Thursday, August 10, 2017

निगम को एनेस्थेसिया देकर डॉक्टरों ने कर दी कायदों की सर्जरी

- कानूनी किताबों से कोसों दूर है दर्जनभर हॉस्पिटल की बिल्डिंग
इंदौर. विनोद शर्मा ।
भू-माफियाओं और भूमि भक्तों के कारण इंदौर पहले ही बदनाम था। अब भगवान का दर्जा प्राप्त शहर के डॉक्टर भी इन्हीं भू-माफियाओं के नक्शे कदम पर चल पड़े हैं। नगर निगम को एनेस्थेसिया का डोज देकर डॉक्टरों ने मनमाने अस्पताल तान दिए। राजनीतिक-अधिकारिक संबंधों की ओटी में कायदों की ऐसी सर्जरी की कि शिकायत करते-करते शिकायतकर्ता ही वेंटिलेटर पर आ गए लेकिन इनके मर्ज का आॅपरेशन नहीं हो पाया।
शहर में नक्शे के विपरीत घर बनते थे..। दुकानें बनती थी..। बंगले बने..। मल्टियां बनने लगी..। फिर अस्पताल और नर्सिंग होम कैसे पीछे रहते..। डॉक्टर भी इंसान है..। फिर क्या था डॉक्टरी की किताबें किनारे पटकी...। भू-माफियाओं से सलीखे सीखे...। शुरू कर दिया अस्पताल बनाना...। ईमानदारी को ठेंगा दिखा चुके निगम के अफसर आएं भी...। उनसे ले-देकर वैसे ही निपटा गया जैसे भू-माफिया निपटते आए हैं...। शायद यही वजह है कि अस्पताल के नाम पर बनने वाली हर दूसरी बिल्डिंग कायदों की किताब से मेल नहीं खाती। फिर मामला सुखलिया चौराहे पर दो प्लॉट जोड़कर बनाया गया डॉ. सुनील बारोड़ का हॉस्पिटल हो या 10 गुमाश्तानगर में ओपन टू स्कॉय(ओटीएस) व एमओएस कवर कर बनाया जा रहा हॉस्पिटल। प्लॉटों को जोड़कर फैलाया गया विजयनगर का भंडारी हॉस्पिटल हो या फिर अन्नूपर्णा रोड का यूनिक हॉस्पिटल।
बारोड हॉस्पिटल
पं.दीनदयाल उपाध्यायनगर  के प्लॉट नं. 28 व 29 एएच पर शालीग्राम बारोड और उनके परिवार के नाम दो अलग-अलग नक्शे मंजूर हुए। 10-10 प्रतिशत कमर्शियल यूज मंजूर हुआ। बावजूद इसके हॉस्पिटल बनाकर डॉ. सुनील बारोड ने 100 प्रतिशत कमर्शियल इस्तेमाल किया। दोनों प्लॉटों पर कुल 11599.2 वर्गफीट निर्माण मंजूर हुआ जबकि 44708.2 ने वर्गफीट का हॉस्पिटल तान दिया। मतलब 33109 वर्गफीट निर्माण अवैध। कार्रवाई के नाम पर नगर निगम ने सिर्फ नोटिस दिए।
10 गुमाश्तानगर
डॉ. मून पति भरत कुमार जैन, डॉ. शंकरलाल पिता पन्नालाल गुप्ता और डॉ. प्रमीला पति शंकरलाल गुप्ता के नाम दर्ज प्लॉट नं. 10 गुमाश्तानगर पर नगर निगम ने 21 अक्टूबर 2016 को बिल्डिंग पर्मिशन (3755/आईएमसी/जेड1/डब्ल्यू83/2016) जारी की थी। 5987.22 वर्गफीट के इस प्लॉट पर 1.5 एफएआर के साथ 8980.89 वर्गफीट निर्माण की अनुमति दी गई। 1975.83 वर्गफीट के स्थान पर 3600 वर्गफीट ग्राउंड कवरेज किया गया है। 4011.39 वर्गफीट का जो हिस्सा एमओएस के लिए छोड़ा जाना था उसके 1624.17 वर्गफीट हिस्से पर भी कब्जा किया जा चुका है।
दादा निर्भयसिंह हॉस्पिटल
