2014 में लोकार्पण, 2015 से ही फटने लगी दीवारें
इंदौर. विनोद शर्मा ।
कहीं दीवार में दरार...। कहीं दीवारें बीम-कालम का साथ छोड़ती नजर आ रही हैं...। कहीं दरारों ने दीवार और खिड़की-दरवाजों के बीच का कॉम्बिनेशन बिगाड़ दिया है...। यह दुर्गत है महू नाका स्थित शासकीय मालवा कन्या विद्यालय के उस नवीन भवन की जो तीन साल की अल्प आयू में ही स्कूल का साथ छोड़ने लगी है। हालात यह है कि दरकती दीवारों से नन्हीं छात्राएं दहशतजदा हैं। वे कभी किताबों की तरफ देखती हैं तो कभी दीवारों पर बढ़ती दरारों को। शिक्षा विभाग निगम के माथे ठिकरा फोड़ता है। निगम ठेकेदार पर। और काली मिट्टी के परम्परागत बहाने के साथ ठेकेदार खूद को पाकसाफ बताने में जूटा है।
जहां स्कूल है उसी परिसर में जिला शिक्षा अधिकारी (डीईओ) कार्यालय भी है। स्कूल परिसर की पुरानी बिल्डिंग और डीईओ आॅफिस के बीच तकरीबन 7920 वर्गफीट जमीन पर बनी जी+1 बिल्डिंग का उद्घाटन 5 सितंबर 2014 को एक सादे समारोह में तत्कालीन महापौर कृष्णमुरारी मोघे ने किया था। बिल्डिंग शिक्षा विभाग को हस्तांतरित हुई 2015-16 में। यदि लोकार्पण दिवस के हिसाब से भी बात करें तो अभी स्कूल की उम्र तीन साल भी नहीं हुई है लेकिन शायद ही ऐसी कोई दीवार बची होगी जिस पर दरार न हो।
करीब 90 लाख में बनी थी बिल्डिंग
नगर निगम के अधिकारिक सूत्रों की मानें तो इस स्कूल भवन को बनाने में 90 लाख रुपए खर्च हुए। इसमें 16 क्लास रूम, प्रिसिंपल रूम, टायलेट युनिट के अलावा परिसर में पेवर ब्लॉक लगाए गए है। जबकि परिसर में पेवर ब्लॉक नहीं है। बिल्डिंग के सामने और डीईओ आॅफिस की ओर वाले हिस्से में जरूर पेव्हर लगे हुए हैं।
ऐसे बनी बिल्डिंग : बिल्डिंग का ठेका 2011 में हुआ था। काम शुरू हुआ था जनवरी-फरवरी 2012 में। 2014 तक काम चला। 5 सितंबर 2014 को लोकार्पण हुआ। स्कूल गौरव दुबे ‘विक्की’ की कंपनी ने बनाया है। कुल करीब 16 हजार वर्गफीट कंस्ट्रक्शन हुआ है।
दानदाता ने दिए थे पैसे बनाने के लिए
वहीं शिक्षा विभाग के सूत्रों के अनुसार स्कूल हाईस्कूल था जिसे हायस् सेकेण्डरी करने के लिए नए कक्षों की आवश्यकता थी। इसके लिए एक उद्योगपति ने रकम दान भी की थी। इस रकम और अपने मद का इस्तेमाल करके नगर निगम ने भवन बनाया लेकिन भवन के निर्माण में जबरदस्त धांधली हुई जो कि तीसरे ही साल में दीवारों की दरारों के रूप में नजर आने लगी है।
यह सब साक्षी थे लोकार्पण के- महापौर कृष्णमुरारी मोघे, सभापति राजेंद्र राठौर, विधायक मालिनी गौड़, आयुक्त राकेश सिंह, शिक्षा समिति प्रभारी गोपाल मालू, जनकार्य समिति प्रभारी जवाहर मंगवानी, पार्षद सुधीर देड़गे।
------
बिल्डिंग दानदाता की मदद से बनी थी। दरारों को लेकर प्रिंसिपल से कोई लिखित शिकायत नहीं मिली है। मिलती है तो रिपेयरिंग करवाते हेैं।
सुधीर कौशल, डीईओ
मैं तो डेढ़ साल पहले ही आई थी। आते वक्त ही दरारें देखी थी, शिकायत की तो ठेकेदार ने रिपेयर किया था। रिपेयरिंग सालभर चली। फिर से दरारें हो चुकी है। खिड़कियां भी निकलने लगी है। पार्षद को लिखकर दे दिया है।
प्रतीभा लाड, प्रिंसिपल
काली मिट्टी से परेशानी
पिछले साल भी दरार थी जो रिपेयर कर दी थी। दरारों की वजह काली मिट्टी है। जहां स्कूल बना है वहां काली मिट्टी ज्यादा है जिसके कारण स्कूल ही नहीं सामने की फीडर रोड भी क्षतिग्रस्त होने लगी है। वह तो मैंने नहीं बनाई है।
गौरव दुबे, ठेकेदार
काम में गड़बड़ तो है
मालवा कन्या की दीवारों में दरारे हैं?
