सरकारी कार्रवाई से बचने के लिए ली सदस्यता, आवंटन पत्र
जेल तक जा चुके हैं संस्था संचालक
इंंदौर. विनोद शर्मा ।
गोधा इस्टेट और गोधा रियलिटी के नाम से बड़ा बांगड़दा में दो कॉलोनियां काट रहे कुख्यात भू-माफिया मनीष ‘मोनू’ गोधा या उनके परिवार को पंचायत ने कोई पट्टा नहीं दिया। बल्कि गांधीनगर गृह निर्माण सहकारी संस्था चार प्लॉट आवंटित किए थे। अब जबकि सहकारिता विभाग गोधा परिकार को संस्था से बेदखल कर चुका है तो ऐसे में सवाल यह उठता है कि सदस्यता समाप्त होने के बाद संस्था ने अपने प्लॉट का कब्जा क्यों नहीं लिया। क्यों मामले में हाथ पर हाथ धरे बैठे रहे संचालक।
28 जून 2016 को नीलेश मिश्रा ने सीएम हेल्पलाइन पर शिकायत (2261044) दर्ज कराई थी जिसे हातोद के अधिकारियों ने ले-देकर रफा-दफा कर दिया था। सर्वे नं. 305 की सरकारी जमीन पर तनी हवेली के मामले में गोधा परिवार कहता है कि उसे बड़ा बांगड़दा पंचायत ने पट्टे पर उक्त जमीन दी थी। इस संबंध में जब पंचायत के सरपंच रहे मौजूदा पार्षद भगवान सिंह चौहान से बात की तो उन्होंने पंचायत स्तर पर दिए गए किसी भी पट्टे की बात नकार दी। उनका स्पष्ट कहना है कि गोधा का घर शुरू से सरकारी जमीन पर है शिकायतों के सिलसिले के बीच इसे बचाए रखने के लिए गोधा परिवार ने गांधीनगर संस्था की सदस्यता ली और संस्था ने चार आवंटन पत्र जारी कर दिए जो पूरी तरह फर्जी थे।
दो टुकड़ों में दिए चार ‘पट्टे’
संस्था से प्राप्त जानकारी के अनुसार दो हिस्सों में गोधा परिवार के नाम पर संस्था द्वारा तथाकथित पट्टे दिए गए थे। दो पट्टे किशन पुरोहित ने दिए थे और दो पट्टे नरेंद्र उर्फ टिम्मी बक्षी ने दिए थे। चारों पट्टे 30 बाय 60 के प्लॉट (1800 वर्गफीट) के थे। प्रभादेवी, विनोद गोधा, मनीष और सपना गोधा के नाम पर है यह तथाकथित पट्टे।
जेल भी होकर आए बक्षी-पुरोहित
मामले में तमाम दस्तावेजी प्रमाण जुटाकर भगवानसिंह चौहान ने शिकायत की थी। एरोड्रम पुलिस ने मामला दर्ज किया और नरेंद्र बक्षी और किशन पुरोहित को जेल तक हुई। मनीष गोधा भी आरोपी था। पूरा मामला 2009-10 का है।
भगवानसिंह चौहान ने बताया कि मैं सरपंच रहा हूं और पंचायत राज अधिनियम के तहत किसी भी व्यक्ति को रहने के लिए 450 वर्गफीट से अधिक का पट्टा जारी नहीं किया जा सकता। गोधा परिवार ने अपने झूठ पर पर्दा डाले रखने के लिए संस्था की सदस्यता ली और आवंटन पत्र जारी करवाए।
शादी बाद में हुई, सदस्यता पहले मिली
्रफर्जीवाड़े को इस कदर अंजाम दिया गया कि हैदराबाद की रहने वाली सपना से मनीष की शादी जुलाई 2005 में हुई थी जबकि गांधीनगर संस्था उन्हें सदस्यता इससे पहले ही दे चुकी थी। पट्टा आवंटन भी 2005 से पहले ही हो चुका था। नियमानुसार पति या पत्नी में से किसी एक को ही सदस्यता दी जा सकती है जिसके नाम प्रदेश में कोई अचल संपत्ति न हो।