भंवरकुआं क्षेत्र स्थित भोलाराम उस्ताद मार्ग पर दादा निर्भय सिंह मेमोरियल हॉस्पिटल चल रहा है। अस्पताल पीपल्याराव गांव की सर्वे नं. 166/1/1 और 166/2 की 0.664 हेक्टेयर जमीन के बड़े हिस्से पर बना है। राजस्व रिकॉर्ड में जमीन शहरी सीलिंग की दर्ज है। बिना किसी नक्शे के जी+2 हॉस्पिटल चल रहा है। 30 बेडेड इस हॉस्पिटल में पार्किंग तक नहीं है। अस्पताल को भी प्लॉट जोड़कर बनाया गया है।
महावीर हॉस्पिटल, फूटीकोठी
महावीर हॉस्पिटल स्कीम-71 के प्लॉट 2-ए पर चल रहा है। नगर निगम के दस्तावेजों की मानें  371.55 वर्गमीटर के इस प्लॉट पर  चेतना सुरेंद्र कुमारी तर्फे मित्र मंडल सार्वजनिक सहकारी चिकित्सालय के नाम  14 जून 1996 को इमारत का दाखला नं. 812  मंजूर हुआ। दाखले के मुताबिक बी+जी+एम+3+पेंट हाउस की बिल्डिंग बनना थी। कुल 802 वर्गमीटर निर्माण मंजूर हुआ था जबकि हुआ 2154.31 वर्गमीटर। 315 वर्गमीटर की पार्किंग अलग। नगर निगम ने 31 मार्च 1993 को (जो कि दाखला मंजूरी से भी तीन साल पहले की तारीख है) नोटिस (नं. 3040) और 5 फरवरी 1997 को नोटिस (नं. 536) और 30 नवंबर 2011 में नोटिस ( नं. 294) थमाया गया था।
भंडारी हॉस्पिटल
मप्र भूमि विकास अधिनियम और मास्टर प्लान 2021 सहित तमाम कानूनी प्रावधान दो या दो से अधिक प्लॉटों को जोड़कर किसी बिल्डिंग को बनाने की इजाजत नहीं देते। बावजूद इसके निगम प्रशासन की मेहरबानी से भंडारी हॉस्पिटल एंड रिसर्च सेंटर स्कीम-54 के प्लॉट नं. 21, 22 और 23 ‘जीएफ’ को जोड़कर बनाया गया है। अस्पताल पहले एक बिल्डिंग में था। एक से दो में बढ़ा और अब दो से तीन में आ चुका है।
एप्पल हॉस्पिटल
भंवरकुआं मेनरोड स्थित एप्पल कस्बा इंदौर के सर्वे नं. 1618/3/1, 1618/3/2, 1619/1 और 1619/2 की 0.170 हेक्टेयर (18258 वर्गफीट) पर बना हुआ है।  फ्रेंड्स यूनिटी हॉस्पिटल एंड रिसर्च सेंटर प्रा.लि. के हॉस्पिटल जिस बिल्डिंग में करीब 180 बेड का सुपर स्पेशियलिटी हॉस्पिटल संचालित कर रहा है किसी भी नक्शे में उसे अस्पताल के रूप में परिभाषित नहीं किया गया है। 26 फरवरी 2011 को टीएंडसीपी ने वाणिज्यियक प्रयोजन के लिए ले-आउट मंजूर किया था। ले-आउट 18 मीटर(60 फीट) ऊंची बिल्डिंग का मंजूर हुआ था जबकि बिल्डिंग बनी ॅकरीब 27 मीटर (90 फीट) ऊंची। नगर निगम तक ने करीब 30195 वर्गफीट निर्माण की अनुमति दी थी जबकि हॉस्पिटल बना है तकरीबन 73855 वर्गफीट पर। 26 हजार वर्गफीट का अंतर तो निगम भी संपत्तिकर में निकाल चुका है।
सुयश हॉस्पिटल
