Thursday, August 10, 2017

खनन पर लगा ब्रेक, कंस्ट्रक्शन को झटका

दो गुने हो गए दाम, रूकेंगे कई काम
इंदौर. विनोद शर्मा ।
रेत उत्खनन मामले में लगातार घिरते जाने के बाद मप्र सरकार ने नर्मदा से वैध-अवैध रेत खनन पर प्रतिबंध लगा दिया है। पर्यावरण, नर्मदा और सड़कों के हित मेंं फैसले को जहां अच्छा बताया जा रहा है वहीं प्रतिबंध के बाद ही दोगुनी हुई रेत की कीमत और बढ़ी कंस्ट्रक्शन कॉस्ट को फैसले के साइड इफेक्ट के रूप में भी देखा जा रहा है। आंकड़ों के लिहाज से बात करें तो रविवार तक जो मल्टीएक्सल डम्पर रेत की कीमत 27000 रुपए थी फैसले के बाद सोमवार को वह 40 हजार रुपए में भी ढूंढे नहीं मिल रहा था। 24 घंटे में 48 प्रतिशत का इजाफा। 1000  वर्गफीट के घर में 60 हजार की जो रेत लगती थी अब उसके लिए 1.05 लाख चुकाना होंगे।
मुख्यमंत्री द्वारा लिए गए उत्खनन प्रतिबंध के फैसले से नर्मदा किनारे संचालित 200 से ज्यादा खदानों पर ताले डलना तय है। इनमें नेमावर, हरदा, हंडिया, नसरूल्लागंज, होशंगाबाद की खदानें प्रमुख रूप से शामिल हैं जिनसे इंदौर और भोपाल में रेत की सप्लाई होती है। नर्मदा से रेत निकालना पूरी तरह से बंद  होने के बाद  कंस्ट्रक्शन के बडेÞ गढ़ इंदौर और भोपाल सहित कई शहरों में रेत की किल्लत होगी। निर्माण कार्य तो बाधित होंगे ही साथ ही जहां आधे निर्माण हो चुक हैं वे भी ठप हो जाएंगे।
सबसे ज्यादा सरकारी ठेके प्रभावित
हाउसिंग के क्षेत्र में छाई मंदी के कारण हाउसिंग प्रोजेक्ट चल रहे हैं लेकिन उनकी रफ्तार पहले ही कम है। सबसे ज्यादा रेत की खपत हो रही है सरकारी प्रोजेक्ट्स में। यहां सीएसआर और एसओआर 28 रुपए क्यूबिक मीटर है। इसे 10 से 30 प्रतिशत अबोव के साथ ठेकेदार लेता है लेकिन रेत की नई दरों के बाद  कंस्ट्रक्शन कॉस्ट 70 रुपए क्यूबिक फीट तक बढ़ जाएगी।
कंस्ट्रक्शन धीमा : इंदौर और भोपाल में सबसे ज्यादा हाउसिंग प्रोजेक्ट हैं। इंदौर में ही तकरीबन एक हजार से अधिक बिल्डिंगे अंडर कंस्ट्रक्श्न हैं। इसके अलावा 400 से ज्यादा कॉलोनियों में विकासकार्य जारी हैं और तकरीबन हर कॉलोनी में कॉन्क्रिट सड़क ही बन रही है। रेत न मिलने से इनकी गति धीमी पड़ेगी।
घर महंगा
-- एक वर्गफीट कंस्ट्रक्शन में डेढ़ फीट रेत इस्तेमाल होती है। एक फीट रेत की कीमत रविवार तक 40 रुपए/फीट जो सोमवार शाम तक 70 रुपए/फीट हो गई। आने वाले दिनों में यही दाम 90 रुपए/फीट तक जाएंगे।
-- मतलब 1000 वर्गफीट कंस्ट्रक्शन करने के लिए 1500 फीट (40 घन मीटर) रेत लगेगी इसकी कीमत 60000 रुपए आती थी। सोमवार से यही कॉस्ट बढ़कर 105000 रुपए हो गई है। अंतर सीधे 45 हजार का।
-- ऐसे ही औसत कंस्ट्रक्शन कॉस्ट 1000 रुपए थी जो सोमवार से बढ़कर 1040 रुपए हो गई है। आगे 1100 रुपए तक बढ़ोत्तरी की संभावना है।
ऐसे पड़ेगा फर्क...
डम्पर पुरानी दर नई दर
मल्टीएक्सल 27000 40000
सिक्स व्हील 14000 28000
नर्मदा नदी से 5 हजार डम्पर रेत रोज निकाली जाती है। इसमें से 14 ट्रक रेत की खपत सिर्फ और सिर्फ इंदौर में है। भोपाल में 700 गाड़ी आती है। भोपाल में होशंगाबाद-बुधनी से नर्मदा की रेत आती है। वहीं भोपाल में तवा नदी से भी रेत आती है।
नदी, रेत खदानें और लाभान्वित शहर
नर्मदा नदी: नेमावर, हरदा, हंडिया, नसरूल्लागंज, होशंगाबाद सहित 200 खदानें। इंदौर, देवास, सीहोर, होशंगाबाद, भोपाल, धार, बड़वानी, खरगोन।
कारम नदी : सेंधवा  गुजरात- धूलिया, मालवा बड़वानी, सनावद में जाती है रेत।
हथनी नदी:  अलीराजपुर  गुजरात और मुंबई  तक जाती है रेत।
सरकार ने किया धोखा
नेमावर, हरदा, हंडिया और नसरूल्लागंज में खदानें चल रही है। नसरूल्लागंज में 12 खदानें 130 करोड़ में ठेके पर दी गई थी। इसके अलावा हरदा, नेमावर, हंडिया में 6 खदानें 34.50 करोड़ में गई थी। 30, 25-25 और 20 प्रतिशत के हिसाब से चार किश््तों में सरकार पैसे लेकर 2020 तक का आंवटन कर चुकी है। खदान मालिकों का कहना है कि सरकार ने बीच में ही अनुबंध तोड़कर खदानें बंद की। 20 हजार परिवार इस कारोबार से जुड़े थे।
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जल्दबाजी में लिया गया निर्णय है। जिन शहरों में नर्मदा के अलावा अन्य नदियों से रेत आती है वहां तो काम धक जाएगा लेकिन मालवा-निमाड़ में हालात बिगड़ना तय है। कंस्ट्रक्शन कॉस्ट 1000 से बढ़कर 1050 रुपए/वर्गफीट हो जाएगी। वहीं रेत के दाम की तरह बेरोजगारी भी बढ़ेगी। हाउसिंग से लेकर सरकारी प्रोजेक्ट तक सब अटक जाएगा।
अतुल सेठ, इंजीनियर

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