Friday, April 8, 2016

सिंहस्थ में अधिकारियों का सेटेलाइट प्रेम बना सिरदर्द sinhastha 2016

नाले, सड़क और बगीच पर दे दिए साधुओं को प्लॉट
उज्जैन से विनोद शर्मा।
सर हमारा प्लॉट आवंटित कर दो...। आवंटन-पत्र बताओ..। वो क्या होता है..? तहसीलदार ने दिया होगा न ...। नहीं, वो तो यही बोले कि साहब के पास चले जाओ, प्लॉट मिल जाएगा...। हम प्लॉट तभी देंगे जब वहां से आवंटन पत्र आएगा...। साहब, हमें क्यों यहां से वहां दौड़ा रहे हो, पहले ही बहुत परेशान हो चुके हैं...। माफ करना महाराज, हम कुछ नहीं कर सकते...। जमीन को लेकर मारामारी की यह कहानी किसी कॉलोनी की नहीं बल्कि उज्जैन के मेला क्षेत्र की है जहां अफसरों की लेतलाली के कारण साधुओं को जमीन के लिए परेशान होना पड़ रहा है। हालात यह है कि अफसरों ने नालों की जमीन पर प्लॉट काट दिए।
उज्जैन में मेला क्षेत्र को छह हिस्सों में बांटा गया है। कालभैरव, मंगलनाथ, दत्त अखाड़ा, महाकाल, त्रिवेणी और चामुंडा क्षेत्र। इसमें दत्त अखाड़े में सबसे ज्यादा 2352, मंगलनाथ क्षेत्र में 1500 और कालभैरव क्षेत्र में 800 प्लॉट निकाले गए हैं। महाकाल, चामुंडा और त्रिवेणी में प्लॉट नहीं है। प्लॉट को लेकर यूं तो तीनों प्रमुख जोन में कुछ न कुछ दिक्कतें आ रही है लेकिन सबसे ज्यादा हालत खराब है मंगलनाथ क्षेत्र में। यहां आए दिन साधुओं और अधिकारियों के बीच विवाद के किस्से सामने आ रहे हैं। अपर कलेक्टर ने बताया अब तक 1200 से अधिक प्लॉट आवंटित किए जा चुके हैं। अभी आवंटन जारी है।
जहां नाला, वहीं काट दिया प्लॉट
गुगल अर्थ और विकीमेपिया की सेटेलाइट इमेज पर स्कैल से जमीन नापकर अधिकारियों ने न सिर्फ मेला क्षेत्र डिजाइन किया बल्कि प्लॉटों की नंबरिंग भी कर दी। मैदान में जाकर मौका देखने तक की जहमत नहीं की। अब जब साधु आवंटन पत्र के साथ कब्जा लेने जा रहे हैं तो पता चल रहा है कि जहां प्लॉट बताया है वहां तो नाला बह रहा है। गड्ढा है या बगीचा बना है। गुरुवार को भी एक साधु को जहां प्लॉट का कब्जा दिया गया वहां जल जमाव था। बाद में साधु के विरोध के बाद अधिकारियों ने जमीन पर मिट्टी से भराव कर दिया। हालांकि बदबू अब भी बरकरार है।
जमीन के अते-पते नहीं है
15 दिन हो गए भटकते-भटकते जमीन नहीं मिली है। जो जमीन पिछले सिंहस्थ में मिली थी जाने किसको दे दी है। जमीन को लकर मारामारी बहुत है। नाले और सड़क पर ही प्लॉट बता दिए गए हैं। पहले अखाड़ों के माध्यम से जमीन बटती थी, दिक्कत नहीं होती थी।  
महंत रामस्वरूप दास, बड़ा कामधेनू साकेनगर, जम्मू
महात्यागी कोट पंढरपुरधाम के नाम से जमीन मिलती रही है लेकिन इस बार नहीं है। गरीब साधुओं की सुनवाई नहीं है। हमसे इतने दुखी हैं कि देखते से भगा देते हैं।
महात्यागी शंकरदास, पंढरपुर, महाराष्ट्र
जो प्लॉट आवंटित किया था वहां पहले किसी संत का आश्रम बन रहा था। बीते सिंहस्थ हमें जिस नंबर की जमीन दी थी वह भी बदल गया जबकि बाकी का वही नंबर है। किसी को आश्रम के लिए नाले की जमीन दे दी। किसी को जो प्लॉट दिया वह बीच सड़क पर है।
महंत सुखरामदास महाराज, अयोध्या

No comments:

Post a Comment