5/1 रेसीडेंसी एरिया पर सुयश हॉस्पिटल बना हुआ है। 13532.4 वर्गफीट के प्लॉट पर बना यह हॉस्पिटल शहर के प्रमुख हॉस्पिटल्स में से एक है।  बिल्डिंग में पेंटहाउस और केंटिन के साथ पार्किंग का निर्माण भी अवैध है। पेंटहाउस को मंजिल के रूप में इस्तेमाल किया जा रहा है। बेसमेंट+जी+मेजनाइन+३+पेंट हाउस बनना था। कुल 802 वर्गमीटर का निर्माण बताया गया जो तमाम मंजिलों का क्षेत्रफल जोड़ने के बाद 2154.31 वर्गमीटर होता है। पूर्व पार्षद परमानंद सिसोदिया ने सुप्रीमकोर्ट में जिन 170 इमारतों के खिलाफ केस लगाया था उनमें हॉस्पिटल की बिल्डिंग भी शामिल थी।
क्योरवेल हॉस्पिटल
बीते साल हुए गैस सिलेंडर में विस्फोट के बाद क्योरवेल हॉस्पिटल प्रा.लि. की मनमानी सामने आई। पता चला कि अस्पताल न्यू पलासिया के तीन प्लॉट (19/1 सी, 19/बी और 19/4/1) को जोड़कर बनाया गया है। प्लॉट अभय, दिलीप, विमल पिता गेंदालाल सुराना के नाम है। बेसमेंट में पार्किंग की जगह जनरल वार्ड बना दिया गया है। अस्पताल में पार्किंग नाम की चीज नहीं है।
यूनिक हॉस्पिटल
हॉस्पिटल्स के खिलाफ 6 जुलाई 2017 को सबसे ताजी शिकायत दर्ज हुई। कांग्रेस नेता सन्नी पठारे द्वारा की गई शिकायत के अनुसार जोन-15, वार्ड-71 के तहत आने वाले अन्नपूर्णा रोड के प्लॉट नं. 715 और 716 को गैरकानूनी रूप से जोड़कर 100 बेडेड यूनिक हॉस्पिटल बनाया गया है।  हॉस्पिटल परिसर में पार्किंग के नाम पर जो बेसमेंट बना है उसमें केंटिन चल रही है। चिकित्सा के अन्य विभाग खोल दिए गए हैं। नक्शे के विपरीत भी काफी निर्माण है।
सीएचएल कैंसर हॉस्पिटल
सीएचएल हॉस्पिटल की कैंसर यूनिट जिस प्लॉट पर चल रही है उस प्लॉट पर कभी व्यावसायिक नक्शा पास न तो नगर निगम ने किया है। न ही टाउन एंड कंट्री प्लानिंग ने। 142 फडनीस कॉलोनी स्थित 11 हजार वर्गफीट जमीन पर नक्शा 2008 में मंजूर हुआ था। सूत्रों के अनुसार नक्शा आवेदन में अस्पताल के एक संचालक ने शपथ-पत्र देकर कहा था कि वे स्वयं के इस्तेमाल के लिए आवासीय निर्माण करेंंगे। बाद में उसे कैंसर हॉस्पिटल बना दिया गया। नगर निगम ने रिमूवल के नोटिस भी दिए लेकिन तोड़Þफोड़ हुई नहीं।
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अधिकारी कसम खा चुके हैं, कार्रवाई नहीं करेंगे...
जो अस्पताल पूर्व में बन चुके हैं मैं उनमें नहीं जाना चाहता कि क्यों और कैसे बने? अब जो बन रहे हैं उन्हें भी नगर निगम के जिम्मेदार अफसर नजरअंदाज किए बैठे हैं। मास्टर प्लान 2021 में अस्पताल बनाने के लिए जो मापदंड दिए गए हैं 2008 के बाद बनने वाले एक भी अस्पताल में उनका पालन नहीं हुआ। 10 गुमाश्तानगर में अभी मामला अंडरकंस्ट्रक्शन है। शिकायत भी की लेकिन डॉक्टरों की मनमानी नजरअंदाज करने की कसम खाकर बैठे अफसरों ने झांककर देखा तक नहीं।
परमानंद सिसोदिया, पूर्व पार्षद

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