कॉलोनी काटने के बाद कॉलोनी की टीएनसी कराने के लिए लगाया था आवेदन, रिजेक्ट
एफआईआर दर्ज कराकर प्रशासन ने दी भू-माफियाओं को प्लॉट बेचने की छूट
इंदौर. विनोद शर्मा ।
कॉलोनी सेल के जरिए कलेक्टर आशीष सिंह अवैध कॉलोनाइजरों पर जितनी कसावट करने की कोशिश करते हैं कॉलोनाइज उतनी ही कारगुजारियों को अंजाम दे रहे हैं। इसका उदाहरण है अतुल अग्रवाल। दो साल में करीब आधा दर्जन एफआईआर दर्ज कराने के बावजूद प्रशासन अतुल की पेशानी पर पसीना तक नहीं ला पाया। सनावदिया में सर्वे नंबर 316 की जमीन पर नृसिंह वाटिका काटने वाले अतुल ने फार्म हाउस का नक्शा पास कराकर श्रीकृष्ण वाटिका में 200 से ज्यादा प्लॉट बेच दिए। 1700 से 2500 रुपए वर्गफीट की कीमत पर सबकी रजिस्ट्री हो चुकी है और प्रशासनिक सख्ती के बावजूद 30 मकान बन चुके हैं।
इन दिनों सबसे कमाईदार तहसील बनी हुई है बिचौली हप्सी। जहां एसडीएम, तहसीलदार, नायब तहसीलदार, राजस्व निरीक्षक (आरआई) और पटवारी को अवैध कॉलोनी पर कार्रवाई करने से ज्यादा मजा कॉलोनी बसाने में आ रहा है। साहबों के सहयोग से अतुल बेखौफ है। इतना कि उसकी अवैध कॉलोनियों के होर्डिंग बैनर सनावदिया-बिहाड़िया रोड पर वैध कॉलोनाइजरों के मुंह चिढ़ा रहे हैं। ये बैनर-पोस्टर साहबों को भी दिखते हैं लेकिन नजरअंदाज करने की फीस मिलती है। बड़ा उदाहरण श्रीकृष्ण वाटिका के होर्डिंग है। कॉलोनी सनावदिया के सर्वे नंबर 760/3/3, 760/1/2, 760/1/1 और 759/1 की 1.976 हेक्टेयर जमीन पर कटी है।
सबसे बड़ी बात यह है कि अतुल अग्रवाल ने इस कॉलोनी में टीएनसीपी की जिस अनुमति के आधार पर प्लॉट बेचे हैं उसमें कहीं कॉलोनी का नामोनिशान नहीं है। टीएनसीपी ने सिर्फ यहां अतुल अग्रवाल के नाम से एक फार्म हाउस की अनुमति जारी की थी। हां, इस जमीन का डायवर्शन शुल्क जरूर किया है लेकिन डायवर्शन कहीं भी कॉलोनी की अनुमति नहीं कहलाता। इसके बाद भी शिकायतें हुई। प्रशासन ने एफआईआर दर्ज करा दी। अतुल ने फिर कलाकारी की और जिस जमीन पर अवैध श्रीकृष्ण वाटिका कट चुकी थी उसी की दोबारा टीएनसी कराने का आवेदन टीएनसीपी में लगा दिया। चूंकि टीएनसी कराने के लिए जमीन का लाइव फोटो चाहिए होता है जिसमे सेटेलाइट मार्किंग होती है इसीलिए टीएनसीपी ने अतुल की फाइल रिजेक्ट कर दी।
इससे भी अतुल ने हिम्मत नहीं हारी। केस दर केस दर्ज होते रहे। प्रशासन औपचारिकता निभाता रहा। अतुल प्लॉट पर प्लॉट बेचता रहा। लोग मकान बनाते रहे।
सरकार आप चाहते क्या हो...?
विशेषज्ञों की मानें तो सरकार दमदारी से कार्रवाई करना ही नहीं चाहती अवैध कॉलोनाइजरों पर। वरना, सबसे पहले जमीन की रजिस्ट्री पर रोक लगती। होर्डिंग-बैनर हटते। बिजली कंपनी ने बिजली के खम्बे खड़े कर दिए जबकि नियमानुसार अवैध कॉलोनी में विद्युतिकरण नहीं हो सकता। भांग पूरे कुए में घुली हुई है जो अवैध कॉलोनाइजेश का गला नहीं घोटने देना चाहती।
ऐसे मिले थी फार्म की टीएनसी
जमीन रेवेन्यू रिकार्ड में निर्भय सिंह, लालसिंह, गौरीशंकर, राजूबाई पति लालसिंह के नाम दर्ज है। नगर तथा ग्राम निवेश विभाग द्वारा जनवरी 2008 में जारी इंदौर विकास योजना 2021 के अनुसार 4045 वर्गमीटर (43590 वर्गफीट एक एकड़) जमीन पर एक फार्म हाउस की मंजूरी हो सकती है। मतलब कुल 212694 वर्गफीट जमीन पर ऐसे 4 फार्म हाउस ही बन सकते थे। इसके विपरीत अतुल अग्रवाल और उसकी टीम ने मौके पर 191 प्लॉट की कॉलोनी काट दी। जिसमें 600 वर्गफीट, 660 वर्गफीट, 675 वर्गफीट, 800 वर्गफीट और 900 वर्गफीट शामिल है। कॉलोनी में झंडे लगाए गए हैं। होर्डिंग, पेड़ लगाए गए हैं। जैसे वैथ कॉलोनी में लगते हैं।
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