Thursday, August 10, 2017

‘रेरा’ : कंपलीशन से बिल्डरों का किनारा

- नगर निगम ने थमाए 200 नोटिस, सर्टिफिकेट के लिए एक आवेदन नहीं
- आज आखिरी तारीख
इंदौर. विनोद शर्मा ।
सोमवार को 31 जुलाई है...। रीयल एस्टेट रेग्यूलेटरी एक्ट (रेरा) पंजीयन के लिए कंपलीशन सर्टिफिकेट लेने की आखिरी तारीख...। नगर निगम ने 200 प्रोजेक्ट्स को नोटिस थमाकर 31 जुलाई तक कंपलीशन सर्टिफिकेट लेने को कहा है लेकिन अब तक गिनती के लोगों ने भी आवेदन नहीं किए। उलटा, कंपलीशन से किनारा करते हुए बिल्डरों ने लिखित जवाब देते हुए कहा कंपलीशन लेकर रेरा से बचने से बेहतर है रेरा में पंजीयन करवाना। अब कंपलीशन सर्टिफिकेट तभी मिलेगा जब कॉलोनाइजर-बिल्डर प्रोजेक्ट का रेरा पंजीयन करवा लेंगे।
1 मई से रेरा लागू है। 31 अपै्रल से पहले के उन्हीं प्रोजेक्ट को रेरा पंजीयन से छूट प्राप्त होगी जिनके पास कंपलीशन सर्टिफिकेट हो।    इसीलिए रेरा के मद्देनजर नगर निगम ने कंपलिशन सर्टिफिकेट के लिए आवेदन की समयसीमा 28 अपै्रल और सर्टिफिकेट जारी करने की समयसीमा 31 जुलाई तय की थी। समयसीमा करीब-करीब खत्म हो चुकी है लेकिन चौकाने वाली बात यह है कि तमाम आपाधापी के बावजूद रविवार रात तक किसी ने कंपलीशन में रुचि नहीं ली। दूसरे शब्दों में कहा जाए तो कंपलिशन से किनारा कर रहे हैं।
200 नोटिस जारी...
बताया जा रहा है नगर निगम में तीन तरह के प्रोजेक्ट हैं जिनके कंपलीशन सर्टिफिकेट जरूरी है। पहला किसी कॉलोनी के प्लॉट  पर तनी बिल्डिंग जिसका नक्शा बिल्डिंग पर्मिशन से जारी होता है। जहां कंपलीशन भी बिल्डिंग पर्मिशन को ही देना है। दूसरा वह बिल्डिंग जो किसी खसरे नंबर के आधार पर स्वीकृत हुई है जो कि कॉलोनी सेल में आती है। सेल ही इन्हें कंपलीशन देती है। तीसरी कॉलोनियां जो भी कॉलोनी सेल का हिस्सा है।
अब तक कॉलोनी सेल ने करीब 200 नोटिस दिए हैं। इनमें 70 कॉलोनियां हैं और 60 खसरों की जमीन पर तनी मल्टियां। इन प्रोजेक्ट्स पर कहीं एक साल से काम जारी है, कहीं दो-तीन या चार साल से। इसके अलावा करीब 70 प्रोजेक्ट ऐसे हैं जो पंचायत द्वारा बिना कंपलीशन सर्टिफिकेट के नगर निगम को हस्तांतरित किए गए हैं।
किनारा क्यों?
- मप्र भूमि विकास अधिनियम के तहत किसी भी प्रोजेक्ट की पूर्णता जांचने के बाद ही नगरीय निकाय कंपलीशन सर्टिफिकेट जारी कर सकते हैं। सर्टिफिकेट जारी करने का मतलब है कि अधिकारी सुनिश्चित कर चुके हैं कि मौके पर स्वीकृत नक्शे के आधार पर ही निर्माण हुआ है। जो कि इंदौर जैसे शहर में संभव नहीं है। इसीलिए अधिकारी भी कंपलीशन नहीं देते।
-  बनने से पहले ही पूरी बिल्डिंग बिक जाती है। बिल्डर कंपलीशन सर्टिफिकेट का इंतजार भी नहीं करता। निगम ने जितने भी नोटिस दिए हैं उनमें से 70 प्रतिशत प्रोजेक्ट में दिक्कत यही है कि माल बिक चुका है लेकिन कंपलीशन नहीं है। एग्रीमेंट करके धरोहर के प्लॉट/फ्लैट तक बेचे जा चुके हैं। इसीलिए बिल्डरों ने लिखित में निगम को जवाब दे दिया है कि वे रेरा से राहत नहीं चाहते। वे रेरा पंजीयन करवा लेंगे। इसीलिए कंपलीशन सर्टिफिकेट की जरूरत नहीं है।
कंपलीशन नहीं तो धरोहर नहीं छूटेगी
नगर निगम से कंपलीशन लेना जरूरी भी है क्योंकि उसके बिना धरोहर के रूप में रखे प्लॉट, फ्लैट या दुकान निगम नहीं छोड़ेगा।


कंप्लीशन सर्टिफिकेट नहीं देने पर
ऐसे केस जिसमें बिल्डर को अथॉरिटी से कंप्लीशन सर्टिफिकेट नहीं मिला है ग्राहक म्युनसिपल आॅफिस में आरटीआई लगाकर इसकी कॉपी मांग सकता है। अगर बिल्डर को ये सर्टिफिकेट मिल गया है और वो ग्राहक को नहीं देना चाहता है तो ग्राहक कंज्यूमर कोर्ट जा सकता है।

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