- खत्म होगी 2008 की व्यवस्था, वेल्यू के आधार पर लेगा टैक्स
इंदौर. विनोद शर्मा ।
गुड्स एंड सर्विस टैक्स (जीएसटी) से सहानुभूति की उम्मीद रखे बैठे पान मसाला कारोबार के लिए अच्छी खबर यह है कि पान मसाला बनाने वाली मशीनों के आधार पर जीएसटी तय नहीं होेगा। जीएसटी सिर्फ वेल्यू पर ही टैक्स लगेगा। दबंग दुनिया से विशेष चर्चा के दौरान यह बात वाणिज्यिक कर विभाग के उपायुक्त एवं जीएसटी के सोर्स ट्रेनर सुदीप गुप्ता ने दी। इसका फायदा उन तमाम उत्पादों को मिलेगा जिनके कर का निर्धारण अब तक अलग-अलग मापदंडों के आधार पर होता था।
गुप्ता ने बताया कि सिर्फ पान मसाला ही नहीं अब तक हिंदुस्तान में कई जगह पर कई तरह के माल के उत्पादन पर ड्यूटी तय होती थी। तो कभी कीमत, मात्रा, वजन या लंबाई के आधार पर। ड्यूटी तय करने के अलग-अलग मापदंड हैं। जीएसटी में ऐसा नहीं होगा। इसमें कर निर्धारण के अलग-अलग मापदंडों को खत्म करके सिर्फ वेल्यू पर ही जीएसटी लगाया जाएगा। इसका फायदा पान मसाला उत्पादकों को ज्यादा मिलेगा जो अब तक पान मसाला बनाने वाली मशीनों की संख्या के आधार पर एक्साइज ड्यूटी चुकाते आ रहे थे। फिर मशीन चले या न चले। यह बात अलग है कि उन्हें बाद में रिफंड मिल जाता था।
यह है मौजूदा व्यवस्था
पान मसाला में एक्साइज ड्यूटी पैकिंग मशीन पर आधारित होती है। इसमें वास्तविक उत्पादन या निकासी का कोई मतलब नहीं होता है। वर्तमान में एक रुपये वाले पाउच जो एक मिनट में 300 पाउच का उत्पादन करने वाली मशीन से 18.45 लाख रुपये प्रतिमाह ड्यूटी ली जाती है। इसी तरह 300 से 750 पाउच प्रति मिनट के उत्पादन पर 30.19 लाख रुपये प्रतिमाह और 750 से अधिक पाउच का उत्पादन करने वाली मशीन पर 67.09 लाख रुपये प्रतिमाह एक्साइज ड्यूटी देय है। पाउच का अधिकतम बिक्री मूल्य बढ़ने के साथ ही ड्यूटी भी बढ़ती जाती है। एक रुपये वाले तंबाकू के पाउच पर 65 फीसद की दर से ड्यूटी देना होता है।
ऐसे था अलग-अलग ड्यूटी निर्धारण
-- पत्थर के विक्रय पर टैक्स पत्थर की मात्रा के आधार पर तय होता है।
-- रेत पर वॉल्यूम के आधार पर।
-- कारों में लंबाई और र्इंजन की क्षमता के आधार पर।
-- सिगरेट में सिगरेट की लंबाई के आधार पर ।
पान मसाला कारोबार बढ़ेगा
कारोबार से जुड़े विशेषज्ञों की मानें तो पान मसाला में मशीन आधारित ड्यूटी लेने का कोई औचित्य नहीं है। जीएसटी की दरें जो भी तय हों, उनका आधार उत्पादन आधारित ही होना चाहिए। ऐसा होने पर ही प्रदेश से पान मसाला कारोबारियों का पलायन रुकेगा और प्रदेश के राजस्व में वृद्धि होगी। 2008 में जब से मशीन आधारित ड्यूटी तय हुई है जिसने छोटे कारोबारियों की कमर तोड़कर रख दी है। कई कंपनियां बंद हो गई। बड़ी तादाद में लोग बेरोजगार हुए।
ड्यूटी ज्यादा लगा दी...