हां, 2015 में जब मैं चुनकर आया था तभी से दरारे हैं तब तो बिल्डिंग को एक साल भी नहीं हुआ था।
पार्षद बनने के बाद क्या किया?
शिकायत की।
निराकरण हुआ क्या?
उस वक्त के अधिकारियों ने लीपापोती कर दी।
स्कूल बनाते वक्त गुणवत्ता का ध्यान नहीं रखा?
हां, काम गलत किया है ठेकेदार ने।
शिक्षा समिति प्रभारी रहते आपने क्या कार्रवाई की?
स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट में ले लिया है।
ऐसे ठेकेदार ब्लैकलिस्टेड क्यों नहीं होते?
अब क्या करें।
मतलब दीवारें ऐसी ही दरकती रहेगी?
नहीं, मैं एक-दो दिन में रिपेयरिंग करवाता हूं।
शंकर यादव, प्रभारी
शिक्षा समिति
इंदौर. विनोद शर्मा ।
कहीं दीवार में दरार...। कहीं दीवारें बीम-कालम का साथ छोड़ती नजर आ रही हैं...। कहीं दरारों ने दीवार और खिड़की-दरवाजों के बीच का कॉम्बिनेशन बिगाड़ दिया है...। यह दुर्गत है महू नाका स्थित शासकीय मालवा कन्या विद्यालय के उस नवीन भवन की जो तीन साल की अल्प आयू में ही स्कूल का साथ छोड़ने लगी है। हालात यह है कि दरकती दीवारों से नन्हीं छात्राएं दहशतजदा हैं। वे कभी किताबों की तरफ देखती हैं तो कभी दीवारों पर बढ़ती दरारों को। शिक्षा विभाग निगम के माथे ठिकरा फोड़ता है। निगम ठेकेदार पर। और काली मिट्टी के परम्परागत बहाने के साथ ठेकेदार खूद को पाकसाफ बताने में जूटा है।
जहां स्कूल है उसी परिसर में जिला शिक्षा अधिकारी (डीईओ) कार्यालय भी है। स्कूल परिसर की पुरानी बिल्डिंग और डीईओ आॅफिस के बीच तकरीबन 7920 वर्गफीट जमीन पर बनी जी+1 बिल्डिंग का उद्घाटन 5 सितंबर 2014 को एक सादे समारोह में तत्कालीन महापौर कृष्णमुरारी मोघे ने किया था। बिल्डिंग शिक्षा विभाग को हस्तांतरित हुई 2015-16 में। यदि लोकार्पण दिवस के हिसाब से भी बात करें तो अभी स्कूल की उम्र तीन साल भी नहीं हुई है लेकिन शायद ही ऐसी कोई दीवार बची होगी जिस पर दरार न हो।
करीब 90 लाख में बनी थी बिल्डिंग
नगर निगम के अधिकारिक सूत्रों की मानें तो इस स्कूल भवन को बनाने में 90 लाख रुपए खर्च हुए। इसमें 16 क्लास रूम, प्रिसिंपल रूम, टायलेट युनिट के अलावा परिसर में पेवर ब्लॉक लगाए गए है। जबकि परिसर में पेवर ब्लॉक नहीं है। बिल्डिंग के सामने और डीईओ आॅफिस की ओर वाले हिस्से में जरूर पेव्हर लगे हुए हैं।
ऐसे बनी बिल्डिंग : बिल्डिंग का ठेका 2011 में हुआ था। काम शुरू हुआ था जनवरी-फरवरी 2012 में। 2014 तक काम चला। 5 सितंबर 2014 को लोकार्पण हुआ। स्कूल गौरव दुबे ‘विक्की’ की कंपनी ने बनाया है। कुल करीब 16 हजार वर्गफीट कंस्ट्रक्शन हुआ है।
