Friday, April 8, 2016

कान्ह मुक्त शिप्रा के वादे में लीकेज sinhastha 2016

पीपल्या राघो के पास शिप्रा में मिलने लगा है कान्ह का पानी
उज्जैन से विनोद शर्मा ।
साधु-संतों को स्नान के लिए शिप्रा का साफ पानी देने की जो तैयारियां मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान के निर्देश पर की गई थी उसमें सिंहस्थ से पहले ही लीकेज हो गया है। एक तरफ कान्ह डायवर्शन समयसीमा चूक चुका है वहीं कान्ह के जल ने शिप्रा के आंचल को गंदा करना शुरू कर दिया है। मौके पर पानी को रोकने की कोशिशें नाकाफी है वहीं जिम्मेदार मुंह छिपाने लगे हैं।
कान्ह नदी के गंदे पानी से युक्त शिप्रा को संतों ने सिंहस्थ शुरू होने के दो साल पहले ही नकार दिया था लेकिन मुख्यमंत्री चौहान ने दावा किया था कि 2016 सिंहस्थ में आपको शिप्रा साफ ही मिलेगी। 2015 में 75 करोड़ की लागत से कान्ह डायवर्शन योजना पर काम शुरू हुआ तकरीबन काफी काम हुआ भी लेकिन जितना बचा है उसने अभी से सबकी सांसे फुला दी है। दबंग दुनिया की टीम जब पूरे मामले का जायजा लेने पीपल्या राघो पहुंची तो वहां स्थिति चौकाने वाली नजर आई। यहां एक तरफ ओवरफ्लो के कारण त्रिवेणी की ओर से नर्मदा का पानी उस डेम के नजदीक आ पहुंचा है जहां से कान्ह डायवर्शन शुरू होता है। डेम के दूसरी तरफ कान्ह उफान पर है। कान्ह डायवर्शन के लिए बिछाए गए पाइप में नदी का पानी जाने भी लगा है लेकिन डेम से पानी रिसकर शिप्रा (नर्मदा) के पानी को गंदा कर रहा है।
रिस रहा है पानी...
पीपल्या राघो में जो डेम बना है उसमें र्इंट की जो फिलिंग की गई उस पर प्लास्टर नहीं किया। र्इंटों के बीच से पानी रिस रहा है। अभी पानी का फ्लो कम है।
इसी तरह जो लाइन डाली गई है उसमें भी 100 मीटर की दूरी पर वहां लीकेज है जहां शिप्रा का पानी लबालब भरा है। यहां से भी तेजी से पानी आ रहा है।
लीकेज का पानी रोकने के लिए डेम के पास मिट्टी का ढेर लगाया जा रहा है। बाद में डेम और मिट्टी के ढेर के बीच जो पानी भरेगा उसे मोटर से खींचकर दोबारा कान्ह में डालेंगे।
चार दिन बाद हालात बिगड़ सकते हैं
कान्ह डायवर्शन का काम दिल्ली की के.के.स्पन ने लिया था। कंपनी ने पीपल्या राघो से आधा किलोमीटर दूर कान्ह के पुराने डेम को दुरस्त किया। डेम से कालियादेह पैलेस तक तकरीबन 18.7 किलोमीटर लंबी 2.6 मीटर (8.5 फीट या 2600 एमएम) डाया की पाइप लाइन बिछाई जा रही है। इस लाइन का काम अब तक पूरा नहीं हुआ है। कालभैरव जोन के पास से उन्हें रोड, कालियादेह पैलेस तक एक से डेढ़ किलोमीटर लंबा हिस्स खुदा हुआ है। पाइप नहीं डले हैं।
बावजूद इसके कान्ह में आए पानी को लाइन में छोड़ा जा रहा है। बताया जा रहा है कि आगे लाइन को सील कर दिया है। कान्ह का पानी लाइन में जमा हो रहा है। सवाल यह है कि लाइन में कब तक पानी जमा होगा? लाइन जगह-जगह फूटी अलग है। ऐसे में पानी को कैसे संभालेंगे इसका जवाब किसी के पास नहीं है।
सच कौन बोल रहा है?
केके स्पन के अधिकारी : पानी निरंतर जा रहा है। लाइन पूरी है। पानी को कालिया देह पैलेस छोड़ा जा रहा है।
रिपोर्टर : आगे काम ही चल रहा है?
अधिकारी : ठीक है लाइन नहीं डली तो क्या पाइप डालने के लिए जो ड्रेन खोदी है उसी से पानी आगे चला जाएगा।
रिपोर्टर : उन्हेंल रोड के नीचे इसी प्रोजेक्ट की सुरंग बन रही है और ब्लास्टिंग का दौर जारी है। ऐसे में सिर्फ खोदे हुए हिस्से से ही पानी कैसे जाएगा?
जब इन्हीं सभी तथ्यों के आधार पर कंपनी के एक अन्य अधिकारी से बात की गई तो उसने कहा कि अभी टेस्टिंग के तौर पर पानी छोड़ रहे हैं। सतत पानी नहीं छोड़ रहे हैं।
रिपोर्टर : यहां आप टेस्टिंग कर रहे हैं और वहां कान्ह का पानी डेम से बाहर झांकने लगा है।
अधिकारी ने कहा : हम लाइन में पानी छोड़ देंगे। ओवर फ्लो नहीं होने देंगे।
रिपोर्टर : जब 9 फीट डाया के पानी में अभी ही 6.5 फीट तक पानी जा रहा है तो लाइन में कितने दिन और जमा होगा? लाइन से जब ओवर फ्लो होगा तब के बाद की स्थिति क्या है?
अधिकारी : मुझे कुछ नहीं मालूम।
बर्बाद हो जाएगा प्रोजेक्ट
चूंकि बड़े हिस्से में खुदाई चल रही है या लाइन के इंतजार में जमीन खुदी हुई है। खुदे या खोदे जा रहे हिस्से की गहराई तकरीबन 6 मंजिला इमारत के बराबर है।  इस गलियारे में पानी छोड़ा जाता है तो मिट्टी के कटाव के कारण बाद में पाइप डालना मुश्किल हो जाएगा।
लालपुल के नीचे सूरंग से गड्ढे खोदे जा रहे हैं लेकिन यहां लाइन पूरी डली है। इसीलिए पंपिंग स्टेशन बनाकर वैकल्पिक व्यवस्था से पानी को बायपास कर दोबारा पाइप में डाला जा रहा है।
वर्जन
हमारा सिस्टम तो रन कर रहा है। ट्रायल चालू हो गई है। शनिवार की 4.30 को ही कालिया देह तक पहुंच गया। जो खुदाई की गई उसमें रॉक कटिंग से ही निकल गया पानी। सिर्फ पाइप बिछाना है, बाद में बिछा लेंगे।
मुकुल जैन, कार्यपालन यंत्री
जल संसाधन विभाग

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