- मुंडलानायता में अधिकारियों की अनदेखी
इंदौर. विनोद शर्मा ।
पंचायती नक्शों की आड़ में नगर निगम सीमा में जुड़ी पंचायतों में भारी खेल हो रहा है। इसका बड़ा उदाहरण ग्राम मुंडला नायता में टाउन एंड कंट्री प्लानिंग (टीएंडसीपी) और नगर निगम की अनुमति के बिना ही चौथवानी और गंगवानी परिवार ने वेअर हाउस और बड़ा सा कन्फेक्शनरी कारखाना तान दिया। इस कारखाने में क्षेत्रीय पार्षद और बिल्डिंग आॅफिसर्स से लेकर बिल्डिंग इंस्पेक्टर्स की भारी रूचि है। पार्षद और अधिकारियों की एक खेप अपना जढ़ावा भी ले चुकी है।
मामला मुंडलानायता का है जो कि 2013-14 में ही नगरसीमा विस्तार के कारण नगर निगम सीमा में आ चुका है। यहां सर्वे नं. 8/1 और 8/2 की 3.498 एकड़ जमीन का है। राजस्व रिकार्ड के अनुसार उक्त जमीन 11 विद्यानगर निवासी पुष्पा पति आनंदराम चौथवानी के नाम दर्ज है। दुग्गल पेंट्स एंड केमिकल्स के सामने इसी जमीन पर जी+2 कारखाना बना है। इसके साथ ही पोहेवाले कमल गंदवानी के पास करीब 6500 वर्गफीट पर जी+1 एक बड़ा गोदाम बना है जिसे गंदवानी वेअर हाउस बताया जा रहा है जो कि कमल गंदवानी का है।
नगर निगम से कोई नक्शा मंजूर नहीं है
नगर निगम के राजस्व रिकार्ड और भवन अनुज्ञा शाखा में उक्त दोनों निर्माण का जिक्र नहीं मिला। जोन पर पदस्थ रहे भवन निरीक्षक वैभव देवलाशे ने भी मौके पर जाकर जांच की थी। मामले में पार्षद पुष्पा बसंत पारगी भी गंदवानी से बात कर चुके हैं। लगातार शिकायतों के बाद देवलाशे दूसरी बार मौका देखने पहुंचे लेकिन उसी दिन उन्हें शिकायतों के आधार पर जोन से हटा दिया। जोन पर पदस्थ अधिकारियों ने इस बात की पुष्टि की कि मौके पर निर्माण बिना नक्शे के हो रहा है।
क्यों अवैध है कारखाना
जिस मुंडला नायता पंचायत से कारखानों का नक्शा मंजूर करना बताया जा रहा है नगर निगम सीमा में गांव के विलय के बाद 2013 से ही उसके अधिकार समाप्त हो चुके हैं। पंचायत राज अधिनियम की धारा-55 के तहत ग्राम पंचायत किसी भी इमारत का नक्शा पास कर सकती है। हालांकि इस स्वीकृति की अवधि सिर्फ एक वर्ष रहती है। यानी जिस साल में मंजूरी ली गई है उसी साल में काम शुरू करना जरूरी है। अन्यथा मंजूरी स्वत: ही निरस्त हो जाती है। चूंकि 2013 में पंचायत के अधिकार समाप्त हो चुके थे लिहाजा यदि मंजूरी दी भी होगी तो 2012 में जो कि 2013 में स्वत: ही रद्द हो गई। क्योंकि बिल्डिंग का काम शुरू हुआ है जुलाई 2016 के बाद।
पैसे मांगने वालों ने परेशान कर दिया
जब अवैध निर्माण के संबंध में क्षेत्रीय पार्षद पुष्पा पति बसंत पारगी से बात की तो उन्होंने कहा कि मुझे वैध-अवैध की जानकारी नहीं है। यह जांचना अधिकारियों का काम है। मुझे तो इतना पता है कि गंदवानी को फोन लगाकर पैसा मांगने वाले आते रहते हैं। कभी पत्रकार तो कभी कौन..।
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मैं मौके पर जांच करता, उससे पहले मेरा ट्रांसफर हो गया
मामला संज्ञान में आया था। शिकायतें भी मिली। मैं मौके पर पहुंचा उसी दिन मेरा जोन से ट्रांसफर हो गया था। आगे क्या हुआ मुझे नहीं मालूम।
वैभव देवलासे, जोन से हटाए गए भवन निरीक्षक
(मौजूदा भवन निरीक्षक सुधीर गुलवे के फोन पर दो दिन तक संपर्क किया लेकिन उन्होंने फोन नहीं उठाया।)
