जीएसटी-सेंट्रल एक्साइज
इंदौर. विनोद शर्मा ।
गुड्स एंड सर्विस टैक्स (जीएसटी) के तहत सरकार जीएसटी-सेंट्रल एक्साइज विभाग को मैदानी स्तर पर मजबूत बना रही है। इस कड़ी में इंदौर कमिश्नर की संख्या दो से बढ़कर तीन हो चुकी है। वहीं कस्टम कमिश्नरेट के रूप में चौथे कमिश्नर की तैयारियां भी जारी है। माना जा रहा है कि विभागीय बटवारे से न सिर्फ विभाग के कामकाज को गति मिलेगी बल्कि इसका फायदा करदाताओं को भी मिलेगा। करदाताओं को मामले के निराकरण के लिए लंबा इंतजार नहीं करना होगा।
जीएसटी को लेकर कस्टम, सेंट्रल एक्साइज एंड सेंट्रल एक्साइज विभाग का खांका तैयार है। इस खांके के तहत इंदौर में दिनेश पुरुषोत्तम पंगारकर के रूप में अपील कमिश्नर की पोस्टिंग और की गई है। इससे पहले दो कमिश्नर (एक्जिक्यूटिव और आॅडिट) इंदौर में थे। ऐसे कुल तीन कमिश्नर बैठ रहे हैं। अपील कमिश्नर की व्यवस्था भी कुछ वर्षों पहले इंदौर में थी जिसे भोपाल में शिफ्ट कर दिया गया था। जब अपील कमिश्नरेट इंदौर में था तब आॅडिट कमिश्नरेट भोपाल में था। उधर, एडज्यूडिकेशन के लिए लगातार अलग कमिश्नर की मांग उठती रही है। विशेषज्ञों की मानें तो एक्जिक्यूविट कमिश्नर छापेमारी करे, टैक्स चोरी पकड़े और बाद में वही मामले में न्याय भी दे, यह मुश्किल है। इसीलिए एडज्यूडिकेशन कमिश्नर अलग होना चाहिए।
कॉर्पोरेट सेंटर में होगा आॅफिस
अपील कमिश्नर अभी माणिकबाग मुख्यालय में ही बैठ रहे हैं लेकिन उनका आॅफिस जल्द ही आरएनटी मार्ग स्थित कॉर्पोरेट सेंटर में खुलेगा। इससे पहले जब इंदौर में अपील कमिश्नरेट था तब भी उसका आॅफिस यहीं था। बताया जा रहा है कि अगस्त में आॅफिस शुरू हो जाएगा।
अलग होगा कस्टम कमिश्नरेट
बताया जा रहा है कि सरकार इंदौर में कस्टम की व्यवस्था अलग ही करना चाह रही है। इस कड़ी में कस्टम कमिश्नरेट की तैयारियां भी जारी है जिसे जल्द ही अमली जामा पहनाया जा सकता है। कस्टम कमिश्नरेट इंदौर सहित आसपास के शहरों में होने वाले आयात और निर्यात पर नजर रखेंगे।
किस कमिश्नरेट का क्या काम...
एक्जिक्यूविट कमिश्नर : इस पोस्ट पर नीरव मल्लिक नियुक्त किए गए हैं। कमिश्नरेट में कितने करदाता हैं। कितना कर मिलता है। कर कैसे बढ़ाया जा सकता है। सर्वे और छापेमार कार्रवाई। एडज्यूडिकेशन की जिम्मेदारी भी है। 2 करोड़ से अधिक के करचोरी प्रकरण में एडज्यूडीकेशन का अधिकार कमिश्नर को है।
आॅडिट कमिश्नर : इस पोस्ट पर अतूल सक्सेना पदस्थ हैं। आॅफिस स्कीम-54 में रिलायंस ग्राउंड के सामने है। असेसी के बिल-बुक्स और फाइनेंशियल अकाउंट के साथ ही कस्टम, सेंट्रल एक्साइज और सर्विस टैक्स रिटर्न की समीक्षा करते हैं। समीक्षा के बाद तय होता है कि असेसी कितना टैक्स दे सकता है और कितना दे रहा है।
अपील कमिश्नर : दिनेश पंगारकर नियुक्त किए गए हैं। कमिश्नर, एडिशनल कमिश्नर या डिप्टी कमिश्नर किसी असेसी के कामकाज की समीक्षा करने के बाद उसे डिमांड नोटिस थमाते हैं। टैक्स निकालते हैं। यदि असेसी को लगता है कि निकाली गई डिमांड या थोपी गई पेनल्टी गलत है तो वह अपील कर सकता है। अपील कमिश्नर सही पाए जाने पर असेसी को राहत भी देते हैं।
फायदे...
