Friday, April 8, 2016

नर्मदा ने बुझाई कान्ह की प्यास sinhastha 2016

जिस नदी को कभी श्राप कहने लगे थे उसी में कर रहे हैं स्नान
उज्जैन से विनोद शर्मा ।
उज्जैन से गुजर रही मोक्षदायनी शिप्रा से इंदौर की ओर ठीक चार किलोमीटर दूर राघो पीपल्या गांव है। इस गांव में अजब नजारा देखने को मिला। इस गांव में एक तरफ जहां कान्हं नदी के पानी को शिप्रा में मिलने से रोकने के प्रयास किए जा रहे हैं वहीं दूसरी तरफ मिट्टी का डेम बनाकर इसी नदी में आ रहे नर्मदा के पानी को रोका जा रहा है ताकि कान्ह बायपास का काम प्रभावित न हो।
मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान ने जिस उम्मीद के साथ नर्मदा-शिप्रा लिंक परियोजना को मुर्तरूप दिया था परियोजना ने उससे बेहतर परिणाम दिए हैं। लिंक के माध्यम से मालवा की माटी तक पहुंची नर्मदा ने एक तरफ शिप्रा की प्यास बुझाई तो दूसरी तरफ सरकारी सख्ती के कारण छह महीने से सुखी पड़ी कान्ह की खाली गोद भी भर दी। हालात यह है कि कान्हं किनारे बसे जिन दो गांव के लोग अब तक गंदे पानी की बदबू से परेशान थे वे अब नदी में नहाते नअर आते हैं। अन्य कामों के लिए भी पानी इस्तेमाल कर रहे हैं।
कैसे पहुंचा पानी...
त्रिवेणी (शनि मंदिर, धेडिया गांव) में शिप्रा और कान्ह का संगम होता है। यहां मंदिर से 400 मीटर की दूरी पर मुक्तिधाम के पास एक स्टाप डेम बना है। नर्मदा का पानी छोड़े जाने के बाद से शिप्रा लबालब है। चूंकि आगे घाट के काम चल रहे हैं इसीलिए स्टॉप डेम पर पानी रोका गया है। चूंकि कान्ह नदी खाली थी इसीलिए स्टॉप डेम में जमा पानी अब कान्ह के खाली हिस्से में फैलता जा रहा है।
3.800 किलोमीटर तक पहुंचा पानी
नर्मदा का पानी तेजी से बढ़ रहा है। कुछ ही दिन में पानी त्रिवेणी से 4 किलोमीटर दूर स्थित गांव राघौ पीपल्या के पास (3.800 किलोमीटर) तक पहुंच चुका है। पानी पहुंचने से जहां ग्रामीण खुश है वहीं जल संसाधन विभाग की नींद उड़ी हुई है। इसीलिए यहां मिट्टी का स्टॉप डेम बनाकर पानी रोका जा रहा है। क्योंकि स्टॉप डेम से 400 मीटर दूर इंदौर की ओर ही कान्ह डायवर्शन का काम जारी है। काम 18 मीटरर की गहराई में हो रहा है। यदि पानी बढ़ा तो साइट चौक होना भी तय है। इसीलिए विभाग ने डेम से बाहर जाकर कान्ह नदी में मिल रहे नर्मदा के पानी को मोटर से खींचकर खेतों में छोड़ना शुरू कर दिया है।
कोई पुण्य किए होंगे, जो नर्मदा द्वार तक आ गई...
्नराघौ पीपल्या के लोगों का कहना है कि पहले तो गंदे पानी की बदबू से परेशान थे। खासकर शाम के वक्त। अब स्थिति ऐसी नहीं है। छह महीने से नदी सूखी थी लेकिन अब नर्मदा का पानी भी आने लगा है। हमने कोई पुण्य किए होंगे जो घर बैठे नर्मदा कान्ह के रास्ते दर्शन देने आ गई।
र्इंट भट्टे खींचने लगे पानी
गर्मी की आमद के कारण बोरिंग सूखने लगे हैं। ऐसे में नदी का बड़ा सहारा है। इसीलिए त्रिवेणी पार्क के पास और राघौ पीपल्या के पास स्थित बड़े-बड़े र्इंट भट्टों में नदी के पानी को इस्तेमाल किया जा रहा है जिसकी शिकायत भी बीते दिनों प्रशासन को की गई थी।

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