- करीब 10 हजार सुविधाघर अब भी निर्माणाधीन
- बनते-बनते दरकने लगे गुणवत्ता के दावे
उज्जैन से विनोद शर्मा ।
2004 को सिंहस्थ संपन्न होने के साथ ही अगले मेले के लिए 2016 मुकरर्र भी हो चुका था बावजूद इसके मेला क्षेत्र का बड़ा हिस्सा अब तक बुनियादी सुविधाओं से महरूम है। सबसे ज्यादा स्थिति सुविधाघर की खराब है। तकरीबन हजार करोड़ की लागत से बनने वाले सुविधाघर में करीब दस हजार सुविधाघर निर्माणाधीन हैं। वहीं नए सुविधाघर की गुणवत्ता के दावे भी उपयोग से पहले ही दरकने लगे हैं। दूसरी तरफ मच्छर अलग मोर्चा खोलकर बैठे हैं उनके खिलाफ तमाम सरकारी तैयारी कागजी नाकाफी ही साबित हुई। भिनभिनाहट जहां सोने नहीं देती वहीं मच्छर के काटने से साधु-सन्यासी बीमार भी होने लगे हैं।
2015 में नासिक कुम्भ था। जहां अपने लबाजमे के साथ मुख्यमंत्री व्यवस्था का जायजा लेने पहुंचे और साधु-संतों का निमंत्रित करते हुए वादा किया था कि यहां से बीसी व्यवस्था करके दूंगा। अब जब साधु संत सिंहस्थ के लिए डेरा डालने पहुंचे तो उन्हें उज्जैन के बुनियादी विकास ने जहां सुुकुन दिया वहीं साधु-संतों के लिए की जाने वाली बुनियादी सुविधाओं में ढिलाई उन्हें कचौटने लगी है। सबसे ज्यादा निराश कर रही है सुविधाघर का संकट। एक तरफ प्रधानमंत्री का खुले में शौचमुक्त भारत का सपना और दूसरी तरफ मुख्यमंत्री का ग्रीन उज्जैन-ग्रीन सिंहस्थ नारा इसके सुबह-सुबह साधु यहां-वहां स्थान तलाशते नजर आते हैं। मंगलनाथ मंदिर के पास ही डेरा डालकर बैठे महंत रामचंद्र दास ने बताया कि बिजली का कनेक्शन मिल चुका है लेकिन पानी और सुविधाघर का कोई इंतजाम नहीं है।
20 फीसदी सुविधाघर अब तक नहीं बने
दबंग दुनिया की टीम ने सिंहस्थ मेला क्षेत्र का जायजा लिया तो सुविधाघर को लेकर साधु-संतों की नाराजगी जायज मिली। आंकड़ों के लिहाज से बात करें तो सिंहस्थ के लिए 39000 शौचालय और 10000 मुत्रालय बनाए जाना थे। इसके अलावा पंचकोशी यात्रा क्षेत्र में 28 हजार शौचालय, 920 मुत्रालय और 3500 स्नानगृह बनाना थे। सुविधाघर उपलब्धता की जिम्मेदारी भोपाल की सुलभ इंटरनेशनल प्रा.लि. को दी गई थी लेकिन कंपनी अब तक काम को पूरा नहीं कर पाई। सभी छह जोन में तकरीबन 10 हजार से अधिक सुविधाघर ऐसे हैं जो निर्माणाधीन हैं। कहीं सिर्फ बेस नजर आता है तो कहीं बेस पर टंगा एंगल का जाला। सबसे ज्यादा स्थिति खराब है काल भैरव, मंगलनाथ और महाकाल जोन में। यहां कई जगह प्लॉट आवंटन के बाद साधु डेरा डालकर बैठे हैं और सुविधाघर का काम अब तक शुरू नहीं हुआ। कहीं काम हो रहा है तो मंद गति से। कहीं सिर्फ जाल खड़ा करके शीट लगने का इंतजार है। जबकि कंपनी के कर्ताधर्ता कहते हैं कि 90 फीसदी से अधिक काम हो चुका है। मजदूर संकट और कमोट, कवर शीट आने में हो रही देर के कारण मामला थोड़ा लंबा खिचता जा रहा है।
आगे पाट, पीछे सपाट
सुलभ ने जितने सुविधाघर बनाए हैं उनकी गुणवत्ता कमजोर है। हालत यह है कि इस्तेमाल से पहले ही सुविधाघर की चार दिवारी टूटने लगी है। अभी कंपनी जहां नवनिर्माण में पिछड़ रही है वहीं इन टूटे फूटे सुविधाघर की सुध लेने को कोई तैयार ही नहीं है। बताया जा रहा है कि एक अस्थाई सुविधाघर की लागत 18 हजार रुपए आंकी जा रही है जबकि प्रधानमंत्री की योजना के तहत गांव-गांव में हर घर में 12 हजार रुपए में स्थाई सुविधाघर बन रहे हैं। इसके बाद भी इनकी गुणवत्ता गयीबीती है।
एक नजर में सुविधा‘घर’
अस्थाई मुत्रालय : 9391
अस्थाई स्नानागार : 16247
अस्थाई देशी शौचालय : 20005
अस्थाई यूरोपियन शौचालय : 21473
अस्थाई दिव्यांग शौचालय : 23225
- 20 और 40 वाले सार्वजनिक हैं वहां 24 घंटे आदमी रहेगा। 5-5 हजार लीटर की दो-दो पानी की टंकी रखी है। पानी सप्लाई आॅटोमेटिक है।
- 10-10 के सेट वाले सुविधाघर में हर सुबह आदमी जाएंगे और सफाई करेंगे।
- हर 500 से 600 मीटर पर एक सार्वजनिक सुविधार है।
क्यों देर...
