जमीन के जालसाजों की जगलरी, 2022 से कान इंटरप्राइजेस के नाम है जमीन
दूसरी तरफ प्लॉट के लिए 20 साल से परेशान हैं 45 प्लॉटधारक
इंदौर. विनोद शर्मा ।
इंदौर के जमीन की जादूगरों के जितने चमत्कार देखे, कम है। ताजा उदाहरण हाईकोर्ट द्वारा खारिज की गई इंदौर विकास प्राधिकरण की रिव्यू पिटिशन है। ये कानूनी लड़ाई महिराज गृह निर्माण संस्था के नाम पर लड़ी जा रही है जबकि संस्था के पास जमीन है ही नहीं। संस्था के शातिर संचालक 2006 में ही संस्था की चार एकड़ जमीन नोबल रियल एस्टेट प्रा.लि. को बेच चुके हैं। दूसरी तरफ सदस्य कभी सहकारिता विभाग तो कभी प्राधिकरण के चक्कर काट रहे हैं। उनकी सुनवाई नहीं होती ।
प्राधिकरण द्वारा 25 अक्टूबर 2024 को दायर रिव्यू पिटिशन (1286/2024 ) की सुनवाई के बाद 25 अप्रैल को जस्टिस विवेक रूसिया और जस्टिस बिनोद कुमार द्विवेदी की डबल बैंच ने खारिज कर दिया। कहा कि जब प्राधिकरण स्कीम-171 निरस्त कर चुका है तो फिर उसमें शामिल जमीनों को स्कीम मुक्त ही माना जाएगा। पिटिश्न 18 सितंबर 2024 को हाईकोर्ट की डबल बैंच द्वारा रिट अपील 904/2017 में दिए फैसले के खिलाफ दायर की थी। इस रिट अपील में महिराज का नाम नहीं था। इसमें श्रीराम बिल्डर को चुनौती दी थी।
2006 से रेवेन्यू रिकार्ड में नोबल का नाम था। 2022 से कान इंटरप्राइजेस का नाम है। फिर कानूनी लड़ाई महिराज के नाम पर क्यों लड़ी जा रही है। यदि लड़ी जा रही है तो फिर सदस्य कौन है जिन्होंने संस्था के जमीन विक्रय को कोर्ट में चुनौती दे रखी है। जैसे सवाल जांच का विषय है लेकिन अधिकारी "गांधीगिरी' करके बैठे हैं।
कान को जमीन मालिक मानने पर आपत्ति
25 अक्टूबर 2025 को सहकारिता विभाग के ऑडिटर एवं प्रशासक ने प्राधिकरण के पदेन अध्यक्ष व संभायुक्त के साथ ही सीईओ को पत्र लिखा था। कहा था कि प्राधिकरण संस्था की जमीन के कथित मालिक कान इंटरप्राजेस तर्फे अंशुल जैन को मानते हुए उनसे 7 लाख 75 हजार 957 रुपए बेटरमेंट चार्ज मांग रही है जो गलत है। संस्था ने जमीन विक्रय को चुनौती देते हुए हाईकोर्ट में प्रथम अपील (1454/2023) दायर की है। ईओडब्ल्यू भी मामले में 16 नवंबर 2023 को एफआईआर दर्ज कर चुका है।
2006 में ही बिक गई थी जमीन
1989 में पंजीबद्ध हुई महिराज के नाम पर खजराना के सर्वे नंबर 122/1 की 4.05 एकड़ दिसंबर 1997 में खरीदी थी। 1999 से 2005 के बीच 45 प्लॉट की रजिस्ट्री की। 2006 में समीर खान अध्यक्ष बना। समीर ने इंदौर स्वयं सिद्ध महिला को-ऑपरेटिव बैंक में खाता खुलवाया। फरवरी 2006 में समीर ने जमीन की कमर्शियल टीएनसी करा ली। अगस्त 2006 में जमीन 2 करोड़ में केशव नाचानी की नोबल रियल एस्टेट प्रा.लि. को बेच दी। ईओडब्ल्यू की जांच में ठहराव प्रस्ताव फर्जी निकला।
अब कान इंटरप्राइजेस के नाम पर
नाचानी ने इंडस्टलैंड बैंक से लोन ले लिया। चुकाया नहीं। 2018 में बैंक ने फर्म को एनपीए घोषित कर दिया। पेगासस के माध्यम से बैंक ने जमीन की निलामी निकाली। मार्च 2022 में कान इंटरप्राइजेस ने जमीन खरीदी।
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