इंदौर. विनोद शर्मा ।
पंचायती नक्शों की आड़ में नगर निगम सीमा में जुड़ी पंचायतों में भारी खेल हो रहा है। इसका बड़ा उदाहरण ग्राम मुंडला नायता में टाउन एंड कंट्री प्लानिंग (टीएंडसीपी) और नगर निगम की अनुमति के बिना ही चौथवानी और गंगवानी परिवार ने वेअर हाउस और बड़ा सा कन्फेक्शनरी कारखाना तान दिया। इस कारखाने में क्षेत्रीय पार्षद और बिल्डिंग आॅफिसर्स से लेकर बिल्डिंग इंस्पेक्टर्स की भारी रूचि है। पार्षद और अधिकारियों की एक खेप अपना जढ़ावा भी ले चुकी है।
मामला मुंडलानायता का है जो कि 2013-14 में ही नगरसीमा विस्तार के कारण नगर निगम सीमा में आ चुका है। यहां सर्वे नं. 8/1 और 8/2 की 3.498 एकड़ जमीन का है। राजस्व रिकार्ड के अनुसार उक्त जमीन 11 विद्यानगर निवासी पुष्पा पति आनंदराम चौथवानी के नाम दर्ज है। दुग्गल पेंट्स एंड केमिकल्स के सामने इसी जमीन पर जी+2 कारखाना बना है। इसके साथ ही पोहेवाले कमल गंदवानी के पास करीब 6500 वर्गफीट पर जी+1 एक बड़ा गोदाम बना है जिसे गंदवानी वेअर हाउस बताया जा रहा है जो कि कमल गंदवानी का है।
नगर निगम से कोई नक्शा मंजूर नहीं है
नगर निगम के राजस्व रिकार्ड और भवन अनुज्ञा शाखा में उक्त दोनों निर्माण का जिक्र नहीं मिला। जोन पर पदस्थ रहे भवन निरीक्षक वैभव देवलाशे ने भी मौके पर जाकर जांच की थी। मामले में पार्षद पुष्पा बसंत पारगी भी गंदवानी से बात कर चुके हैं। लगातार शिकायतों के बाद देवलाशे दूसरी बार मौका देखने पहुंचे लेकिन उसी दिन उन्हें शिकायतों के आधार पर जोन से हटा दिया। जोन पर पदस्थ अधिकारियों ने इस बात की पुष्टि की कि मौके पर निर्माण बिना नक्शे के हो रहा है।
क्यों अवैध है कारखाना
जिस मुंडला नायता पंचायत से कारखानों का नक्शा मंजूर करना बताया जा रहा है नगर निगम सीमा में गांव के विलय के बाद 2013 से ही उसके अधिकार समाप्त हो चुके हैं। पंचायत राज अधिनियम की धारा-55 के तहत ग्राम पंचायत किसी भी इमारत का नक्शा पास कर सकती है। हालांकि इस स्वीकृति की अवधि सिर्फ एक वर्ष रहती है। यानी जिस साल में मंजूरी ली गई है उसी साल में काम शुरू करना जरूरी है। अन्यथा मंजूरी स्वत: ही निरस्त हो जाती है। चूंकि 2013 में पंचायत के अधिकार समाप्त हो चुके थे लिहाजा यदि मंजूरी दी भी होगी तो 2012 में जो कि 2013 में स्वत: ही रद्द हो गई। क्योंकि बिल्डिंग का काम शुरू हुआ है जुलाई 2016 के बाद।
पैसे मांगने वालों ने परेशान कर दिया
जब अवैध निर्माण के संबंध में क्षेत्रीय पार्षद पुष्पा पति बसंत पारगी से बात की तो उन्होंने कहा कि मुझे वैध-अवैध की जानकारी नहीं है। यह जांचना अधिकारियों का काम है। मुझे तो इतना पता है कि गंदवानी को फोन लगाकर पैसा मांगने वाले आते रहते हैं। कभी पत्रकार तो कभी कौन..।
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मैं मौके पर जांच करता, उससे पहले मेरा ट्रांसफर हो गया
मामला संज्ञान में आया था। शिकायतें भी मिली। मैं मौके पर पहुंचा उसी दिन मेरा जोन से ट्रांसफर हो गया था। आगे क्या हुआ मुझे नहीं मालूम।
वैभव देवलासे, जोन से हटाए गए भवन निरीक्षक
(मौजूदा भवन निरीक्षक सुधीर गुलवे के फोन पर दो दिन तक संपर्क किया लेकिन उन्होंने फोन नहीं उठाया।)
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