27 जुलाई की चिट्ठी पर 8 अगस्त तक एफआईआर नहीं
इंदौर. विनोद शर्मा ।
भू-माफियाओं और पुलिस का गठजोड़ मजबूत है। इसीलिए थाना प्रभारियों को न एसडीएम की परवाह है, न ही उनके द्वारा भू-माफियाओं के खिलाफ लिखी गई चिट्ठियों की। इसका ताजा उदाहरण है खुड़ेल थाना प्रभारी अविनाश सिंह। एसडीएम शालिनी श्रीवास्तव की गंभीर चिट्ठी के बावजूद बिहाड़िया में अवैध कॉलोनी काटने वाले विकास सोनकर, कोमल सोनकर और सुंदरलाल मालवीय के खिलाफ सिंह ने एफआईआर दर्ज करने में रुचि नहीं ली। उलटा, कभी जांच के नाम पर टालमटौल करते नजर आ रहे हैं तो कभी कहते हैं एसडीएम कार्यालय से जांच रिपोर्ट नहीं सिर्फ चिट्ठी मिली है।
इंदौर तहसील के ग्राम बिहाड़िया के सर्वे नं. 230/1 की ढ़ाई एकड़ जमीन पर अवैध कॉलोनी कटी है। 160 से अधिक प्लॉट हैं। 16-17 जनवरी 2017 को दबंग दुनिया ने कॉलोनी के रूप में भू-माफियाओं की करतूत उजागर की थी। इसके बाद एसडीएम शालिनी श्रीवास्तव ने जांच करवाई। जांच में शिकायत की पुष्टि हुई जिसके आधार पर 27 जुलाई को एसडीएम ने खुड़ेल थाने को पत्र (480) लिखकर एफआईआर दर्ज करने को कहा गया। 8 अगस्त हो चुके हैं। सोनकर बंधुओं और उन्हें मिले क्षेत्रीय विधायक राजेश सोनकर के संरक्षण के कारण अब तक पुलिस ने इस पत्र को गंभीरता से नहीं लिया।
टीआई बोले चौकी प्रभारी को पता, प्रभारी बोले जानकारी नहीं
खुड़ेल थाना प्रभारी अविनाश सिंह ने बताया कि बिहाड़िया कॉलोनी का मामला संज्ञान में है। चूंकि मामला कंपेल चौकी के अंतर्गत आता है। इसीलिए वहां चौकी प्रभारी जांच कर रहे हैं। प्रशासन से जांच रिपोर्ट और पंचनामा मांगा है। अन्य प्रमाण भी मांगे हैं। वहीं कंपेल चौकी प्रभारी बी.एस.सिकरवार चौकते हुए पूछा बिहाड़िया मामला! मुझे इस मामले की कोई जानकारी नहीं है। न एसडीम की चिट्ठी की जानकारी है।
एसडीएम ने लेटर दिया है जांच रिपोर्ट नहीं...
- आपने कहा कि चौकी प्रभारी जांच कर रहे हैं जबकि उन्हें जानकारी ही नहीं?
शायद उनको लेटर अभी मिला नहीं होगा।
- क्या भू-माफियाओं के खिलाफ एफआईआर होगी भी?
जांच तो कर लें। फिर पता चलेगा, केस दर्ज होगा या नहीं।
- एसडीएम ने मामले में जांच के बाद ही आपको एफआईआर के लिए लिखा था।
खाली चिट्ठी है जिसके आधार पर कैसे केस दर्ज हो सकता है।
- क्या आपने एसडीएम से जांच रिपोर्ट मांगी?
नहीं, अभी लेंगे।
इससे पहले तो एसडीएम की चिट्ठी पर केस दर्ज करने में पुलिस ने देर नहीं की?
मैं कहीं बैठा हूं। थाने पर होता तो पत्र की स्थिति देखकर बता देता।
अविनाश सिंह, टीआई
खुडेÞल
हम टीआई का मातहत नहीं है जो उन्हें जांच रिपोर्ट सौंपे...
एसडीएम टीआई का मातहत नहीं होता जो थाने पर जाकर उन्हें जांच प्रतिवेदन सौंपे। जो शिकायत मिली थी हम उसकी जांच कर चुके हैं। जांच में आरोपों की पुष्टि होने के बाद ही थाना प्रभारी को एफआईआर के लिए पत्र लिखा था। वैसे तो ऐसी अवैध गतिविधियों पर उन्हें स्वसंज्ञान लेकर केस दर्ज कर लेना चाहिए था जो उन्होंने नहीं किया। अब कमसकम जो पत्र उन्हें लिखा गया है उसके आधार पर ही केस दर्ज होना चाहिए।
शालिनी श्रीवास्तव, एसडीएम
संयोगितागंज
तीन करोड़Þ का गणित बचा रहे हैं
कॉलोनी बिहाड़िया के सर्वे नं. 230/1 की 1.080 हेक्टेयर (ढ़ाई एकड़) जमीन पर कटी है जो राजकुमार पिता देवनारायण कुमावत से खरीदी थी। सौदा सवा करोड़ में हुआ था।
यहां 600 वर्गफीट के 168 प्लॉट काटे गए। प्लॉट 2.5 से 3.5 लाख में बेचे गए। 2.5 लाख रुपए/प्लॉट के हिसाब से 4.20 करोड़ रुपए भू-माफिया तिकड़ी ने कमाए। जमीन की कीमत छोड़कर मुनाफा हुआ 3 करोड़। इसमें सुविधा के नाम पर दो लाख की मुरम डालकर सड़क ही बनी है।
कॉलोनी और स्वयं को बचाने के लिए तिकड़ी ने पटवारी-आरआई को पैसा दिया। एसडीएम को साधने की कोशिश नाकाम रही। इसीलिए अब टीआई से गठजोड़ किया।
