पहले मुख्यालय से 100 मीटर दूर बिल्डिंग बनाई, अब 10 मीटर दूर, हरियानी की मनमानी
इंदौर. विनोद शर्मा ।
पशु पालकों के बाड़े, गरीबों के झौपड़े और गुंडों के घर रौंदकर शहर साफ करने का दम भरने वाले अफसरों की छाती पर भू-माफियाओं ने अवैध बिल्डिंग तान दी। बिल्डिंग निगम प्रशासन के लिए किसी खुली चुनौती से कम नहीं है। बावजूद इसके अपने ऐसी कैबिन की खिड़की से साफ नजर आती इस बिल्डिंग को निगम के सख्ती पसंद अधिकारी नजरअंदाज करते आ रहे हैं।
मामला नगर निगम रोड स्थित प्लॉट नं. 84 का है जो कि नगर निगम मुख्यालय के एमजी रोड वाले गेट से दस कदम की दूरी पर है। यहां दिलीप पिता बालकृष्ण सोलंकी, दिनेश बालकृष्ण सोलंकी, जितेंद्र बालकिशन सोलंकी और प्रीति पति हसमुखलाल राठौर के नाम पर 17 नवंबर 2016 को नगर निगम ने नक्शा (4004/आईएमसी/जेड3/वार्ड57/2016) मंजूर किया था। नक्शे के अनुसार 1214.15 वर्गफीट के इस प्लॉट पर कुल 1646.97 वर्गफीट आवासीय निर्माण किया जा सकता था। इसके मौके पर व्यावसायिक बिल्डिंग तान दी गई है। इस बिल्डिंग में नीचे दुकानें निकाल दी गई। शटर तक लगा दी गई लेकिन निगम के अफसरों की नींद नहीं खूली।
हरियानी की खुली चुनौती
जगदीश छाबड़ा के साथ निगम मुख्यालय से 100 मीटर दूर 475-476 एमजी रोड जोड़कर बिल्डिंग बनाने वाला अशोक हरियानी सोलंकी के इस प्लॉट पर बिल्डिंग बना रहा है। अवैध निर्माण के आदी हो चुके हरियानी ने अबकी बार निगम मुख्यालय से 10 मीटर दूर ही मनमानी बिल्डिंग बना दी। ऐसे में लोग जहां उसकी हिम्मत को सलाम ठोक रहे हैं वहीं महापौर के साथ उन अधिकारियों की भूमिका पर सवाल उठा रहे हैं जिनकी सख्ती के कसीदे शहर से लेकर समाचार पत्रों तक में सुर्खियों में रहते हैं।
कैसे बन गई दुकानें...
113.05 वर्गमीटर प्लॉट में से 0.71 वर्गमीटर के रोड सेटबेक छोड़कर 112.34 वर्गमीटर कुल 153.35 वर्गमीटर निर्माण करना था। ग्राउंड फ्लोर पर 51.12, पहली मंजिल पर 51.12 औ दूसरी मंजिल पर 51.12 वर्गमीटर निर्माण होना था।
स्वीकृत नक्शे में ग्राउंड फ्लोर पर फ्रंट में कीचन, लिविंग रूम, ड्राइंग रूम। पीछे स्टेयर और टॉयलेट। बीच में 193.22 वर्गफीट का ओपन टू स्कॉय (ओटीएस छोड़ा जाना था व रोशनी-वेंटीलेशन के लिए)। पहली मंजिल पर फ्रंट में लाउंज, दो बेडरूम और दूसरी मंजिल पर भी लाउंज, दो बेडरूम। इसके विपरीत सोलंकी और हरियानी की जोड़ी ने ग्राउंड फ्लोर पर दुकानें बना दी। ऊपर भी कमर्शियल बना दिया।
आधा दर्जन शिकायतें दर्ज.. फिर भी बिल्डिंग बरकरार
बिल्डिंग को लेकर अली असगर ने 18 जुलाई को सीएम हैल्पलाइन पर शिकायत (4257332) दर्ज कराई। हैल्पलाइन पर दूसरी शिकायत 19 जुलाई को (4261839) देवीसिंह ने दर्ज कराई। वहीं तीसरी शिकायत (4565) 56 ग्रेटर वैशाली निवासी रवि राव ने नगर निगम आयुक्त कार्यालय में जाकर दर्ज कराई। इसके अलावा जनसुनवाई में भी शिकायतें हो चुकी हैं लेकिन कार्रवाई नहीं होती।
अफसरों की पार्टनरशीप में बनी बिल्डिंग
शिकायतकर्ताओं का आरोप है कि अशोक हरियानी के प्रोजेक्ट में निगम के अफसरों की भागीदारी है। इसीलिए अशोक हरियानी के किसी प्रोजेक्ट पर कोई कार्रवाई नहीं हुई। हर प्रोजेक्ट में जबरदस्त अवैध निर्माण है। आवासीय इमारतों को व्यावसायिक बनाकर बेचा जा रहा है।