- अलग-अलग जिम्मेंदारियां होने के कारण किसी एक पर काम का दबाव नहीं होता। न काम लंबित होते हैं। न ज्यादा समय लगता है।
- काम विभाजित होने के कारण हर कमिश्नर अपने काम को और बेहतर तरीके से कर सकता है।
- असेसी और टैक्स कलेक्शन दोनों बढ़ेगा।
- आॅडिट और अपील के जिन मामलों के निराकरण में वक्त लगता था वह कम हुआ है और कम होगा।
इंदौर. विनोद शर्मा ।
गुड्स एंड सर्विस टैक्स (जीएसटी) के तहत सरकार जीएसटी-सेंट्रल एक्साइज विभाग को मैदानी स्तर पर मजबूत बना रही है। इस कड़ी में इंदौर कमिश्नर की संख्या दो से बढ़कर तीन हो चुकी है। वहीं कस्टम कमिश्नरेट के रूप में चौथे कमिश्नर की तैयारियां भी जारी है। माना जा रहा है कि विभागीय बटवारे से न सिर्फ विभाग के कामकाज को गति मिलेगी बल्कि इसका फायदा करदाताओं को भी मिलेगा। करदाताओं को मामले के निराकरण के लिए लंबा इंतजार नहीं करना होगा।
जीएसटी को लेकर कस्टम, सेंट्रल एक्साइज एंड सेंट्रल एक्साइज विभाग का खांका तैयार है। इस खांके के तहत इंदौर में दिनेश पुरुषोत्तम पंगारकर के रूप में अपील कमिश्नर की पोस्टिंग और की गई है। इससे पहले दो कमिश्नर (एक्जिक्यूटिव और आॅडिट) इंदौर में थे। ऐसे कुल तीन कमिश्नर बैठ रहे हैं। अपील कमिश्नर की व्यवस्था भी कुछ वर्षों पहले इंदौर में थी जिसे भोपाल में शिफ्ट कर दिया गया था। जब अपील कमिश्नरेट इंदौर में था तब आॅडिट कमिश्नरेट भोपाल में था। उधर, एडज्यूडिकेशन के लिए लगातार अलग कमिश्नर की मांग उठती रही है। विशेषज्ञों की मानें तो एक्जिक्यूविट कमिश्नर छापेमारी करे, टैक्स चोरी पकड़े और बाद में वही मामले में न्याय भी दे, यह मुश्किल है। इसीलिए एडज्यूडिकेशन कमिश्नर अलग होना चाहिए।
कॉर्पोरेट सेंटर में होगा आॅफिस
अपील कमिश्नर अभी माणिकबाग मुख्यालय में ही बैठ रहे हैं लेकिन उनका आॅफिस जल्द ही आरएनटी मार्ग स्थित कॉर्पोरेट सेंटर में खुलेगा। इससे पहले जब इंदौर में अपील कमिश्नरेट था तब भी उसका आॅफिस यहीं था। बताया जा रहा है कि अगस्त में आॅफिस शुरू हो जाएगा।
अलग होगा कस्टम कमिश्नरेट
बताया जा रहा है कि सरकार इंदौर में कस्टम की व्यवस्था अलग ही करना चाह रही है। इस कड़ी में कस्टम कमिश्नरेट की तैयारियां भी जारी है जिसे जल्द ही अमली जामा पहनाया जा सकता है। कस्टम कमिश्नरेट इंदौर सहित आसपास के शहरों में होने वाले आयात और निर्यात पर नजर रखेंगे।
किस कमिश्नरेट का क्या काम...
एक्जिक्यूविट कमिश्नर : इस पोस्ट पर नीरव मल्लिक नियुक्त किए गए हैं। कमिश्नरेट में कितने करदाता हैं। कितना कर मिलता है। कर कैसे बढ़ाया जा सकता है। सर्वे और छापेमार कार्रवाई। एडज्यूडिकेशन की जिम्मेदारी भी है। 2 करोड़ से अधिक के करचोरी प्रकरण में एडज्यूडीकेशन का अधिकार कमिश्नर को है।
आॅडिट कमिश्नर : इस पोस्ट पर अतूल सक्सेना पदस्थ हैं। आॅफिस स्कीम-54 में रिलायंस ग्राउंड के सामने है। असेसी के बिल-बुक्स और फाइनेंशियल अकाउंट के साथ ही कस्टम, सेंट्रल एक्साइज और सर्विस टैक्स रिटर्न की समीक्षा करते हैं। समीक्षा के बाद तय होता है कि असेसी कितना टैक्स दे सकता है और कितना दे रहा है।
अपील कमिश्नर : दिनेश पंगारकर नियुक्त किए गए हैं। कमिश्नर, एडिशनल कमिश्नर या डिप्टी कमिश्नर किसी असेसी के कामकाज की समीक्षा करने के बाद उसे डिमांड नोटिस थमाते हैं। टैक्स निकालते हैं। यदि असेसी को लगता है कि निकाली गई डिमांड या थोपी गई पेनल्टी गलत है तो वह अपील कर सकता है। अपील कमिश्नर सही पाए जाने पर असेसी को राहत भी देते हैं।
फायदे...
- अलग-अलग जिम्मेंदारियां होने के कारण किसी एक पर काम का दबाव नहीं होता। न काम लंबित होते हैं। न ज्यादा समय लगता है।
- काम विभाजित होने के कारण हर कमिश्नर अपने काम को और बेहतर तरीके से कर सकता है।
- असेसी और टैक्स कलेक्शन दोनों बढ़ेगा।
- आॅडिट और अपील के जिन मामलों के निराकरण में वक्त लगता था वह कम हुआ है और कम होगा।
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