दानदाता ने दिए थे पैसे बनाने के लिए
वहीं शिक्षा विभाग के सूत्रों के अनुसार स्कूल हाईस्कूल था जिसे हायस् सेकेण्डरी करने के लिए नए कक्षों की आवश्यकता थी। इसके लिए एक उद्योगपति ने रकम दान भी की थी। इस रकम और अपने मद का इस्तेमाल करके नगर निगम ने भवन बनाया लेकिन भवन के निर्माण में जबरदस्त धांधली हुई जो कि तीसरे ही साल में दीवारों की दरारों के रूप में नजर आने लगी है।
यह सब साक्षी थे लोकार्पण के- महापौर कृष्णमुरारी मोघे, सभापति राजेंद्र राठौर, विधायक मालिनी गौड़, आयुक्त राकेश सिंह, शिक्षा समिति प्रभारी गोपाल मालू, जनकार्य समिति प्रभारी जवाहर मंगवानी, पार्षद सुधीर देड़गे।
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बिल्डिंग दानदाता की मदद से बनी थी। दरारों को लेकर प्रिंसिपल से कोई लिखित शिकायत नहीं मिली है। मिलती है तो रिपेयरिंग करवाते हेैं।
सुधीर कौशल, डीईओ
मैं तो डेढ़ साल पहले ही आई थी। आते वक्त ही दरारें देखी थी, शिकायत की तो ठेकेदार ने रिपेयर किया था। रिपेयरिंग सालभर चली। फिर से दरारें हो चुकी है। खिड़कियां भी निकलने लगी है। पार्षद को लिखकर दे दिया है।
प्रतीभा लाड, प्रिंसिपल
काली मिट्टी से परेशानी
पिछले साल भी दरार थी जो रिपेयर कर दी थी। दरारों की वजह काली मिट्टी है। जहां स्कूल बना है वहां काली मिट्टी ज्यादा है जिसके कारण स्कूल ही नहीं सामने की फीडर रोड भी क्षतिग्रस्त होने लगी है। वह तो मैंने नहीं बनाई है।
गौरव दुबे, ठेकेदार
काम में गड़बड़ तो है
मालवा कन्या की दीवारों में दरारे हैं?
हां, 2015 में जब मैं चुनकर आया था तभी से दरारे हैं तब तो बिल्डिंग को एक साल भी नहीं हुआ था।
पार्षद बनने के बाद क्या किया?
शिकायत की।
निराकरण हुआ क्या?
उस वक्त के अधिकारियों ने लीपापोती कर दी।
स्कूल बनाते वक्त गुणवत्ता का ध्यान नहीं रखा?
हां, काम गलत किया है ठेकेदार ने।
शिक्षा समिति प्रभारी रहते आपने क्या कार्रवाई की?
स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट में ले लिया है।
ऐसे ठेकेदार ब्लैकलिस्टेड क्यों नहीं होते?
अब क्या करें।
मतलब दीवारें ऐसी ही दरकती रहेगी?
नहीं, मैं एक-दो दिन में रिपेयरिंग करवाता हूं।
शंकर यादव, प्रभारी
शिक्षा समिति
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