-- सिर्फ एक ही कंपनी को दिया बनाने के लिए।
-- साइट क्लीयर नहीं मिली।
-- पजेसन देर से मिला।
-- उट-पटांग जमीन दी। बराबर करने में पसीने आ गए।
-- होली से रंग-पंचमी के बीच मजदूर संकट रहा।
-- हजारों कैंप बन रहे हैं इसीलिए मजदूर भी बराबर नही मिल रहे हैं।
-- फेक्टरी से सीट और ई बोर्ड शीट आने में देर हो रही है। आज आॅर्डर करो और तीन-चार दिन बाद शीट आती है और एक दिन में लग जाती है।
5 अपै्रल तक बन जाएगी
कंपनी के अधिकारी कहते हैं कंपलिट है। ई बोट लगाना है। शीट लगाना है। 5 अपै्रल तक बना देंगे। 300 से अधिक का मैदानी अमला है। 500 अधिकारी और पहुंचाए हैं भोपाल से। बड़ा काम है थोडा-बहुत आगे पीछे होता है लेकिन काम में दिक्कत नहीं आएगी।
4-5 दिन में काम पूरा हो जाएगा
दिन-रात काम जारी है। कहीं किसी तरह की लेतलाली बर्दाश्त नहीं कर रहे हैं। मुझे लगता है 4-5 दिन में सुविधाघर का काम कंपलिटेशन की स्टेज पर आ जाएगा।
भूपेंद्र सिंह, प्रभारी मंत्री
- बनते-बनते दरकने लगे गुणवत्ता के दावे
उज्जैन से विनोद शर्मा ।
2004 को सिंहस्थ संपन्न होने के साथ ही अगले मेले के लिए 2016 मुकरर्र भी हो चुका था बावजूद इसके मेला क्षेत्र का बड़ा हिस्सा अब तक बुनियादी सुविधाओं से महरूम है। सबसे ज्यादा स्थिति सुविधाघर की खराब है। तकरीबन हजार करोड़ की लागत से बनने वाले सुविधाघर में करीब दस हजार सुविधाघर निर्माणाधीन हैं। वहीं नए सुविधाघर की गुणवत्ता के दावे भी उपयोग से पहले ही दरकने लगे हैं। दूसरी तरफ मच्छर अलग मोर्चा खोलकर बैठे हैं उनके खिलाफ तमाम सरकारी तैयारी कागजी नाकाफी ही साबित हुई। भिनभिनाहट जहां सोने नहीं देती वहीं मच्छर के काटने से साधु-सन्यासी बीमार भी होने लगे हैं।
2015 में नासिक कुम्भ था। जहां अपने लबाजमे के साथ मुख्यमंत्री व्यवस्था का जायजा लेने पहुंचे और साधु-संतों का निमंत्रित करते हुए वादा किया था कि यहां से बीसी व्यवस्था करके दूंगा। अब जब साधु संत सिंहस्थ के लिए डेरा डालने पहुंचे तो उन्हें उज्जैन के बुनियादी विकास ने जहां सुुकुन दिया वहीं साधु-संतों के लिए की जाने वाली बुनियादी सुविधाओं में ढिलाई उन्हें कचौटने लगी है। सबसे ज्यादा निराश कर रही है सुविधाघर का संकट। एक तरफ प्रधानमंत्री का खुले में शौचमुक्त भारत का सपना और दूसरी तरफ मुख्यमंत्री का ग्रीन उज्जैन-ग्रीन सिंहस्थ नारा इसके सुबह-सुबह साधु यहां-वहां स्थान तलाशते नजर आते हैं। मंगलनाथ मंदिर के पास ही डेरा डालकर बैठे महंत रामचंद्र दास ने बताया कि बिजली का कनेक्शन मिल चुका है लेकिन पानी और सुविधाघर का कोई इंतजाम नहीं है।
20 फीसदी सुविधाघर अब तक नहीं बने