इंदौर. विनोद शर्मा ।
पशु पालकों के बाड़े, गरीबों के झौपड़े और गुंडों के घर रौंदकर शहर साफ करने का दम भरने वाले अफसरों की छाती पर भू-माफियाओं ने अवैध बिल्डिंग तान दी। बिल्डिंग निगम प्रशासन के लिए किसी खुली चुनौती से कम नहीं है। बावजूद इसके अपने ऐसी कैबिन की खिड़की से साफ नजर आती इस बिल्डिंग को निगम के सख्ती पसंद अधिकारी नजरअंदाज करते आ रहे हैं।
मामला नगर निगम रोड स्थित प्लॉट नं. 84 का है जो कि नगर निगम मुख्यालय के एमजी रोड वाले गेट से दस कदम की दूरी पर है। यहां दिलीप पिता बालकृष्ण सोलंकी, दिनेश बालकृष्ण सोलंकी, जितेंद्र बालकिशन सोलंकी और प्रीति पति हसमुखलाल राठौर के नाम पर 17 नवंबर 2016 को नगर निगम ने नक्शा (4004/आईएमसी/जेड3/वार्ड57/2016) मंजूर किया था। नक्शे के अनुसार 1214.15 वर्गफीट के इस प्लॉट पर कुल 1646.97 वर्गफीट आवासीय निर्माण किया जा सकता था। इसके मौके पर व्यावसायिक बिल्डिंग तान दी गई है। इस बिल्डिंग में नीचे दुकानें निकाल दी गई। शटर तक लगा दी गई लेकिन निगम के अफसरों की नींद नहीं खूली।
हरियानी की खुली चुनौती
जगदीश छाबड़ा के साथ निगम मुख्यालय से 100 मीटर दूर 475-476 एमजी रोड जोड़कर बिल्डिंग बनाने वाला अशोक हरियानी सोलंकी के इस प्लॉट पर बिल्डिंग बना रहा है। अवैध निर्माण के आदी हो चुके हरियानी ने अबकी बार निगम मुख्यालय से 10 मीटर दूर ही मनमानी बिल्डिंग बना दी। ऐसे में लोग जहां उसकी हिम्मत को सलाम ठोक रहे हैं वहीं महापौर के साथ उन अधिकारियों की भूमिका पर सवाल उठा रहे हैं जिनकी सख्ती के कसीदे शहर से लेकर समाचार पत्रों तक में सुर्खियों में रहते हैं।
कैसे बन गई दुकानें...
113.05 वर्गमीटर प्लॉट में से 0.71 वर्गमीटर के रोड सेटबेक छोड़कर 112.34 वर्गमीटर कुल 153.35 वर्गमीटर निर्माण करना था। ग्राउंड फ्लोर पर 51.12, पहली मंजिल पर 51.12 औ दूसरी मंजिल पर 51.12 वर्गमीटर निर्माण होना था।
स्वीकृत नक्शे में ग्राउंड फ्लोर पर फ्रंट में कीचन, लिविंग रूम, ड्राइंग रूम। पीछे स्टेयर और टॉयलेट। बीच में 193.22 वर्गफीट का ओपन टू स्कॉय (ओटीएस छोड़ा जाना था व रोशनी-वेंटीलेशन के लिए)। पहली मंजिल पर फ्रंट में लाउंज, दो बेडरूम और दूसरी मंजिल पर भी लाउंज, दो बेडरूम। इसके विपरीत सोलंकी और हरियानी की जोड़ी ने ग्राउंड फ्लोर पर दुकानें बना दी। ऊपर भी कमर्शियल बना दिया।
आधा दर्जन शिकायतें दर्ज.. फिर भी बिल्डिंग बरकरार
बिल्डिंग को लेकर अली असगर ने 18 जुलाई को सीएम हैल्पलाइन पर शिकायत (4257332) दर्ज कराई। हैल्पलाइन पर दूसरी शिकायत 19 जुलाई को (4261839) देवीसिंह ने दर्ज कराई। वहीं तीसरी शिकायत (4565) 56 ग्रेटर वैशाली निवासी रवि राव ने नगर निगम आयुक्त कार्यालय में जाकर दर्ज कराई। इसके अलावा जनसुनवाई में भी शिकायतें हो चुकी हैं लेकिन कार्रवाई नहीं होती।
अफसरों की पार्टनरशीप में बनी बिल्डिंग
शिकायतकर्ताओं का आरोप है कि अशोक हरियानी के प्रोजेक्ट में निगम के अफसरों की भागीदारी है। इसीलिए अशोक हरियानी के किसी प्रोजेक्ट पर कोई कार्रवाई नहीं हुई। हर प्रोजेक्ट में जबरदस्त अवैध निर्माण है। आवासीय इमारतों को व्यावसायिक बनाकर बेचा जा रहा है।
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