परिवार ने व्यंकटेशनगर में भी बनाया अवैध घर
मोनू के चाचा दिलीप पिता घिसालाल गोधा के नाम पर व्यंकटेशनगर का प्लॉट नं. 193 है जबकि उनकी पत्नी अर्चना देवी गोधा के प्लॉट नं. 192 है। एक-एक हजार वर्गफीट के दोनों प्लॉटों पर 58 प्रतिशत ग्राउंड कवरेज के साथ 1164.96-1164.96 वर्गफीट निर्माण मंजूर हुआ था। जी+1 घर बनना था। गोधा परिवार ने दोनों प्लॉटों को जोड़ यहां भी हवेली बना दी।
कोई रिकार्ड नहीं है पट्टे का
पंचायत में गोधा परिवार को दिए किसी पट्टे का रिकार्ड नहीं है। न ही गोधा परिवार रिकार्ड दिखा पाया। घर सरकारी जमीन पर कब्जा है जिसे हाउसिंग सोसायटी के आवंटन की आड़ देने की कोशिश की गई थी लेकिन षड़यंत्र उजागर हो चुका है। अब संस्था प्लॉट का कब्जा ले।
भगवान सिंह चौहान, पार्षद
हमने भी शिकायत कर दी है, कार्रवाई नहीं होती
संस्था द्वारा आवंटन पत्र दिए गए थे जिन्हें लेकर सवाल भी उठते रहे हैं। वैसे भी जब सहकारिता विभाग इनकी सदस्यता समाप्त कर चुका है। मामले में करीब-करीब सभी संबंधित विभागों को शिकायत कर चुके हैं।
विक्रमसिंह चौहान, अध्यक्ष
गांधीनगर हाउसिंग सोसायटी
जेल तक जा चुके हैं संस्था संचालक
इंंदौर. विनोद शर्मा ।
गोधा इस्टेट और गोधा रियलिटी के नाम से बड़ा बांगड़दा में दो कॉलोनियां काट रहे कुख्यात भू-माफिया मनीष ‘मोनू’ गोधा या उनके परिवार को पंचायत ने कोई पट्टा नहीं दिया। बल्कि गांधीनगर गृह निर्माण सहकारी संस्था चार प्लॉट आवंटित किए थे। अब जबकि सहकारिता विभाग गोधा परिकार को संस्था से बेदखल कर चुका है तो ऐसे में सवाल यह उठता है कि सदस्यता समाप्त होने के बाद संस्था ने अपने प्लॉट का कब्जा क्यों नहीं लिया। क्यों मामले में हाथ पर हाथ धरे बैठे रहे संचालक।
28 जून 2016 को नीलेश मिश्रा ने सीएम हेल्पलाइन पर शिकायत (2261044) दर्ज कराई थी जिसे हातोद के अधिकारियों ने ले-देकर रफा-दफा कर दिया था। सर्वे नं. 305 की सरकारी जमीन पर तनी हवेली के मामले में गोधा परिवार कहता है कि उसे बड़ा बांगड़दा पंचायत ने पट्टे पर उक्त जमीन दी थी। इस संबंध में जब पंचायत के सरपंच रहे मौजूदा पार्षद भगवान सिंह चौहान से बात की तो उन्होंने पंचायत स्तर पर दिए गए किसी भी पट्टे की बात नकार दी। उनका स्पष्ट कहना है कि गोधा का घर शुरू से सरकारी जमीन पर है शिकायतों के सिलसिले के बीच इसे बचाए रखने के लिए गोधा परिवार ने गांधीनगर संस्था की सदस्यता ली और संस्था ने चार आवंटन पत्र जारी कर दिए जो पूरी तरह फर्जी थे।