हालांकि जीएसटी मसाला कारोबारियों को उतनी राहत नहीं मिलेगी जितनी की उन्हें उम्मीद है। क्योंकि यदि सरकार मशीनों के आधार पर ड्यूटी नहीं ले रही है तो क्या हुआ जीएसटी की दरें इतनी बढ़ा दी है कि सारी कमी एक साथ पूरी हो जाएगी। आंकड़ों के लिहाज से बात करें तो पान-मसाला गुटखा पर जीएसटी की शीर्ष दर के उपर 204 प्रतिशत उपकर लगेगा। ऐसे ही तंबाकू उत्पादों पर 71 से 204 प्रतिशत की दर से उपकर लगाया जायेगा। इसके अलावा खुशबूदार जर्दा और फिल्टर खनी पर 160 प्रतिशत की दर से उपकर लगेगा।
सिगरेट पर भी भारी होगा जीएसटी
फिल्टर और बिना फिल्टर वाली सिगरेट जिसकी लंबाई 65 मिलीमीटर से अधिक नहीं होगी पर पांच प्रतिशत उपकर लगेगा. इसके ऊपर प्रति 1,000 सिगरेट पर 1,591 रुपये भी लिये जायेंगे। बिना फिल्टर वाली 65 मिलीमीटर से अधिक लेकिन 70 मिलीमीटर से कम लंबी सिगरेट पर शीर्ष दर के ऊपर पांच प्रतिशत जमा 2,876 रुपये/1000 सिगरेट का उपकर लगाया जायेगा। इसी प्रकार फिल्टर सिगरेट पर पांच प्रतिशत जमा 2,126 रुपये/1000 सिगरेट की दर से उपकर लगेगा। सिगार पर जीएसटी की शीर्ष दर के ऊपर 21 प्रतिशत या प्रति 1,000 सिगार 4,170 रुपये जो भी अधिक होगा की दर से उपकर लगेगा। ब्रांडेड गुटखा पर 72 प्रतिशत उपकर होगा। पाइप और सिगरेट में भरे जाने वाले तंबाकू मिश्रण पर 290 प्रतिशत की दर से उपकर लगाया जायेगा।
इंदौर. विनोद शर्मा ।
गुड्स एंड सर्विस टैक्स (जीएसटी) से सहानुभूति की उम्मीद रखे बैठे पान मसाला कारोबार के लिए अच्छी खबर यह है कि पान मसाला बनाने वाली मशीनों के आधार पर जीएसटी तय नहीं होेगा। जीएसटी सिर्फ वेल्यू पर ही टैक्स लगेगा। दबंग दुनिया से विशेष चर्चा के दौरान यह बात वाणिज्यिक कर विभाग के उपायुक्त एवं जीएसटी के सोर्स ट्रेनर सुदीप गुप्ता ने दी। इसका फायदा उन तमाम उत्पादों को मिलेगा जिनके कर का निर्धारण अब तक अलग-अलग मापदंडों के आधार पर होता था।
गुप्ता ने बताया कि सिर्फ पान मसाला ही नहीं अब तक हिंदुस्तान में कई जगह पर कई तरह के माल के उत्पादन पर ड्यूटी तय होती थी। तो कभी कीमत, मात्रा, वजन या लंबाई के आधार पर। ड्यूटी तय करने के अलग-अलग मापदंड हैं। जीएसटी में ऐसा नहीं होगा। इसमें कर निर्धारण के अलग-अलग मापदंडों को खत्म करके सिर्फ वेल्यू पर ही जीएसटी लगाया जाएगा। इसका फायदा पान मसाला उत्पादकों को ज्यादा मिलेगा जो अब तक पान मसाला बनाने वाली मशीनों की संख्या के आधार पर एक्साइज ड्यूटी चुकाते आ रहे थे। फिर मशीन चले या न चले। यह बात अलग है कि उन्हें बाद में रिफंड मिल जाता था।
यह है मौजूदा व्यवस्था
