विनोद शर्मा
'*जंग नहीं जीती जाती है जंग लगी तलवारों से
आज नहीं तो कल लोहा लेना होगा गद्दारों से'' *
पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद भारत और पाकिस्तान दोनों मुल्क जंग के मुहाने पर खड़े हैं। कंगाली की कगार पर होने के बावजूद आवाम जंग में पाकिस्तानी हुकमरानों और सेना के साथ है। सिंधु समझौता रद्द होने के बाद वहां का किसान यहां तक कह चुका है कि वह भी लड़ने को तैयार है। वहीं बात भारत की करें तो यहां सरकार को पाकिस्तान से पहले देश के उन जनप्रतिनिधियों से मुकाबला करना पड़ रहा है जो पाकिस्तान के हिमायती हैं। जो पीड़ित परिवारों की पीड़ा सुनकर भी यह मानने को तैयार नहीं है कि पहलगाम में 28 पर्यटकों की जो मौत हुई उसमें पाकिस्तान का हाथ है।
सुरक्षा में चुक पर सरकार को घेरना लाजमी है। रक्षा मंत्रालय से लेकर गृह मंत्रालय तक पर सवाल साधे जाना जरूरी है भी। मगर, सरकार को घेरने के चक्कर में आतंकियों की करतूतों को जस्टिफाई करना गलत है। जो देश के नेता कर रहे हैं। कर्नाटक के मुख्यमंत्री और मंत्री सबसे आगे हैं। जो न मौके पर थे। न मौके पर जो थे उनकी बात स्वीकारने को तैयार हैं। बस, मुंह उठाते हैं और कह देते हैं 'जिसको गोली मारना है वह धर्म क्यों पूछेगा'..?
राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे और एलओपी राहुल गांधी संकट की घड़ी में सकरार के साथ हैं। वे अपना ये संदेश नीचे के नेताओं को नहीं समझा पाए। इसीलिए कर्नाटक के मंत्री आरबी तिम्मापुर व विजय वडेट्टीवार मानने को तैयार नहीं है कि गोली धर्म पूछकर मारी। जम्मू-कश्मीर में सैफुद्दीन सौज और तारिक हमीद कर्रा जैसे नेता हैं जो भारत को पाकिस्तान की वह बात मानने की सलाह दे रहे हैं जिसमें पाक ने कहा था कि हमले में हमारा हाथ नहीं। "नीच' फेम मणिशंकर अय्यर हमले को बटवारे के अनसुलझे सवालों का नतीजा मानते हैं। अंतत: कांग्रेस अालाकमान को ऐसे बकलोल नेताओं को हद में रहने की हिदायत देना पड़ी।
पहलगाम में मारे गए शुभम द्विवेदी के घर 'मेरा उससे क्या संबंध' कहकर न जाने वाले सपा सुप्रीमो अखिलेश यादव कहते हैं पीओके की तरफ बढ़ेंगे तो चीन से भी भीड़ना होगा। औरंगजेब को महान बताने वाले सपा नेता अबू आजमी का दिल मानने को तैयार नहीं है कि आतंकी हमला पाकिस्तान ने कराया। जम्मू-कश्मीर में सेना ने आतंकियों के घर उड़ाना शुरू किए तो पीडीपी नेता मेहबूबा मुफ्ती का पेट दूख गया। उन्होंने सेना को बेकसूरों के घर न उजाड़ने की हिदायत दे दी।
पाकिस्तानी किसान सिंधु समझौता रद्द होने के कारण अपनी फौज के साथ भारत से दो-दो हाथ करने को तैयार है। वहीं सरकार और सरकारी फैसलों की मुखालफत के शौकिन भारत के कथित किसान नेता नरेश टिकेत और राकेश टिकेत सिंधु समझौता रद्द करना गलत मानकर पाकिस्तान का साथ दे रहे हैं।
खैर सियासत की कुछ बुराइयां हैं। तो कुछ खुबियां भी। जो जम्मू-कश्मीर में नजर आई। जहां कभी पाकिस्तान से डरने की हिदायत देने वाले एनसीपी नेता फारूख अब्दुल्ला पहलगाम हमले पर पाकिस्तान के खिलाफ ठोस कदम चाहते हैं। वहीं उनके बेटे और जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने सोमवार को विधानसभा में भावुकता के साथ जो बातें रखी, पूरे हिंदुस्तान ने उसकी तारीफ की। उनके अपने बयानों और हमले के बाद रोजीरोटी को तरसे कश्मिरियों का पाकिस्तान के खिलाफ गुस्सा बदलते जम्मू-कश्मीर की निशानी है। वो भी जानते हैं कि जम्मू-कश्मीर की रोजी-रोटी देश के विभिन्न राज्यों से आए पर्यटकों पर ही टिकी है। पाकिस्तन उनका पेट नहीं भरता।
मोदी सरकार पर हिंदु-मुसलमानों को भड़काने का आरोप लगाते आए एआईएमआईएम के नेता असुद्दीन ओवेसी ने हमले के बाद कहा था अल्लाह उन्हें सख्त सजा देगा और उनके ऊपर जो लोग बैठे हैं वो भी बर्बाद होंगे। ओवेसी ने भारत सरकार से पाकिस्तान के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की मांग की थी। देश के कई मुसलमानों और मौलाना बेगुनाहों के कत्लेआम पर पाकिस्तान को न सिर्फ कौस रहे हैं बल्कि पाकिस्तान के खिलाफ जंग में भारतीय सेना के साथ लड़ने की बात भी कर रहे हैं।
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