दो टुकड़ों में दिए चार ‘पट्टे’
संस्था से प्राप्त जानकारी के अनुसार दो हिस्सों में गोधा परिवार के नाम पर संस्था द्वारा तथाकथित पट्टे दिए गए थे। दो पट्टे किशन पुरोहित ने दिए थे और दो पट्टे नरेंद्र उर्फ टिम्मी बक्षी ने दिए थे। चारों पट्टे 30 बाय 60 के प्लॉट (1800 वर्गफीट) के थे। प्रभादेवी, विनोद गोधा, मनीष और सपना गोधा के नाम पर है यह तथाकथित पट्टे।
जेल भी होकर आए बक्षी-पुरोहित
मामले में तमाम दस्तावेजी प्रमाण जुटाकर भगवानसिंह चौहान ने शिकायत की थी। एरोड्रम पुलिस ने मामला दर्ज किया और नरेंद्र बक्षी और किशन पुरोहित को जेल तक हुई। मनीष गोधा भी आरोपी था। पूरा मामला 2009-10 का है।
भगवानसिंह चौहान ने बताया कि मैं सरपंच रहा हूं और पंचायत राज अधिनियम के तहत किसी भी व्यक्ति को रहने के लिए 450 वर्गफीट से अधिक का पट्टा जारी नहीं किया जा सकता। गोधा परिवार ने अपने झूठ पर पर्दा डाले रखने के लिए संस्था की सदस्यता ली और आवंटन पत्र जारी करवाए।
शादी बाद में हुई, सदस्यता पहले मिली
्रफर्जीवाड़े को इस कदर अंजाम दिया गया कि हैदराबाद की रहने वाली सपना से मनीष की शादी जुलाई 2005 में हुई थी जबकि गांधीनगर संस्था उन्हें सदस्यता इससे पहले ही दे चुकी थी। पट्टा आवंटन भी 2005 से पहले ही हो चुका था। नियमानुसार पति या पत्नी में से किसी एक को ही सदस्यता दी जा सकती है जिसके नाम प्रदेश में कोई अचल संपत्ति न हो।
परिवार ने व्यंकटेशनगर में भी बनाया अवैध घर
मोनू के चाचा दिलीप पिता घिसालाल गोधा के नाम पर व्यंकटेशनगर का प्लॉट नं. 193 है जबकि उनकी पत्नी अर्चना देवी गोधा के प्लॉट नं. 192 है। एक-एक हजार वर्गफीट के दोनों प्लॉटों पर 58 प्रतिशत ग्राउंड कवरेज के साथ 1164.96-1164.96 वर्गफीट निर्माण मंजूर हुआ था। जी+1 घर बनना था। गोधा परिवार ने दोनों प्लॉटों को जोड़ यहां भी हवेली बना दी।
कोई रिकार्ड नहीं है पट्टे का
पंचायत में गोधा परिवार को दिए किसी पट्टे का रिकार्ड नहीं है। न ही गोधा परिवार रिकार्ड दिखा पाया। घर सरकारी जमीन पर कब्जा है जिसे हाउसिंग सोसायटी के आवंटन की आड़ देने की कोशिश की गई थी लेकिन षड़यंत्र उजागर हो चुका है। अब संस्था प्लॉट का कब्जा ले।
भगवान सिंह चौहान, पार्षद
हमने भी शिकायत कर दी है, कार्रवाई नहीं होती
संस्था द्वारा आवंटन पत्र दिए गए थे जिन्हें लेकर सवाल भी उठते रहे हैं। वैसे भी जब सहकारिता विभाग इनकी सदस्यता समाप्त कर चुका है। मामले में करीब-करीब सभी संबंधित विभागों को शिकायत कर चुके हैं।
विक्रमसिंह चौहान, अध्यक्ष
गांधीनगर हाउसिंग सोसायटी
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