पात्रता को प्लॉट-फ्लैट की कीमत समझ बैठे लोग, कॉलोनी की कीमत सुनकर लौट गए
प्रशासन कहता है कॉलोनाइजर को एनओसी तभी मिलेगी जब 50 प्रतिशत मामले मेले को हों
इंदौर. विनोद शर्मा ।
पिछले दिनों ईडब्ल्यूएस और एलआईजी के प्लॉटों की बिक्री के लिए सरकार ने जो मेला लगाया था वह रियल एस्टेट कारोबारियों के लिए मुसीबत बन चुका है। दरअसल, मेले में आए अधिकांश लोग कॉलोनियों के रेट को लेकर असहमत थे लेकिन अब प्रशासन कॉलोनाइजरों को कहता है कि प्लॉटों की एनओसी आपको तभी मिलेगी जब उसमें 50 प्रतिशत मामले मेले में आए हुए आवेदकों के हों। इसी चक्कर में मामला उलझ गया है। बहरहाल, मामले में क्रेडाई ने कलेक्टर आशीष सिंह से समय मांगा है, ताकि अपनी दिक्कत बयां कर सके।
कॉलोनी एक्ट के तहत ग्रामीण क्षेत्र में एक तय संख्या में ईडब्ल्यूएस (जिनकी आय सालाना 3 लाख रूपए से कम है) और एलआईजी (जिनकी आय सालाना 6 लाख रूपए से कम है) के लिए प्लॉट रखना जरूरी होता है। इन्हें लॉटरी से आवंटित किया जाता है लेकिन इसकी सूचना गरीब वर्ग तक सही से नहीं पहुंचती है। इसके चलते वह प्लॉट नहीं ले पाता। इसीलिए 21-22 दिसंबर को लालबाग में प्रशाासन ने आवास मेला आयोजित किया था।
इस दो दिवसीय मेले में तकरीबन 25 हजार लोग आए। हालांकि इनमें से आधों को लगा था कि 3 लाख रुपए से कम में ईडब्ल्यूएस और 6 लाख से कम में एलआईजी के प्लॉट मिलेंगे। जिसे बाद में प्रशासनिक अधिकारियों और क्रेडाई के लोगों ने भी भी क्लीयर किया था। बताया कि 1 से 3 लाख तक की सालाना आय वाले लोग ईडब्ल्यूएस के लिए पात्र हैं लेकिन प्लॉट/यूनिट की कीमत गाइडलाइन से तय होगी। ऐसे में कई आवेदक लौट गए। कई ऐसे थे जिन्ळें कॉलोनी के रेट सूट नहीं हुए।
क्रेडाई के एक पदाधिकारी के अनुसार 70 प्रतिशत ऐसे लोग थे जिन्हें कॉलोनी के रेट सुनने के बाद दिक्कत हुई। ऐसे लोगों ने इंक्वायरी की लेकिन खरीदी में रुचि नहीं दिखाई।
प्रशासन क्लीयर नहीं कर रहा है प्लॉट
कॉलोनाइजरों के सामने संकट तब खड़ा हो गया जब कॉलोनी सेल संभाल रहे अपर कलेक्टर गौरव बैनल ने तय कर दिया कि कॉलोनाइजरों को प्लॉटों की एनओसी तब ही मिलेगी जब उसमें 50 प्रतिशत उन आवेदकों को भी शामिल किया गया हो जो मेले में आए थे।
आखिर हम करें तो क्या ?
क्रेडाई का कहना है कि हमारी कॉलोनी का रेट 4000 रुपए/वर्गफीट है और आवेदक 1000 रुपए/वर्गफीट में प्लॉट चाहता है तो कैसे दे दें? कई कॉलोनी के काउंटर तो ऐसे थे जहां लोगों ने रूचि ही नहीं ली। अब ऐसे कॉलोनाइजर क्या करें? मामले में कलेक्टर से मिलेंगे, अपनी बात रखेंगे।
5000 प्रॉपर्टी थी ऑप्शन में
जिला प्रशासन ने जो विज्ञापन जारी किए थे उसके अनुसार 5000 से अधिक प्लॉट व फ्लैट के ऑप्शन थे।
यदि आपके व परिवार के नाम पर मप्र के ग्रामीण क्षेत्र में कोई भवन या भूखंड नहीं है तो अप्लाई कर सकते हैं।
आप मप्र के मूल निवासी हों।
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