Thursday, August 10, 2017

आधा दर्जन रिमूवल नोटिस, फिर भी तना हुआ है बारोड हॉस्पिटल

नोटिस को बनाया निगम के मैदानी अमले ने कमाई का जरिया
राजनीतिक प्रेशर की आड़ लेकर कार्रवाई नही ंकी
इंदौर. चीफ रिपोर्टर ।
मप्र भूमि विकास अधिनियम और मास्टर प्लान 2021 के प्रावधान को नजरअंदाज करते हुए नगर निगम द्वारा स्वीकृत नक्शे के विपरीत आवासीय प्लॉट पर तने बारोड हॉस्पिटल पर नगर निगम मेहरबान है। यही वजह है कि दो साल से बनकर खड़े हॉस्पिटल को छह महीने पहले रिमूवल नोटिस तो थमाया लेकिन कार्रवाई नहीं की। अब नए सिरे से नोटिस जारी करने के लिए अधिकारियों को इंतजार है लिखित शिकायत का।
सुखलिया में डॉ. बारोड ने कैसे पंडित दिनदयाल उपाध्यायनगर(सुखलिया) के प्लॉट नं. 28 एएच और 29 एएच पर मनमाने तरीके से बारोड हॉस्पिटल तान दिया है? इसका खुलासा दबंग दुनिया ने सोमवार के अंक में ‘दो प्लॉट+दो नक्शे=बारोड हॉस्पिटल’ शीर्षक से प्रकाशित समाचार में किया था। अनुमति के विपरीत अस्पताल कैसे बनकर तैयार हो गया? और अधिकारी आंख मुंद पर तमाशा क्यों देखते रहे? जैसे सवालों पर जोन-5 के मैदानी अमले ने कहा कि डॉ. सुनील बारोड को रिमूवल नोटिस दिया जा चुका है। नोटिस कब दिया के जवाब में उन्होंने कहा कि पांच-छह महीने पहले नोटिस दिया था। फिर कार्रवाई क्यों नहीं हुई? जैसे सवाल सुनते ही सबने फोन काट दिया।
राजनीतिक पकड़ भारी है नियमों पर
डॉ. सुनील बारोड के पिता शालीग्राम बारोड विकलांग हेैं और वे विकलांगों के क्लीपर्स व अन्य उपकरण बनाते हैं। वे आला दर्जे पर सरकार से सम्मानित भी हो चुके हैं। एक तरफ बारोड परिवार  विधायक महेंद्र हार्डिया के रिश्ते में है वहीं पिता के अच्छे काम के कारण विधानसभा-2 के कद्दावर नेता भी बारोड परिवार से जुड़े हैं। इसी का फायदा उठाकर डॉ. बारोड ने आवासीय अनुमति लेकर अस्पताल तान दिया और अधिकारी देखते रहे। क्षेत्रीय नेताओं ने भी मदद की।
लिखित शिकायत का इंतजार
मैदानी अमले ने क्षेत्र के राजनीतिक प्रभुत्व का हवाला देते हुए कहा कि यहां जो होता है उन्हीं की अनुमति से होता है। वरना अस्पताल बन नहीं पता। ऐसे अस्पताल की फाइल खोलना मतलब अपने लिए मुसीबत मोल लेने के बराबर है। बहरहाल, कोई शिकायत भी हमारे पास नहीं है जो हम फाइल खोलकर देखें भी क्या और कैसा बनाया है।
यह है गड़बड़ियां
-- संयुक्तिकरण प्रतिबंधित है फिर भी दीनदयाल उपाध्यायनगर के प्लॉट 28 और 29 एएच को जोड़कर अस्पताल बना डाला।
-- इन दोनों प्लॉटों के नक्शे भी डॉ.सुनील बारोड के पिता के नाम पर अलग-अलग ही पास हुए।
-- स्वीकृत नक्शों में सिर्फ स्वीकृत बिल्टअप एरिया में से सिर्फ 10 प्रतिशत ही कमर्शियल मंजूर किया था लेकिन डॉ. बारोड ने पूरा अस्पताल बना दिया।
-- चूंकि दो प्लॉट थे इसीलिए दोनों के स्वीकृत नक्शे में मार्जिनल ओपन स्पेस (एमओएस) स्वीकृत था जिसे बिल्डिंग जोड़कर बारोड हजम कर गए।
-- बेसमेंट भी बना दिया जबकि स्वीकृत ही नहीं है।
-----------------
जब में पार्षद बनकर आया तब तक हॉस्पिटल बनकर शुरू हो चुका था। इसीलिए मुझे जानकारी नहीं है कि हॉस्पिटल कैसे और किस आधार पर बना। मैं इस संबंध में अधिकारियों से बात करके जानकारी लूंगा।
राजेंद्र राठौर, पार्षद

No comments:

Post a Comment