दबंग दुनिया की टीम ने सिंहस्थ मेला क्षेत्र का जायजा लिया तो सुविधाघर को लेकर साधु-संतों की नाराजगी जायज मिली। आंकड़ों के लिहाज से बात करें तो सिंहस्थ के लिए 39000 शौचालय और 10000 मुत्रालय बनाए जाना थे। इसके अलावा पंचकोशी यात्रा क्षेत्र में 28 हजार शौचालय, 920 मुत्रालय और 3500 स्नानगृह बनाना थे। सुविधाघर उपलब्धता की जिम्मेदारी भोपाल की सुलभ इंटरनेशनल प्रा.लि. को दी गई थी लेकिन कंपनी अब तक काम को पूरा नहीं कर पाई। सभी छह जोन में तकरीबन 10 हजार से अधिक सुविधाघर ऐसे हैं जो निर्माणाधीन हैं। कहीं सिर्फ बेस नजर आता है तो कहीं बेस पर टंगा एंगल का जाला। सबसे ज्यादा स्थिति खराब है काल भैरव, मंगलनाथ और महाकाल जोन में। यहां कई जगह प्लॉट आवंटन के बाद साधु डेरा डालकर बैठे हैं और सुविधाघर का काम अब तक शुरू नहीं हुआ। कहीं काम हो रहा है तो मंद गति से। कहीं सिर्फ जाल खड़ा करके शीट लगने का इंतजार है। जबकि कंपनी के कर्ताधर्ता कहते हैं कि 90 फीसदी से अधिक काम हो चुका है। मजदूर संकट और कमोट, कवर शीट आने में हो रही देर के कारण मामला थोड़ा लंबा खिचता जा रहा है।
आगे पाट, पीछे सपाट
सुलभ ने जितने सुविधाघर बनाए हैं उनकी गुणवत्ता कमजोर है। हालत यह है कि इस्तेमाल से पहले ही सुविधाघर की चार दिवारी टूटने लगी है। अभी कंपनी जहां नवनिर्माण में पिछड़ रही है वहीं इन टूटे फूटे सुविधाघर की सुध लेने को कोई तैयार ही नहीं है। बताया जा रहा है कि एक अस्थाई सुविधाघर की लागत 18 हजार रुपए आंकी जा रही है जबकि प्रधानमंत्री की योजना के तहत गांव-गांव में हर घर में 12 हजार रुपए में स्थाई सुविधाघर बन रहे हैं। इसके बाद भी इनकी गुणवत्ता गयीबीती है।
एक नजर में सुविधा‘घर’
अस्थाई मुत्रालय : 9391
अस्थाई स्नानागार : 16247
अस्थाई देशी शौचालय : 20005
अस्थाई यूरोपियन शौचालय : 21473
अस्थाई दिव्यांग शौचालय : 23225
- 20 और 40 वाले सार्वजनिक हैं वहां 24 घंटे आदमी रहेगा। 5-5 हजार लीटर की दो-दो पानी की टंकी रखी है। पानी सप्लाई आॅटोमेटिक है।
- 10-10 के सेट वाले सुविधाघर में हर सुबह आदमी जाएंगे और सफाई करेंगे।
- हर 500 से 600 मीटर पर एक सार्वजनिक सुविधार है।
क्यों देर...
-- सिर्फ एक ही कंपनी को दिया बनाने के लिए।
-- साइट क्लीयर नहीं मिली।
-- पजेसन देर से मिला।
-- उट-पटांग जमीन दी। बराबर करने में पसीने आ गए।
-- होली से रंग-पंचमी के बीच मजदूर संकट रहा।
-- हजारों कैंप बन रहे हैं इसीलिए मजदूर भी बराबर नही मिल रहे हैं।
-- फेक्टरी से सीट और ई बोर्ड शीट आने में देर हो रही है। आज आॅर्डर करो और तीन-चार दिन बाद शीट आती है और एक दिन में लग जाती है।
5 अपै्रल तक बन जाएगी
कंपनी के अधिकारी कहते हैं कंपलिट है। ई बोट लगाना है। शीट लगाना है। 5 अपै्रल तक बना देंगे। 300 से अधिक का मैदानी अमला है। 500 अधिकारी और पहुंचाए हैं भोपाल से। बड़ा काम है थोडा-बहुत आगे पीछे होता है लेकिन काम में दिक्कत नहीं आएगी।
4-5 दिन में काम पूरा हो जाएगा
दिन-रात काम जारी है। कहीं किसी तरह की लेतलाली बर्दाश्त नहीं कर रहे हैं। मुझे लगता है 4-5 दिन में सुविधाघर का काम कंपलिटेशन की स्टेज पर आ जाएगा।
भूपेंद्र सिंह, प्रभारी मंत्री
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