वे सभी सदस्य करीब-करीब फर्जी तरीके से ही बनाए गए हैं।
10 साल पुराने मुकाम पर ही नवभारत
जुलाई 2009 में इंदौर पुलिस द्वारा सीएसपी कार्यालयों पर 25 हाउसिंग सोसायटियों के खिलाफ जो शिकायतें ली गई थी उनमें सबसे ज्यादा शिकायतें जिन संस्था के खिलाफ दर्ज हुई थी उसमें नवभारत का नाम भी शामिल था। आंकड़ों के अनुसार ढ़ाई हजार से ज्यादा शिकायतें दर्ज हुई थी। नवभारत सहित तकरीबन सभी संस्थाओं में भागीदारी व गड़बड़ियों के आधार पर 18 मई 2010 को आईजी संजय राणा ने स्वयं बॉबी को राऊ से गिरफ्तार किया था। नौ महीने बाद जमानत मिली थी। सलाखों से भी सबक न सीख पाए बॉबी ने आखिरकर अपना रंग फिर दिखाया और 2006-07 की सदस्यता सूची 2017 में प्रकाशित करवाकर संस्था को वहीं पहुंचा दिया जहां 2006-07 मे थी।
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बॉबी से साठगांठ के आरोप निराधार है। 200 से ज्यादा जिन सदस्यों का निधन हो चुका है उनके परिवार की जिम्मेदारी है कि वह मृत्य प्रमाण-पत्र लगाकर सदस्यता नामांतरण के लिए आवेदन करें। इसके बिना नाम नहीं हटाए जा सकते। सहकारिता एक्ट में प्रभारी अधिकारी को न सदस्यों को हटाने का अधिकार है, न जोड़ने का। आॅडिट रिपोर्ट के आधार पर 2012 में जो सूची बनाई थी, वही सूची आगे बढ़ाई है।
जगदीश जलौदिया, प्रभारी अधिकारी

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