Thursday, August 10, 2017

‘गांधी’ की गद्दी पर बैठकर पिता का प्लॉट पत्नी के नाम कर दिया गोधा ने

- 2004 में मौत, 2005 में शादी और नामांतरण 2010 में
इंदौर. विनोद शर्मा ।
सरकारी जमीन पर हवेली और अनैतिक कार्य के कारण गांधीनगर हाउसिंग सोसायटी से जिस मनीश उर्फ मोनू गोधा को बेदखल कर दिया था उसने संस्थाध्यक्ष रहते फर्जी तरीके से अपने पिता का प्लॉट अपनी पत्नी के नाम कर दिया। नामांतरण के लिए फाइल में जरूरी दस्तावेज तक नहीं है। इतना ही नहीं संस्था से जो चार प्लॉट आवंटित करवाए थे उनके नक्शे भी पंचायत या टाउन एंड कंट्री प्लानिंग से नहीं बल्कि संस्था से ही पास करवा दिए।
इंदौर की सबसे बदनाम हाउसिंग सोसायटियों में से एक गांधीनगर सोसायटी इन दिनों पूर्व कार्यकारी अध्यक्ष मनीश उर्फ मोनू गोधा और सरकारी जमीन पर तनी उनकी हवेली को लेकर चर्चा में है। इस कड़ी में संस्था सूत्रों ने गुरुवार को दबंग दुनिया को कुछ दस्तावेज उपलब्ध कराए जिन्होंने मोनू के कारनामों की कलई खोल दी। दस्तावेजों में एक नामांतरण प्रमाण-पत्र भी है जो कि 18 मई 2010 को हुई संस्था की बैठक के प्रस्ताव क्रमांक 3 और ठहराव क्रमांक 3 के अनुसार सपना गोधा के नाम जारी किया गया था जो कि मोनू की पत्नी है। प्रमाण-पत्र के अनुसार मोनू के पिता सुरेश पिता घीसालाल गोधा  निवासी संत मार्ग गांधीनगर का प्लॉट 56 सी उनकी मृत्यु पश्चात सपना गोधा के नाम किया गया। प्रमाण-पत्र पर मोनू और प्रबंधक फुलचंद पांडे के दस्तखत भी हैं।
संपत्तिकर की चोरी
गांधीनगर 2013-14 से नगर निगम में है। निगम के राजस्व रिकार्ड में  प्लॉट नं. 57-सी का खाता (पिन 40112900302) दर्ज है जो कि साधना पति मनीेष गोधा के नाम दर्ज है। खाते के अनुसार ग्राउंड फ्लोर पर 1000, पहली मंजिल पर 400 और पहली मंजिल-1 पर 1000 वर्गफीट निर्माण है। जबकि मौके पर इससे दोगुना निर्माण है। अभी 5545.0 रुपए/सालाना का संपत्तिकर बनता है जो कि डबल बनना था।
नामांतरण पर ऐसे उठे सवाल
- मनीष के पिता सुरेश गोधा की मृत्यु 2004 में हुई थी जबकि मनीष और सपना की शादी हुई जुलाई 2005 में।
- 2009-10 में मनीष संस्था का उपाध्यक्ष बना लेकिन अध्यक्ष के जेल जाने के बाद उसे कार्यकारी अध्यक्ष बना दिया गया। मई 2010 की जिस बैठक में नामांतरण प्रस्ताव मंजूर हुआ। मतलब पिता की मृत्यु के सीधे छह साल बाद।
- नियमानुसार ससूर की संपत्ति बहु के नाम वसीयतनामे के आधार पर ही हो सकती है। ऐसे में सवाल यह उठता कि दिवंगत सुरेश गोधा को क्या अपनी मृत्यु के एक साल पहले ही पता था कि मोनू की शादी सपना से ही होगी। जबकि मोनू की सगाई और शादी 2005 में हुई।
- नियमानुसार किसी व्यक्ति की मृत्यु के पश्चात उसकी संपत्ति पर पहला अधिकार उनकी पत्नी का होता है। दूसरा बच्चों का। या सभी का बराबर का। ऐसे में सपना ने मृत्यु पश्चात हवाला देकर जो नामांतरण आवेदन किया था उस पर मोनू की मां प्रभादेवी और मोनाली की सहमति पत्र नहीं है।
संस्था ने प्लॉट दिए चार, दो नक्शे भी पास कर दिए
गांधीनगर हाउसिंग सोसायटी में सहकारिता विभाग के नियम तो लागू होते ही नहीं है? मप्र भूमि विकास अधिनियम भी लागू नहीं होता! इसीलिए किशन पुरोहित और नरेंद्र बक्षी ने बेकडेट में मनीष गोधा, प्रभादेवी गोधा, सपना गोधा और एक अन्य के नाम पर 1800-1800 वर्गफीट के चार प्लॉट आवंटित किए थे। बाद में संस्था ने ही इनमें से दो प्लॉट (मनीष पिता सुरेश गोधा के 56-ए और घिसालाल पिता गट्टूलाल गोधा के 56-सी) के नक्शे भी पास कर दिए। इनमें हर नक्शे पर ग्राउंड फ्लोर पर 1357 और फर्स्ट फ्लोर पर 1357 वर्गफीट निर्माण की मंजूरी दी गई थी। इन प्लॉटों को जोड़कर मनीष गोधा और विनोद गोधा की हवेली बनी है। नक्शों पर तारीख तो दूर वर्ष का भी जिक्र तक नहीं है। 

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