इंदौर. विनोद शर्मा ।
भू-माफियाओं और पुलिस का गठजोड़ मजबूत है। इसीलिए थाना प्रभारियों को न एसडीएम की परवाह है, न ही उनके द्वारा भू-माफियाओं के खिलाफ लिखी गई चिट्ठियों की। इसका ताजा उदाहरण है खुड़ेल थाना प्रभारी अविनाश सिंह। एसडीएम शालिनी श्रीवास्तव की गंभीर चिट्ठी के बावजूद बिहाड़िया में अवैध कॉलोनी काटने वाले विकास सोनकर, कोमल सोनकर और सुंदरलाल मालवीय के खिलाफ सिंह ने एफआईआर दर्ज करने में रुचि नहीं ली। उलटा, कभी जांच के नाम पर टालमटौल करते नजर आ रहे हैं तो कभी कहते हैं एसडीएम कार्यालय से जांच रिपोर्ट नहीं सिर्फ चिट्ठी मिली है।
इंदौर तहसील के ग्राम बिहाड़िया के सर्वे नं. 230/1 की ढ़ाई एकड़ जमीन पर अवैध कॉलोनी कटी है। 160 से अधिक प्लॉट हैं। 16-17 जनवरी 2017 को दबंग दुनिया ने कॉलोनी के रूप में भू-माफियाओं की करतूत उजागर की थी। इसके बाद एसडीएम शालिनी श्रीवास्तव ने जांच करवाई। जांच में शिकायत की पुष्टि हुई जिसके आधार पर 27 जुलाई को एसडीएम ने खुड़ेल थाने को पत्र (480) लिखकर एफआईआर दर्ज करने को कहा गया। 8 अगस्त हो चुके हैं। सोनकर बंधुओं और उन्हें मिले क्षेत्रीय विधायक राजेश सोनकर के संरक्षण के कारण अब तक पुलिस ने इस पत्र को गंभीरता से नहीं लिया।
टीआई बोले चौकी प्रभारी को पता, प्रभारी बोले जानकारी नहीं
खुड़ेल थाना प्रभारी अविनाश सिंह ने बताया कि बिहाड़िया कॉलोनी का मामला संज्ञान में है। चूंकि मामला कंपेल चौकी के अंतर्गत आता है। इसीलिए वहां चौकी प्रभारी जांच कर रहे हैं। प्रशासन से जांच रिपोर्ट और पंचनामा मांगा है। अन्य प्रमाण भी मांगे हैं। वहीं कंपेल चौकी प्रभारी बी.एस.सिकरवार चौकते हुए पूछा बिहाड़िया मामला! मुझे इस मामले की कोई जानकारी नहीं है। न एसडीम की चिट्ठी की जानकारी है।
एसडीएम ने लेटर दिया है जांच रिपोर्ट नहीं...
- आपने कहा कि चौकी प्रभारी जांच कर रहे हैं जबकि उन्हें जानकारी ही नहीं?
शायद उनको लेटर अभी मिला नहीं होगा।
- क्या भू-माफियाओं के खिलाफ एफआईआर होगी भी?
जांच तो कर लें। फिर पता चलेगा, केस दर्ज होगा या नहीं।
- एसडीएम ने मामले में जांच के बाद ही आपको एफआईआर के लिए लिखा था।
खाली चिट्ठी है जिसके आधार पर कैसे केस दर्ज हो सकता है।
- क्या आपने एसडीएम से जांच रिपोर्ट मांगी?
नहीं, अभी लेंगे।
इससे पहले तो एसडीएम की चिट्ठी पर केस दर्ज करने में पुलिस ने देर नहीं की?
मैं कहीं बैठा हूं। थाने पर होता तो पत्र की स्थिति देखकर बता देता।
अविनाश सिंह, टीआई
खुडेÞल
हम टीआई का मातहत नहीं है जो उन्हें जांच रिपोर्ट सौंपे...
एसडीएम टीआई का मातहत नहीं होता जो थाने पर जाकर उन्हें जांच प्रतिवेदन सौंपे। जो शिकायत मिली थी हम उसकी जांच कर चुके हैं। जांच में आरोपों की पुष्टि होने के बाद ही थाना प्रभारी को एफआईआर के लिए पत्र लिखा था। वैसे तो ऐसी अवैध गतिविधियों पर उन्हें स्वसंज्ञान लेकर केस दर्ज कर लेना चाहिए था जो उन्होंने नहीं किया। अब कमसकम जो पत्र उन्हें लिखा गया है उसके आधार पर ही केस दर्ज होना चाहिए।
शालिनी श्रीवास्तव, एसडीएम
संयोगितागंज
तीन करोड़Þ का गणित बचा रहे हैं
कॉलोनी बिहाड़िया के सर्वे नं. 230/1 की 1.080 हेक्टेयर (ढ़ाई एकड़) जमीन पर कटी है जो राजकुमार पिता देवनारायण कुमावत से खरीदी थी। सौदा सवा करोड़ में हुआ था।
यहां 600 वर्गफीट के 168 प्लॉट काटे गए। प्लॉट 2.5 से 3.5 लाख में बेचे गए। 2.5 लाख रुपए/प्लॉट के हिसाब से 4.20 करोड़ रुपए भू-माफिया तिकड़ी ने कमाए। जमीन की कीमत छोड़कर मुनाफा हुआ 3 करोड़। इसमें सुविधा के नाम पर दो लाख की मुरम डालकर सड़क ही बनी है।
कॉलोनी और स्वयं को बचाने के लिए तिकड़ी ने पटवारी-आरआई को पैसा दिया। एसडीएम को साधने की कोशिश नाकाम रही। इसीलिए अब टीआई से गठजोड़ किया।
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