Thursday, August 10, 2017

इंदौर के बॉबी का समधी है छत्तीसगढ़ का पप्पू

सालों ने संभाल रखा है 250 करोड़ का शराब कारोबार
इंदौर. विनोद शर्मा ।
छत्तीसगढ़ में जिस सोना ग्रुप के खिलाफ इनकम टैक्स की इन्वेस्टिगेशन ने धुआंधार छापेमारी की है उसके सर्वेसर्वा बलदेव ‘पप्पू’ भाटिया इंदौर के कुख्यात भू-माफिया रणवीरसिंह ‘बॉबी’ छाबड़ा के होने वाले समधी हैं। यही पप्पू हरपाल सिंह भाटिया उर्फ ‘मोनू’ और गुरमीतसिंह भाटिया ‘सोनू’ के जीजा हैं। पप्पू का पैसा मालवा-निमाड़ की शराब दुकानों में इस्तेमाल करने वाले सोनू-मोनू के माध्यम से ही बॉबी ने सोना समूह की सिमरन फीशरीज को 2013 में ऊंची बोली लगवाकर इंदिरासागर में मछली पकड़ने का ठेका दिलवाया था।
सोना समूह के साथ ही इनकम टैक्स की इन्वेस्टिगेशन विंग ने मोनू-सोनू भाटिया के सिमरन समूह पर भी कार्रवाई की थी। छापेमार कार्रवाई के दौरान सिमरन समूह में पप्पू भाटिया का खुला इन्वॉल्वमेंट सामने आया। बताया जा रहा है कि होलटाइम डायरेक्टर रहते पप्पू भाटिया ने ही सिमरन समूह को वजनदार बनाया है। मोनू-सोनू से बॉबी की नजदीकी है। उसी की सलाह से सिमरन समूह ने पोल्ट्री फार्म के आगे अपना कारोबार बढ़ाया। जनवरी 2013 में सिमरन फीशरीज प्रा.लि. नाम की कंपनी पंजीबद्ध कराई और 62.50 करोड़ की ऊंची बोली लगाकर इंदिरासागर में मछली पकड़ने का ठेका कंपनी को दिलवाया। इसके अलावा कंपनी ने बाणसागर का भी ठेका लिया। दोनों ठेके 2013 में लिए हैं जो कि 2018 तक चलेंगे।
एक तीर से दो शिकार
बॉबी ने सिमरन को ठेका दिलाकर एक तीर से दो शिकार किए। पहला ठेका दिलाकर पप्पू भाटिया परिवार में पेठ बनाई और दूसरा परम्परागत ठेका छीनकर अपने खास प्रतिद्वदी रिंकू भाटिया को नीचा दिखाने की कोशिश की। छह महीने पहले ही पप्पू के बेटे से बॉबी ने अपनी बेटी का संबंध जोड़ा। फॉर्च्यून लैंडमार्क होटल में दोनों की सगाई हुई।
मुर्गी पालन से ही आगे बढ़ी कंपनी
सिमरन समूह 1980 से स्थापित है। सिमरन फार्म लिमिटेड (एसएफएल) के नाम से कंपनी 1984 में पंजीबद्ध हुई। 1993 में प्रा.लि. कंपनी बनी। कंपनी पोल्ट्रीफार्म का बड़ा कारोकार करती रही। खंडवा रोड और सिमरोल में कई पोल्ट्रीफार्म है। मप्र, छत्तीसगढ़, गुजरात, राजस्थान, पंजाब, जम्मू और महाराष्ट्र में कामकाज फैला हुआ है। कंपनी में सालाना ग्रोथ दर्ज की गई। इसीलिए कंपनी का कारोबार बढ़कर 444 करोड़ तक पहुंच गया। इसके बाद समूह ने सिमरन हेचरीज प्रा.लि., सिमरन लेब्स (वेटलाइन) प्रा.लि., सिमरन फुड्स प्रा.लि. और सिमरन फीड्स प्रा.लि.।
250 करोड़ का है शराब कारोबार
सोनू भाटिया जहां पोल्ट्री फार्म और फीशरीज का काम संभालते हैं वहीं मोनू भाटिया पप्पू भाटिया के शराब कारोबार को मालवा-निमाड़ में फैलाए हुए है। आंकड़ों के लिहाज से बात करें तो मोनू की इंदौर, खरगोन और बड़वानी में तकरीबन एक दर्जन समूहों में तीस से ज्यादा दुकाने हैं। इसमें बॉम्बे हॉस्पिटल समूह की दुकानें ही 36 करोड़ से ज्यादा की ली गई थी। इसके अलावा इंदौर में मालवा मिल ग्रुप, ट्रांसपोर्टनगर ग्रुप, तेजाजीनगर-मिर्जापुर ग्रुप, चोरल ग्रुप और खंडवा नाका-पालदा ग्रुप हैं। खरगोन में बलवाड़ा और बड़वाह ग्रुप हैं। बड़वानी में तीन-चार ग्रुप और हैं। बताया जा रहा है कि 150 करोड़ की दुकानें तो इंदौर शहर में ही हैं। 100 करोड़ की अन्य दुकानें हैं। सभी दुकानों के ठेके अलग-अलग कंपनियों के नाम पर लिए गए हैं। वहीं कुछ दुकानों के लिए हरपाल सिंह भाटिया उर्फ मोनू के नाम भी इस्तेमाल किया गया है।
डमी डायरेक्टर्स के भरौसे है कंपनियां
पप्पू भाटिया ने मोनू-सोनू भाटिया को सिमरन से हटकर भी तकरीबन दो दर्जन कंपनियों में डायरेक्टर बना रखा है।  आरवीएस ट्रांसपोर्ट कंपनी एलएलपी, पेंथर ट्रांसपोर्ट एंड लॉजिस्टिक, आदिवासी डिस्टीलरीज प्रा.लि., सिम्फा लेब्स प्रा.लि. और राज इन्फ्रासिटी प्रा.लि. में मानू डायरेक्टर है। प्योरजेन बायोटेक लि. और सिमरन इन्फोटेक प्रा.लि. में सोनू डायरेक्टर है।  इसके अलावा समूह की कोलकाता और दिल्ली सहित देशभर में 100 से अधिक कंपनियां पंजीबद्ध हैं। इनमें से ज्यादातर के डायरेक्टर डमी हैं। सिर्फ केश फ्लो रोटेट करने और बैंक शीट बनाए रखने के लिए यह कंपनियां सिर्फ कागजों में चल रही है। 

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