पान मसाला में एक्साइज ड्यूटी पैकिंग मशीन पर आधारित होती है। इसमें वास्तविक उत्पादन या निकासी का कोई मतलब नहीं होता है। वर्तमान में एक रुपये वाले पाउच जो एक मिनट में 300 पाउच का उत्पादन करने वाली मशीन से 18.45 लाख रुपये प्रतिमाह ड्यूटी ली जाती है। इसी तरह 300 से 750 पाउच प्रति मिनट के उत्पादन पर 30.19 लाख रुपये प्रतिमाह और 750 से अधिक पाउच का उत्पादन करने वाली मशीन पर 67.09 लाख रुपये प्रतिमाह एक्साइज ड्यूटी देय है। पाउच का अधिकतम बिक्री मूल्य बढ़ने के साथ ही ड्यूटी भी बढ़ती जाती है। एक रुपये वाले तंबाकू के पाउच पर 65 फीसद की दर से ड्यूटी देना होता है।
ऐसे था अलग-अलग ड्यूटी निर्धारण
-- पत्थर के विक्रय पर टैक्स पत्थर की मात्रा के आधार पर तय होता है।
-- रेत पर वॉल्यूम के आधार पर।
-- कारों में लंबाई और र्इंजन की क्षमता के आधार पर।
-- सिगरेट में सिगरेट की लंबाई के आधार पर ।
पान मसाला कारोबार बढ़ेगा
कारोबार से जुड़े विशेषज्ञों की मानें तो पान मसाला में मशीन आधारित ड्यूटी लेने का कोई औचित्य नहीं है। जीएसटी की दरें जो भी तय हों, उनका आधार उत्पादन आधारित ही होना चाहिए। ऐसा होने पर ही प्रदेश से पान मसाला कारोबारियों का पलायन रुकेगा और प्रदेश के राजस्व में वृद्धि होगी। 2008 में जब से मशीन आधारित ड्यूटी तय हुई है जिसने छोटे कारोबारियों की कमर तोड़कर रख दी है। कई कंपनियां बंद हो गई। बड़ी तादाद में लोग बेरोजगार हुए।
ड्यूटी ज्यादा लगा दी...
हालांकि जीएसटी मसाला कारोबारियों को उतनी राहत नहीं मिलेगी जितनी की उन्हें उम्मीद है। क्योंकि यदि सरकार मशीनों के आधार पर ड्यूटी नहीं ले रही है तो क्या हुआ जीएसटी की दरें इतनी बढ़ा दी है कि सारी कमी एक साथ पूरी हो जाएगी। आंकड़ों के लिहाज से बात करें तो पान-मसाला गुटखा पर जीएसटी की शीर्ष दर के उपर 204 प्रतिशत उपकर लगेगा। ऐसे ही तंबाकू उत्पादों पर 71 से 204 प्रतिशत की दर से उपकर लगाया जायेगा। इसके अलावा खुशबूदार जर्दा और फिल्टर खनी पर 160 प्रतिशत की दर से उपकर लगेगा।
सिगरेट पर भी भारी होगा जीएसटी
फिल्टर और बिना फिल्टर वाली सिगरेट जिसकी लंबाई 65 मिलीमीटर से अधिक नहीं होगी पर पांच प्रतिशत उपकर लगेगा. इसके ऊपर प्रति 1,000 सिगरेट पर 1,591 रुपये भी लिये जायेंगे। बिना फिल्टर वाली 65 मिलीमीटर से अधिक लेकिन 70 मिलीमीटर से कम लंबी सिगरेट पर शीर्ष दर के ऊपर पांच प्रतिशत जमा 2,876 रुपये/1000 सिगरेट का उपकर लगाया जायेगा। इसी प्रकार फिल्टर सिगरेट पर पांच प्रतिशत जमा 2,126 रुपये/1000 सिगरेट की दर से उपकर लगेगा। सिगार पर जीएसटी की शीर्ष दर के ऊपर 21 प्रतिशत या प्रति 1,000 सिगार 4,170 रुपये जो भी अधिक होगा की दर से उपकर लगेगा। ब्रांडेड गुटखा पर 72 प्रतिशत उपकर होगा। पाइप और सिगरेट में भरे जाने वाले तंबाकू मिश्रण पर 290 प्रतिशत की दर से उपकर लगाया जायेगा।
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